बुधवार, दिसंबर 09, 2009

डर: एक माईक्रो कथा

 

सारा गांव उनसे डरता था.

एक मात्र राजू भईया के पास लाईसेन्सी रिवाल्वर था.

क्या पता गुस्से में मार ही न दें.

मैं भी राजू भईया से डरता था.

इसलिये नहीं कि गुस्से में मुझे न मार दें.

मेरा डर अलग था.

आज खबर आई है

-राजू भईया ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली.

मेरा डर सच निकला.

गांव का डर जाता रहा.

*

चलते चलते:

 

टोरंटो आज सबेरे:

toronto

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90 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

इसी लिए गुस्से से बचना जरुरी है, आप का भी डरना जायज था, गुस्से मे ये दो ही काम होते हैं, जिसमे से एक हो गया। गुस्सा विवेक का हरण कर लेता है, उस परिस्थिति मे आत्मघात होना स्वाभाविक है, आभार

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

chaliye dar se nizaat mili.

mere pita ji kabhi kabhi quote karte the.

jang ke naam par shamsheer uthane wale
zer-e-shamsheer bhi aa jaate hain

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

लघु के बहाने बड़ी बात कह दी।
भीतर गहरे तक डरा हुआ आदमी डराने के सामान इकठ्ठे करता है।
.. आप ज्ञानी हैं, एक बार और स्पष्ट हो गया ! धन्य महराज।

बेनामी ने कहा…

आपका डर सच निकला.
गांव का डर जाता रहा.

यही सच है

बी एस पाबला

श्यामल सुमन ने कहा…

आखिर वही हुआ जिसका आपको डर था।

चलते चलते भी मजेदार है और चलते चलते यह भी देखिये-

खुद-ब-खुद सीख लेते हैं लोग तरीका जीने का
महफिल में शामिल होना कब वहाँ से दफा होना।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

यही होता है जो शौकिया हथियार जमा कर रखते हैं। पाकिस्तान में भी यही हो रहा है।

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अपन भी पहले राजू भईया ही थे बस अंतर इतना है कि अपन ने रिवाल्वर को फ़ेंक दिया और गुस्से पर कंट्रोल पाना सीख लिया। पर फ़िर भी इस माईक्रो कथा से बहुत कुछ याद आ गया ...

जब समय आता है तो पत्ते तो क्या परछाई भी साथ छोड़ देती है। :)

Smart Indian ने कहा…

बन्दूक किसे मारती है भला?
इंसान मारता है या डर मारता है.

बेनामी ने कहा…

स्तरीय पोस्ट। आप बढ़िया लिखते हैं।
kaha गया है आप जिससे डरते हैं वह भी किसी से डरता है। अपने आप से डर वाला इंसान यही तो करेगा।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

यह एक श्रेष्‍ठ लघु-क‍था है। हथियारों का यही भविष्‍य होता है, वे या तो खुद पर चलते हैं या फिर अपनों पर चलते हैं।

Gyan Darpan ने कहा…

ललित जी की ये टिप्पणी हमारी भी मानी जाए
"इसी लिए गुस्से से बचना जरुरी है, आप का भी डरना जायज था, गुस्से मे ये दो ही काम होते हैं, जिसमे से एक हो गया। गुस्सा विवेक का हरण कर लेता है, उस परिस्थिति मे आत्मघात होना स्वाभाविक है"

बढ़िया सीख दी है इस लघु कथा ने |

आशु ने कहा…

समीर जी,

वह क्या बात है. लेखक है दूसरों से तो अलग ही सोचते है, इसी लिए आप अन्दर की बात सोच पाए.
हमेशा आप की नयी रचना का इंतज़ार रहता है. आप की सभी विडियो भी देखा, देख कर बड़ा अच्छा लगा.
आप का लिखा पढ़ कर बड़ी परेरना मिलती है पर आप जैसे अन्दर की गोटी ढूंढ कर नहीं ला पाटा हा हा हा ..

बहुत बधाई

आशु

आशु ने कहा…

समीर जी,

वह क्या बात है. लेखक है दूसरों से तो अलग ही सोचते है, इसी लिए आप अन्दर की बात सोच पाए.
हमेशा आप की नयी रचना का इंतज़ार रहता है. आप की सभी विडियो भी देखा, देख कर बड़ा अच्छा लगा.
आप का लिखा पढ़ कर बड़ी परेरना मिलती है पर आप जैसे अन्दर की गोटी ढूंढ कर नहीं ला पाटा हा हा हा ..

बहुत बधाई

आशु

आशु ने कहा…

समीर जी,

वह क्या बात है. लेखक है दूसरों से तो अलग ही सोचते है, इसी लिए आप अन्दर की बात सोच पाए.
हमेशा आप की नयी रचना का इंतज़ार रहता है. आप की सभी विडियो भी देखा, देख कर बड़ा अच्छा लगा.
आप का लिखा पढ़ कर बड़ी परेरना मिलती है पर आप जैसे अन्दर की गोटी ढूंढ कर नहीं ला पाटा हा हा हा ..

बहुत बधाई

आशु

Shiv ने कहा…

शानदार पोस्ट है भइया. और शेर तो निहायत ही खूबसूरत और सही.

Unknown ने कहा…

"राजू भईया ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली."

कनखजूरे के एक पैर टूट जाने से कोई फर्क पड़ता है क्या?

रंजन ने कहा…

एसे डरा मत करो साहेब!!

Dr. Shreesh K. Pathak ने कहा…

आपका डर, केवल डर नहीं था..वह तो एक पुरे फलसफे के खात्मे का डर था..आपने उम्दा लाईनें लिखी हैं..बात लेखन को पार कर गयी है वो मेरे मोहल्ले की दहलीज तक आ गयी है...कि एक बार मेरा डर भी सच हो गया था.......!!

फोटू वाली त्रिवेणी पर:
सुन्दर...!
ये पता नहीं लगता ना कि किससे दिल लगाना है और किससे है खफा होना..आप ही बताइए..खासी उम्र है आपकी, कितनी बार गणित लगा के किसी एहसास से बात की है आपने...(यूँ ही पूछ रहा हूँ..बिलकुल ऐसे ही..)

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत खूब , आग को जेब में रखने का प्रतिफल बताती कविता !
हाँ, अपने एक नजदीकी से कल फोन पर पता चल गया था कि टोरंटो में हवाओं संग बर्फ गिर रही है ! तापमान ताजी बर्फ गिरने के वजह से थोड़ा गर्म (यानी माइनस पांच डिग्री ) के आस-पास था ! आप भी इस बर्फबारी के खूब मजे ले रहे होंगे !

समयचक्र ने कहा…

शौकिया प्राण घातक अस्त्र शस्त्र रखना कभी कभी आत्मघाती साबित हो जाता है .

सदा ने कहा…

आपका डर सच निकला.
गांव का डर जाता रहा ।

बहुत कुछ चन्‍द शब्‍दों में व्‍यक्‍त किया, आभार ।

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

समूह संबंधी हत्यात्मक सोच धीरे - धीरे
आत्म-हनन की ओर अग्रसर करता है ..
सुन्दर लगा ... ...

Kusum Thakur ने कहा…

डर तो आपका जायज था .....

संजय बेंगाणी ने कहा…

क्या बात है! मजा आया. माइक्रो ज्यादा मारक है.

kshama ने कहा…

Behad sundar tareeqese likha hai...iske alawa aur shabd naheen..

Himanshu Pandey ने कहा…

आपका डर अलग था - सही था !

सुन्दर प्रविष्टि । आभार ।

ghughutibasuti ने कहा…

वाह, बढ़िया है।
राजू भइया की आत्मा को शांति मिले।
घुघूती बासूती

ajai ने कहा…

जिससे सब डरते थे , डर उसके अंदर बैठा हुआ था

अनिल कान्त ने कहा…

मुझे चलते चलते के बाद की पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ओह ! जाने कैसा मन हो आया !

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बढिया पोस्ट।
डर कभी दूसरो को डराता है कभी खुद को।

Khushdeep Sehgal ने कहा…

गुरुदेव,
रामगढ़ को गब्बर के ताप से बस एक ही बचा सकता है और वो है खुद गब्बर...

टोरंटो की सुबह बड़ी मनोरम है...

जय हिंद...

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

बड़े पते कि बात कही चलते चलते,
सुबह-सुबह ही दिखा ये क्यों सूरज ढलते?
स्वप्न ही होगा! ये सोचा आँखे मलते.

Pratik Maheshwari ने कहा…

माईक्रो कथा का मैक्रो ज्ञान..वाह..
और दो लाईना भी बहुत अच्छा लगा..

आभार
प्रतीक

डॉ टी एस दराल ने कहा…

आपका डर सही था।

वर्ष का पहला हिमपात --बधाई दें या --

नीरज गोस्वामी ने कहा…

डर को बहुत अच्छे से परिभाषित किया है आपने अपनी रचना में...आप का कोई जवाब नहीं...
नीरज

रचना दीक्षित ने कहा…

दोनों ही डरने वालों के डर सही हैं वसे भी डराता वही है जो खुद डरता है इस प्रेरणा दायक प्रस्तुति पर बधाई

निर्मला कपिला ने कहा…

चलो सब का डर निकल गया। और जो अब डरेगा वो खुद ही मर जायेगा। धन्यवाद्

Unknown ने कहा…

bahut khoob...........

bahut hi badhiya,,,,,,,,

दिगम्बर नासवा ने कहा…

SACH HAI GUSSA SABKUCH LEEL LETA HAI ... APNA KHUD KA ASTITV BHI ....

TORONTO KE MOUSAM KI TRIVENI KAMAAL HAI SAMEER BHAI .... BARAFBAARI KI SHURUAAT KI BAHUT BAHUT MUBAARAK ....

शरद कोकास ने कहा…

"जो डर गया सो मर गया " गाँव तो पहले से ही डरा हुआ था ,,डरे हुए नहीं थे तो सिर्फ राजू भैया सो मर गये ।

vandana gupta ने कहा…

dar........kahin na kahin to apna rang dikhata hi hai.

उम्मतें ने कहा…

लाइसेंसी रिवाल्वर एक अच्छा प्रतीक है !

shikha varshney ने कहा…

दोनों में से एक डर तो सच होना ही था ..आपका हो गया..चलते चलते कमाल का है.
एक चलते चलते ये भी.-
"कुदरत का उसूल यही है,
बहार हर खिज़ा के बाद आती है".

अनूप शुक्ल ने कहा…

----आगे की कथा छपने के बाद--------
राजू भैया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उनकी खोपड़ी में अनगिन बोध कथायें ठुंसी पड़ीं थी।
उनके शरीर का ’बोध सूचकांक’ एक स्वस्थ व्यक्ति के बोध सूचकांक से कई गुना अधिक हो गया था। डाक्टरों को आश्चर्य था कि इतने ’बोध सूचकांक’ वाला व्यक्ति इतने दिन जी कैसे लिया?
पता चला है कि राजू भैया नित्यप्रति अंडरवर्ल्ड की दुनिया से बाबागिरी के धंधे में आये साइटश्रमों में विचरण करते थे और सारा बोध अपने दिमाग में ठूंस-ठूंस कर भरते थे। ऐसे ही कल बोध ठूंसते हुये कल बोध के साथ गोली भी ठुंस गयी और वे निपट गये।

राजू भैया जैसे अबोध आदमी ने बोध-बोझ से मुक्ति पाने के लिये अपने को खुद को गोली मार ली।

पुलिस ने अनाम साधुओं/बाबाओं के खिलाफ़ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। क्राइम ब्रांच वालों ने बोध-बाबाओं की साइटें खंगालनी शुरू कर दी हैं।

बाबाओं के यहां भजन/कीर्तन/खड़ताल/झपताल की आवाज तेज हो गयी है। अपने मन का डर बाबा लोग गले की आवाज से दूर करने में लगे हैं।

आज का दिन मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कडुवासच ने कहा…

... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!

पंकज बेंगाणी ने कहा…

बहुत अच्छी कहानी.

कविता रावत ने कहा…

Dara hua aadami apni chhaya se bhi dar jata hai......
Dar ko bhagane ka nayaab tarike ki baat ki aapne bahut achha laga .....

rashmi ravija ने कहा…

एक सार्थक कहानी....जो अन्दर से डरा हुआ होता है ..वही दूसरों को डराने की कोशिश करता है

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छी कहानी !!

रंजना ने कहा…

YAH MICRO TO BADA HI BHARI RAHA...KITNA SAHI KAHA AAPNE !!!
SANKSHEP ME GRAHNEEY SUNDAR SANDESH...

अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ ने कहा…

shukriya!
bahut arthpoorn laghukatha aur utana hi achchha andajebabyan|

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह क्या मारा है आपने!!

अर्कजेश ने कहा…

वाह । बहुत गहरा संदेश देती है यह लघुक‍था ।
बेहतरीन लिखी गई है ।

राजेश स्वार्थी ने कहा…

आज तक इतने कम शब्दों में इतनी बड़ी बात नहीं देखी कहीं.

Kulwant Happy ने कहा…

क्या कहूं समीर, बुरे वक्त तो खून के रिश्ते भी दम तोड़ जाते हैं।

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

khatarnaak cheez hai gussa bhi....aur darr bhi...

ज़मीर ने कहा…

अच्छी रचना। आपके मार्गदर्शन की हमेशा प्रतीक्षा रहेगी, सादर।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बस इतना ही कौंगा कि "मारक मिसाईल" है यह पोस्ट! बेहतरीन.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बन्दूक किसे मारती है भला?
इंसान मारता है या डर मारता है.

Dr. Amar Jyoti ने कहा…

'गांव का डर जाता रहा'यानी के वे मौत के बाद भी अकेले,अवांछित ही रहे। मर्मस्पर्शी!

jayanti jain ने कहा…

it is not micro but macro story because man is driven by mostly fear

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

डर से मत डरो डर के आगे जीत है

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

डर को सुंदर अभिव्यक्ति।
------------------
सलीम खान का हृदय परिवर्तन हो चुका है।
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

रिवाल्वर तो मेरे पास भी है और बन्दूक भी . और कुछ लोग डरते भी है मुझसे . आपकी कविता पढ कर लगता है कहीं राजू भैय्या ना बन जाऊ . ध्यान रखुन्गा .

श्याम जुनेजा ने कहा…

tippaniyon ki itani lambi katar par karke jis kavita ke liye tippani karni pade us kavita ko jaisa hona chahiye theek vaisi kavita hai aapki ...vadhai

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत बड़ी बात कह दी आपने इस माइक्रो कथा में।शुभकामनायें।
पूनम

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

राजू भैया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आगई है. और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह साबित हो गया है कि उनकी मृत्यु उन्ही के रिवाल्वर से चली हुई गोली से हुई है.

आज दिन मे राजू भैया के कमरे की तलाशी में उनकी एक निजी डायरी मिली है. डायरी से एक सनसनी खेज खुलासा हुआ है. राजू भैया ने पिछले कुछ दिनों से दो गुर्गे पाल रखे थे.

गुर्गे राजू भैया के सर पर इतने चढ चुके थे कि वो अक्सर राजू भैया की रिवाल्वर से भी खेलने लगे थे.

जांच का केंद्र बिंदू यह है कि राजू भैया पर गोली चलने के बाद से ही दोनों गायब क्यों हैं?

लगता है नादानों से दोस्ती ने राजू भैया की हस्ती ही मिटा डाली.

रामराम.

महावीर बी. सेमलानी ने कहा…

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ब्लोग चर्चा मुन्नभाई की
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समीर अन्कल!
ताऊ की बात ठीक लगी.
वैसे आपका डर सत्य साबित हुआ.
इससे यह सिद्द होता है कि आपका सिक्स सेन्स बराबर काम कर रहा है.
मुझे भी लगता है नादानों से दोस्ती ने राजू भैया की हस्ती ही मिटा डाली.

महावीर बी. सेमलानी "भारती"
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

यह पढने के लिऎ यहा चटका लगाऎ
भाई वो बोल रयेला है…अरे सत्यानाशी ताऊ..मैने तेरा क्या बिगाडा था

हे प्रभु यह तेरापन्थ

मुम्बई-टाईगर

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

समीर जी ... इसीलिए कहते हैं "बोये पेड़ बाबुल के तो अमवा कहाँ से खाय ?"

बुरे वक़्त मैं तो गली के कुत्ता तक दुत्कार देता है

जितेन्द़ भगत ने कहा…

दस साल पहले ये कवि‍ता वि‍देशी करार दी जाती, या अनुवाद या अस्‍ति‍स्‍ववादी कहलाती या शायद कुछ और मगर आज राजू भइया भारतीय पीढी की एक तस्‍वीर, एक मानसि‍कता को उजागर कर रही है।

alka mishra ने कहा…

गांव का डर जाता रहा.

dweepanter ने कहा…

बहुत सुंदर post
pls visit...
www.dweepanter.blogspot.com

Alpana Verma ने कहा…

Micro katha....jabardast!
yahi anjaam hota hai galat kaam karne walo ka..
--------------
[Kya aap bhi bhavshiy mein hone wali ghatnaO ke bare mein aabhaas karne lage???? :)]

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

सुंदर कथा.

पंकज ने कहा…

गुस्सा भस्मासुर होता है, अंत में स्वयम को ही जला देती है.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वाह ....अजीब डर था आपका .....तौबा ! सच भी निकला ......???

लगता है कोई विधा छोड़ेगें नहीं आप ......!!

padmja sharma ने कहा…

thode men jyada .

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

समीर भाई
गज़ब कह गए जी चाहता है उन हाथौं को चूम लूं जिसने इसे लिखा है .

Ambarish ने कहा…

acchi micro katha... aur shandaar triveni...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

jo swayam daraa hota hai wahi apne ko surkshit rakhane ke liye hathiyaar rakhta hai.....aapka darr raju bhaiya ke swabhaav ko jaan kar tha shayad...bahut gahri baat kahi aapne is laghu katha men.....badhai

KK Yadav ने कहा…

कम शब्दों में बड़ी बात....ऐसे वाकये समाज में अक्सर दिख ही जाते हैं.

Unknown ने कहा…

:) ...amazing lines

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

bahut badhhiyaa baat likhi he..aapko jis baat ka dar thaa vo haqiqat me saamne aa gayaa../

Dr. kavita 'kiran' (poetess) ने कहा…

क्या लिखते हैं आप.वाह!बहुत खूब!!

Dr. kavita 'kiran' (poetess) ने कहा…

क्या लिखते हैं आप.वाह!बहुत खूब!!

गौतम राजऋषि ने कहा…

सरकार की लेखनी से निकली एक सशक्त और धारदार रचना।

त्रिवेणी भी खूब जम रही तस्वीर के संग।

Arvind Mishra ने कहा…

दादागीरियों को तो एक न एक दिन जाना ही होता है !

mehek ने कहा…

dar ke bhi kitane roop hote hai,triveni bahut sarthak lagi.

निर्झर'नीर ने कहा…

excelent