रविवार, जनवरी 05, 2014

आँटी पुलिस बुला लेगी- गंदी बात गंदी बात!!

कनाडा की शाम को आजतक पर “दिल्ली की आप सरकार की सबसे कम उम्र की महिला व बाल विकास मंत्री राखी बिड़ला” (बाकी मंत्रियों के लिए मात्र विभाग के साथ मंत्री लिए देने से भी चल जाता है) की कार पर हुए धातक हमले, जिसमें संयोग से वे पूरी तरह सुरक्षित रहीं, के चरम के बारे में पढ़ रहा था; हल्ले गुल्ले के बाद समाचार का निष्कर्ष अंतिम पैरा में:

क्या बच्चे की गेंद से टूटा गाड़ी का शीशा?

सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कार का शीशा क्रिकेट खेल रहे एक बच्चे की गेंद से टूटा था. घटना के बाद हुई पुलिस पूछताछ से ये बात सामने आई है कि इलाके में एक घर की छत पर क्रिकेट खेल रहे बच्चे की गेंद से कार का शीशा क्रेक हुआ. बताया जा रहा है कि घटना के तुरंत बाद बच्चे के पिता ने सबके बीच माफी भी मांग ली थी. लेकिन इसके बावजूद मंत्री साहिबा थाने पहुंच गईं और बच्चे की घटना को छिपाते हुए शिकायत दर्ज करा दी. इसके अलावा राखी के पिता पर भी बच्चे के परिवार को अपशब्द कहने के आरोप लगाए जा रहे हैं.

अब ऐसे में हमारे जैसे जाबांज टिप्पणीकार, जिनका २५-५० जगह टिप्पणी करने के बाद ही खाना पचता हो वो चुप कैसे बैठा रहे भला तो फटाक से टिप्पणी लिखी:

आमजन के बीच जाने के फायदे:मंगोलपुरी में बच्चों को खेल के मैदान मुहैय्या कराये जायेगे ताकि वो छत पर क्रिकेट खेल कर कार के कांच न फोंडें.

और मंगोलपुरी के बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए:

कांच फोड़ना- गंदी बात, गंदी बात!! आंटी पुलिस बुला लेगी, गंदी बात गंदी बात- तब भी न माने टिंकू जिया मेरा टिंकू जिया..

और हिट सब्मिट.

ओए, ये क्या? टिप्पणी ही नहीं गई और एरर मैसेज : Please remove inappropriate words: गंदी गंदी गंदी गंदी

gandibaat_Aaztak

अब बताओ भला? गाना लिख रहे हैं जो गली गली बज रहा है न्यू ईयर पर. इनने खुद न्यू ईयर की पार्टी कवरेज में न जाने कित्ती बार दिखाया होगा मगर बस, सही कहते हैं समरथ को न दोष गुसांई:

आप करें तो रासलीला और हम करें तो करेक्टर ढीला.

खैर, टिप्पणी न करें और भूल जाये तब तो नींद ही न पड़े हम जैसे टिप्पणी शुरवीरों को. आज भी याद है वो जमाना जब ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं जा पाती थी तो ईमेल और फोन करके अगले को बताया करते थे कि चैक करो, क्यूँ तुम्हारे ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं जा रही. और फिर वही टिप्पणी उसे ईमेल से भेजते थे कि मेरे नाम से छाप लो, तब जाकर चैन मिलता था.

अतः टिप्प्णी बदली और गंदी को Roman में लिखा Gandi, फिर से नहीं गया. जो एरर मैसेज आया वो आप वहाँ खुद Gandi बात टाईप करके सब्मिट करके देख लो, मुझसे न बताया जा पायेगा.

अंत में उसे बदला Bad बात Bad बात से..तो हमारे स्पैल चैकर, जो अबतक सुकबुकाये से बैठे थे, एकाएक होशियार हो चले और उसे ठीक करके कहने लगे Do You mean ’Bed N Bath’ –कनाडा की बड़ी भारी चेन शॉप है बैड़ एन्ड बाथ आईटम्स की.

खैर, जैसे तैसे कमेंट भेज भाज कर फुरसत हुए हैं तब से जब चाहे ई मेल खोलो तो, चाहे कोई भी साईट ब्राउज करो तो दनादन जो विज्ञापन गुगल महाराज की कृपा से आ रहे हैं, हमारी तो घिघ्घी ही बंध गई है और तुरंत न सही तो कुछ देर में पत्नी की निगाह उन पर पड़ेगी ही. बाहर -२५ डीग्री तापमान और बर्फ का तूफान आया है. आप मेरी स्थिति की कल्पना करें: विज्ञापन के नमूने:

Bed N Bath ke Discount offer – कोई बात नहीं- इससे पत्नी को क्या एतराज होगा.

Cheap and affordable Bed and Breakfast Motel in surrounding Area

और

Bed and Breakfast motel with in room Jacuzzi – कोई भी पत्नी पूछ सकती है कि क्या कहीं आऊटिंग के लिए ले चल रहे हो, जो ये खोज रहे हो.

फिर,

Lonely Aunties in your area

और

Aunties in your area- Privacy Assured- No Police Records

और

Bad Aunties in your area- looking for you – इसे देखने के बाद तो मोटल क्यूँ देख रहे थे, ये पूछने की भी जरुरत कहाँ?

आपसे सलाह ये चाहिये कि खुद ही सामान पैक कर के निकल लूँ कि इन्तजार करुँ निकाले जाने का? कम्प्यूटर फार्मेट करने पर भी गुगल तो मेरी आई डी नोट किये बैठे ही हैं.

इस बार बच गये तो ऐसी टिप्पणी करना ही नहीं है आगे से भले ही खाना पचे या न पचे. अपच ही बेहतर है इस -२५ डीग्री वाली तूफानी ठंडी रात में घर से निकाले जाने से.

वहाँ तो खैर आप पार्टी वाले बच कर निकल ही लेंगे कि हमने कहा ही नहीं कि हमला हुआ था.

Indli - Hindi News, Blogs, Links

55 टिप्‍पणियां:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

मशीनों को काबू में रखना इसीलि‍ए जरूरी है वर्ना हो सकता है कल को वहां वहां भी हमारी अटेंडेंस लगा आएं जहां हम जाने की भी नहीं सोच सकते :-)

Archana Chaoji ने कहा…

और करिए टिप्पणी..... इत्ते साल पी एम् से कुछ न सीखे ?...:P

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (06-01-2014) को "बच्चों के खातिर" (चर्चा मंच:अंक-1484) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

poonam ने कहा…

maare gaye..in vigapano ke chakkar mae......gandi baat ....biwi police bula legi..:)

विवेक रस्तोगी ने कहा…

बेचारे एड सेन्स को घर का गणित पता नहीं होगा

विवेक रस्तोगी ने कहा…

बेचारे एड सेन्स को घर का गणित पता नहीं होगा

vijay kumar sappatti ने कहा…

सही है दद्दा !
दीदी ने अगर देख लिया तो आपका नए साल का सेलिब्रेशन हो गया समझिये :):):)
:P

खैर , इस पोस्ट से ये व्यथा समझती है कि टेक्नोलॉजी कभी कभी हमारे लिए क्या मुसीबत खड़ी कर सकती है . :P

हाय रे वो पुराने ब्लॉग्गिंग के दिन ! और वो टिप्पणियों के दिन !
हाय रे हाय !
आपने आज फिर उस सुनहरे काल की याद दिला ही दी !

प्रणाम और एक बार फिर से नव वर्ष की शुभकामनाये आप सभी को .

amit kumar srivastava ने कहा…

'राखी' या 'सिंड्रेला' ,गनीमत कार कद्दू न बन गई ,इस घटना के कारण लेट होने से ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आम आदमी को तोड़ने के लिये कारों की व्यवस्था करनी होगी।

अनूप शुक्ल ने कहा…

नये साल में नये काम! :)

Satish Saxena ने कहा…

सही है , धांसू पोस्ट !!

राजीव तनेजा ने कहा…

अब तो ऑडियो के माध्यम से भी टिपण्णी पोस्ट करने की सुविधा के लिए आवाज़ उठानी पड़ेगी...

समीर लाल जी आप संघर्ष करें...
हम आपके साथ हैं...

जय हिंदी...जय ब्लॉग्गिंग

:-)

Unknown ने कहा…

गंदी बात, गंदी बात!!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

खुद निकल लेना निहायत शरीफाना अंदाज है जो न वर्तमान और न भावी राजनेताओं को शोभा नहीं देता। वैसे भी खुद निकल लेने में क्या फायदा है। रुके रहो, रुके रहो, तब तक रुके रहो.. जब तक नौबत न आए।
... क्या पता नौबत आए ही नहीं।

Gyan Darpan ने कहा…

इसी तरह टिप्पणियाँ पर एरर आते रहे तो आजमा दुरुस्त करने का कोई और उपाय तलाश पड़ेगा :)

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

राजीव तनेजा साब की इच्छा पूर्ण करेंगी अर्चना चावजी
पोष्ट वाकई धाँसू लिखे हो बड्डे
जे बताओ कै कब आहो जबलपुर

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

😳😄

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

समीर जी आपके साथ ही ऐसा क्‍यों होता है? कभी आप "गे" सम्‍मेलन में फंस जाते हो और आज यहाँ? वाह मजा आ गया।

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

:-) interesting as always!!!

regards

anu

दीपक बाबा ने कहा…

च च च च ...
मारे गए गुलफाम

दद्दा भी फंस गए ... आंटी के चक्कर में .:)

Vaanbhatt ने कहा…

ये आजकल के बच्चे भी छत पर खेल के तेंदुलकर बनना चाहते हैं...न कपडे गंदे हों न धूल लगे... नहीं तो मम्मी मारेगी...अपने मोहल्ले वालों के शीशे तो तोड़ नहीं सकते...इसलिए आम आदमी के फोड़ दिये...गन्दी बात...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपकी टिप्पणी नहीं आती तो टिप्पणी बोक्स सूना सूना लगता है ... आपके ब्लॉग पर आ के भी मायूस लौटना पड़ता है ... आप लिखते नहीं तो ब्लॉग पे शीशा कैसे फोडें ये समझ नहीं आता ...
खैर ... नए साल भी बधाई और भाभी को भी बधाई ... ब्लॉग पे नहीं आते तो उनको जो टाइम देते होगे ...

M VERMA ने कहा…

गन्दी बात को गंदी तो न कहिये

Vaanbhatt ने कहा…

ये आजकल के बच्चे भी छत पर खेल के तेंदुलकर बनना चाहते हैं...न कपडे गंदे हों न धूल लगे...नहीं तो मम्मी मारेगी...अपने मोहल्ले वालों के शीशे तो तोड़ नहीं सकते...इसलिए आम आदमी के फोड़ दिये...गन्दी बात...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

काहे बहाने बना रहे हैं ! कौन नहीं समझता मर्दों की जात को ! :)

वाणी गीत ने कहा…

समरथ को नहीं दोष गुसांई सही माने या "do not underestimate the power of the common man "... सोचना पड़ता है आजकल :)
बाकी तीर तो आप गज़ब ही चलाते हैं !

Saurabh ने कहा…

आज के हालात पर एक बेहतरीन पोस्ट. बधाई हो भाईजी..

kavita verma ने कहा…

gandi bat gandi hote hote rah gayee mazedar post ...

dr amit jain ने कहा…

बाप रे इन मशीनी नखरों को झेलते हुए टिपण्णी करने वाले शूर वीर को मै अदना सा तिपन्निकर्ता आपको देल्ही ए नमस्कार करता हु ओर आपके इस अपूरणीय टिपण्णी योगदान करता के रूप मे इस संसार के द्वारा याद करने के लिए पुरुस्कृत करने की सिफारिश भी करता हु ...:)

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मस्त पोस्ट।

मैं भी जब कोई ब्लॉग खोलता हूँ तो उटपटांग प्रचार आते हैं..ब्लॉग खोलना ही बंद कर दिया था कई दिन तक। अब पहले प्रचार डिलीट करता हूँ फिर पढ़ता हूँ।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

हार्दिक बधाईयां !
आपको जानकर प्रसन्न्ता होगी कि आपके ब्लॉग ने हिन्दी के सर्वाधिक गूगल पेज रैंक वाले ब्लॉगों में जगह बनाई है। निश्चय ही यह आपकी अटूट लगन और अनवरत हिंदी सेवा का परिणाम है।
एक बार पुन: बधाई।

विनोद पाराशर ने कहा…

समीर जी,
हम तो थोडे में ही गुजारा कर लेते हैं,ज्यादा ‘टिप्पणी‘लिखने में ज्यादा रिस्क है और हम ज्यादा रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

अभी आगे देखना है...मजेदार लेखन...बहुत बढ़िया...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

बवाल ने कहा…

Bahut heee aala darze ka tanz mara hai lala jee bilkul durust baat kahi hai.

बवाल ने कहा…

Bahut heee aala darze ka tanz mara hai lala jee bilkul durust baat kahi hai.

Arvind Mishra ने कहा…

मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं इस आपबीती पर -अब कहें क्या?
मुला हाँ, हम सब एक मुसीबत में फसते जा रहे हैं -
बिग ब्रदर इज वाचिंग अस!

Ramakant Singh ने कहा…

आजकल आप के सामने मुस्कुराना भी मंहगा पड़ेगा जी

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह जी वाह

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह जी वाह

किलर झपाटा ने कहा…

Very nice you said sir.

Anurag Choudhary ने कहा…

आदजणीय शमीरजी,
आज youtube पर आपका नाम सुना और हमने आपकी उडनतस्तरी को खोज लिया । आपको खोजने मे कोई परेशानी नही हुई क्योकि हम भी तो आपकी ही अगली पीढी है आपका ब्लोग बहुत पसन्द आया । हिन्दी लिखने मे कमजोर हू इस लिये कम ही लिख सका हू ।

Avinash Choudhary ने कहा…

जब कोई अत्यन्त गरीब आदमी अप्रत्याफ्शित रूप से बडा बन जाता है तो येह बात तथकथित बडे लोगों को जो बडे पदो पर अपना एकाधिकार समझते हैं हजमं नहीं होती और यही राखी बिडलान के साथ हो रहा है ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

बिड़ला नहीं बिदलान :)

mridula pradhan ने कहा…

bahut achcha likhe......

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही सुन्दर व्यंग्य |आभार

Vandana Ramasingh ने कहा…

बहुत बढ़िया व्यंग्य आदरणीय ऐसा लगता है कि प्रलय अगर आएगी तो विज्ञापनों के अतिरेक बहाव से आएगी

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

गूगल बाबा जाने क्या क्या दिन न दिखा दे. बच के टिप्पणी... वरना आँधी तूफ़ान में बोरिया बिस्तर... हा हा हा
बहुत मजेदार, बधाई.

Kailash Sharma ने कहा…

क्या बात है..अब तो टिप्पणी देना भी मुसीबत है..

अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा हा तो गूगल की पहुंच इंसान तो इंसान एलियन तक है , झेलिए अब , बकिया आपकी शराफ़त का गूगल को यकीन हो न हो हमें तो पूरा है गुरूदेव । हां ये दिन खूब याद दिलाए आपने

"खैर, टिप्पणी न करें और भूल जाये तब तो नींद ही न पड़े हम जैसे टिप्पणी शुरवीरों को. आज भी याद है वो जमाना जब ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं जा पाती थी तो ईमेल और फोन करके अगले को बताया करते थे कि चैक करो, क्यूँ तुम्हारे ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं जा रही. और फिर वही टिप्पणी उसे ईमेल से भेजते थे कि मेरे नाम से छाप लो, तब जाकर चैन मिलता था."

:) :) :) :)

Parul kanani ने कहा…


kya baat hai :)

प्रेम सरोवर ने कहा…

रोचक पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रंण है। धन्यवाद।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बात को कहाँ से कहाँ पहुँचा दें आपका तो जवाब ही नहीं !

ashok andrey ने कहा…

एक अच्छी व्यंगात्मक टिपण्णी,सुन्दर.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आज के हालात पर एक बेहतरीन पोस्ट....!!!