बुधवार, अगस्त 17, 2011

मसरुफ़ ज़माना मेरे लिए..

शाम को थके हारे लौटे और ईमेल खोला.

पहला ईमेल लॉटरी वाला था ५ मिलियन की फिर खुल गई. यह जानते हुए भी कि यह झूठ है, अच्छा लगता है. इन नेताओं के चलते झूठ बातों से अच्छा लगने का सिलसिला हर भारतीयों के खून में रच बस गया है. दशकों से झूठ बोल बोल कर बहला रहे हैं और हम सब आदतन बहल रहे हैं. कभी पंच वर्षीय योजना से बहल कर खुश हो लेते हैं तो कभी भारत विकास की राह पर है, सुन कर तो कभी १५ अगस्त से भ्रष्ट्राचार की समाप्ति की बात सुन कर, तो कभी कुछ और. रोज देखता हूँ अपने ईमेल में ऐसे कई ईमेल. कोई कोकाकोला से, तो कोई याहू से ५ मिलियन जितवा कर प्रसन्न किये हुए हैं. हर बार डिलिट करने के पहले नमन करता हूँ और फिर डिलिट. डिलिट करने का कतई दुख नहीं होता, मालूम है कल दूसरे तीन आयेंगे जितवाने. सोचता हूँ इस बाबत आये ईमेलों को दफ्तर से प्रिन्ट कर कर के ला ला कर रखा होता तो अब तक ५०० रुपये तो रद्दी बेचने के मिल ही गये होते.

इनको मिटाता हूँ और फिर उसके आगे की श्रृंखला में किसी की दर्द भरी ईमेल देख आँख नम हो जाती है. यह भी नित होता है. मैं फलाने राष्ट्र के फलाने सुपर डुपर की इकलौती संतान हूँ. सत्ता पलट में मेरे पिता जी को राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चला कर मार डाला गया है. उनके खाते में १८ मिलियन यू एस डॉलर रखे हैं जो मैं आपको स्थांतरित करवाना चाहती हूँ. इस मदद की एवज में आधा आप रख लेना और आधा मुझे दे देना. आपके बारे में पता चला कि आप बहुत भले आदमी हैं और लोगों की मदद करते हैं. मेरी भी करिये, यह अनाथ यह एहसान कभी नहीं भूलेगी. पहले तो सोचता हूँ कि एकदम सरासर झूठ बोल रही है चोट्टी कहिंकी. फिर लगता है कि सरासर तो नहीं, बेचारी ने जब इतना सच सच लिखा है कि आप बहुत भले आदमी हैं और लोगों की मदद करते हैं. तो शायद बाकी बातें भी सच हों. कौन जाने, दुखियारी किस हाल में हो?

नम आँखें पोंछ सोचता हूँ कि चलो, रात में एक दो पैग पीने के बाद, जब भावुकता चरम पर होगी तब विचार करके जबाब देंगे जैसा कि अक्सर देखा है कि नितीगत निर्णय सरकार देर रात ही लेती है और फिर चल पड़ा अगली ईमेल पर, वो किसी बैंक अधिकारी की है जिनके पास एक खाते में २० मिलियन यू एस डॉलर हैं, जिस खाते का असली मालिक एक हवाई दुर्घटना में मारा गया है और खाते पर उसका कोई वारिस नहीं है. ये अधिकारी मेरे डिटेल्स, मेरे खाते का विवरण, शपथपत्र मँगवा कर उसे खाते में नथ्थी कर देंगे और फिर २० मिलियन ये मेरे खाते में डलवा कर मेरी इस घोर मेहनत के लिए आधी रकम याने १० मिलियन मुझे दे देंगे और आधी खुद लेंगे. इस कार्य के लिए मुझे चुनने का कारण मेरी विश्वश्नियता और शराफत बताया गया है. यहाँ भी लगा कि बंदा यह वाली विश्वश्नियता और शराफत की बात तो सही ही कह रहा है. खुद की कमीज के छेद भला आज तक किसी को दिखे हैं क्या जो मुझे दिखें.

तीसरा ईमेल भी ऐसा ही, फिर २० मिलियन मगर इस बार किसी की इन्श्योरेन्स का पैसा. फिर कोई नामित नहीं.

ओह!! अब समझ आया कि सभी आधा आधा बाँट रहे हैं. ये तो अपने खद्दरधारियों जैसे निकले. चेहरे अलग अलग, स्टेटमेन्ट अलग अलग और कर्म सबके एक. शायद भ्रमित हो गये हों कि ये बंदा कनाडा में रहता है तो केनेडियन होगा गोरा वाला, शायद जानते न हों कि मैं भारत से हूँ. सब समझता हूँ ऐसी चालबाजियों को. दरअसल, बचपन से सीखते समझते हालात तो ऐसे हुए हैं कि अब सिर्फ चालबाजियाँ ही समझता हूँ. आदत भी ऐसी पड़ गई है कि कोई सच में कुछ सच सच बताये तो उसमें भी चालबाजी खोजने लगता हूँ. अतः अनुभव के आधार पर इन तीनों को भी डिलिट कर देता हूँ. मालूम है कि कल फिर तीन दुख के मारे, वक्त के सताये मुझे १० -१० मिलियन देने आकर खड़े हो जायेंगे. कोई कमी थोड़ी है हमारी भलमनसाहत,  विश्वश्नियता और शराफत पर विश्वास रखने वालों की. भारत से भले कोई न करे मगर हमारा ऐसा स्तुति गान करने वाले, इंग्लैण्ड, हाँगकाँग, नाईजिरिया, सूडान और भी जाने कहाँ कहाँ फैले हैं, कई देशों के नाम तो उनसे मिली ईमेल से ही पहली बार सुनकर नक्शे में खोजता रहता हूँ. धन तो खैर हाथ का मैल है आना जाना लगा रहेगा मगर सामान्य ज्ञान और भूगोल ज्ञान में हुआ इजाफा काबिले तारीफ रहा इन ईमेलों के माध्यम से. इनका साधुवाद इस हेतु.

फिर इनसे निपट अगले तीन ईमेल देखता हूँ. लिखती है कि आपकी तस्वीर नेट पर देखी. यू लुक हैण्डसम. स्टेटमेन्ट में सच्चाई है अतः आगे पढ़ता हूँ. लिखा है कि मुझसे दोस्ती करोगे? मैं बहुत अकेली हूँ और आपसे फन के लिए दोस्ती करना चाहती हूँ. अपनी और तस्वीरें फलाना ईमेल पर भेजो फिर मैं भी तुमको अपनी वैसी वाली तस्वीरों का वेब लिंक भेजूँगी. ओके बाय, अब स्कूल जा रही हूँ, लौट कर ईमेल चैक करुँगी.

अब बताओं, उम्र के इस पड़ाव पर पोता खिलायें कि इनको तस्वीर भेज कर इनकी वैसी वाली तस्वीरें मंगा कर इनके साथ फन के लिए दोस्ती करें. ठीक है जी कि कवि हृदय है, कोमल होता है. आपके एकाकीपन की व्यथा देख भावुक भी हुए मगर कुछ तो ख्याल करो. हमारा नहीं तो कम से कम हमारे पोते का ही कर लो. कुछ साल ठहर जाओ फिर उसे ईमेल कर देना, वो भेज देगा अपनी तस्वीरें. उसकी उम्र के हिसाब से उसे सुहायेगी भी.

क्या करते सो भारी मन से इन्हें भी डिलिट किया और यह क्या? आज एक ईमेल चाईनिज में लिखा आया है. हो सकता है कोरियन में हो या जपानी में हो मगर हम हिन्दी के सैनिकों के लिए तो उस दिशा की सारी गोली बोली एक सी हैं कम से कम दिखने में तो. अगर सच में भाषा जान भी जायें कि कौन सी है तो पढ़ सकने से तो रहे. पुलिस वालों का सा हाल है कि जिस भी हत्यारे को न पकड़ पाओ, आतंकवादी घोषित कर दो. फुरसत! अब पड़ोसी देश सफाई देता रहे कि हमारे यहाँ का नहीं है.

chinese

तो खैर मैं उसे चायनीज़ में लिखा मान कर चल रहा हूँ. डिलिट करने की इच्छा होते हुए डर रहा हूँ या यूँ कहें कि संकोच कर रहा हूँ कि कहीं चाईना में कोई सम्मान समारोह में सम्मानित करने के लिए तो नहीं बुलाया गया है और मैं डिलिट करके बैठ जाऊँ. बाद में पछताने के सिवाय क्या हाथ लगेगा? हो सकता है हिन्दी के प्रचार प्रसार का हमारा जज्बा देखकर वो चाईनीज़ के प्रसार प्रसार के लिए मुझे प्रेरणा पुँज मानते हों और बुलाकर सम्मान करना चाहते हों, कौन जाने!!! वैसे भी सम्मान समारोह में, मुद्दा आपका काम नहीं, मुद्दा उनके द्वारा सम्मान देने का है. दृढ़ इच्छा शाक्ति सम्मान के प्रायोजकों की मायने रखती है, फिर एक बार उन्होंने यह तय मान लिया कि आपका सम्मान करना है तो सम्मानित करने की कोई न कोई वजह तो हर व्यक्ति में निकाली जा सकती है.

बहुत संभव है कि शायद मुझे बुला कर सम्मान में चाईना रत्न या चाईना का साहित्य भूषण देना चाहते हों. हो सकता है कि चाईना रत्न बिना जुगाड़ के सच में सराहनीय कार्य करने के लिए दिया जाता हो या चाईना साहित्य भूषण वाकई साहित्यिक प्रतिभा को आधार मान कर देते हों. भारतीय होने की वजह से यह किचिंत आश्चर्यजनक बात लग सकती है किन्तु हर देश के अपने अपने रिवाज और नितियाँ होती हैं. हो सकता है चाईना में ऐसा होता हो.

और जब बात सम्मान की है तो यूँ भी हिन्दी वालों को सम्मान के सिवाय और उम्मीद भी कौन बात की रहती है. नगद या बुकर प्राईज़ तो मिलने से रहा!! जो भी नगद राशि सम्मान प्रशस्ति पत्र के साथ नथ्थी कर दो, सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं. वरना तो शाल और नारियल में भी हर्षित रहते हैं.

समारोहों के नाम पर सम्मान समारोह ही एक ऐसा समारोह है जिसमें जब भी किसी ने बुलाया है, आज तक चीटिंग नहीं हुई. हमेशा सम्मानित किये गये. भले ही हड़बड़ी में पचास सम्मानितों की भीड़ में भागते दौड़ते सम्मानित हो गये हों -भूलवश किसी और का सम्मान पत्र हाथ में थामें मंच से उतरे हों मगर सम्मानित हुए जरुर. इसलिए इसे तो किसी से पढ़वा कर, समझ कर ही डिलिट करेंगे. आपमें से कोई चायनीज़ जानता हो तो मदद करो इस दुखियारे की. कहीं सम्मान से वंचित न रह जाऊँ. हो सकता है चाईना रत्न ही हो.

जब इसे छोड़ बाकी ईमेल डिलिट कर रहा हूँ तब ऐसे में..मैं पल दो पल का शायर हूँ - गीत की पंक्तियाँ नया रुप धर कान में गुँजने लगती हैं:

कल और आएंगे नगदी की थैली तुमको देने वाले,
मुझसे बेहतर ऑफर वाले, मुझसे बेहतर कहने वाले ।
कल कोई मुझ को डिलिट करे, क्यों कोई मुझ को याद करे
मसरुफ़ ज़माना मेरे लिए, क्यों वक़्त अपना बरबाद करे॥

-समीर लाल ’समीर’

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68 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

ji, kai baar main bhi arabpati bante- bante rah gaya. dar-asal ek pati bankar hi.........
:)

chankya ने कहा…

मुबारक हो !! रोजाना आपकी खुलती रहे और आपको अच्छा लगता रहे , चलो झूठ ही सही पर कुछ तो हो रहा है ....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कल और आएंगे नगदी की थैली तुमको देने वाले,
मुझसे बेहतर ऑफर वाले, मुझसे बेहतर कहने वाले ।
कल कोई मुझ को डिलिट करे, क्यों कोई मुझ को याद करे
मसरुफ़ ज़माना मेरे लिए, क्यों वक़्त अपना बरबाद करे॥
--
बढ़िया पैरोडी!
उम्दा लेख!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

तीन चार लाटरियाँ तो रोज अपनी भी खुलती है। हम लिफाफा खोले बिना डिलिट कर देते हैं। इस डर से कि असल में खुल गई तो दिल बंक न मार जाए।

Archana Chaoji ने कहा…

सीखी तो थी ये लिपी (बहुत पहले)ह्म्म्म याद आया(गलती हो सकती है)--शायद लिखा है - आपका ब्लॉग पढ़ते हैं,कई दिनों से....
पुस्तक प्रकाशन हेतु संपर्क करें...

Vaanbhatt ने कहा…

भाई अगर ऐसी मेल ना आयें तो इन-बॉक्स खाली ही रह जाए...पहले-पहले रोज भाई लोग (मित्र-रिश्तेदार) बहुत मेल भेजा करते थे...फिर फेसबुक पर कमेन्ट...धीरे-धीरे सब फेड कर गये...अब तो जंक मेल के भरोसे ही समय कट रहा है...प्रतिदिन जब तक २०-२५ मेल डिलीट ना कर लूं...कुछ खाली-खाली सा लगता है...

Satish Saxena ने कहा…

चाइना मैसेज महत्वपूर्ण है ऐसे सबको नहीं आते ! बिना भूले पढवा लेना .....
उम्मीद छोड़ कर जीना भी कोई जीना है...
शुभकामनायें !

संगीता पुरी ने कहा…

आपका भी जबाब नहीं .. ईमेल तो सबको मिलती हैं .. पर इतना चिंतन और ऐसा लेखन कर पाना सबके लिए संभव नहीं .. बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

Asha Joglekar ने कहा…

क्या करते सो भारी मन से इन्हें भी डिलिट किया ।

कल और आएंगे नगदी की थैली तुमको देने वाले,
मुझसे बेहतर ऑफर वाले, मुझसे बेहतर कहने वाले ।
कल कोई मुझ को डिलिट करे, क्यों कोई मुझ को याद करे
मसरुफ़ ज़माना मेरे लिए, क्यों वक़्त अपना बरबाद करे॥
जंक मेल पर इतना चिंतन भई वाह ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पैसा मिले न मिले, हम यही सोच कर प्रसन्न हो लेते हैं कि किसी ने ईमेल भेजा तो।

चाईनीज़-भूषण के लिये शुभकामनायें।

रचना ने कहा…

great post

ZEAL ने कहा…

ha ha ...mast mails aayi hain.

Urmi ने कहा…

रोजाना लौटरी के कई ईमेल आते हैं जिसे मैं नज़रंदाज़ कर देती हूँ क्यूंकि जब मैंने लौटरी ख़रीदा ही नहीं तो फिर करोड़ों रुपये जीतने का सवाल ही नहीं है फिर भी कभी कभी खोलकर देखती हूँ! आपका पोस्ट मुझे बहुत बढ़िया लगा! हो सकता है समीर जी आप एक दिन अरबपति बन जाए लौटरी जीतने पर! पहले से ही मैं मुबारक कह देती हूँ!

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

भाई साहब ! वाक़ई क्या ख़ूब मज़ा आया है आज !!!
हम तो आज तक यही समझते थे कि बंदा विदेश में रहता है और विदेशियों के प्रति हमारे देश में एक ललक और मोह पाया जाता है, उसी का लाभ समीर जी को मिल रहा है लेकिन आज के आपके लेख ने बताया कि नहीं आप ‘लिखते‘ भी हैं और अच्छा लिखते हैं। अपनी मसरूफ़ियत के चलते और आपके न आने के चलते हम आपको कम पढ़ पाए।
ख़ैर , आपने नेट पर क़ाबिज़ सायबर अपराधियों के बारे में अच्छी जानकारी दी और इसी पोस्ट में सम्मान समारोह आयोजित करने वालों को स्थान देकर आपने और भी अच्छा किया।
इसे निश्चित ही सकारात्मक लेखन कहा जाएगा।
हम हिंदी ब्लॉगिंग गाइड लिख रहे हैं, यह बात आपके संज्ञान में है ही।
क्या आप इस विषय में तकनीकी जानकारी देता हुआ कोई लेख हिंदी ब्लॉगर्स के लिए लिखना पसंद फ़रमाएंगे ?
अब तक हमारी गाइड के 26 लेख पूरे हो चुके हैं। देखिए
डिज़ायनर ब्लॉगिंग के ज़रिये अपने ब्लॉग को सुपर हिट बनाईये Hindi Blogging Guide (26)
यह एक यादगार लेख है जिसे भुलाना आसान नहीं है।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

हा हा हा हा - कमाल कर दिया दादा, हिन्दी जैसे सम्मान समारोह कहाँ होते होगें चायना में ? 50 में से 51 हम भी थे, भागते दौड़ते सम्मान लेने वालों में।

लाटरी पे भी सम्मान समारोह होना चाहिए। :)

Arun sathi ने कहा…

सरजी यह चाइनीज मेल मेरे द्वारा भेजी गई है जिसमें लिखा है कि मेरी प्रमिका भाग गई है उसे ढुंढने के लिए किसी प्रेमी हृदय व्यकित से मदद की गुहार है यदि आप प्रेमी हृदय है तो एक अरब डॉलर 11000111001110001110001100011001100011000 इस खाते में जमा करा दें, राधे राधे...

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

हिन्दी के सैनिकों के लिए तो उस दिशा की सारी गोली बोली एक सी हैं कम से कम दिखने में तो....

kamal ki lagi aaj ki post...sambhal kar hi maiataya kijiye kahi galti se ...kahir....badhai..

Pratik Maheshwari ने कहा…

वाह जी मस्त लिखा है..
और रही बात ईमेल स्पैम की तो उसे डिलीट करने की बजाये "स्पैम" मार्क करें..
ऐसे करने से कुछ ही दिनों में यह खुद-ब-खुद "स्पैम" फोल्डर में चले जाएंगे.. आपके इनबॉक्स में नहीं आएँगे..

कार्यरत तो चीनी कंपनी में हूँ पर अभी तक चीनी पढ़नी नहीं आती है अन्यथा बता देता कि सम्मान कहाँ और कब हो रहा है..
कहिये तो किसी कलीग से पूछ के बताऊँ?

स्वाति ने कहा…

और जब बात सम्मान की है तो यूँ भी हिन्दी वालों को सम्मान के सिवाय और उम्मीद भी कौन बात की रहती है. नगद या बुकर प्राईज़ तो मिलने से रहा!! जो भी नगद राशि सम्मान प्रशस्ति पत्र के साथ नथ्थी कर दो, सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं. वरना तो शाल और नारियल में भी हर्षित रहते हैं.
wah ..kya sateek likha hai..maja aa gaya padhkar...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सबको सावधान कर दिया की ऐसी इ मेल आए तो डिलीट कर देनी चाहिए ... फोटो तो भेज ही देनी चाहिए थी .. .. दोस्त तो बना कर देख ही लेते न ..कि कैसी वाली फोटो आती हैं .. :)

इन मेल्स के माध्यम से भी आज कि राजनीति पर अच्छा व्यंग किया है

रंजू भाटिया ने कहा…

यह पढ़ कर ऐसा लग रहा है की आपने तो फ़ालतू की ईमेल से भी सुन्दर लेखन की कमाई कर ली ...:) हम तो उसको ऐवें ही डिलीट मार देते हैं ...:)

अजय कुमार ने कहा…

ऐसे ईमेलों के झमेले तो बहुत आते हैं ,अब तो
एस एम् एस आने लगे हैं

mridula pradhan ने कहा…

khoobsurat hasy-vyang bhara hai....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

समीर भाई आपने तो मजाक में ले लिए वो मेल ... क्या पता कोई मेल राजा एंड कंपनी वालों ने भेजे होँ ... सांकेतिक भाषा का प्रयोग किया हो ... आप भी न ... इस लाजवाब पेरोडी में नुक्सान करा दिया .. हा हा ...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

झुंठ का सहारा लेकर आपने सारी सच सच बातें कहदी, पर झूंठ में जो आनंद आता है वो सच में कहां? इसीलिये नेताओं द्वारा झूंठे भाषण आश्वासन सुनना जनता को प्रिय लगते हैं. हमारा रामप्यारे भी इसी का फ़ायदा उठा कर जीवन के ऐश कर रहा है.:)

रामराम.

दीपक जैन ने कहा…

भईवाह मज़ा आ गया! काश हमे भी कोई अरबपति बनाने वाला होता। एक पति तो अभी बने नहीं अरबपति बनकर ही देखलेते।

लाजवाब प्रस्तुति सर

Ashish Pandey "Raj" ने कहा…

नम आँखें पोंछ सोचता हूँ कि चलो, रात में एक दो पैग पीने के बाद, जब भावुकता चरम पर होगी तब विचार करके जबाब देंगे जैसा कि अक्सर देखा है कि नितीगत निर्णय सरकार देर रात ही लेती है...
बहुत सरल,सहज और चुटीला ..आभार

Kailash Sharma ने कहा…

रोज करोड़पति बनते हैं और मेसेज डिलीट करने के साथ फिर जमीन पर आ जाते हैं. बहुत सुन्दर और गहन चिंतन इस विषय पर. आभार

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

काश ,एक मेल हमें भी मिल जाता ...झूठा ही सही ? वो कहते हैं न --' पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले --झूठा ही सही' ..कम से कम मिलियनपत्नी तो कहलाती ...झूठा ही सही ?????

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अरे भाई आपके पास तो ग़ज़ब की ऑफर आ रही हैं ।
यहाँ तक आते आते तो घिसी पिटी ही रह जाती हैं ।
खैर यह देखकर तो अपने आप पर गर्व होता ही होगा कि हम भी कितने भाग्यशाली हैं ।
अब एक आध ऑफर को स्वीकार कर ही लीजिये । जब तक नहीं करेंगे , आते रहेंगे ।
आखिर ज़माने में सब पैसे के पीछे ही तो हैं ।

abhi ने कहा…

जबरदस्त :) :)

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

यूं सबके इनबॉक्स रोजाना ही भरे होंगे यह यकीन है सर जी आपका पोस्ट तो सुपर है आप अपना असर छोड़ने में कामयाब हैं
सर जी आभार

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

चाइना रत्न का पत्र है या चाइना वायरस है, होशियार... बाद में न कहना खबरदार न किया :)

राजेंद्र अवस्थी ने कहा…

वाह क्या खूब मिला आपको ई मेल,
फिर याद आ गया लाटरी का खेल,
बहुत ही मजेदार लेख ह्रदय लाटरी लाटरी हो गया, तबियत मेल मेल हो गई.....

Dharni ने कहा…

नमन गुरुदेव!

Manjit Thakur ने कहा…

पढ़कर जिनको
आ जाए,
बदन में फुरफुरी,
वो ब्लॉगर हैं
हमरे चच्चा
उड़नतश्तरी।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

बढ़िया लिखा है आपनें ,कई लोग रोज इसी खुशी में जीते हैं,आभार.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

मेरी भी ऐसी ही कई लाटरी निकल चुकी...पर आपको बधाई
बहुत सुन्दर...

एक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

ऐसी चिट्ठियां तो आपको मिलती ही रहे.. कम से कम उनका वर्णन इस तरह से सुनने को तो कभी मिलेगा कहाँ....कई जगह रुक गयी मैं. जैसे कि अपनी कमीज़ की छेद कौन देखा है भला..... और हर बार डिलीट करने से पहले नमन करता हूँ... हे हे.....सोच रही हूँ कि इन सब चीजों से भी कई बात सीखने को मिल जाती है.....अनोखा सा लगा यह पोस्ट.

devendra gautam ने कहा…

साइबर क्राइम के हथकंडों पर आपने काफी रोचक ढंग से कटाक्ष किया है. एक लॉटरी वाला मामला छूट गया है. मेरे मेल पर रोमन के अलावा किसी स्क्रिप्ट में मेल नहीं आये लेकिन लॉटरी की सूचना तो सप्ताह में कई बार आ जाती है. क्लेम करता तो मुझे भी स्विस बैंक में अकाउंट खुलवाना पड़ता. मैडम की शरण में जाकर उसकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करनी पड़ती. आप समझ रहे हैं न!....कितनी परेशानी होती.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत बढ़िया तरीके से आपने सामाजिक मुद्दे को ईमेल के जरिये प्रकाश किया है ...
काश हम इन भ्रष्ट नेताओं को स्पाम फोल्डर में डाल पाते ...

Shah Nawaz ने कहा…

:-)

कमाल है, सम्मान समारोह का बुलाया हमें तो चाइना क्या गुल्लन गाँव की भुल्लन पंचायत से भी नहीं आता... अब पता चला हर किसी को उड़न तश्तरी में ही उड़ने की इच्छा है.... :-)

Unknown ने कहा…

कमाल है...ईमेल पढ़कर पूरा आनन्द लेने और अपने चाहने वालों को देने की प्रवृत्ति पसन्द आयी!

विष्णु बैरागी ने कहा…

बहुत लम्‍के समय बाद कोई 'गल्‍प' पढने को मिली। आनन्‍द आ गया। जय हो आपकी।

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

कल और आएंगे नगदी की थैली तुमको देने वाले,
मुझसे बेहतर ऑफर वाले, मुझसे बेहतर कहने वाले।


बहुत बढ़िया....

Dr Varsha Singh ने कहा…

Very nice expressions......

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

इस कार्य के लिए मुझे चुनने का कारण मेरी विश्वश्नियता और शराफत बताया गया है. यहाँ भी लगा कि बंदा यह वाली विश्वश्नियता और शराफत की बात तो सही ही कह रहा है. खुद की कमीज के छेद भला आज तक किसी को दिखे हैं क्या जो मुझे दिखें.............
रोचक प्रस्तुति हेतु आभार.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

ये लाटरी देने वालों की बात आपने खूब कही...आजकल सब को ये लोग धनवान बनवाने पर तुले हुए हैं...लगता है समाजवाद जल्द ही आने वाला है...जब हर एक की जेब में करोड़ों रुपये होंगे तो सिवा समाजवाद के और कौन आएगा...राम राज्य सा समय आ जायेगा दूध दही की नदियाँ बहेंगी लेकिन उनमें डुबकी लगाने वाला कोई नहीं होगा...रोज रोज कौन दूध दही में डुबकी लगाये...हाँ...ब्लू लेबल की नदी होती तो कोई बात भी थी...
इस झांसे में मैंने लोगों को फंसते भी देखा है...हमारे यहाँ का एक बंद जिसे हमने लाख समझाया इनके झांसे में ऐसा आया के एक लाख रुपये जब जेब से निकल तक तब होश में आया...आज कल तो ऐसे काल और एस.एम्.एस.मोबाईल पर भी खूब आने लगे हैं...लोग कब तक और कैसे बचें इनसे?
कन्या राशी द्वारा फोटो भेजने की गुहार भी खूब लगने लगी है...कहाँ कहाँ किस किस को मना करें कुछ समझ नहीं आ रहा...लोगों का दिल कब तक तोड़ें...

नीरज

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

बढ़िया लेख .......

rashmi ravija ने कहा…

कमाल की पोस्ट है...जबरदस्त :)

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

मेल से तो धनवान बना ही रहे हैं, समीर लाल जी, यहां इंडिया में मोबाइल कॉल से खुदाई में मिलने वाली सोने की ईंट भी सस्ते में बेचने का प्रचलन बढ़ रहा है...कुछ इनायत इन दानदाताओं पर भी कर दीजिएगा :) :) :)

prerna argal ने कहा…

अच्छा ब्यंग किया है आपने डिलीट मेल्स के माध्यम से /अच्छे लेख के लिए बधाई आपको /




please visit my blog.
http://prernaargal.blogspot.com/thanks/

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

इस कदर निराश न हों.कभी न कभी तो ऊपर बँधा हुआ छींका टूटेगा - और तब आनन्द ही आनन्द !

मीनाक्षी ने कहा…

मान गए आपको और आपको इस कल्पना को :)

शरद कोकास ने कहा…

हमे भी ऐसा ही एक ई मेल आया था कि आपके उपनाम वाला एक जन अमेरिका मे मर गया है .... हाहाहा ।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

इतनी इ-मेल ! लगता है कुछ लोगों ने आपको अरबपति बना कर ही मानने की ठान रखी है :)

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

अब तो फीमेल से ज़्यादा ईमेल से डर लगता है !!

Suman ने कहा…

vakai majedar raha padhna..

Rakesh Kumar ने कहा…

ओह! आपने तो भावों की अनुपम समीर ही बहा दी है.कबीर जी के ये शब्द याद आ रहें हैं
'रहना नहीं देश बिराना है'
इस मायाजाल में कब तक उलझोगे समीर भाई.
कुछ मीरा के शब्दों को भी याद कीजियेगा
'पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो'
श्रद्धा और विश्वास के बैगर सब कुछ अधूरा ही है.

आपके सुन्दर प्रेरक शब्द मुझे उत्साहित करते हैं.

मेरी नई पोस्ट पर आपका इंतजार है.

Khushdeep Sehgal ने कहा…

गुरुदेव,
चाइनीज़ का तो उद्गम ही सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पर हुआ है...ऊपर वाले ने एक खांचा बनाया और फिर कॉपी के बटन को दबाता चला गया...तभी तो सभी एक जैसी शक्लें...

जय हिंद...

सुनीता शानू ने कहा…

ब्लॉगर मीट नई पुरानी हलचल

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत कुछ सिखाती बताती पोस्ट लिखी है सर।

सादर

Shikha Kaushik ने कहा…

bahut khoob .badhai

ब्लॉग पहेली न.1 के विजेता हैं श्री हंसराज ''सुज्ञ ' जी .

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

trunk call kar ke poochh lijiye janab kisi chaina wale se ki kahin udan tashtari ka intzar to nahi hai? paka diya is email ne to...aur samjha bhi diya.

Manish ने कहा…

:) :) :)
बात से डंक यहाँ मारते हैं चोट कहीं और लगती है.. आपके कारनामों की लिस्ट बहुत लम्बी है.. इस बार ये मेल वाला भी पढ़ लिया..... एक बात कहूँ? जरा गौर कीजिएगा..
छोटी उड़नतश्तरी जब तक आपकी गोंद में हैं तब तक उस ई मेल, फन के लिए दोस्ती वाला, :D मुझे ही भेज दिया करें.. :P

Amrita Tanmay ने कहा…

क्या कहूँ ?बस अच्छा लगा आपको पढ़ना. अच्छा लिखा है.

Maheshwari kaneri ने कहा…

रोजाना लौटरी के कई ईमेल आते हैं जिसे मैं डिलीट कर देती हूँ...रोचक प्रस्तुति हेतु आभार....

Apanatva ने कहा…

http://www.youtube.com/watch?v=0vJD6TzsmA0&feature=related
samay nikal kar ise suniyega aur circulate bhee kariyega.........
ye Annajee ka kai varsh purana bhashan hai.....
unkee saralta sahajata aur desh aur yuva varg ke prati nishtha dehte banatee hai.......
Salil kahte hai aap blog jagat ke Amitjee hai iseelite ye link aap tak pahuchaaee hai vishvas hai aap aage bhejenge .
Aabhar .