कमर का दर्द, वैसे तो अब काहे की कमर, कमरा ही कहो, हाय!! बैठने नहीं देता और ये छपास पीड़ा, लिखूँ और छापूँ, लेटने नहीं देती. कैसी मोह माया है ये प्रभु!! मैं गरीब इन दो दर्दों की द्वन्द के बीच जूझता अधलेटा सा - दोनों के साथ थोड़ा थोड़ा न्याय और थोड़ा थोड़ा अन्याय करने में व्यस्त. वैसे तो थोड़ा थोड़ा न्याय और थोड़ा थोड़ा अन्याय करते रहना ही सफल जीवन का सूत्र है मगर दर्द!!!
छपास पीड़ा पत्नी के समान लगातार साथ बनी रहती है और यह कमर का दर्द, मानो महबूबा की याद, लौट लौट आती है, लौट लौट जाती है. महबूबा तो महबूबा होती है, समय समय पर बदल भी जाती है.
पिछले बरस इसी सीजन में महबूबा थी एसीडीटी और अब की बार है यह कमर दर्द. उसी महबूबा की याद के समान कमर दर्द किसी को दिखता भी नहीं. चोट लगी हो, प्लास्टर बँधा हो, आँख सूज आई हो तो लोगों को दिखता है, साहनुभूति मिलती है. मगर कमर दर्द, पत्नी सोचे कि काम न करना पड़े इसलिए डले हैं और ऑफिस वाले सोंचे कि ऑफिस न आना पड़े, इसलिए डले हैं, और मित्र तो खैर आलसी मान कर ही चलते हैं.
छपास पीड़ा के चलते लिखने बैठ जाओ तो पत्नी की सोच और मजबूत हो. देखो, कम्प्यूटर के लिए उठने बैठने में कोई दर्द नहीं और वैसे पड़े हैं करहाते हुए. मुआ कम्प्यूटर न हुआ, दवा हो गई कि सामने बैठ जाओ और दर्द गायब. क्या जबाब दिया जाये इसका? कोई जबाब हो भी नहीं सकता सिवाय इसके कि नजर बचा कर कम्पयूटर का इस्तेमाल किया जाये. अभी भी बाजार के निकली है तो मौका निकाल कर बैठे हैं. हालांकि कमर में दर्द है मगर कहते हैं न कि बड़ा दर्द छोटे दर्द को भुलवा देता है सो लिख रहे हैं.
आप सोच सकते हैं कि मैं कमर दर्द से परेशान हूँ तो पत्नी बाजार कैसे निकल गई? सोचने पर कैसी रोक? पत्नी मेरी है, मैं नहीं सोच रहा मगर आप नाहक सोच सोच कर परेशान हैं मगर क्या करें, हम भारतीय. यही तो हमारी पहचान है. लेकिन ये कमर दर्द तो अब इतनी इतनी सी बात पर हो उठता है कि अगर इसके पीछे वो बाजार जाना छोड़ दे तो कहो, बाजार का रास्ता ही भूल जाये और छपास पीड़ा, इसके लिए रुके तो यह तो वैसा ही हो गया कि साहब को बीपी रहता है, इसलिए बाजार नहीं जा रहे. यह तो इन बिल्ट बीमारी है, इसमें रुकना कैसा?
वैसे तो बाजार वो आदतन भी चली जाती है बिना किसी काम के भी जैसे हमारा कमर दर्द चला आता है लेकिन आज खास प्रयोजन से निकली है इसलिए निश्चिंत हूँ कि दो घंटे के पहले तो आने वाली नहीं, तब तक लिख लिखा कर छाप डालूँगा और मूँह ढक कर सो जाऊँगा. बीमारी में बीमार न लगे, तो क्या खाक लगे गालिब!!
बाजार जाने का खास प्रयोजन ऐसे बना कि आज सुबह मुझे कमर दर्द में जरा आराम था तो नीचे चला आया टहलने. पत्नी पीछे बैक यार्ड में कुछ क्यारियाँ सजाने में जुटी थी. हम भी पीछे निकल गये. कल ही नई पत्थर वाली सीढ़ी बनाई थी.
उसी से उतरते पैर संभाल नहीं पाये और भदभदा कर घास में गिर पड़े. दो कुलाटी खाई. कल्पना कर के मुस्करा रहे हैं न आप? शरीर तो ऐसा हो गया है कि अगर समतल सड़क पर भी बैलेन्स जमा कर न चलें तो गिर पड़ें फिर वो तो सीढ़ी थी. गिरे, पैर मुड़ा सो अलग और कमर दर्द को तो मानो ब्याह का सुस्वागतम का बोर्ड दिख गया हो, नाचते गाते बैण्ड लिए फिर चला आया. किसी तरह उठ कर वापस चले आये बिस्तर पर.
लेटे ही थे कि पत्नी तैयार होती नजर आई. जिज्ञासावश जानना चाहा कि कहाँ चली? कहने लगी, अच्छा हुआ आप गिर पड़े कम से कम चैक हो गया. मुझे पहले ही संदेह था कि सीढी में पत्थर छोटे लग गये हैं. अब जाकर बड़े ले आती हूँ वरना कोई गेस्ट न गिर जाये पार्टी वगैरह में.
अब बताईये, हम तो हम न हुए, टेस्टर हो गये और उपर से सुनने मिला कि अच्छा हुआ गिर पड़े, कम से कम चैक हो गया? पत्नी न हुई वो वाली गुजराती हो गई जो गलती से कुऎँ में गिर जाये तो निकलने का इन्तजाम बाद में देखेगी, पहले स्नान कर लेगी कि अब गिर तो गये ही हैं, पहले स्नान कर लें.
अब यह लिख कर जब सोऊँगा तो हीटिंग पैड रख लूँगा शायद सोते में दर्द न बढ़े!! दर्द बताया न महबूबा की याद सा है, सोते में ज्यादा बढ़ जाता है.
अस्पताल जाने का मन नहीं है, वहाँ पिछली बार धोखा लग गया था. इसी दर्द के चलते गये थे अस्पताल. डॉक्टर ने कहा कि दो दिन भरती रहना पड़ेगा. रुम अलॉट हो गया. डॉक्टर देख दाख कर दवाई दे कर चला गया. कह गया कि अब नर्स के हवाले. पत्नी को भी घर भेज दिये कि अब नर्स देख लेगी.
थोड़ी देर में एक काला (आम इन्सानों की तरह ही अपनी खोट मुझे भी नजर नहीं आती-मगर सामने वाली की खोट पर फट से नजर चली जाती है) बड़ा ऊँचा पूरा आदमी सामने आकर दाँत चियारे खड़ा हो गया. मैने पूछा, कहो भाई, कैसे आना हुआ? कहने लगा मैं आपकी नर्स हूँ.
बताओ, बीमार आदमी के साथ ऐसी चीटिंग और चुहल!! भला अच्छा लगता है क्या? हमारे भारत में तो नर्स लड़कियाँ होती हैं. नर्स का नाम सुनते ही जो आकृति मानस पर छा जाती है, उसमें पुरुष का कैसा स्थान? ये कैसी नर्स? पूरी परिभाषा ही बदल कर रख दी. एन फॉर नर्स पढ़ाते थे स्कूल में जब तो कितनी बेहतरीन सफेद स्कर्ट में फोटो रहती थी और एक ये हैं मानो एन फॉर नालायक!! बीमार आदमी को हैप्पी की बजाय सैड कर दिया. उसी को पाप लगेगा, हमें क्या!!
खैर, जमाना बदला है, पहले पत्नी के नाम पर भी कहाँ पुरुष सुने थे, अब तो जहाँ देखो वहीं सरकारी मान्यता प्राप्त पति पत्नी-दोनों पुरुष या दोनों महिलाएँ. ये कैसा बदलाव आया है तेरी दुनिया में प्रभु!!! वो दिन दूर नहीं जब आप अपनी पत्नी के रुप में किसी सुन्दर कन्या का स्वप्न सजाये बैठे होंगे और माँ बाप आपकी शादी किसी लड़के से सेम सेक्स मेरिज अधिनियम के तहत तय कर आयें.
लोग ’गे कपल’ से मिलें तो पूछें कि भाई साहब आपकी अरेंजड मेरिज थी या लव? आप सोच रहे होंगे कि ’ऐसा भी भला कभी हो सकता है.’ ठीक सोचा, हमारे जमाने में, बहुत पुरानी बात नहीं है फोटो देख लो हमारी, कोई हमसे कहता कि एक लड़का एक लड़के से शादी करेगा तो हम भी यही कहते कि ’ऐसा भी भला कभी हो सकता है.’ लेकिन होने लगा न!!
पूरा मूड सत्यनाश हो गया अस्पताल में भरती होने का. कमर दर्द भी खुद ही ऊड़न छू हो गया और हम अगले दिन ही घर चले आये.
अब ऐसी धोखाधड़ी की जगह कौन खुद से चल कर जाना चाहेगा, इसलिए इस बार घर पर ही आराम करते हैं.
109 टिप्पणियां:
वो दिन दूर नहीं जब आप अपनी पत्नी के रुप में किसी सुन्दर कन्या का स्वप्न सजाये बैठे होंगे और माँ बाप आपकी शादी किसी लड़के से सेम सेक्स मेरिज अधिनियम के तहत तय कर आयें.
बहुत ही रोचकता से गंभीर मुद्दों को उठाती इस पोस्ट के लिए आपका धन्यवाद ,ये असल में कमर दर्द नहीं इंसानियत के मरने का दर्द है | उम्दा प्रस्तुती व संदेशात्मक अभिव्यक्ति |
बीमारी में बीमार न लगे, तो क्या खाक लगे गालिब!!
अन्दाज अपना अपना. मैं तो कई बार यूँ ही बीमार लगने लगता हूँ.
एक बार टांग टूटी थी तब पत्नी नहलाया करती थी. बुरा हो डाँक्टर का उसने जल्दी ही घोषित कर दिया कि अब ठीक है और प्लास्टर काट दिया था.
आप की महबूबा (कमर दर्द) आपको जल्दी छोड़कर चली जाये यह कामना है, बेशक सोहबत उस नर्स की झेलनी पड़े.
स्वामी रामदेब जी के आदेशों का पालन करो जी।
बीमार आदमी के साथ ऐसी चीटिंग और चुहल!!
हाय! ऐसा अस्पताल भी क्या काम का जहां नर्स की जगह नर्सा मिले।
हमारी बिमारी तो सुनकर ही भाग गई
क्या बात है...आपको तो घणे टेस्टर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है और उपर से एक मेल नर्स....बडी आफत है आप पर तो।
मस्त अंदाज में पोस्ट है।
पढ़ा आपके दर्द को हुआ हृदय में दर्द।
सुमन को अचरज ये लगा नर्स को देखा मर्द।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Wah ji! Bahut khub,aap b chhupe rustam hai.aapki kamar dard thik ho jaye to jarur kehna.have anice day
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बड़ा सकून मिला पढ़कर..! वरना आपकी तश्वीर देखता और अचंभित रहता कि कैसे इतनी देर तक आप कम्पुटर के सामने बैठे रह सकते हैं..!
..नर्स की तश्वीर देख कर मूड खराब हो गया आप तो साक्षात दर्शन कर के आये हैं..!
..अब क्या सलाह दूं ..! आप तो वैसे भी हमसे ज्यादा समझदार हैं.
एक ही समाधान है भैया .. सुबह-शाम एक घंटे की वाकिंग.
..आप बाहर जायेंगे तभी न भाभी जी को भी मौका मिलेगा...! आप क्या समझते हैं कि खाली आपके पास ही गोपनीय काम है..?
...देखो, संभालो ..... तनिक चहल-कदमी शुरु करो समीर भाई !!!
rochak lekh
बहुत दर्द भरी पोस्ट है जी!
इस के बाद तो कमर का दर्द कम होना ही है।
वैसे पत्नियों के पास पति से अच्छा टेस्टर हो ही नहीं सकता।
अचार का मसाला चखना है तो आप, सब्जी में नमक देखना है तो आप। वे तो हमेशा व्रत लिए खड़ी रहती हैं।
इस उम्र में पीड़ा रूपी महबूबा की याद को छोड़ो सर, अब तो 'मूव लगाओ और काम पे चलो'
तो ज़नाब अस्पताल में ग़ज़ल नहीं लिख पाए ।
जानते है न ग़ज़ल क्या होती है ।
अगर १०४ बुखार हो जाए
आप अस्पताल में भर्ती हो जाएँ
फिर एक सांवली सलोनी सी नर्स आकार
स्पंज बाथ करवाए ---- तो ग़ज़ल होती है !
बहुत रोचक विवरण किया है , इस त्रासदी का ।
लेकिन एक अकेली सीढ़ी से गिरना ठीक बात नहीं ।
आदरणीय दादा
सादर चरण स्पर्श
यहाँ सब राजी ख़ुशी से हैं. आगे समाचार ये है कि.....कि.....कि....
हाsss इतना धोखा ! इतनी पीड़ा! इतना अन्याय ! वो भी 'मेरे दादा' के साथ ?
पत्नियाँ तो हमेशा पीड़ादायक ही होती है , मैं नही कह रही आपके 'गोस्वामीजी' कह रहे हैं.
उनका दोष नही. जो इन पत्नी नामक मकडी के खूबसूरत जाल में फंसा उसके यही विचार अजर अमर हो गये ,प्रेमिका की यादों की तरह 'इस' उत्तम विचार ऩे भी पति रूप नन्हे से पतंगे (मक्खी,मच्छर नही बोलूंगी बाबा,सबके पति मिल कर मुझे धोयेंगे ) को कभी भी विचारमुक्त नही किया,शाश्वत विचार बन कर दिमाग में चीरस्थाई निवास कर लिया.
अब पति के होते हुए सीढियों के पत्थर की नाप हम नापे ,इतने भोले भी नही.
हम पति नामक मापक यंत्र को रखते ही इसलिए हैं .
लगातार कम्प्यूटर के सामने बैठने से ही ये कमर दर्द हो रहा है ,ये तो पक्की बात है .हमें कैसे मालूम तो आपको ज्ञात हो कि हम भी आज कल इसी दौर से गुजर रहे हैं.आपने कह दिया हम कहते नही. मसक मसक करते रहते हैं चुपचाप . जो कह दें तो हमारा भी 'छपास' कार्यक्रम भी 'बेन' कर दिया जायेगा .
हमारे तो 'टेल-बोन ' ऩे और अपना दर्दे बैठक बढ़ा दिया हैं.
पर.........अपुन बहिन किसकी?
हा हा हा
सही पहचाना .
इसलिए आज जरुर 'आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया ' और 'जुबा पे दर्द भरी दास्तान
चली आइ' किन्तु ये कम्प्यूटर ? ओह! 'मेरे दीवानेपन की भी दवा नही'
दादा! क्यों बैठे बैठे सुर्रे छोड़ते रहते हो?
ठहरे हुए पानी में ये जो आपकी कंकर मारने की आदत है ना उसी की सजा है ये कि.........इतना शानदार 'नरसा' मिला. यहाँ भी ऐसा ही होना चाहिए मुए मरीज अच्छे होते ही नही इण्डिया में
इलज़ाम डॉक्टर्स के इलाज पर . पर हकीकत ये है कि मरीज अच्छा होना ही नही चाहता .'जीना तेरी गली में मरना तेरी गली में ....' का सिद्दांत ले के अस्पताल में भर्ती होते हैं.
ऐसा प्यार वह कहाँ ?
खैर लिखी जोग यहाँ सब राजी ख़ुशी से हैं .आप अपने कमर दर्द का ध्यान रखना.
सीढ़ीयों के पत्थर साधना भाभी सही नाप का ही लाई होंगी ,अब आप ना नापियेगा. पार्टी दे ही दीजिये.
हा हा हा
चिट्ठी का जवाब जल्दी देना,बडो प्रणाम,छोटो को आशीवाद .
अगली पोस्ट की प्रतीक्षा में
आपकी
छुटकी (बम्ब/मिसाइले छोटी ही ठीक )
समीर साहब,
आज तो शब्द ही नहीं मिल रहे हैं। आपके दर्द से दुखी हों, व्यंग्य पर हंसें, कल्पनाशीलता पर अभिभूत हों?
कमर और कमरा, पत्नी और महबूबा, टेस्टर, नर्स वाली चीटिंग और चुहल, गे कपल - इन सब पर कुर्बान हुआ जा सकता है।
स्वास्थ्य लाभ की कामना,
आभार।
अब बताईये, हम तो हम न हुए, टेस्टर हो गये और उपर से सुनने मिला कि अच्छा हुआ गिर पड़े, कम से कम चैक हो गया?
" आदरणीय समीर जी, आपकी इन पंक्तियों पर बहुत हंसी भी आ रही है और आपके कमर दर्द पर अफ़सोस भी, आराम करे जल्दी ही ठीक हो जाएगा."
regards
.
.
.
"पूरा मूड सत्यनाश हो गया अस्पताल में भरती होने का. कमर दर्द भी खुद ही ऊड़न छू हो गया और हम अगले दिन ही घर चले आये."
सर जी, गोली मारिये मूड के भेजे पर... कमर दर्द तो 'ऊड़न छू' हो जायेगा... फिर हो आइये अस्पताल!
_____ ;)
बहुत ही रोचक पोस्ट ! अगर वाकई में आपकी कमर में दर्द है तो आप जल्दी स्वस्थ हो जाएँ यही कामना करती हूँ ! किसी कुशल फिजियोथेरेपिस्ट को दिखाइए और नियमित रूप से व्यायाम करिये ! कमर दर्द का सूत्र पकड़ कर आपने कुछ गंभीर विषयों पर करारा व्यंग किया है ! आपका बागीचा बहुत सुन्दर है ! साधनाजी को इसके इतने ख़ूबसूरत रखरखाव के लिए मेरी तरफ से बधाई दीजियेगा !
ब्लॉगिंग के साइड इफैक्ट्स
कमरा कैसे हो परफेक्ट...
वाइन टेस्टर से स्टेयर्स टेस्टर, अच्छी प्रोग्रेस है गुरुदेव...
उस नर्सिंग होम के मालिक से मिलकर कहा नहीं, क्यों अपना धंधा चौपट करने में लगा है...
जय हिंद...
आदरणीय समीर जी.....
सच में कितना बदल गया इन्सान..... आपके साथ भी बहुत बड़ा धोखा हुआ.... वो भी ऐसा कि कहीं कम्प्लेन भी नहीं कर सकते..... ही ही ही ही ...... आज तो वाकई में शब्द नहीं मिल रहे ..... बहुत सहज और शानदार और धारदार व्यंग्य......
बहुत रोचक पोस्ट....
अब बताईये, हम तो हम न हुए, टेस्टर हो गये और उपर से सुनने मिला कि अच्छा हुआ गिर पड़े, कम से कम चैक हो गया?
अब जी पत्नियों के साथ भी तो परेशानी है...कहाँ से लायें वो टैस्टर...और पति से अच्छा मिलेगा कहाँ ?
हाँ नर्स से आप ज़रूर धोखा खा गए....इस लेख के माध्यम से बहुत सी बातों पर ध्यान दिलाया....
कमर दर्द से शीघ्र छुटकारा मिले इसकी कामना करती हूँ...शुभकामनाएं
समीर जी,
ईश्वर आपको जल्दी स्वस्थ करे
दर्द कम हो ज्यों ज्यों आप दवा करें
एक दुखदपूर्ण घटना और एक ज़बरदस्त व्यंग. कमाल है!
बहुत खूब!
इस कमर दर्द से मेरा भी वास्ता पड़ा है,पर शायद ही कहीं इसका कोई इलाज़ हो!बस अब तो इसके साथ रहने और सहने की आदत पर चुकी है..हाँ नर्स वाला किस्सा जोरदार लगा
उनके(ब्लॉग) देखे जो आ जाती है मुंह पे रौनक
वो(पत्नी) समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है!
अच्छी रचना पढने को मिली "ये दर्द का कमाल है"क्या सभी रचनाओं में दर्द क ही कमाल है ?
| शुभकामनायें |
bahut khub samir sir ji...
aapke ek ek post par jaan dene ko dil karta hai...
bahut hi uttam....
waise kya sach mein aapka girna hua??
agar haan to dua hai aap jal sa jald theek ho jaayein.....
mere blog par v apni drishti banayein rakhein....
बहुत ही रोचक पोस्ट
Bahut hee khoob kha hai aap ne....
.....आम इन्सानों की तरह ही अपनी खोट मुझे भी नजर नहीं आती-मगर सामने वाली की खोट पर फट से नजर चली जाती है....
Vo Punjabi mein kahate hai na
" Apnee pidee thale sota kon phere?"
The most easiest job in this world is to criticise others.
Hardeep
Ha,ha,ha! Ek aur dard hai jo dikhayi nahi deta..sirdard! Yah dard hame hai..roz hi hota hai..ab roz marnewale ke liye kaun rota hai?Yah to mahbooba nahi,jeevan saathi ban gaya hai..
Ummeed karti hun aapki mahbooba bevafa nikle aur jald chhod jay..!
sirji..dard to muaa atithi hai aayega bina bataye jaayega bhi bina bataye...aur ye pankti to dil ko bhaa gayi...beemaari me beemaar na lage to....ishwar se dua hai aapka dard jaldi hi samapt ho....
हंसी भीआई और अफ़सोस भी हुआ की ये सब आप के साथ हुआ
अंकल जी, संभल कर चला कीजिये , नहीं तो आप गिरोगे ही. खैर जल्दी से आप स्वस्थ हो जाएँ, यही कामना है इश्वर से.
_____________
और हाँ, 'पाखी की दुनिया' में साइंस सिटी की सैर करने जरुर आइयेगा !
Rx
BED REST AS ADVICE BY ORTHO
physiotherapy as advice by specilist
avoid forward bending
kindly reconsider your posture of long sitting
hot fomentation or oil masage will behelpful
avoid sour food (ayurvedic food restriction)
see pain killer in longer term not adviced so you have to develop some nonpharmacological method to decrese such pain.
after some time when you will be in comfort try some ramdev yoga under guidence.
( BHI SAHAB AAP ACCHE HO JAYENGE......ISWAR SE PRARTHANA HAI..................)
drsatyajitsahu.blogspot.com
चलिये आपको कमरा सारी कमर दर्द से जल्दी निजात मिले...
सच बहुत नाइंसाफी है ये तो...एक तो टेस्टर बन कर कमर दर्द मोल ले लिया....और तीमारदारी के लिए ये TDH....जिसने मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाई (उसके कहाँ पता होगा...आप तस्वीर की ऐसी खतरनाक कैप्शन देने वाले है...:))
मजेदार पोस्ट
कल रात में दोस्ताना फिल्म देख रही थी. अभिषेक बच्हन भी आपने को नर्स बता रहे थे..मजेदार !!
May god apka kamra.. oops! 'kamar dard' jaldi se theek ho jaye.. :)
कहते हैं मर्द को दर्द नहीं होता... वह भी कमर का दर्द। डाक्टरों से जांच-पड़ताल में जरूर कोई गलती हुई है।
अब बताईये, हम तो हम न हुए, टेस्टर हो गये और उपर से सुनने मिला कि अच्छा हुआ गिर पड़े, कम से कम चैक हो गया?
हा हा हा हा क्या बात है भाईसाहब...
जबरदस्त पोस्ट
ऐसी पोस्ट केवल आपकी लेखनी से ही निकल सकता है जी
बहुत ज्यादा पसन्द आयी
हरेक पंक्ति दो बार पढ चुका हूं, और मुस्कुराहट बढती जा रही है।
प्रणाम
बहुत ही रोचक पोस्ट
आप वहाँ बीमार ही क्यों पड़ते हैं? भारत आकर चैन से बीमार पड़िए। नर्सा से भी बच जाएँगे।
कमर का दर्द बिना फिजियोथेरेपी व उसके अनुसार व्यायाम के नहीं जाने वाला।
घुघूती बासूती
मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि आप जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाए! अपने सेहत का ख्याल रखियेगा, वक्त पर दवाई लीजियेगा और कुछ दिन घर में विश्राम कीजियेगा ! आपका गार्डेन मुझे बहुत अच्छा लगा!
भैया बहुत बड़ा धोखा हुआ आपके साथ, मैं समझ सकता हूँ आप पर क्या गुजरी होगी!
समीर साब प्रणाम ,
बहुत ही रोचकता से आप ने पत्नी पुराण को हम सब के समक्ष रखा , आप शीघ्रता से कुशल हो या कामना करते है ,
सादर
कम्प्यूटर के लिए उठने बैठने में कोई दर्द नहीं और वैसे पड़े हैं करहाते हुए. मुआ कम्प्यूटर न हुआ, दवा हो गई कि सामने बैठ जाओ और दर्द गायब. ----- यह तो बिल्कुल सही सोच है...हम भी बेटे को यही कहते है जब वह दर्द मे कम्पयूटर के आगे बैठता है....जल्दी से ठीक हो जाएँ यही कामना करते हैं..
KON KEHTA HAI
MARD KO DARD NAHI HOTA
WOH BHI KAMAR KA
HAHAHAHAH
GET WELL SOON
क्या बात है समीर भाई ................दर्द में भी मौज ले रहे है ...........मान गए साहब आपको|आपके जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ, अपना ख्याल रखें|
पढ़ कर पूरा मूड तरोताजा हो गया. दिन भर के बाद अकेले बैठे हंस रहे थे तो ऑफिस में पास वाले बोले क्या हुआ? तब पता चला कि हम तो ऑफिस में बैठे हैं.
आपके दर्द को हम खूब समझ सकते हैं? ये दर्द भी कोई दिखाई थोड़े देता है कि लोग कहें बीमार हैं.
sir ...yahi hai jindagi ka lutf...ki marj ko bhi tarj par rakhkar gunguna diya hai :)
हाय कितना दर्द है आप की पोस्ट मै, मुझे भी कमरा दर्द थोडा थोडा महसुस होने लग गया है,अगर जल्द आराम चाहते है तो लेपटाप लपेट ले कमर पर:) क्योकि जब लेपटाप पर लिखते ओर टिपण्णी देते समय दरद ठीक हो जाता है तो लपेट्ने से तो ज्यादा असल होगा ना:) शुभकामनाये... हाय री किस्मत गोरी नर्स की जगह काळू मिला अस्पताल मै भी...
आपका कमर दर्द हम भूल गए,और एक नयी शिकायत पेश है | टिप्पणी देने वाला लिंक नीचे है वंहा तक स्क्रोल करके जब पहुचते है तो अंगुली दर्द करने लग जाती है | कोइ रास्ता निकाले की लिंक ऊपर ही मिल जाए | दर्दी से दर्द की बात ना करे तो किससे करे |
'Dard me bhi kuch baat hai'....baat na hoti to itni dardbhari or dhansoo post na likh paye hote aap....get well soon sir ji.
'Dard me bhi kuch baat hai'....baat na hoti to itni dardbhari or dhansoo post na likh paye hote aap....get well soon sir ji.
उतरते पैर संभाल नहीं पाये और भदभदा कर घास में गिर पड़े. दो कुलाटी खाई. कल्पना कर के मुस्करा रहे हैं?
जी, मुस्कुरा बिल्कुल नहीं रहे, ठहाके लगा रहे हैं
भले ही हमें गिरते देख दूसरे हँसते रहें :-)
और यह नर्स?
शायद करेला और नीम चढ़ा कहावत तभी आई होगी
मज़ेदार गुदगुदाती पोस्ट
पिछले सप्ताह मैं भी कमर दर्द से पीड़ित था!
अब स्शान गृह में जाकर 20 बैठकें लगाता हूँ!
उसके बाद बेडरूम में आकर 20 बार एक पाँव को,
फिर दूसरे पाँव को और फिर दोनों को जोडकर बड़ा शून्य बनाकर गोल-गोल दोनों दिशाओं में घुमाता हूँ!
15 मिनट के इस व्यायाम को करने से मैं 99 प्रतिशत ठीक हूँ!
सम्भव हो तो आप भी आजमा कर देखें!
ईश्वर की कृपा से आप 2-3 दिनों में ही
भले-चंगे हो जायेंगे!
:) भारत से नर्स मंगवाइए…आप की परेशानी देख कर सहानुभूति भी हो रही है और प्रस्तुत करने के अंदाज पे ठहाके भी लग रहे हैं । मेरा नाम जोकर के राजकपूर की याद आ रही है…:)
समीर भाई बीमारी के भी मज़े ले लिए ... पर भाभिको क्यों घसीट लिया बीच में ...
गुरु देव इ का हो गया... अपना ख्याल रखिये
अभी तो खेलने और कूदने की उम्र निकल गयी.... अच्छा किये तो घर आ गए.... अस्पताल में तो ससुरा अच्छा भला आदमी बीमार हो जाए....
जल्दी से फिट हो जाइये फिर अक्कड़ बक्कड़ खेलेंगे....
एक औरत की सुजी हुई आँखें देख उसकी सहेली ने पूछा कि क्या हुआ. वे बोलीं, “पति बीमार हैं इसलिए रात भर जागना पड़ता है.”
“पर तुमने तो नर्स रखी है न?”
“इसीलिए तो जागना पड़ता है.”
ये तो हुई नर्स चर्चा… दर्द के लिए एक शेरः
सर से सीने मे कभी, पेट से पैरों मे कभी,
इक जगह हो तो कहें दर्द यहाँ होता है.
जल्दी अच्छे हो जाइए.... वैसे आप बुरे भी कब थे भाई जान!!
वत्स
तुम्हारा कष्ट देखकर मुझे प्रगट होना आवश्यक महसूस हुआ।
हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।
आचार्य जी
घटनारस्थल पर पीलावाला गोला देखा। तो यहॉं गिरे थे आप। इतनी हरी घास पर तो यूँ ही लोटने का दिल करता है। शायद यह इनबॉर्न, इनबिल्ट प्रकृतिक प्रक्रिया रही होगी कि आप गिर पड़े।
क्या समीर भाई!संभल कर चला कीजिए ,आप जानते हैं ना कि आपको आपके पाठक कितना प्यार करते हैं?
हा हा हा ..मेरी तो हंसी रुके तो मैं कुछ कहूँ..वैसे ऐसी नर्स का होना तो वाकई नाइंसाफी है..अरे ऐसी ही हो तो कम से कम अभिषेक बच्चन (दोस्ताना)जैसी हो.
मजा आ गया पढ़कर..हाँ आपके दर्द के लिए Get well soon.:)
स्वामी रामदेव शरणम गच्छामि. अगर वो पसंद ना आयें तो शिल्पा सेट्टी ने भी योगा की DVD बनाई है उससे आपको बहुत राहत मिलेगी.
एक दर्द के बहाने कितने दर्द गिना दिए जनाब !!! दर्द जीवन की विसंगतियों का परिणाम है आज तो चारों ओर विसंगतियाँ ही विसंगतियाँ हैं
समीर जी, आप भले ही तकलीफ़ में हैं, लेकिन हम लोगों को हंसाने का खासा इन्तज़ाम कर दिया है आपने...
अब बताईये, हम तो हम न हुए, टेस्टर हो गये और उपर से सुनने मिला कि अच्छा हुआ गिर पड़े, कम से कम चैक हो गया?
क्या कहने...हेहेहेहेहेहे.
हा हा हा
बस पेट पकड़ कर हसे जा रहे हैं
(क्या हंस रहे हो)
हाँ जी हस रहे हैं आपके कमरा में दर्द हो और हम ना हसें तो ये तो अन्याय ही होगा
और हम अपना नाम अन्याइयों के साथ जुडना पसंद नहीं करवा सकते
फिर हसते हैं
हा हा हा
हा हा ,,,,हा हा
ऐसी नर्स मिले तो कोई बीमार न हो..........अब कैसे हैं.............छपास रोग बनाए रहिये बहुतों को आगे लाता है....
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
च्च च्च च्च..... :P
अब कमर दर्द आने के पहले सोचेगा । घर में अकेलापन और अस्पताल में कल्पनाहीनता । क्या कीजियेगा ? अब बीमार होने का कोई लाभ नहीं ।
Mazedaar sansmaran..... wah..peeth dard ke bawzood....
अरे ये कब हुआ ..अभी फ़ोन पर तो बताया नहीं आपने ....
बुढापे में आप भी जवानी के काम कर रहे हो :-)
इसलिए नर्स का जेंडर देख रहे हो :-)
सुनकर बहुत दुःख हुआ, कल फ़ोन पे बात करता हूँ :(
आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जी
अब कैसी है तबियत अंकल जी. यहाँ तो कल रात में भूकंप आया.
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'पाखी की दुनिया' में ' अंडमान में आया भूकंप'
घबराइए नहीं आरक्षण की हवा यदि ऐसे ही चलती रही तो गोरी चमड़ी वाले पढ़े लिखे और प्रतिभाशाली नर्स कुछ ही दिनों में आपको भारत में भी देखने को मिल जायेंगे. आरक्षण पाकर नर्स डॉक्टर और उपेक्षा पाकर पुरुष डॉक्टर नर्स बने नजर आयेंगे.......
घटना स्थल का परिक्षण कर लिया गया है........खूबसूरत जगह पर आप गिरे हैं....! आपके दर्द को समझ सकता हूँ...... दो दर्दों के बीच में झूलने के बाद भी आपकी जीवन्तता हैरान करती है......!जल्दी स्वस्थ होने की शुभकामनायें...!
जब इस उम्र में कमर, कमरे में नहीं बल्कि हाल में परिवर्तित हो जाती है तो ऐसा ही होता है मियां...अच्छा हुआ जो काले नर्स को देख कर आप घर आ गए अगर हस्पताल में कोई नटखट बाला नर्स होती तो कमर दर्द के साथ साथ बी.पी. भी बढ़ जाता...और तो और जब वो प्यार से कहती अंकल ज़रा पाँव उठाओ तो सीता मैय्या की तरह धरती के फटने की प्रार्थना करते आप ..हम अपने अनुभव से कह रहे हैं...जब दिल कमबख्त जवान हो और शरीर बूढा तो उस कष्ट को बयां करना बहुत मुश्किल होता है...आप समझ ही रहे होंगे जो मैं कह रहा हूँ.
मज़ाक छोडिये और 'गेट वेल सून' हो जाइये...
नीरज
बात बात में बहुत सारी बाते कह गए आप
पत्नी से लेकर अस्पताल को लिया नाप
टेस्टर तो आप है बहुत अच्छे
क्योंकि हैं आप मन के सच्चे
नर्से नहीं मिली हमे भी अफ़सोस
रह गए होंगे आप मन मसोस
दुआ करता हूँ अगली बार होना जो बीमार
कमसिन नर्से हो आपके तामिरदार
इश्वर की दुनिया में अजूबे हज़ार
हर अजूबा से है उसको बराबर प्यार
अरे रेरेरेरेरेरेरेरे.................ये तो बहुत गलत हुआ सर। यही प्रार्थना है कि आप जल्दी स्वस्थ हो जाएं। वैसे एक बात और है। जिस व्यक्ति को जो बीमारी हो जाए उसे लगता है यही सबसे बुरी बीमारी है। और कोई हो जाए तो चलेगा पर ये नहीं। और जब वे बीमारी हो जाए तो वही बुरी लगने लगती है। क्या सर, है कि नहीं। खैर आप जल्द ठीक हो जाएंगे। इतने लोगों की शुभकामनाएं जो हैं।
http://udbhavna.blogspot.com/
क्या जमाना आगया? अस्पताल मे भर्ती होने का मजा भी जाता रहा?
रामराम.
र
बड़ी व्यथा कथा है समीर जी, आपका तो कमरा, हाल, मकान सभी कुछ अदुर्घटनाग्रस्त सा लगता है पर हमने भरपूर मजा लिया. जल्दी अच्छे हो जाएँ ऐसे ईश्वर से प्राथना है आभार
bahut achchhee premikayen pali hain aapne. Sach mein, apne pe hansana sukun deta hai.
समीर जी,अब ये दुनिया क्या करें...अब ज्यों ज्यों उम्र बढ़ेगी यह महबूबा रूपी दर्द तो सतायेगा ही...। हमे भी कभी कभी यह महबूबा सताने आ जाती है...वैसे एक बात है हम टैस्टर नही हैं किसी के...:))
वैसे यह ब्लॉग की बिमारी सब बिमारीयों से ज्यादा बड़ी है...पोस्ट लिखने को मन ना हो तो टिपियाने का मन करता है और टिपियाने का मन ना हो तो ब्लॉग पढ़ कर... चूहे से खेलते रहो दूसरे ब्लॉग पर पहुँचने के लिए:))
बहुत बढिया प्रस्तुति लगी।
ये आपका अपना मस्र स्टाईल है व्यंग्य कसने का. कितनी बातों पर कटाक्ष है. सभी बिमारियाँ हैं.
बहुत अच्छा.
हे हे-आपकी तबीयत खराब है और मुझे हंसी छूटी जा रही है.
iss post mey jo lalitya hai uska zavab nahi. isiliye to sameeer lal sameer lal hai. vaah. bhasha, bhav aur katthy, sab kuchh lazvaab. stareey lekhan ke liye badhai.
हद बेशर्म हैं पाशाचात्य दुनिया के लोग..अब बताओ ऐसे ऐसे नर्स होंगे तो आदमी दुनिया छोड़ देना बेहतर समझेगा...ये मुए नर्स होते हैं.ऐसे डरावने....भर्ती हुए होगें कमर दर्द से और हो जाएगा हार्ट अटैक..हद है भई....वैसे एक बात समझ में आ गयी कि पुरानी प्रेमिका और किसी प्रकार का दर्द न ही वापस आए तो बेहतर है।
भैय्या, आप तो खुद का ही मजाक बनाते रहते हैं और साथ में भाभी जी को भी लपेटे रहते हैं. उनको तो बक्श दिया करिये. ही ही ही ही..
कुडि़यों से चिकने आपके गाल लाल हैं सर और भोली आपकी मूरत है http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/06/blog-post.html जूनियर ब्लोगर ऐसोसिएशन को बनने से पहले ही सेलीब्रेट करने की खुशी में नीशू तिवारी सर के दाहिने हाथ मिथिलेश दुबे सर को समर्पित कविता का आनंद लीजिए।
कल ही नई पत्थर वाली सीढ़ी बनाई थी. उसी से उतरते पैर संभाल नहीं पाये और भदभदा कर घास में गिर पड़े. दो कुलाटी खाई. कल्पना कर के मुस्करा रहे हैं न आप?
बाकी पढ़ कर आनंद आया लेकिन....... ये पढ़ कर मज़ा नहीं आया :( खेल खेल में किसी को चोट आ जाए तो उसे हम लोग खेल का लीडर बना देते थे......
अब मेरी किस्मत फूटी हैं, खेल शुरू करते ही हार का मुंह देखना पड़ जाता हैं....
आप स्कोर गड़बड़ कर दे रहे हैं 2.75-1.75 नहीं था.. 3.75 - 1.25 था लेकिन अब आपकी कमर को ध्यान मे रखते हुए.... विशेष लाभ दिया जा रहा हैं... 4.25 - 1.25
:D :D
शुक्र कीजिये बस ....... पूरा 1 स्कोर ही लिया हैं. वो भी आपकी फोटुआ देखकर ... नहीं तो बही खाता मेरे ही पास हैं..... जब चाहे बाबुओं की तरह उलट फेर कर दें. ही ही ही ही
क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
मज़ेदार पोस्ट!
रोचक संस्मरण! अद्भुत पेशकश!
रोचक संस्मरण! अद्भुत पेशकश!
अब साहब बीमारी कि सूचना तो ऐसे दिया कीजिये कि सलामती कि प्रार्थना निकले, पर आपकी कलम का ही खोट है कि फुर फुर करके हसीं के फुआरे छूट हरे है.:>)
पोस्ट पढ़ कर मन पुलकित हुआ. हास्य और व्यंग्य दोनों के मिश्रण से फिर एक उम्दा पोस्ट पढने को मिली. जहां ब्लॉग जगत में चल रही तू तू मैं मैं,गाली गलौज भरी छीछा लेदर से वितृष्णा होने लगती है, वहीं ऐसी पोस्ट पढ़ कर आनंद भी आता है.
naya hoo par aapka kayal hoo
apki samvedna, apke pravah ko pranam.
ma ki yaad vali kahani bahut achchhi hai.
इस तरह लिखेंगे तो कौन मानेगा की दर्द है वो भी कमर में
समीर जी मुझे भी कुछ समय पहले इस प्रकार का दर्द-ए-कमर हुआ था मैं इससे
छुटकारा पाने की कोशिश में कई जगह भटका अंत में एक वैध से मिला उन्होंने
एक दवा लिखी 'त्रियोंग्दाशंग गूगल' तब मेरे मुंह से निकला था ," अरे गूगल से
दर्द हुआ और गूगल ही ठीक करेगा " वैध भी इस बात पर बेहद हंसा था
लेकिन उस दवा से वाकई आराम आ गया था जब से आज तक उस दवा को
मैं कमर दर्द में लेता हूँ ..... आप चाहें तो आजमा सकते हैं ये एक आम
आयुर्वेदिक दवा है
अब 101 के नीचे दबाए हुए क्या कहें :) ऑब्जेक्सन दर्ज करा कर जा रहे हैं ।
वाक्यांश है मित्र तो खैर आलसी मान कर ही चलते हैं. मित्रों के सहयोग से मेरी गद्दी छीनने की कोशिश न करें।
आदतन कुछ वर्तनी सुधार सलाह : ;)
दर्दों की द्वन्द - दर्दों के द्वन्द्व
साहनुभूति - सहानुभूति
करहाते - कराहते
जबाब - जवाब
कम्पयूटर - कम्प्यूटर
अभी भी बाजार के - अभी अभी बाज़ार को
सत्यनाश - सत्यानाश
लेख पर इसके बावज़ूद - 102/100 । इसे कहते हैं लेखन ! सहज ही परिवेश और घटनाओं को समेटता हुआ, ऐसा कि कह न पाएँ यह भाग अच्छा लगा। अरे ! सब अच्छा लगा।
कमर कसे रहिये ! दर्द रफू चक्कर हो जाएगा !
नर्स पर मैं भी हंस रहा हूँ ! हंस=फंस='माइल्ड' धोखा !
अब आप कुछ समय के लिए समीरदेव से रामदेव हो
जाइए ! योग लाभकारी होगा !
aaram kijiye...poore se theek ho jaaiye...aise tasveer dekh kar lagta hai ki ghaas par gire honge,ummed hai gambhir nahi hogi chot
haan kuch aur maamle zaroor gambhir hai jo aapne mazaak mazaak me uthaaye hai...parivartan sansaar ka niyam hai aur ho rahe hai,thoda man resist maarta hai par chalta hai...
Blog par padharne ke liye dhanyawad. Aapka blog bada rochak hai.
स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ। जब बीमारी का कोई फ़ायदा ही न हो, कोई भाव ही न दे, आपकी तक़लीफ़ पढ़कर लोग हँसें (ही-ही-ही :) ) और बुरे-बुरे सपने जागते-जगते दिखने लगें - तब तो ठीक हो जाना और बीमार न पड़ना ही बेहतर।
हमारी मानिए तो आप अब ठीक हो ही जाइए।
हमें देखिए टिपियाने में ससुर धक्का-मुक्की की नौबत आ रही है - कहीं पैर-वैर न कचर जाए सो अलग डर रहे हैं। बताइए सौ से ज़्यादा लोग घुसे खड़े हैं टिप्पणी के गुलदस्ते लेकर, और हमारे जैसे बेशरम फिर भी घुसे चले आते हैं।
अमाँ आदमी की बीमारी न हुई, नौटंकी हो गई? या फिर बन्दर का नाच? या फिर कुछ मुफ़्त बँट रहा है क्या???
चलिए फ़टाफ़ट ठीक हो जाइए - शुभकामनाएँ!
भास्कर में रास्किन बाँड के लेख आते हैं, उनको पढ़कर अच्छा लगता है, लेकिन आज वाला पढ़कर लगा, ब्लॉग जगत में भी एक रॉस्किन बाँड मौजूद है, वैसे ही हेल्थी, वैसी ही लेखनी, वो भारत में बसे बाहर से आकर, आप भारत से बाहर जाकर बस गए।
जीवन के प्रति आपका यह मलंग नज़रिया प्रभावित करता है...
आपका हास्यबोध भी...
अब तक तो काफ़ी ठीक हो चुके होंगे...
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