बचपन से समझाया गया है कि जब कोई रास्ता न दिखे तो बस, ईश्वर की शरण में चले जाओ. खूब आरती भजन पूजन में मन लगाओ, कुछ न कुछ हल भगवान दिखा ही देगा. उसके पास और कोई काम भी क्या है, बाकी तो सब इन्सानों ने उससे छीन ही लिया है.
बस, उन्हीं संस्कारों की गठरी बाँधे हम तो शुरु हो गये हैं-दिन में दो बार पूरे झाम से बेनामी याने बिन नामियों की आरती उतारने में. बड़ा फायदा लग गया है. अतः, विचारा कि आम जन की साहयतार्थ स्वामी समीरानन्द जी के आश्रम से यह आरती सब लोगों तक पहुँचाई जाये.
चाहें तो इस रिकार्डिंग को अपने ब्लॉग पर लगा लें और सुबह शाम बजा दिया करें या जैसे ही कम्प्यूटर ऑन करें, इसे गाकर फिर ब्लॉगलेखन में जुटें, निश्चित फायदा मिलेगा. फायदे का वादा वैसा ही है जैसा मानसून को बुलाने और गरमी को भगाने जगह जगह आरतियों और यज्ञों के पंडाल से किया जा रहा है इस वक्त भारत में. कितनी जगह तो इन आरतियों के प्रताप से मानसून बड़ी सून आ गया और बाकी जगह भी आ ही जायेगा. मानो कि आरती न होती तो मानसून आता ही न!! जय हो!!
तो नीचे आरती सुनिये, पढ़िये, समझिये, गुनिये और गुनगुनाईये. धुन और आवाज इलाहाबद के एक पंडे से कॉपी करने की कोशिश की है: :)
ॐ जय बिन नामी देवा, स्वामी जय बे नामी देवा
तुमको पकड़ न पाये, गुगल की सेवा.
ॐ जय बिन नामी देवा....
क्म्प्यूटर के जोधा, करते हैं धंधे
तुमको खोज सके न, हो गये वो अंधे
ॐ जय बिन नामी देवा....
तुम नर हो या नारी, सब अनुमान करें
ब्लॉगजनों मे हर कोई, हर पल खूब डरें
ॐ जय बिन नामी देवा....
कितनी मेहनत करके, टिप्पणी हो करते
फिर काहे को अपना, नाम नहीं धरते.
ॐ जय बिन नामी देवा....
तेरी सब पर नजरें, तुम से कौन बचा
ब्लॉगजगत में कितना, तुमसे विवाद मचा..
ॐ जय बिन नामी देवा....
तुम हो अगम अगोचर, कभी नहीं थकते
किस बिधि बचूँ दयामय, गाली तुम बकते.
ॐ जय बिन नामी देवा....
तुमसे उसने सीखा, कैसे बात करें
कुछ न कुछ तो कह दें, काहे मौन धरें...
ॐ जय बिन नामी देवा....
तुम हो ज्ञान के सागर, अपना ब्लॉग लिखो
छुप कर के क्या जीना, खुल कर खूब दिखो!!
ॐ जय बिन नामी देवा....
-समीर लाल ’समीर’
निवेदन:
१.कोई भक्त अगर इसे करयोके पर मय ढपली, मंजिरा और शंखनाद आदि के संग गाये तो कृप्या रिकार्डिंग आश्रम तक भी पहुँचाये और साथ ही स्वामी समीरानन्द का क्रेडिट भी लगा देगा तो स्वामी जी प्रसाद स्वरुप टिप्पणियों की मानसून का वादा करते हैं.
२. यदि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची हो तो कृप्या बेनामी टिप्पणी न करें, हम तो पहले ही क्षमा मांग लेते हैं. :)
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121 टिप्पणियां:
स्वामी समीरानंद की जय . बिना नामी देवता के सच्चे उपासक कनाडा वासी समीरानंद की जय , अब अध्यात्म भी हाई टेक हो जायेगा
छा गए हैं भाई साहब. जय हो बिन नामी देवा. सुबह सुबह भक्ति की dose हो गई अपनी तो.
धन्य हो!
बोलो स्वामी समीरानन्द की जय।
आरती के साथ पोस्ट भी बढ़िया लगाई है।
मगर बेनामी लोगों पर बन्दिश लगाना उचित नही।
कुछ के लिए ये भी तो ऊर्जा का स्रोत हैं,
साथ ही मनोरंजन के साधन भी हैं।
वाह, क्या खूब बेनामियों आरती की है, अब तो उनके लुप्त होने की रही सही उम्मीद भी खतम हो गयी, बस यही आशा कर सकते हैं कि टिप्पणियों की गुणवत्ता सुधरेगी, या फ़िर हवन वगैरह भी करवाना पड़ेगा :)
अनाम ब्लागर की महिमा अनंत है जैसा कि कहा भी है:अगर आप निराकार ईश्वर के बारे में कुछ समझने की प्रयास करते-करते थक चुके हैं और आपको उसके बारे में कुछ अहसास नहीं हुआ तो आप अनाम ब्लागर के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दीजिये। निराकार ईश्वर की तरह वह सब जगह है और कहीं नहीं है। घट-घट में भी है और पनघट में भी।
आरती करके आप कुछ-कुछ उसके नजदीक पहुंचने का प्रयास कर सकते हैं।
" ईश्वर की शरण ... बाकी तो सब इन्सानों ने उससे छीन ही लिया है."
हास्य के बीच भी सोचने को अच्छा वाक्य आप ने दे दिया।
बहुत खूब !
बेनामी देवता की फोटो पर वारे गए। कहीं आप abstract पेंटिग भी तो नहीं करने लगे ?
बाबा का गजब का भक्ति राग सुनाये हैं भोरे भोरे...हम गा रहे हैं..मंजीरा का उपयोग ता हमहूँ नहीं कर पार रहे हैं काहे से की ऊ का जवाब हो सकता है घर में ही बेलन से दिया जाए..बाबा एईसन काहे न किया जिया की एगो बडका महायज्ञ किया जाए..जहां पर ई बेनामा सबका खातिर पूजन हवन चले..पुंसवन..नामकरण ..मुंडन से लेकर ..सब संस्कार कर दिया जाए...कौनो बडका सा शान्ति का अश्वमेध यज्ञ...मुदा ऊ में भी आरती तो यही चलेगा...अच्छा पूजन में जा रहे हैं..प्रणाम.....
baba ee benamiyaa ko kelaa kahe kar rahe hain...are hamnre hisaab se to laukee theek rahtaa...aajkal doosre baba aihee par jor de rahe hain..
स्वामी जी आप तंत्र विद्या में कच्चे लगते हैं।
इस तरह के भूतों को साधने के लिए अलग प्रकार की हवन सामग्री चाहिए होती है - केला, नारियल, अगरबत्ति से इस तरह के विकट भूत वश में नहीं आते।
उनके लिए इन सामग्रियों से हवन, अर्चना करवाएं - चप्पल, जूते, झाड़ू, सड़े टमाटर, अंडे। देखिए कितनी जल्दी परिणाम मिल जाता है।
तो इस परिवर्तन के साथ बेनामी महाराज की नई तस्वीर पेश कीजिए!
यदि हो सके तो उनका सहस्रनाम भी लिख डालिए, जिसमें हिंदी की प्रबलतम गालियां शामिल रहें!
हम क्यों न बेनामी हो गए! ऎसे ही कुछ नाम पा जाते।
हा हा हा लगता है अब प्रकोप शांत हो जाएगा -कोई भी देवी देवा अपना स्तवन सुन शांत हो जाता रहा है -भारत की यह गौरवमयी परम्परा रही है !
आरती के बाद परसाद वरसाद भी तो दिलाईये न प्रभु -नहीं तो कुछ चरणामृत ही इधर भिजवाईए !
और हाँ बेनामी देवा की माउस पेंटिंग तो गजबै है !
ब्लोगिंग के मन्दिर मे यह आरती तो सुपर हिट है । मेहनती लोगो का गुण गान वाह क्या बात है । एक नुस्खा है इन से छुटकारा पाने का एक उल्टी चप्पल की फोटो अपने ब्लोग पर लटकादे औ उस पर लिखे बुरी नजर वाले तेरा मुह काला ।
"बचपन से समझाया गया है कि जब कोई रास्ता न दिखे तो बस, ईश्वर की शरण में चले जाओ. खूब आरती भजन पूजन में मन लगाओ, कुछ न कुछ हल भगवान दिखा ही देगा." .. पर आप तो ईश्वर की शरण में न जाकर बेनामी देवा की शरण में आ गए .. बहुत मजेदार पोस्ट।
समीर जी बस कुछ दिनों की ही बात है तकनीक वहां तक पहुंच ही जायेगी या पहुंच ही गई है कि कोई भी बेनामी नहीं रहेगा । सब पता चल जायेगा कि कौन कहां से बेनामी ठोंक रहा है । खैर फिलहाल तो आरती आनंद दायक है । हमारे यहां पर होली के अवसर पर टेपों की आरती उतारी जाती है ये कुछ कुछ वैसी ही है । बोलो समीरानंद स्वामी की जय । हां सुनने की तमन्ना अभी अधूरी है ।
इतने आर्त भाव से की गई आरती सुनकर अनाम प्रभु मानसून की तरह अब प्रशन्न होने ही वाले हैं. पर इनका क्या? मानसून की तरह चाहे जब मिजाज बदल लेंगे?:) यानि कब रुष्ट हो जायें, क्या खबर?
वैसे आरती बहुत सुंदर रची गई है और पाठ तो बडा ही कर्णप्रिय है.
रामराम.
लोग बेनामी आईपी एड्रेस पकड़ने को जितनी जद्दोजहद कर रहे हैं, उसे देख भय होता है कि किसी बेनामदेव के आसपास हमने टिप्पणी करी तो हम ही न बन जायें बेनामदेवता!
लिहाजा टिप्पणी करने में अनिच्छा होती है - यह एण्टी-समीरलाल अवधारणा है। पर जो है सो है।
समीर बाबा जी की जय हो,
क्या आप ब्लागास्त रेखा भी देखते हैं ? अगर आपका उत्तर हां हैं कृपया देख कर बताइयेगा, मेरे ब्लॉग बालक का भविष्य कैसा है, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है की बेनामी देवता की कुदृष्टि अभी तक तो नहीं पड़ी है परन्तु मैं बेनामी बाबा की स्थापना के लिए ब्लागार्भ गृह बना रही हूँ, जैसे ही तैयार हो जायेगा, आप से अनुरोध है की आप बिननामी देवता की स्थापना करने की कृपा करेंगे,
बाकि बात रही उनकी आरती की तो शिवानन्द स्वामी जी की आरती से कम नहीं है आपकी आरती, अत्युत्तम !! मन प्रसन्न हो गया गाकर, बस ईश्वरीय आनंद की प्राप्ति हुई है, अलौकिक सुख में हम समां गए थे बस अभी-अभी उबर कर दक्षिणा स्वरुप टिपण्णी देने आये हैं, स्वीकार कीजिये महाराज .....
सविनय
स्वप्न मंजूषा 'अदा'
हरि अनंत हरि कथा अनंता
disclaimer is in fashion sameer , thanks for following the trend
Regds
Rachna
एक बार और 'नतमस्तक'
अनामी -बेनामी शक्तियों से कोई जीत सका है ,अच्छा किया आपनें स्तुतिगान शुरू करवा दिया .अब हो सकता है कि इससे खुश हो कर ब्लॉग जगत को राहत मिल सके .
अन्त में 'तुम हो ज्ञान के सागर' की जगह यूँ होता 'कहत समीरनन्द स्वामी' तो मज़ा और बढ़ जाता !
हर ब्लागर को यह आरती करनी चाहिए, ताकि बेनामी नाम की शैतानी शक्ति भाग जाए। लेकिन क्या बेनामी नाम के शैतानों का नाश हो सकेगा। हर चीज के दो पहलू होते हैं ऐसे में कैसे इन बेनामी से मुक्ति मिल पाएगी। मुक्ति का एक मार्ग है जिसे ब्लागर अपनाना नहीं चाहते हैं कारण साफ है कि ब्लागरों को भी कुछ ऐसी बातें बिना नाम के लिखनी पड़ती है। ऐसे में यह तय है कि बेनामी का भूत तो सबके पीछे पड़े ही रहेगा। आपने काफी अच्छी आरती रची है, धन्यवाद के साथ आभार और सारे ब्लाग जगत का आपको प्यार।
जै स्वामी समीरा नन्द जी
जै स्वामी समीरा नन्द जी
तुम को निस दिन टिपिआवत्
सारा ब्लोग जगत जी --जै
तुम करुणा के सागर तुम टिप्पणी कर्ता
हम को निश दिन करो टिप्पणी की वर्षा--ऊ जै---
तुम जैसा ग्यान वान विवेकी ना होये कोई
जिसको टिप्पणी मिले तुम्हारी तर जाये सो ही--
जै हो बाबा समीरा नन्द जे की
आप भी बेनामी के पीछे... अब तो खेर नहीं... बेचारा बेनामी....
जय हो..
audio save kiya gayaa...:)
इसका गुटका मिलेगा क्या?
गर अनामिका देवी हुईं तो
ओम जय अनामिका देवी हरे
जिससे ब्लॉगस्वामी ही डरे
हर कोई तेरे गुण गाता
पोस्टों से तेरा बैरी का नाता
टिप्पणियों का संकट दूर मिटाता
ओम जय अनामिका देवी हरे
क्या बेनामी जी स्वर्गवासी हो गये........
जे जय श्री श्री समीरा नन्द जी की :) आरती बहुत प्रभावशाली है उम्मीद है इस से ब्लाग जगत से अनामी संकट बेमानी हो जाएगा :)
अब तो वो बैचेन होने वाले हैं जिनके ब्लाग पर अनाम टिपणीय़ां नही आती. आखिर अनाम टिपणियों के लिये भी कुछ स्टेटस भी होना चाहिये. चाहे जिस ऐरे गैरे नत्थुलाल को थोडे ही मिलेंगी यह टिपणियां.
अनाम/अनामिका मित्र मंडल.
आरती के बाद अतिप्रसन्नचीत महसुस कर रहा हूँ. इसे अधिकृत चिट्ठाजगत की बेनामी महाराज की आरती घोषित करने का प्रस्ताव रखता हूँ.
बेनामी ने कर दिया, अति उत्तम इक काम।
कवि समीर साधू हुए, उड़न तश्तरी धाम॥
उड़न तश्तरी धाम, बना ब्लॉगर का आश्रम।
इक अनामिका की करनी से सुलग रहा भ्रम॥
लुकाछिपी की टीप, भई जैसे खल- कामी।
पर प्रमुदित हो पढ़ें टिप्पणी हम बेनामी॥
समीरजी ,बेनामी भी तो भगवान् का स्वरूप है क्योंकि सबमें भगवान् का ही अंश है ,किसी की भी आरती गायें वंदन भगवान् का ही होगा ,आपकी अलौकिक आरती वास्तव में मजेदार है ,बधाई
एक बात मैं चाहूं ,तुमसे पूछन को,
हे बेनामी बाबा ऐसा क्यों करते हो,
क्या मिलता है ऐसे नाम छुपाने से,
दम है तो फिर डरते क्यों हो सामने आने से.
हा हा हा हा, बहुत मजेदार.
नोट: ये बेनामी टिपण्णी है. मेरा नाम मत देखना.
कौन टाइप के हो यार महाराज ? हा हा हा ! क्या ख़ूब गाई है आरती वाह वाह वाह ! बेनामियों ने अति त्रस्त कर दिया लगता है हा हा ! आज से पुन: सक्रिय हो रहा हूँ।
बेनामी देवता से ..सहस्त्र-शीर्ष-पुरुषः, सहस्त्राक्षा... याद आ गया. इसके अलावा तुलसी बाबा ने, बिनु पद चलें, सुनें बिन काना, का अनुपम प्रतीक बखाना है.
बहरहाल समीरानन्द महाराज द्वारा रचित आरती पढ़कर आनंद आ गया. साधुवाद.
jai ho sameer ji kee.........
maine aarti likh lee hai.....
ab roj karoonga.........
kasam se maza aa gaya........
हम तुम्हारी आरती से अत्यन्त प्रसन्न हुए बच्चा
किसने कहा कि हम तुम्हें समझते हैं टुच्चा
अरे वो कोई और होगा, उड़ने वाले लाला
जिसे हमने गफ़लत में कह दिया होगा लुच्चा
और तुम्हारे दूसरे पार्टनर बवाल को क्या साँप सूँघ गया है जो महीनों से गायब है। डर कर भाग गया लगता है । उसी से काहे नहीं गवा डाली आरती ढ़ोल मंजीरे के साथ। बात करते हो।
बेनामियों ने बहुत नाम कमाया है जी। जमाये रहिये।
समीर जी,
मान गये उस्ताद!(यह मानने वाली बात निरमा वाली कविता जी की तरह नही है)।
अब तो बेनामियों को प्रसन्न हो जाना चाहिये आज नामकरण होकर देवत्व की प्राप्ती भी हुई है वो भी बिना तपस्या के (गौतम को घर छोड़्ना पड़ा तपना पड़ा तब कहीं जाकर बुद्धत्व की प्राप्ती हुई)।
जय हॊ समीरानन्द महराज की.....
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
पहले तो "बे नामी देवता " को दूर से प्रणाम और फ़िर आपको नमस्कार , बहुत मजेदार आरती बनाई है । वैसे मेरा ब्लॉग तो बहुत कम लोग ही जानते हैं शायद इसी लिए मुझ पर अब तक बेनामी जी का आर्शीवाद (प्रकोप ) नहीं हुआ ..ओह ये क्या लिख गई कहीं बेनामी जी की दृष्टि टेढी हो गई तो :(
खैर समीर जी आपको हाथी वाली कहावत तो याद होगी ना :) तो आप हाथी की त्तारह मस्ती से अपने लेखों को लिखिए और किसी की फिक्र मत करिए ।ब्लॉग जगत , बेनामी देवता के लिए शायद जंगल सा होगा जहाँ उन्हें जहाँ तहां अपनी कु टिप्पणियों को फैलाने के आलावा और कुछ नहीं सूझता होगा । लेकिन हमारे लिए तो उपवन है,जहाँ सबको विहार करने में आनंद मिलता है ।
हमने तो आज बस मोर्डन स्वामी की तस्वीरे देखी...कोट टाई में .क्या करे भक्ति में शुरू से मन नहीं लगता.....
jay ho prabhoo ............... sundar aarti है.............. natmastak हैं hum bhi aapke saath, agar "benaami mahaaraaj" nahi maane to ojhaa ya jhaad foonk karne waale को bula lenaa
यानि आप भी निराकार भगवान मे विश्वास करने लगे.
अलख निरन्जन
जे हो महाराज जी . अपने इनको प्रसाद में सब कुछ तो चढा दिया है अब इन देवता की आरती करने के बाद अभी इनकी महापूजा पाठ भी करना तो भी बाकी है . जब भी इसके दर्शन होंगे तो सभी ब्लॉगर भाई बहिन मिलकर जमकर पूजा पाठ करेंगे और इन्हें गुरु दक्षिणा भी सम्मानपत्र के साथ देंगे.
सही राह बताई है जी आपने।
आरती से बेनामी-देव निश्चय ही प्रसन्न होंगे और आपको और अन्य ब्लॉगरों को उनका वांछित फल प्रदान करेंगे । आमीन ।
इतनी बढि़या आरती-पूजा से भी बेनामी देवता नहीं माने तो इस मुद्दे पर आपात ऑनलाइन बैठक बुलाई जानी चाहिए। संयोजक समीरजी ही रहेंगे। बेनामीपना मुर्दाबाद।
aap ke dimaag ki upjau bhumi ko daad deni padegi..:) :)
तुम हो अगम अगोचर, कभी नहीं थकते
किस बिधि बचूँ दयामय, गाली तुम बकते.
बेमिसाल और कमाल की पोस्ट है !
धन्य हैं बेनामी !
अब ऐसों की ही पूजा होगी !
हम जौ टिप्पणियां करत-करत अघाये गए ... उहकी कौनो बैल्यू नाही !
स्वामी समीरानन्द जी आरती कंठस्त हो गयी है
फोटो भी कापी-पेस्ट कर ली है
बस कलर फुल साईज प्रिंट आउट लेने जा रहा हूँ !
बस इतना और बता दीजिये कि क्या किसी विशेष दिन बेनामी के नाम व्रत-उपवास वगैरह रखने से कोई ख़ास लाभ मिल सकता है ?
आज की आवाज
जय हो स्वामी समीरानंद जी की, अभी अनामिका बेनामिका भगत जन भी आप के दर्शन करने आ रहे हो गए बाबा जी प्रसाद मै क्या क्या मिलेगा? अप ने मस्त कर दिया स्वामी समीरानंद की जय
भक्तजनों की इतने आर्त भाव से की गई पुकार सुनकर भी अभी बेनामी प्रभु ने दर्शन नहीं दिए!!!! लगता है कि हम लोगों की भक्ति में ही कहीं खोट है,अन्यथा बेनामी प्रभु तो परम कृ्पालु हैं!!!
Aasha hai ab to 'Benami Maharaj' prasann ho hi jayenge.
जय हो बेनामी महाराज की!
जय हो ! महाराज ! आरती के बाद खिलाने पिलाने की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी क्या? :)
जय हो बाबा समीरानन्द जी महाराज की!!!!
:)
apka blog der se pada. pahle padna chahiye tha. Bhagwan ko mahsoos ya hai per mujhe woh majbooron ko jyada satata dikhta hai.
apka blog der se pada. pahle padna chahiye tha. Bhagwan ko mahsoos ya hai per mujhe woh majbooron ko jyada satata dikhta hai.
apka blog der se pada. pahle padna chahiye tha. Bhagwan ko mahsoos ya hai per mujhe woh majbooron ko jyada satata dikhta hai.
बिलकुल सही बात है !
एक अंग्रेजी कहावत के अनुसार इस दुनिया में तीन तरह के लोग होते है ! एक वो जो आपकी बात को सराहते है, और एक वो जो नहीं सराहते !
Jai Benaami Deva !
अब जाने भी दीजिए लाल जी । ये बेनामी-अनामी तो हवा बतास, कीरा-गोजर होते हैं । आज यहां हैं तो कल वहां । इनका कोई ठिकाना तो होता नहीं । आपने इनकी चालीसा गा कर भाई लोगों को देवत्व प्रदान कर दिया । उम्मीद है कि भड़कीले-चटकीले बेनामीसाहब इस स्तुति से प्रसन्न हो गये होंगे और पर अब आप पर फन नहीं काढेंगे ।
समीर जी,इस आरती से प्रभवित हो कर कोई (संभव है बेनामी ही)अब जल्दी ही असली नाम से......बेनामी चालीसा भी लिख मारेगा.......:))जय हो........
वाह..इन दिनों बेनामी देव के तो जलवे हैं :)
इतनी सुंदर स्तुति सुनने के बाद शायद इनके अंदर देव
त्व का गरिमा-बोध जगे :)
ab to lagta hai devatva praprt karne ke liye benaami banna padega. ha-ha-ha! vaise kaafi had tak hoon bhi!
बहुत सुँदर आरती लिखी आपने ...बिन नामी देवा की बाँछेँ खिला दीँ आपने आज तो स्वामी समीरानँद जी ..जय हो आपकी !!
" तुम हो अगम = या अधम अगोचर ? "
- लावण्या
अनामों के लिए केले (!)... एकदम मुफीद .
स्वामी समीरानन्द की जय।
आरती के बाद अतिप्रसन्नचीत महसुस कर रहा हूँ.
स्वामी समीरानन्दजी को यह सत्तरवां श्रद्धा सुमन समर्पित है:)
बडी ही सुमधुर आरती है.
वैसे ये बेनामी तो सुनामी से भयंकर है.
कराओके ढूंढता हूं अगर मिल जाये तो..
आप धन्य हो प्रभू
वीनस केसरी
बहुत ही बढ़िया कविता है / अमिताभ बचन की तरफ से शुभकामनाये
धारदार व्यंग्य..:)
जे हो स्वामी समीरान्द जी जय हो
तुम हो अगम अगोचर, कभी नहीं थकते
किस बिधि बचूँ दयामय, गाली तुम बकते
अब तो पूजा, जप, तप, आरती का ही सहारा है।
वाह, आरती सुन लिए, वाकई अंदर एक श्रद्धा का विकास हुआ है, ही ही ही!!
वैसे मानसून का क्या कहें, पानी बिन सब सून ही है। सुना है देश भर में कई जगह मेंढक मेंढकी की शादियाँ भी कराई गई हैं जबरन ताकि इंद्र देव प्रसन्न हों और अपने मेघ वर्षा के लिए भेज दें। ;)
जय हो स्वामी समीरानंद जी की.
आपका कोई जबाब नहीं है, महाराज.
तुम हो ज्ञान के सागर, अपना ब्लॉग लिखो
छुप कर के क्या जीना, खुल कर खूब दिखो
सही परामर्श दिया है आपने पर क्रिटिक कम ही लेखक होते हैं ।
तुम हो ज्ञान के सागर, अपना ब्लॉग लिखो
excellent
नाम बे-नामियों को दे डाला,
देव-देवा तलक भी कह डाला,
आरती 'तश्तरी' ने खुद करदी,
'लाल' ने तो कमाल कर डाला।
-मन्सूर अली हाश्मी
मन पूरा भक्तिमय हो गया - पहले ताऊ के यहाँ का हवन देखा और फिर अब यह आरती. जय हो!
aadernee bhaisaheb pranam....
maff kijiyega aarti karnee thee isliye kasht dene chala aaya......
Jab ap ne kaha hai to ham bhi benami-blogger maharaj ki jay bol dete hain.....kabhi galti se ye mil jayen to hamara pranam bhi kah dijiyega. Jab ap apni udan-tastari ko inki pichhe laga denge to kabhi na kabhi to awatar lengen hi ye benami bloggers...filhal swami samiranand ji ki jay ho !!
Waah kya arti rachi hai apne Anami Benami Bhai-Bahino ki liye...per ke hi anand aa gaya...
aarti se prabhu prasann hote hain, yahan to devta hi nirakaar hain koi naam pata nahin bas sookshm roop se apni upasthiti dikha jate hain.....phir bhi hey bloggaron apna kaam karte raho, bhale hi ye benaami devta aapko kuchh bhi kahte rahen ... KARM KARO PHAL KI IKCHHA NAHIN.. Badhaiyan...
on the dotted line of shri Amitabh Bachchan .........ditto...i agree ! Shubhkaamnayen ! Shubhasya sheeghram!
जहां देखो बेनामी बाबा की ही चर्चा है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
om jay benami dewa
bina nam ke karte tippani sewa
kitne nihswarth ho tum
na koi nam na koi mewa
om jay benami dewa !!
dhanya ho swami samiranand ji !
jay ho ! jay ho !
मुझे तो लगता है,इतना आदर सम्मान और नाम पाकर कहीं बेनामी जी नाम सहित अवतरित न हो जांय.....
बहुत बहुत मजेदार....लाजवाब !
Badi majedar post. ye banana koi kha kyon nahin raha hai.Mere blog par meri bhi Picture dekhen.
आरती अच्छी है। कोशिश करते रहिए। किसी दिन पकड़ में आ ही जाएंगे।
बहुत खूब ..अब निराला जी के अंदाज में 'अबे सुन बे गुलाब..' के तर्ज में ' अबे सुन बे बेनामी .. तेरी.......
वाला भी हो जाता तो मजा आ जाता ...
समीर जी,
आप ने बेनामी आरती लिख कर जो उन पर एहसान किया है..वे उसे ताउम्र याद करेंगे और यदि उनमें थोडी़ भी गैरत रही तो खुश होकर[आप की आरती से]फिर कभी ये हिमाकत नहीं करेंगे..अगर फिर भी करें तो समझ लीजिये...
"बेवफ़ा ने बेवफाई की तो क्या।
था बुरा उसने बुराई की तो क्या।
ये तो उसका काम है करने ही दो,
बेशरम ने बेहयाई की तो क्या।"
[मेरी ही एक ग़ज़ल के कुछ शेर हैं]
-प्रसन्न वदन चतुर्वेदी
तुम हो अगम अगोचर, कभी नहीं थकते
किस बिधि बचूँ दयामय, गाली तुम बकते.
हा हा..ये लाइन बहुत जमी हमको! गाली बकने का कार्य बेनामी महोदय ही कर सकते हैं!आज बहुत दिन बाद ब्लॉग पर आई...आज फुरसत से आपकी बाकी पोस्ट भी पढ़ती हूँ!
मेरे ब्लोगँ पर नजर डालने के लिये धन्यवाद
Jai Ho... Jai Ho... Jai...Jai...
जय हो बेनामी देवा...बहुत मज़ा आया आरती पढ़के। मै तो कहत हूं कि लोगों को रोज इसका पाठ करना चाहिए। बिना ढोल मंजीरे के भी आनंद आयेगा
वाह...आप की बात एकदम सही है|आरती अच्छी लगी.......बहुत बहुत बधाई....
Benami maharaj ki apne yun pooja-archana karai ki we jahan bhi honge apki hi pooja karne lagenge.
_____________________________
"शब्द सृजन की ओर" के लिए के. के. यादव !!
bahut sundar lagi aarti badhai.
wah ji
aarti benaami ki
sameer ji ne gaa li
hamne table par dhun balaa li
aur sun rahe logon ne bajaaii taali
fir chillaye jai kapal kali
main BENAM ho gaya........
Jai ho bin naami deva wah kya baat hai
aap kataksh bhi bahut pyaar se karte hain
वाह वाह कितना अच्छा डोज़ दिया है आपने। मन प्रसन्न हो गया। वैसे भूत-प्रेत भगाने की कला में हमारे एक पुराने ब्लॉगर साथी भी माहिर हैं, जो खुद अपने ही ब्लॉग में बिना किसी नाम के खुद को ही गाली बकते थे और खुद चिरौरी करवाते थे। धन्य हो प्रभु, ऐसे लोगों का सर्व धन्य हो।
’व्यथा’ दर्ज करने का तरीका मजेदार रहा और आरती जोरदार! :)
आपने बेनामी को नामी बना डाला.
साहित्य के क्षेत्र में तो लोग एक-एक अक्षर के कॉपी राइट के लिए झगड रहे हैं और अनामजी हैं कि उन्हें चिन्ता ही नहीं। ऐसे सिद्ध पुरुषों के लिए तो आरती होनी ही चाहिए। बढिया आरती है हम तो जहाँ कहीं भी अनामजी के दर्शन करेंगे उन्हें आपकी आरती का पता दे देंगे। बधाई।
समीर जी,आज कल बहुत व्यस्त चल रहे हैं?
आप की कोई नयी पोस्ट नही आई..
बेनामी देवता के रोचक आरती के बाद
हम और कुछ नये आरतीओं का इंतज़ार कर रहे हैं...
Itnee saaree tippaneeyon ke baad kya kahun?
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
Aapke vichar hamesha pukhta hote hain, ye baat to nis sandeh hai hee !!
vaise benamiyon kee halchal ab kam ho gaee hai.....
vaise benamiyon kee halchal ab kam ho gaee hai.....
mast...vaise anonymous comments ko shayad zaroorat se adhik tavajjo mil raha hai ab...
waah !!!
aarti padh kar prasaad bhi chakh liya hai....
ek manovaigyanik drishtikon bhi
nazar aa rahaa hai...
abhivaadan svikaareiN.
---MUFLIS---
हा... हा.. हा. वाह... वाह.. वाह.
bhiaya ji......
idhar kuchh months gayab rahne ke baad aaj aapke blog par nazaren daudai...
ye benaami kidhar se paida ho gaya... zara detail dijiye...
ham khoj denge...
vaise gana to aata nahin ... besure hokar aapki aarti ko compose karane ki kshamata rakhte hain ...
aap ijaajat de to abhi gaakar aapke aashram me bhej doon..:) :)
समीर जी,
बेनामी टिप्पणी से हर्ज़ नहीं पर अश्लील या अपमानजनक न हो ......!!
bahut sahi........
श्री 1008 समीरानंदजी महाराज को कर्नाटका से मेरा प्रणाम पहुँचे!
आगे खबर यह है कि जालसंपर्क न होने के कारण आपकी ओर से प्रेषित इस महत्वपूर्ण संदेश को आज से पहले न देख सका.
अब तो बेनामी की खैर नहीं है. सारे वरिष्ठ चिट्ठाकार मशानसिद्दी से लेकर मूठ तक चला रहे हैं, अब उसकी क्या बिसात की वह जिंदा बच जाये!!
सस्नेह -- शास्त्री
अरे मै तो बेनामियो को तलाश कर रहा हूँ पता जरुर बताये समीर भैय्या जी
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