रविवार, सितंबर 21, 2008

एक नेता की डायरी का पन्ना!!

कल एक जरुरी काम से नेता जी के घर जाना हुआ. वहीं से उनकी डायरी का पन्ना हाथ लग गया, साहित्यकार बनने की फिराक में लगा शिष्टाचारी लेखक हूँ सो इस मैदान के सामान्य शिष्टाचारवश चुरा लाया. बहुत ही सज्जन पुरुष हैं. सच बोलना चाहते हैं मगर बोल नहीं पाते. देखिये, उनका आत्म मंथन-उन्हीं की लेखनी से (अभी साहित्यकार बनने की फिराक में लगा हूँ अतः ऐसा कहा अन्यथा लिखता मेरी लेखनी से):

झूठ बोलते बोलते तंग आ गया हूँ. कब मुझे इससे छुटकारा मिलेगा. क्या करुँ, प्रोफेशन की मजबूरियाँ हैं.

रोज सोचता हू कि झूठ को तिलांजलि दे दूँ. सच का दामन थाम लूँ. मगर कब कर पाया है मानव अपने मन की.

दो महिने में चुनाव आने वाले हैं और ऐसे वक्त इस तरह के भाव-क्या हो गया है मुझे? लुटिया ही डूब जायेगी चुनाव में अगर एक भी शब्द सच निकल गया तो.

क्या सच कह दूँ जनता से??

-यह कि तुम जैसे गरीब हो वैसे ही रह जाओगे, हमारे बस में नहीं कि तुम्हें अमीर बनवा दें?

-यह कि मँहगाई बढती ही जायेगी. आज तक कुछ भी सस्ता हुआ है जो अब होगा.

-यह कि मैं तुम्हारे बीच ही रहूँगा? ( तो दिल्ली कौन जायेगा, विदेशों में कौन घूमेगा?)

-यह कि तुम्हारी समस्यायों से मुझे कुछ लेना देना नहीं. तुम जानो, तुम्हारा काम जाने.

-यह कि मैं बिना घूस खाये अगर सब काम करता रहा तो चुनाव का खर्चा और विदेशों में पढ़ रहे मेरे बच्चों का खर्चा क्या तुम्हारा बाप उठायेगा.

-यह कि मैँ हिन्दु मुसलमानों के बीच दरार डालूंगा ताकि मैं लगातार चुनाव जीतता रहूँ.

-यह कि ..यह कि..यह कि....

क्या क्या बताऊँ, लोग तो सभी ज्ञानी हैं, सब समझते हैं. मेरी मजबूरी भी समझ ही गये होंगे.

फिर मैं ही क्यूँ अपराध बोध पालूँ?

आज इतना ही, एक पार्टी में जाना है. देश हित में एक सौदे की बात है. (लम्बी डील है, मोटा आसामी है.)


संपादकीय टिप्पणी: ध्यान दिया जाये कि नेता भाषण कितना भी लम्बा दे ले, लिखता जरा सा ही है.

कहाँ चले, बस नेता जी की डायरी पढ़ाने थोड़ी न बुलाये थे, वो तो घेर कर लाने का तरीका था. अब हमारी मुण्डलियाँ भी सुनते जाओ:


1


नेता जी को चाहिये, वोटिंग मे उत्पात
जबहूँ धाँधली न मचे,खा जाते हैं मात.
खा जाते हैँ मात कि उनकी हिम्मत देखो
बनी रही मुस्कान, कितने भी अंडे फेंको
कहे समीर कविराय, जब ये जीत के जाये
रंग बदलते देख इन्हें, सब गिरगिट शरमाये.

2

डूबे कितने गाँव सब, बाढ चढ़ी इतराये
नेता जी इस बार भी, पैसा खूब कमाये.
पैसा खूब कमाये कि इनका किससे है नाता
जो भी रकम दिलाये वही इनको है भाता
कहे समीर कविराय, यही ईमान है इनका
पैसे का सब खेल, वही भगवान है इनका.

3

इनकी क्या हैं नितियाँ, इनका क्या व्यवहार
ये बस उनके साथ हैं, जिनकी हो सरकार
जिनकी हो सरकार वही है काम में आता
मौके की है बात, मंत्री पद मिल जाता
कहत समीर कि इनमें शरम नहीं है शेष
अपने हित के वास्ते, ये बेच रहे हैं देश.

--समीर लाल 'समीर' Indli - Hindi News, Blogs, Links

92 टिप्‍पणियां:

Reetesh Gupta ने कहा…

इनकी क्या हैं नितियाँ, इनका क्या व्यवहार
ये बस उनके साथ हैं, जिनकी हो सरकार
जिनकी हो सरकार वही है काम में आता
मौके की है बात, मंत्री पद मिल जाता
कहत समीर कि इनमें शरम नहीं है शेष
अपने हित के वास्ते, ये बेच रहे हैं देश.

बहुत सुंदर लालाजी...अच्छा लगा पढ़कर...बधाई

Vivek Gupta ने कहा…

सत्य ही सुंदर है | सुंदर आलेख |

विजय गौड़ ने कहा…

"सामान्य शिष्टाचारवश" की गयी चोरी पर भी पुलिस छोडेगी नहीं आपकॊ। खैर, अपना काम जारी रखें, मौसेरे भाई आपके साथ हैं।

संगीता पुरी ने कहा…

वाह बहुत अच्छा लिखा है ......अच्छा लगा पढ़कर।

अमिताभ मीत ने कहा…

बहुत सही है भाई ....

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

वाह!

ALOK PURANIK ने कहा…

जमाये रहियेजी। चुराये रहिये जी।

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

डूबे कितने गाँव सब, बाढ चढ़ी इतराये
नेता जी इस बार भी, पैसा खूब कमाये.
पैसा खूब कमाये कि इनका किससे है नाता
जो भी रकम दिलाये वही इनको है भाता
कहे समीर कविराय, यही ईमान है इनका
पैसे का सब खेल, वही भगवान है इनका.


सुब्हान अल्लाह...

Dr. Amar Jyoti ने कहा…

मज़ेदार।

Arvind Mishra ने कहा…

वाह वाह लाख टके की हैं मुंडलियां !

seema gupta ने कहा…

कहत समीर कि इनमें शरम नहीं है शेष
अपने हित के वास्ते, ये बेच रहे हैं देश.

" ya very well written, the essence of the whole artical lyes in the last two lines..."

Regards

सुशील छौक्कर ने कहा…

मुँह से बस वाह वाह वाह निकल रहा हैं।

RAJ SINH ने कहा…

he sameer kavi sunanhu bade tum kalakar ho..
dhamachaukadee, rajniti kee. tum prahar ho.

neeti suneeti prateeti sabhee is rajniti kee.

tvayi,joota sam mar, marg deekhe... netan kee.

(mujhe naheen pata kundalee kitnee lambee ho{sandarbh sarp},bakee aap khud hee napo)

lage raho!hamare jaison ko lagaye rakho!jiyo..........jeete raho!

.

विवेक सिंह ने कहा…

सत्य वचन . आभार !

RAJ SINH ने कहा…

mujhe dikhao vidio,tutorial shreeman.

taaki likkhan lagoon mai tippoon 'nagar'mahin.

padho anyatha tippanee,
meree roman manhi.

blogg likhoon main naagree ,
tippan ka na gyan.

(sandarbh: foolahin falahin na baint,yadapi sudha barasahin jalad,
moorakh hridaya na chet,jo guru milahin viranchi sam.-TULASEEDAS -Ramcharit manas)

vaise aap hee tipiyane kee darkhwast lagate ho.ham to aapka haunsala badhay rahe hain.lekin saath saath hame padhate bhee raho.

hey 'udan'jal kee tashtaree,
udo udo sab kal.
raho bas udate udate.

tumhen ham sab kee namaste.

रंजन (Ranjan) ने कहा…

बेचारे नेता कि पोल खोल दी.. बिल्कुल सही कहा..

vineeta ने कहा…

वाह बहुत अच्छा लिखा है. आप तो सच्ची मुच्ची के साहित्यकार बन गये. नेताओं की जात ही ऐसी है...उन पर कितना ही लिखा जाए वो कम है.....वैसे कटाक्ष भी खूब बढ़िया किए हो.....

RAJ SINH ने कहा…

bat tumharee man kar,
fenka shabd praman,
(word verification)

naheen bujhate tum hame,
suno suno shriman.

suno suno shriman fenk sampadan chimata,
bano sabhee ke lal,dikhao thodee mamata.
tum sameer tum pavan ho,
shayad shri hanuman.
udi udi pahunche sab jagah dharati bhar uddan.....
(nath kuch thamo idhar bhee)

बवाल ने कहा…

बहुत ही बेहतर छन्द हैं जी,
मगर पत्रकारों की ज़ुबान से ज़रा हट्के कभी जनता को भी तो गरिया के दिखलाइए जो इन नेताओं को बा-अदब, बा-मुलाहज़ा चुनती ही चली आ रही है गुज़रे कई ज़मानों से.

संजय बेंगाणी ने कहा…

पहली बात आज कल शिवजी की संगत में चोरी कर कर डायरी छापना चिट्ठाकारी हो गया है :) बूरी बात.


दूसरी पोस्टर कुछ और और फिलम कुछ और! नेता के नाम पर मुंडलिया परोस दी... :)

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

चलिए इसी बहाने कुछ रोचक सत्‍य से परिचय हुआ। इस चोरी के लिए भी आपको बधाई ही दी जा सकती है।

mamta ने कहा…

नेता जी की तो बखिया ही उधेड़ दी है आपने । :)

मीत ने कहा…

उम्दा लेख...
अपने शब्दों से नेताओं का बहुत अच्छा चित्रण किया है आपने...
जारी रहे..

Nitish Raj ने कहा…

सीधी, सपाट, सटीक टिप्पणी कर रहा हूं सीधी, सपाट और सटीक विशेय पर और सीधी, सपाट और सटीक कंटेंट पर भी। मज़ा आगया पढ़कर।

डॉ .अनुराग ने कहा…

चिंता न करे -----नेता जी ने भी कही से टीपी होगी....हमारे नेता इतने पढ़े लिखे नही होते....

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

sameerji,
netaji ki dairy key panney unki pol kholkar janata ko asliyat bata rahe hain.aapki kavitaein tamam ranjnitik aur samajik visangation per kataksh karti hai. aapki sakriyta gazab ki hai.

बेनामी ने कहा…

ek vyng is per ho jjaye
VIP room was kept reserved for Jan pratinidhi
I Went to Circuit house & found MP & VIP Leaders of national height was occupied in lower classed room & VIP class was opened for "Parshad" The corporators of City for having their drinks party.

pallavi trivedi ने कहा…

इस डायरी को पढ़कर सभी नेता सोचने लग गए होंगे कि अब से डायरी को मेहमानों से बचाकर रखेंगे ...पता नहीं कब कौन आकर शिष्टाचार के बहाने पन्ने ही उड़ा ले!वैसे एक की डायरी पढ़ ली तो समझो सब की डायरी पढ़ ली....

वर्षा ने कहा…

ऐसा पन्ना चुराए,खुल गई सारी पोल
नेता जी तो नेता जी ठहरे
खूब बोल गए समीर कविराय

रंजू भाटिया ने कहा…

सही मंथन चुरा लाये आप ..बहुत सच बोला दिया इस मंथन ने :)

Ghost Buster ने कहा…

ये फ़िर नेताजी को घसीट लिए आप. ऊपर से ये भ्रम कि पब्लिक इनकी डायरी पढने आयेगी. ना जी, आपकी मुण्डलियाँ कहीं ज्यादा भारी हैं बाकी सब पर. वो ही खींच लेंगी पब्लिक को.

कुश ने कहा…

ऊडी बाबा नेता अंकल का लोलीपोप दिखाकर.. चूरन भस्म खिला दिए.. ग़लत है जी.. पर बात तो सही है..

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

यह लिखा तो आपने हल्के - फुल्के अन्दाज में है; पर मुझे तो यह व्यवस्था का दोष लगता है। इस प्रजातंत्र में इतने नेता होने की गुंजाइश क्यों बनी? क्या राष्ट्रपतीय व्यवस्था बेहतर होगी? या कोई अन्य व्यवस्था?
मेरा तो अपना मानना है कि भारत अभी अपने चरित्र और (अ)शिक्षा के कारण प्रजातन्त्र/नेतातन्त्र के योग्य ही नहीं है।

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

समीर जी तीनॊ मुडंलिया अच्छी व सार्थक लगी। सही लिख है।
लेकिन यह बात हजम नही हुई की नेता कभी डायरी भी लिखता होगा और वह भी सच!:)

RADHIKA ने कहा…

bahut hi achcha likha hain .

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

bhut sahi likha hai aapne. bhut sundar lekh.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

क्या बात है!
आशा है डायरी के पन्ने बीच बीच में ऐसे ही पढ़वाते रहेंगे आप लेकिन घेर कर लाने की जरुरत आपको कब से पड़ गई हजूर, ये सब करम हमरे जैसन लोगों के लिए रहने दो न।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

main to aapki jabardast prashansak hun,jis vishay ko lete hain,jaan daal dete hain,
badhiyaa

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

नेताओं को बिल्कुल चौराहे पर खडा कर दिया आपने !
इनकी जैसी औकात है आपने वैसा ही व्यवहार किया है !
और मुन्द्लियाँ तो क्या कहने ! प्रणाम !
आपको अनेकों शुभकामनाएं !

भूतनाथ ने कहा…

चुनाव आते ही ये हम भूतों को ही याद करते हैं ! जनता पर एहसान करने के लिए बताते हैं की इन्होने भूतकाल
में जनता के लिए ये ये किया ! वो किया ! अगर भूत (यानी भूतकाल) इनका साथ छोड़ दे तो चुनाव जीतना दूर की बात
ये एक कौडी के भी नही ! गुरुदेव आप तो आदेश करिए किस कम्बखत का साथ छोड़ना है ! धन्यवाद !

दीपक "तिवारी साहब" ने कहा…

बड़ी आनंद दाईनी पोस्ट है आपकी ! और मुन्डलियो में तो मजा आगया !
नेताओं का अभी कुत्तों के जैसा सीजन शुरू हो गया है ! आपने सावधान कर
दिया की ये काटने वाले हैं ! तिवारी साहब का सलाम !

Krishan Kant Bhardwaj ने कहा…

you have rightly personalised the dual character of today'sleaders.show complete diary instead of a page

Akhilesh Soni ने कहा…

समीर जी आपकी कुण्डलियां बहुत ही बेहतरीन हैं बधाई स्वीकरें. कुछ ऐसा ही आक्रोश नेताओं के प्रति मेरी रचनाओं में भी आपको देखने को मिलेगा.

Unknown ने कहा…

nice blog....
http://shayrionline.blogspot.com/

रवि रतलामी ने कहा…

क्या बात है. पर दूसरे की डायरी पढ़ना और उसे सार्वजनिक करना ठीक नहीं है. सार्वजनिक करना ही है तो खांटी हिन्दी चिट्ठाकार की डायरी सार्वजनिक करें जिसका पारायण आप आजकल कर रहे हैं

HBMedia ने कहा…

neta sudhar jaaye? ye ho nahi sakta..aur aapko wah!wah! karne se koi mukar jaye, ye bhi ho nahi sakta.
sameer ji maja aa gaya!

Anita kumar ने कहा…

मुण्डलियां मजेदार

Abhijit ने कहा…

netao ki pol kholti prabhavshali post.

Shiv ने कहा…

डायरी मेरी तुम्हारे जिक्र से, मोगरे की यार डाली हो गई

Dr. Chandra Kumar Jain ने कहा…

ये है आपकी नेता पोल-खोल पोस्ट
आप सचमुच लिखते नहीं
धमाका करते हैं.
==============
आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

neta hoon isliye bata raha hoon hum apni antar atma ko maar dete hai . aur bohi kahte hai jo janta pasand karti hai. kuch bhi kah le ,kuch bhi soach le netao ke bina sab bekaar hai.aap bhi chahenge bade neta se dosti karna teek kah na maine.

(aap se ek sahyta chahta hoon ki tipani hindi main kaise kare,kirpya madad kare)

नीरज गोस्वामी ने कहा…

समीर भाई
एक बात तो साफ़ है...डायरी में लोग दिल की बात इमानदारी से लिखते हैं वो चाहे नेता लिखे या दुर्योधन...अगली बारी किस की है प्रभु?
नीरज

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

क्या मँडलियाँ लिखीँ हैँ !!
सब सच !
सच के सिवा और कुछ नहीँ समीर भाई :)
स स्नेह,
- लावण्या

Satyendra PS ने कहा…

Shekhawat said...
ये उन लोगों की आँखे खोलने वाला फोटो है जो गुजरात दंगों में सिर्फ़ हिंदू समुदाय को ही दोषी मानतें है लेकिन इस की तह में जाना जरुरी नही समझते कि झगडे की शुरुआत कोंन करतें है |

September 21, 2008 5:49 AM


Udan Tashtari said...
दिल दहला देने वाली तस्वीरें!

September 21, 2008 11:07 AM


Satyendra Prasad Srivastava said...
फिर दिखा क्यों रहे हैं? ब्लॉग के लेखक-संपादक आप खुद होते हैं, इसलिए जरूरी है संयम बरतना। ये तस्वीरें भयावह ही नहीं, भड़काऊ भी हैं।

September 21, 2008 12:05 PM


satyendra... said...
भाई साहब, ये तस्बीरें भयावह हैं, भड़काऊ नहीं। लगता है कि आपने इस जलते हुए स्थान को ढंग से नहीं देखा। भाई साहब, ये मंदिर है, मस्जिद या चर्च नहीं, कि इसे देखकर कोई आक्रोश या हिंसा भड़क उठे। अगर ऐसे दृष्य दिखाने से हिंसा भड़कती और कोई प्रतिक्रिया होती तो मीडिया इसे हाथोहाथ लेती, खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया। जैसा कि कर्नाटक और उड़ीसा के मामलों में किया जा रहा है।

September 22, 2008 12:40 AM


Sanjeev said...
दोस्त आपकी कोशिश काबिले तारीफ है पर इसे सुर्खियों में कोई जगह नहीं मिलेगी। इसे दिखाने या छापने से न तो नोट मिलेंगे और न ही धर्मनिरपेक्ष होने का ठप्पा। इससे नेताओं को वोट नहीं मिलने इसलिये यह तस्वीर एक अनाथ बच्चे की मानिंद ही रहेगी कोई खबर नहीं बनेगी।

सचिन मिश्रा ने कहा…

netaji par kya gujar rahi hogi?

महेंद्र मिश्र.... ने कहा…

इनकी क्या हैं नितियाँ, इनका क्या व्यवहार
ये बस उनके साथ हैं, जिनकी हो सरकार
जिनकी हो सरकार वही है काम में आता
मौके की है बात, मंत्री पद मिल जाता
कहत समीर कि इनमें शरम नहीं है शेष
अपने हित के वास्ते, ये बेच रहे हैं देश.
Bahut hi sateek .

Abhishek Ojha ने कहा…

मुण्डलियां तो कमाल की हैं... इसके लिए भी घेर घार करना पड़ता है?

नेता का असर लग रहा है... बिना बूथ कैप्चर किए चैन कहाँ :-)

जितेन्द़ भगत ने कहा…

एक शब्‍द है मूँडना, शायद जि‍सका अर्थ है चूना लगाना। आपने कुण्‍इलि‍या को नए रूप में ढाल दि‍या , यानी मुण्‍डलि‍या जि‍सके बारे में लि‍खी जाएगी, उसे चूना लगाएगी। उस हि‍साब से यहॉं नेताओं पर चूना लगाकर आपने तो उन्‍हें चि‍नवा दि‍या है।
इस नए नामकरण के लि‍ए बधाई।

Ashok Pandey ने कहा…

''कहत समीर कि इनमें शरम नहीं है शेष
अपने हित के वास्ते, ये बेच रहे हैं देश.''

इनकी सही पहचान करायी आपने।
लेकिन इनके घर ज्‍यादा आना-जाना न करें.. कहीं आप ने भी खद्दर पहन लिया तो फिर हम तो अपने प्‍यारे प्‍यारे समीर भाई और उनकी सर्र सर्र उड़नेवाली उड़नतश्‍तरी से हाथ ही धो बैठेंगे :)

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

जै हो भगवन......
मजा आ गया..........
इन सुसरे दो कौड़ी के नेताऒं पर आपने लाख टके की कविता लिख दी...
आपकी दरियादिली का जवाब नहीं....

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

ये शायद संयोग ही है की अभी-अभी नेताओं पर ही अपनी पोस्ट छाप कर आया हूँ. उड़नतश्तरी पर सवार हुआ तो यहाँ भी नेता से सामना हो गया......वह नेता भी लिखा-पढ़ लेते हैं आपकी संगत में.....

रंजन राजन ने कहा…

-यह कि ..यह कि..यह कि....
बहुत सुंदर...अच्छा लगा पढ़कर...बधाई

समीर यादव ने कहा…

मुझे भी शंका है कि धूर्त नेता कभी गधा-पचीसी लिखते भी होंगे.?? .लेकिन इनके करम दिखाने वास्ते आपका डायरी लिखवा के पढ़ लेना और उसे चुरा कर पोस्ट कर डालना भी जायज है, कबीर-समीर भाई. बधाई हो !! .आपके सम्मान में ही. " किसकी मंशा दुश्मनी और जंग बोती जा रही , शान्ति और सदभावनाएँ भंग होती जा रही , कुम्भ्करनी नींद से जगाकर दिखाओ इन्हे यारों , शहर की फिजा बदरंग होती जा रही "

वीनस केसरी ने कहा…

आप हो असली ब्लोगर जो असली माल अलग छुपा के रखता है और जब आदमी सोंचता है चलो वापस तब आप कहते हो
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त

- वीनस केसरी

राज भाटिय़ा ने कहा…

सत्य वचन

Vinay ने कहा…

excellent janaab!

दीपक ने कहा…

आपने शिष्टाचार की बात बहुत सटीक कही !वैसे डाका आपके ब्लाग मे ही पहले पडेगा !और लिखदेंगे स्पांसर्ड बाइ उडनतश्तरी एंड ब्राट टु यु बाइ दीपक!!

Gyan Darpan ने कहा…

समीर जी सही लिखा है आपने नेताओं को नीतियों या व्यहार से क्या लेना देना उन्हें तो बस सत्ता चाहिए रामविलास पासवान को ही देख लीजिये हर दल की सरकार में मंत्री होते है

बेनामी ने कहा…

शरीफों को डॉक्टर इंजिनियर बनने के साथ राजनीति में भी आना चाहिए. तभी भ्रष्ट नेता कुछ कम होंगे.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

नेता जी पर जो भी लिखिए जम ही जाता है। उसपर आपकी लेखनी के क्या कहने! ...बस मेरी हाजिरी भी लगा लें। पढ़ा पूरा है, क्यू का कोई चक्कर नहीं है।

art ने कहा…

kundaliyan to maini padhi thi...kintu mundaliyan nahin jaanti....kavita bahut hi achhi lagi,,,lekh se bhi adhik....

सौरभ कुदेशिया ने कहा…

diary ke baki panno par bhi thoda prakash daliye..aap to ek hi panna pad kar reh gaye :-)

BrijmohanShrivastava ने कहा…

भइया इत्ता बड़ा तंज़ वो भी किन पर जो दो माह बाद हमारे आका होंगे और जिस पर सम्पादकीय टिप्पणी , बहुत तेज़ मिर्ची दाल दी

विक्रांत बेशर्मा ने कहा…

कहत समीर कि इनमें शरम नहीं है शेष
अपने हित के वास्ते, ये बेच रहे हैं देश.

बहुत ही सही कहा आपने !!!!!!!

बेनामी ने कहा…

इतने हल्‍के अंदाज में मिर्ची से भी तीखा कोई भारी भरकम आदमी ही लिख सकता है।

सतीश पंचम ने कहा…

वैसे तो मैं चोरी चकारी में विश्वास नहीं करता(ऐसे लिख रहा हूँ मानों अन्य लोग विश्वास करते हैं)....लेकिन बात जब नेता की डायरी की हो तो चुरा सकते हैं.......वैसे कई साल पहले जैन डायरी विवादों में थी.....बार बार जैन डायरी मीडिया मे आने से जैन डायरी बेचने वाले का सेल बढ गया....आप भी किसी ऐसे ही डायरी वाले से संपर्क किये होते तो कुछ आय और हो जाती :)

Kirtish Bhatt ने कहा…

चलिए ..उम्मीदें कायम हैं कि कोई इन नेताओं पर भी भरी पड़ सकता है....
बधाई !

आलोक कुमार ने कहा…

बहुत ही मजेदार पन्ना चुराई है आपने ...

गौतम राजऋषि ने कहा…

....हम तो बस लाजवाब हो गये हैं सरकार. आपकी लेखनी या कुंजी-पटल कहूँ को दंडवत प्रणाम.

admin ने कहा…

कहत समीर कि इनमें शरम नहीं है शेष
अपने हित के वास्ते, ये बेच रहे हैं देश.

बहुत खूब, डायरी के बहाने बहुत काम की चीज ले आपए आप।

नदीम अख़्तर ने कहा…

समीर जी, नेताओं को खाने-पीने दीजिये. इनसे सच उगल्वायेंगे तो फ़िर नेता देश को कैसे खायेंगे?

मथुरा कलौनी ने कहा…

मुण्डलियाँ सटीक रहीं। बधाई।
हमें घेरने की आवश्‍यकता नहीं हैं हम तो पहले ही ओखली में सिर दिये बैठे हैं। :D

पंकज सुबीर ने कहा…

समीर जी आपके ब्‍लाग का ईमेल सब्‍स्‍क्रिप्‍शन काम नहीं कर रहा है । मैने सब्‍स्‍क्राइब करने का प्रयास किया पर हो नहीं रहा है । और उसी कारण से आपकी नई पोस्‍ट पढ़ने में लेट हो जाता हूं

Ek ziddi dhun ने कहा…

kah udantashtari kaviray...batarj girdhar kaviray

Waterfox ने कहा…

सटीक :D

Vineeta Yashsavi ने कहा…

Apka blog dekhkaer aur padh kar bahut achha laga.

Puja Upadhyay ने कहा…

bahut accha likha hai, ab aapki taarif karna sooraj ko diya dikhana hua to kya likhun.
neta likhta kam hai...insight acchi hai :)

बेनामी ने कहा…

he he bahut hi sachhai se bhari diar hai netaji ki,bahut khub

padma rai ने कहा…

क्या कमाल का लिखतें हैं आप ! मूड बहुत खराब था. कुछ ठीक हुआ. धन्यवाद.

पद्मा राय

Rajesh Gupta ने कहा…

एक बार एक नेता जी ने डायरी लिखी. समीर जी का 'स्टिंग आपरेशन ' हुआ और हमें बहुत आनंद आया...'

shama ने कहा…

Mai aapki kitnee aur kahan tareef karun...aap in sabse oopar uth chuke hai? Kya mai aapkee team sadasya ban saktee hun? Aapke blogdwara jo wyatha suna rahee hun, shayad adhik logonko jaankaaree milegee aisa lagta hai.
Zindageene sadme deke itnaa sikhaya hai ki, bujhnese pehele wo sab ujaaleme laana chahtee hun.

rameshwar ने कहा…

bahut achchha likha hai aapne sirf aur sirf such hi likha hai apne