यह रचना आज की सामाजिक परिस्थितियों पर मेरे खराब स्वास्थय के दौरान कुनैन की गोलियों की कड़वाहट मूँह में लिए, बदलते नज़रिये पर लिखी गई है. निवेदन है कि कृप्या उन्हीं स्थितियों का आभास करते हुए पढ़ें, शायद ज्यादा मजा आये.
हाय!! ये बदलता नज़रिया
मैं
मलेरिया ग्रसित हूँ!!
सिगार के धुऐं से भी कड़वी
कुनैन की कड़वाहट
स्वाद ग्रन्थियों पर अपना कब्जा जमाये
पूरे मानस पटल पर आच्छादित
हो चुकी है..
अतीत की कड़वी स्मृतियाँ
हर खाँसी के संग उठते
पसलियों के दर्द के साथ
ताजी हो उठती हैं..
मैं
वेदना से कराहता
पूरे वातावरण में
कड़वाहट ही कड़वाहट
महसूस कर रहा हूँ!
कल तक
जो मुझे लुभाते थे
मुस्कराते फूल
गीत सुनाती चिड़िया
बेहतर मानवियता का परिचय देते
मुस्कराते खुश लोग..
आज न जाने क्यूँ
मेरा परिहास करते
नज़र आते हैं..
यों तो कुछ नहीं बदला
जानता हूँ मैं
वे सब
बिल्कुल वैसे ही हैं, जस के तस..
बदला हूँ मैं..बस मैं.
मैं--जो
मलेरिया ग्रसित हूँ!!
सिगार के धुऐं से भी कड़वी
कुनैन की कड़वाहट
स्वाद ग्रन्थियों पर अपना कब्जा किये
पूरे मानस पटल पर आच्छादित
हो चुकी है..
हाँ
इतनी कड़वाहट के बावजूद भी
दिल से बस यही
भाव उठते हैं..
आस लिये
शायद
कल जब मैं
मलेरिया के
प्रकोप से मुक्त हो जाऊँ
और दुनिया की उस खुशनुमा असलियत में लौटूँ.
मुझे जो दुनिया पसंद है…..
लेकिन
पता नहीं क्यों
हावी होने लगी है
यही कड़वाहट
सिगार के धुँये से भी कड़वी
मेरी आंखों पर
और दिखता है मुझे
पूरे का पूरा
मलेरिया ग्रस्त
समाज....
दुनिया....
लोग.....
और फिर
न जाने क्यों
और भी कड़वाहट
घुल जाती है
मेरे मुँह में.....
-समीर लाल ’समीर’
स्वास्थय अपडेट: बुखार अब बिल्कुल नहीं है. बदन दर्द से भी लगभग निजात मिल गई है. खाँसी जारी है अपनी पूरी ताकत से. जल्द राहत की उम्मीद है. टिप्पणियाँ देना और ब्लॉग पढ़ना काफी कम है मगर जल्द लौटने की उम्मीद है. इस बीच आप सबका साथ सराहनीय है. आज राजस्थान पत्रिका में छपे आलेख का जिक्र भी जरुरी है. जरुर देखें: यहाँ क्लिक करें.
रविवार, जुलाई 13, 2008
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56 टिप्पणियां:
कामना है की आप शीघ्रातिशीघ्र ठीक हो जांय ,सचमुच दुनिया वैसी ही है जैसी वह है .यह हर एक को वैसी दिखती है जैसा वह ख़ुद होता है .जाकी रही भावना जैसी ......सकल राममय सब जग जानी ......
आप के स्वस्थ होते ही यह क्षणिक अवसाद दूर हो जायेगा पर हम आपके इस अवसाद के भी आभारी हैं की यह आपसे एक अच्छी कविता लिखा गयी ...
अभी थोड़ा आराम कीजिये समीर जी. कड़वी बातें और कड़वी गोली भले के लिये ही होतीं है.
और हां, राजस्थान पत्रिका में लेख हमने भी पढ़ा लेकिन आप तो सबसे ज्याद कमेंट पाने वाले थे, पेमेन्ट पाने वाले भी थे, ये पता न था.
जल्दी से जल्दी स्वस्थ्य होईये.
१. आपको मलेरिया सौंपने वाले ये कनाडाई मच्छर उस हिन्दुस्तानी मक्खी के (दूर के) रिश्तेदार हैं जो आपके चाय के प्याले में डूब मरी थी.
२. सिगार का नाम आपकी कविता में बार-बार देखकर अजीब सा लगा. आप रिपब्लिकन हैं या डेमोक्रेट? आपके पड़ोसी मुल्क के पिछले डेमोक्रेटिक प्रेजिडेंट के सिगार शौक के किस्से तो प्रसिद्ध हैं.
३. ऐसी सेहत में भी इतनी उम्दा कविता रच लेना आसान नहीं. बधाई.
अऎ समीर भाई,
कित्तौ अच्छा होय ई कविता
लेकिन अब ई मलेरिया का पहाड़ा बन्द करो
अउर इहाँ जल्दी दौरे पर आओ
अपनी खाँसी को हम लोगन की फाँसी न बनाओ
जलदी भउजी से माँग कर काली मिरिच मुलेठी खाओ
बहुत सुंदर मलेरियाग्रस्त कविता के लिए आभार . आज हम सभी २१ वी सदी में वायरस की दुनिया में रह रहे है . तरह-तरह के वायरस उत्पन्न हो गए है और सारी दुनिया में वायरस डम डमा डम अपना डंका बजा रहे है और जगह जगह वायरस ने अपनी जड़े जमा ली है आज सभी समाज भी अछूता नही रह गया है जैसे की ब्लॉग जगत में हुश-फूस इनकी याद इसीलिए आ गई है कि अब नागपंचमी आ रही है और इन्हे डांस भी करवाना है . प्रसन्नता की बात है कि आप अपने ऑफिस के दुबले-पतले सहकर्मियो की अपेक्षा जल्दी स्वस्थ हो गए है और हम सबको आपकी रचनाये अब प्रतिदिन पढ़ने मिलेगी .
अरे! अभी तक दुरूस्त नहीं हुए क्या? हमारी पत्नी तो हमें इतने समय खराब हालत में बर्दाश्त कर ही नहीं सकतीं। वैसे इलाज भी वे ही करती हैं होमियोपैथी से।
आप नजरिये की बात करते हैं, तो भाई बाबा आइंस्टाइन को स्मरण करिए। उन की सापेक्षता याद कीजिए। टीवी का प्रसारण बहुत अच्छा हो और आप का रिसेप्टर खराब हो तो क्या होता है। या याद कीजिए टाल्सटाय़ के आन्ना कैरेनिना के पात्र 'लेविन' को जो अपनी फियाँसी से मिलने के तय दिन कैसे जल्दी उठता है और तैयार हो कर निकल पड़ता है, पर तय समय से बहुत पहले होने के कारण परेशान होता है लेकिन सारी दुनियाँ की खूबसूरती फियाँसी से मिलने तक के समय में कैद हो जाती है।
जल्दी फार्म में आइए।
समीर जी
हमारी यही कामना है कि आप जल्दी से स्वस्थ हो।
जमाये रहिये। ये खबर मुझे भी मिली है कि आप रोज 100 डालर का चैक पा रहे हैं गूगल से। शुभकामनाएं।
सही विश्लेषण कर दिया आपने समाज का ..स्वस्थ अपडेट से लगता है कि आप जल्द ही स्वस्थ हो जायेंगे :) शुभ कामनाये
आप फिलहाल आराम करें.
chaliye ab jaldi se thik ho jaiye aur apni purani hansod rachnao.n ke sath vapas aaiye...!
कैसी कविता लिख डाली है मुंह कडवा हो गया . कुनैन का स्वाद हमे मत चखाईये जल्द ठीक हो मुह का स्वाद बदलवाईये. कुनैन उनको भेजिये जो आपके टिपियाने पर नजर गडाये है :)
yah maleriyaa to saamajik gatividhiyon se hai,
kunain ki kadwahat waakai....badi kadwi hai,
ishwar aapko bahtar mahsus karaye,dua hai sabkuch jara hi sahi ,pahle jaisa ho......
jyada nahi,kuch hi-aap halka mahsus karen.....
is rachna ke madhyam se aapne bahut kuch kaha,badhiyaa
लेकिन
पता नहीं क्यों
हावी होने लगी है
यही कड़वाहट
"very touching poetry"
Wish u good luck for fast recovery"
समीर जी
स्वस्थ्य तेजी से सुधर रहा है जान कर राहत मिली. कोई मलेरिया पर भी कविता लिख सकता है ये आप के ब्लॉग पर आ कर जाना. कितना विस्तृत है आप के लेखन का दायरा. कमाल है.
मुझे मच्छरों के भाग्य से इर्षा है जो बिना वीसा पासपोर्ट के किसी भी देश भी जा घुसते हैं चाहे वो कनाडा ही क्यूँ ना हो. मुझे याद है निआग्रा फाल पर जब मुझे मच्छर ने काटा तो मैंने अपने साथी कनाडायी से कहा की कम से कम एक बात पर तो दोनों देश बराबर हैं..वो बोला क्या? तो मैंने कहा दोनों देशों में मच्छर एक जैसा ही काटता है.
नीरज
एक तो वैसेइच्च ब्लॉग जगत पे आना कम होता है आजकल उपर से आप कमेंट्स न दिखें कहीं तब तो और भी न आने का मन होता है।
अजी आप तो आन बान शान सब हो इस ब्लॉगजगत की जल्द स्वस्थ्य हों आप और शुरु हो जाएं दनादन, यही कामना है।
बधाई हो जी पेमेण्ट वाली खबर पर।
मलेरिया तोड़ कर रख देता है - कभी तो जीवन निस्सार लगने लगता है। आप जल्दी उबर कर सामान्य हों - यह कामना है।
एक बीमार की तरफ़ से दूसरे बी्मार को गेट वेल सून
चलिए अब तो लगभग ठीक हो ही गए हैं आप... थोड़ा आराम फरमाइए फिर वापसी कीजिये... ये कविता भी अच्छी रही... वो कहते हैं न 'रहिमन विपदा हूँ भली..'
राजस्थान पत्रिका अभी पढ़ के आ रहा हूँ... फॉण्ट इंस्टाल करना बड़ा झंझट का काम है :-)
कल तक
जो मुझे लुभाते थे
मुस्कराते फूल
गीत सुनाती चिड़िया
बेहतर मानवियता का परिचय देते
मुस्कराते खुश लोग..
आज न जाने क्यूँ
मेरा परिहास करते
नज़र आते हैं..
स्वास्थय लाभ के लिए शुभकामनाएं
आपका स्वास्थ्य बुलेटिन पढकर तसल्ली हो गई !
राजस्थान पत्रिका मे आज ही आपके बारे मे पढा था !अति आनंद आया !
अगर आप मेरी सलाह माने तो काली चाय के गरारे दिन मे दो तीन बार करें आपको खांसी मे तुरंत आराम मिलेगा ! आप जल्द पुर्ण स्वस्थ हों
इसी आकांक्षा के साथ ..
समीर जी,जल्दी ठीक हो जाएं यही कामना है।
बहुत सुंदर मलेरियाग्रस्त कविता के लिए आभार
बहुत खुशी हुई आप के स्वस्थ होने की, लेकिन यह मालेरिया क्या साथ मे भारत से लाये थे ?या किसी ने मच्छर टिपण्णी मे भेज दिया, कानाडा के मच्छर तो सुना हे बहुत शरीफ़ हे,
अगर खांसी ज्यादा हे तो एक नुस्का दादी के जमाने का आजमा कर देख ले शायद आराम आ जाये, रात को सोने से पहले आधा (छोटा)चमच्च हल्दी ओर दो चमच्च शहद मिला कर मामुली सा हलका सा गर्म कर ले ( पानी वगेरा पहले पी ले बाद मे ना पीये तो अच्छा हे) ओर फ़िर इसे आराम से चाटें,हल्दी की जगह दो लोंग भी पीस कर ले सकते हे , पहली बार मे ही यह अपना असर दिखा देता हे, २, से ३ दिन तक ले फ़िर बताये.
कनाडा में भी मलेरिया है ?जे हो भारतीयों की ....आप धन्य है जो इस parasite को मुफ्त में विदेश यात्रा कराई?खैर मजाक नही,आप स्वस्थ हो ओर मीठी कविता लिखे ऐसी कामना है.....
बधाई हो, कमेंट के साथ आपकी पेमेंट के चर्चे भी शुरू हो गये हैं।
ठीक-ठीक हो जाइये जल्दी से।
सच हॆ,मानवता भी मलेरिया ग्रस्त हो गयी हॆ परंतु उसके लिये जो कुनॆन उपलब्ध हॆ उसकी मात्रा अभी कम हॆ,उसकी उपलब्ध्ता ऒर मात्रा दोनों ही बढानी होगी। कुनॆन की कडवाहट के मीठे असर के लिये भगवान से प्रार्थना कर रही हूं;मानवता पर भी ऒर आप पर भी।
शब्द सजीव हों तो काव्य दर्शन बन जाता है, स्वस्थ हो जायें, शुभकामना के साथ!
आप जल्दी से जल्दी पूर्ण रूप से स्वस्थ हों, यही कामना है।
मुझे मलेरिया नहीं हुआ मैं कैसे महसूस करूँ यह कविता ?
मुझे मलेरिया नहीं हुआ मैं कैसे महसूस करूँ यह कविता ?
As usual, कमाल की पेशकश |
Ka baat hai pirbhoo ? Bhaut jada beemaar pad gaye hate ka ? Mano aapne o ke babjood ainsee umda kabita jhula dayee aar. Machchhar haron ne soi pad layee hati aur kall paan bare ke chogadda pe kah raye hate "ja kee naas ho jaye, saro bilag pe pol khole de rao batao ?"
Hum uatai hate to humne raged dao saron khen. Leo lal-n-babaal pe ek achchho so gana likh de rae. Padh laiyo aur jaldee theek ho jaiyo...
बुखार ठीक हो गया है इसके लिये बधाई, खाँसी का कुछ इलज किजिये और जल्दी से स्वस्थ होकर वापस आईये।
वैसे बीमारी मे अच्छे से कैसे लिखा जा सकता है? यह मुझे भी बताईयेगा।
गेट वेल सून ! (मुन्नाभाई वाला नहीं!)
वैसे बताना चाहूँगा... जब बाज़ार पहुंचा तो पाया कि वास्तव में सांसद मोबाइल, खुखरी और पेट्रोल से सस्ते हो गए हैं !
शीघ्र स्वस्थ हों आप, यही कामना है ताकि हमें और कुछ नया पढ़ने को मिले।
aapka bukhar to chala hi gaya hai...ab tez mirchi wale gol gappe kha leejiye,munh ki kadwahat bhi chali jaayegi...
अरे हमेँ तो लगा
आप अब तक स्वस्थ हो गये होँगेँ -
शीग्र स्वस्थ होँ ये शुभकामना है समीर भाई
स्नेह,
-लावण्या
काहे दर्द दे रहे हैं अभी अभी तो चंगे होकर लौटे हैं ।
कड़वी कुनैन !!
(इसके बारे मे नही जानता , बताने की कृपा करें) :)
और क्या वाकई आप अपने लेखन से ज्यादा धन बटोर रहे हैं ?
अगर ऐसा है तो कुछ गुर मुझे भी बताइये गुरु जी!
(वैसे तो हम इस माया मोह से दूर है क्योकि अभी बाप जी की कृपा है )
नहीं तो एक अच्छी सी पार्टी दे दीजिये , भुखमरे खायेंगे और हम आशीर्वाद देंगे।
:) :) :)
आपका जवाब नहीं जी!
बीमारी हालत में भी तुस्सी हिट हो...
कमाल है!
आपका शुभेच्छु
अंगूठा छाप
आपका जवाब नहीं जी!
बीमारी हालत में भी तुस्सी हिट हो...
कमाल है!
आपका शुभेच्छु
अंगूठा छाप
मलेरिया पर कविता , दिख तो कड़वी रही है लेकिन है स्वादिष्ट
अच्छी कविता है
हे ब्लोगजगत के गणेश,
ये क्या मलेरिया लगा लिया और बैठकर मलेरिया महाराज पर कवित्त लिख रहे हो। ठीक हो जाइये फ़िर कवित्त का मज़ा आपके साथ ही लेंगे।
जाने क्यों ये मुझे ईतना अच्छा नही लगा। शायद आपकी मस्तमौला छवि आडे आ रही है।
Sameer ji..jaldi se swasthy ho jaeye..kavita achhi likhi hai.
Acchi kavita hai,
sigaar ka baar-baar aana
theek nahi
bawjood akele kaphi hai
uske saath bhi lagane ki koi jaroorat nahi hai
Jaldi theek ho jayen
स्वस्थ होने की बधाई.ना आप बीमार होते ना हमें ये कविता पढने को मिलती.लेकिन आप अपने पुराने हंसोड फ़ोर्म में जल्द लौट आइये.राजस्थान पत्रिका के अनुसार आप सबसे ज़्यादा पेमेण्ट पाने वाले ब्लोगर हो गये हैं,इसकी भी बधाई.हम तो आपको पढे बिना नही रह पाते.आदत पड गई है.
kuch toh boliye ji...
स्वस्थ होने के लीये बधाईयां। और ज्लदी ही खांसी भी ठीक हो जाए, पहले की तरह तंदरूस्त हो जाऎं।
बहुत गहरी गहरी बाते लीखते हैं।
मेरी छूट्टीयां बहुत अच्छी गई बहूत मजा आया।
हर मजे मैने 21 दीनो मे लीये लम्बे रासतो पर करीब 80km मोटरसाईकल पर बैठ कर गया और रासते भर मै और मेरे भाई(मैसी का बेटा) चील्लाते और झूमते मजे करते हूवे गै और ये तो सीर्फ एक गाव से दूसरे गाव जाने की बात थी।
सच बहुत मजा आया ऐसा लगा जैसे पींजरे मे बंद चीडीया को आजादी मीली हो। हा..हा।
Achcha laga padgkar ki aapke swastha mein nirantar sudhaar jari hai.
Ye maleriya ke machchar aaapka peecha karte karte Canada ja pahunche. humne to socha tha ki normal khansi bukhar wala mamla hai.
chalye dawa kadwi hi sahi khani to padegi hi...
रचनाशीलता मछर ने जगाई या कुनैन ने, जी
मलेरिया ने अच्छी रचना कराई , जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो जाइए ...
vha sameer ji maleriya par kavita pahali bar padh rhi hun. kya likha hai. bhut badhiya. kisi karan vash tipani karne late ho gai. shama kijiye.
ek malaria par itni tippaniya,,,bhagwaan! mujhe dengu kyun nahi ho jaataa :)
उडन तश्तरी का नहीँ है जवाब
यह उद्देश्य मेँ अपने है कामयाब
समीर और उनकी उडन तश्तरी
है साहित्य की एक विधा लाजवाब
उन्हेँ नज़्म और नस्र पर है उबूर
है ग़ज़्लोँ मे उनकी बहुत आबो ताब
क़लम के धनी हैँ वह अहमद अली
चुकाते हैँ सबका हिसाबो किताब
डा.अहमद अली बर्क़ी आज़मी
अनुवादक।उदघोशक
फ़ारसी एकाँश
विदेश प्रसारण सेवा,आकाशवाणी
नई दिल्ली-110001
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