शब्द पुष्टिकरण यानि वर्ड वेरिफिकेशन. आजकल अन्तर्जाल की दुनिया में आपकी अन्तर्जालिय सुरक्षा के लिये सुझाया गया बहुचर्चित तकलीफदायक उपाय. कम से कम हम जैसे टिप्पणीकर्ताओं के लिये तो बहुत ही तकलीफदायक. यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा भारत में सब थानों के बाहर लिखा होता है कि पुलिस आपकी साहयता के लिये है. चोर सारे तोड़ जानते हैं.
कई बार सोचते हैं कि चिट्ठाकारों से कहें कि मित्र, अपने चिट्ठे पर टिप्पणी और हमारे बीच से इस दीवार को अलग कर दो. क्यूँ दो प्यार करने वालों के बीच लड़की के भाई की तरह खड़े हो? बहुत डर लगता है तो माडरेशन चालू कर लो ताकि बिना आपकी स्विकृति के टिप्पणी प्रकाशित ही न हो. समझो कि जैसे अरेंज्ड मेरिज. फिर तो स्पैम के भर जाने का खतरा नहीं रहेगा. मगर स्वभाववश बस सोचते ही रह जाते हैं. कहना चाहते हैं कुछ और मगर टाईप हो जाता है साधुवाद. ब्लॉगमालिक जान ही नहीं पाता कि हम क्या कहना चाहते थे.
किसी तरह थक हार खीज कर वर्ड वेरिफिकेशन भर भी दें तो पता चलता है वो ढेड़े मेड़े शब्द ही गलत पढ़ डाले थे तो लो, फिर से टाईप करो. दो बार गलत भर दो तो टिप्पणी भी उड़ गई. फिर नये सिरे से टाईप करो कि बहुत बढ़िया लिखे हो, साधुवाद, शुभकामना और न जाने क्या क्या.
चलिये टिप्पणी करने की उमंग में एक दीवाने की तरह हम यह सब भी बर्दाश्त करने को तैयार हैं मगर यह क्या बात हुई??
वर्ड वेरिफिकेशन भरे भी और वो हमें बेवकूफ कहें. ये तो हम न झेल पायेंगे.
नेकी कर दरिया में डाल तो सुना था मगर टिप्पणी कर और गाली खा!!-यह नई परंपरा मालूम पड़ती है. ये हमारे गाँव के संस्कार नहीं हैं.
आप ही बताईये कि इतनी मेहनत के बाद कोई आपको बेवकूफ कहे तो कैसा लगेगा?
हमें तो लगता है कि अगर इस तरह की संगीन वारदातों को अभी नहीं रोका गया तब आगे तो न जाने क्या क्या गालियाँ बकें?
देखा तो था- कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर, तो कभी अपनी अनोखी पहचान बनाने की खातिर-क्या खुल कर गाकियाँ लिखी गईं चिट्ठो से जो कि सब सार्वजनिक था. यह दीगर बात है कि आज वो अपनी करनी के चलते गुमनामी के अंधेरों मे खो गये हैं और कोई उन्हें अब पूछता तक नहीं मगर आप क्या कर पाये? कुछ नहीं. और फिर यह वर्ड वेरिफिकेशन वाली तो दबी छुपी बात है-बिल्कुल वन टू वन-इसमें तो क्या हाल करेंगे, भगवान जाने.
अब हम खुद अपने हाथ से अपने खुद के लिये गाली टाईप भी करें, तब टिप्पणी प्रकाशित होगी तो मित्र, क्षमा करना. माफी चाहूँगा. अगर मेरी टिप्पणी न दिखे तो यह मत समझना कि हमने कोशिश नहीं की होगी या आये नहीं होंगे (ऐसा कहाँ होता है हमारे साथ, वो भी आपके ब्लॉग पर..न, न!!). बस, समझ लेना कि गाली खाकर चुपाई मारे बैठे हैं अपने मूँह की खाकर.
बीबी अलग कोस रही है कि और जाओ हर जगह साधुवाद का बिगुल बजाने. खा ली गाली, मिल गई तसल्ली!! ऐसा ही चलता रहा तो किसी दिन लतिया भी दिये जाओगे और बैठे रहना अपनी साधुवाद की माला जपते.
मेरी बात पर भरोसा न हो रहा हो तो यह देखो स्क्रीन शॉट-कोई झूठ थोड़े ही न बोलेंगे??
अब बोलिये?? हमारा विवेक और मानस तो जबाब दे गया. उपर से बीबी का प्रेशर अलग. आप कर सकते हो तो करो टिप्पणी. हम तो नहीं ही टाईप कर पायेंगे अपने लिये इस तरह की बात.
मेरा निवेदन स्वीकार कर लो मित्र, वर्ड वेरिफिकेशन हटा कर माडरेशन लगा लो!! हमें गाली खाने से बचवा लो, बड़ा आभारी रहूँगा और साधुवाद तो दूँगा ही.
रविवार, अप्रैल 20, 2008
टिप्पणी कर और गाली खा!!
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54 टिप्पणियां:
हा!हा!!हा!!!हा!!!!आपकी पीड़ा पर हंसा, गाली तो नहीं दे रहे हैं ना? वैसे तो आपका कंप्यूटरवा बड़ा होशियार लगता है जी।
लोग तो झूठ बोलते है। इण्टरनेट/कम्प्यूटर तो मशीन है - निरपेक्ष भाव से काम करता है। झूठ भला क्यों बोलेगा?! :)
मै बहुत सी टिप्पणी चाह कर भी वर्ड वेरिफिकेशन के कारण नही कर पाता हूँ। बड़ी दिक्कत होती है भाई।
जितना समय तो टिप्पणी करने में नही लगता उससे ज्यादा, उस वर्ड वेरिफिकेशन वाले शब्द को करने में लगता है।
चिट्ठाकार साथियों से यह निवेदन मैं भी पहले कर चुका हूँ। थक हार कर अब इन चिट्ठो पर टिप्पणियाँ करना ही बन्द करना पड़ा।
हँसते हँसते पेट में बल पड़ गए हैं, आख़िर में चल के मामला खुला,
दुकान ऐ मय पे जाके खुला सूरते हाल,
हयात बेच रहा था वो मय-फरोश न था |
साभार,
अनूप जी से सावधान रहो, आपको बारे में इधर उधर लिख रहे हैं कि जहाँ आप जाते हो मुसीबत आ जाती है :-)
समीर भाई ,
कम स कम मेरे जल घर पे तो आप अवश्य आया करेँ और टिप्पणी भी करेँ
बहुत अच्छा लगता है ...जैसे सारी मेह्नत सफल हो गयी लिखने की ..
और ये क्या ? सच मेँ "बेवकूफ " शब्द आया था ? Wow !! hard to believe it ...
ha ha bahut badhiya likha hai,sahi ye wordverification badi julum dhane wali balaa hai.
समीर भाई
सारे टिप्पनिकारों की तरफ़ से जैसे आप ने उनके दिल की बात कह दी है. बहुत सच लिखे हैं आप. हम भी मन ही मन इस पीड़ा को झेलते लेकिन कहते नहीं इस डर से कहीं भाई बुरा मान गया तो जो गलती से कभी कभी हमारे ब्लॉग पे चला आता है वो भी नहीं आएगा और हम दरवाजा खोले आने वाले की राह ही देखा करेंगे.लोग ऐसी खुराफात करते क्यों हैं शायद उन्हें किसी को प्रताडित करने में आनंद आता हो. सेडिस्त अप्रोच.
नीरज
बिलकुल सही फरमाया है आपने। पढ़ के मजा आ गया, कहने का मतलब यह है कि सही बात और वह भी आपने बहुत रोचकता के साथ परोसा है।
सर मैं तो अपने चिट्ठों पर टिप्पणी मॉडरेशन की भी आवश्यकता नहीं समझता था पर काफी गालियाँ खाने के बाद इसको सक्रिय किया। मैं आशा करता हूँ कि आपके सुझाव सदा मेरा उत्साहवर्धन करते रहेंगे।
यह तो वाकई एक समस्या है.इस पर गूगल वालों को भी सोचना चाहिये--अब moderation का ओप्शन है तो काहे लोग अपने पाँव पर कुल्हाडी मार रहे हैं और फ़िर कहते हैं कोई टिप्पणी नहीं देता!..अगर कोई टिप्पणी करना भी चाहे तो वर्ड वेरीफिकेशन का तमाचा कौन सहे सोच कर आगे बढ़ लेते हैं-- बहुत बढ़िया विषय उठाया है..धन्यवाद
[मैं यह चित्र नहीं देख पा रही हूँ कोने में एक क्रॉस लगा आ रहा है -]
अगर आप अपने कंप्यूटर पर टिपियाने का प्रोग्राम (सोफ़्ट्वेयर) लोड होने के बावजूद टिपियाने बैठोगे तो बेचारा क्म्प्यूटर यही तो कहेगा, की आप खामखा काहे बेवकूफ़ी के काम कर रहे हो . अगला अपनी ड्यूटी पूरी निभाता है हर जगह टिपियाकर आता है ,
हा!हा!!हा!!!हा!!!!सही कहा आपने कई जगह तो हम पढ कर सिर पर पांव रख कर भाग लेते हैं। इन सब बलाऒं से बचने के लिये।
मुझे नहीं लगता अभी हिन्दी ब्लागिंग में स्पैम का ऐसा कोई खतरा है कि आप वर्ड वैरीफिकेशन लगाएं. मैंने आज तक अपने किसी ब्लाग पर वर्ड वैरीफिकेशन नहीं लगाया और सालभर में मात्र एक या दो स्पैम कमेन्ट आया है.
असल में जो लोग वर्ड वैरिफिकेश लगाकर रखते हैं धीरे-धीरे उनके यहां आवाजाही भी कम हो जाती है और आखिरकार ऐसे ब्लागर हताश होकर मैदान के बाहर चले जाते हैं. उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि जिन बातों को उन्होंने अपनी तथाकथित सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया वही उनके विकास में बाधक बन गयीं.
टिप्पणियों से पेजरैंक बढ़ता है. आपका भी और उस ब्लागर का भी जो टिप्पणी करता है. मसलन इस समय उड़नतश्तरी का गूगल पेजरैंक ब्लागरों में शायद सबसे ऊपर है. 5/10 जो कि ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत जैसे एग्रीगेटरों से भी आगे है जिनकी पेजरैंक 4/10 है.
यह सब समीरलाल द्वारा की गयी टिप्पणियों का ही कमाल है.
बहुत अच्छा लिखा है आपने....ये पीड़ा तो अपनी भी है समीर भाई....अगर एक बार भी फिर से निर्देश आता है कि शब्दों को पहचान कर ठीक से भरो तो लगता है कि कोई अपना उल्लू बना रहा है....पर आपने इस मुद्दे को उठाकर बहुत पुण्य का कार्य किया है साधुवाद
पहले अपने चिट्ठे से शब्द पुष्टिकरण हटाया फिर टिप्पणी दे रहा हूँ. नया हूँ पता ही नहीं था कि इससे इतनी दिक्कत हो सकती है. लिखा बहुत अच्छा है. मज़ा आ गया.
samshad ahmad
हमने भी ऐसी ही एक पोस्ट लिखी थी, तब समीरकाल शुरू नहीं हुआ था और हम स्टार टिप्पणी कार हुआ करते थे. फिर आप आये और छा गये. हमारा बेझ हलका हुआ तो हमने इस बारे में शिकायती पोस्ट लिखनी बन्द कर दी क्योंकि यह अब आपका सरदर्द था. आपसे सहानुभूति है. साथी लोग दर्द को समझे.
वैसे जहाँ शब्द मोडरेशन हो वहाँ टिप्पणी न करे. सब ठीक हो जायेगा. :)
सत्य वचन "समीर जी " सबकी पीर कही आपने-साधुवाद
हाहाहाहा, आपकी पीड़ा कुछ मेरे जैसी है । मुझे भी बिन टिपियाये यह लगता था कि लेखक के साथ न्याय नहीं हुआ । कुछ समय पहले तक टिपियाने के मामले में मैं आपके नक्शे कदम ही चल रही थी । परन्तु बार बार झाँपड़ खा गाल कुछ यूँ दर्द हुए कि अब चाहते हुए भी स्वयं को रोक लेती हूँ । वर्ड वैरिफिकेशन वालों की एक बार लिस्ट भी तैयार की थी परन्तु अपने भुलक्कड़ स्वभाव के कारण वह खो डाली । होता यह है कि मैं टिप्पणी पहले लिख लेती हूँ और जब डालने का समय आता है तो वर्ड वैरिफिकेशन की दुर्गम खाई देखती हूँ । अब सोचती हूँ कि जब टिप्पणी लिख ही दी तो पोस्ट करके ही दम लूँगी । और फिर शुरू होता है युद्ध । अब उम्र आड़े तिरछे शब्दों को पढ़ने की तो रही नहीं, सो king bruce and the spider की तरह बार बार युद्ध स्तर पर कोशिश करती हूँ ।
वैसे आपसे अनुरोध है कि हम जैसे टिप्पणियों के स्वागत में नजरें बिछाए लोगों के ब्लॉग पर बार बार टिपियाएँ । जितना मर्जी टिपियाएँ । आपका स्वागत है ।
घुघूती बासूती
Ham ne to pahale hi word verification hata diya tha Phir kyaa hua Natija wohi Dhaak ke teen paat
चलिए किसी ने हमारे दिल की बात तो कही......ओ चिट्ठे वालो जरा गौर फरमायो
बहुत सही लिखा है आपने…
मेरे मन मे छुपी बात कह दी आप ने ,भूगतने वाला ,वाली समझ सकते हैं ,पर आप की टिप्पणी चाहिए चाहे जैसे...
are aap aur anurag ji ki hi nahi ye hamari bhi pira hE, ek to phone phone kar kar ke hamne computer chalana sikha hai us par bhi ye word verification chala aata hai to man to karta hai ki chalte bano... lekin kya kare kuchh rachanae itni achchhi hoti hai.n ki mehanat bhi karni padti hai unke liye
:)
वैसे बात तो आपने सही पकड़ी है ई वर्ड वेरिफिकेशन के चक्कर में कई बार टिप्पणीयां छूट जाती हैं।
ये हुई ना बात.. अब लगता है इस वर्ड वेरिफिकेशन के चक्कर से छुट्टी मिलेगी.. आपने तो लगता है सबके मान की बात लिख दी.. बधाई
यही वज़ह है टिप्पणियों में हम अक्सर पीछे रह जाते
खुद को बुद्धिमान समझे हैं, किन्तु गावदू हम बन जाते
जैसे तैसे समय निकाला, कठिनाई से लिखी टिप्पणी
लेकिन बेटा! जाकर पहले पढ़ना सीखो वे समझाते
हा-हा -हा।
सच क्या दर्दे दिल बयान किया है। सभी को इससे तकलीफ होती है।
दो बार टाइप करने वाली बात तो हमें भी कई बार दुःख दे गई... वैसे आप जैसे लोग बेवकूफ कहे जाने पर टिपण्णी करना छोड़ दें तो फिर क्या होगा ब्लॉग जगत का?
और वो बेवकूफ शब्द आपके लिए नहीं जिसका ब्लॉग था उसके लिए लिख के आया था... अब बेचारा ब्लॉगर ब्लॉग-मालिक को कैसे बताये कि 'रे बेवकूफ ये क्या वर्ड-वेरिफिकेसन लगा रखा है' तो बाकी लोगो को ही बता रहा है...
जैसे ताला लगा देने से सिर्फ़ इमानदार लोग वापस चले जाते हैं कि चलो मालिक घर में नहीं है... और चोर प्लान करते हैं कि चलो कोई नहीं है आज रात ताला तोड़ डालते हैं ... कुछ वैसा ही हाल है... :-)
आपके विचार योग्य है निश्चित अमल होगा . आभार
बेबाक पोस्ट !
मैं आपकी पीड़ा समझता हूँ'
यह झमेला मेरे यहाँ नहीं मिलेगा, साथ ही
एक तथ्य जानकर हर्ष हुआ, कि कोई तो आपके ऊपर भारी पड़ता है
फिर भी, कभी मेरी गली आया करो...आगे ? मेरा कीबोर्ड जाम हो गया !
अच्छा किया समीर भाई जो आपने स्क्रीन शाट दिखा दिया. इसकी वजह से वर्ड वेरीफिकेशन हो गया. और पोस्ट वेरीफिकेशन भी.....:-)
टिपण्णीयो की संख्या देख एक बुंदेली कहावत याद आ गईः
"जिसके पैर में फटे बिंवाई,वो ही जाने पीर पराई"
साथ ही आपके उत्साहवर्धन का धन्यवाद।
आइना देखकर डर गये। :) ऐसे भी ब्लाग हैं जहां टिपियाने के लिये उनकी सदस्यता लेनी पड़ती है।
हेहें.. हेंहें? वइसे कवन किसका बेवकूफ़ काट रहा है?
हा हा ये भी खूब रही !
समीर जी आप ने भी सही मोके पर पकडा,गुस्सा तो नही लेकिन यह फ़ोटो देख कर पेट दुखने लगा हे हसंते हसंते, मुझे लगता हे यह उस मक्खी की बद दुया हे जिसने चाय मे डूब कर आत्महत्या की थी शायद,
उड़न तस्तरीजी धन्यवाद! आपकी टिप्पणियाँ भले ही मुख्तसर हों, दिल को तस्कीन देती हैं.
आज का आपका आलेख वाकई मजेदार है. सुकून की बात है कि मैं यह वर्ड वेरीफिकेशन चंद दिनों पहले ही हटा चुका हूँ. वरना आपकी शिकायत की जद में आ जाता. हाहाहा!
समीर जी...सुकून की बात ये है की मैंने कल ही अपना वर्ड वेरीफिकेशन हटाया है! खैर बहुत बढ़िया....!बधाई.
क्या बात है समीर जी मज़ा आ गया
खूब गुजरेगी जब मिल बैठेंगें दीवाने दो
मैंने कहीं पढ़ा कि आप २२ को जा रहे हैं २२ भारत में तो आज है
यदि समय है तो पानीपत के मैदान में आइये स्वागत है
क्या बात है समीर जी मज़ा आ गया
खूब गुजरेगी जब मिल बैठेंगें दीवाने दो
मैंने कहीं पढ़ा कि आप २२ को जा रहे हैं २२ भारत में तो आज है
यदि समय है तो पानीपत के मैदान में आइये स्वागत है
वाह! इतनी मेहनत करते हैं आप...
बढ़िया है.. आपकी मेहनत रंग लाएगी
वाह! इतनी मेहनत करते हैं आप...
बढ़िया है.. आपकी मेहनत रंग लाएगी
समीर जी मुझे लगता है दुनिया भर के तमाम बेवकूफों और बाकी तमाम वाहियात बातों का व्यंग्यकार को शुक्रिया अदा करना चाहिए। आख़िरकार हर मूर्खता लेखक के लिए 'नए लेख' की सम्भावना तो लाती है।
अब आपने भी वर्ड वैरिफिकेशन की इस बेहूदगी का कैसा खूबसूरत इस्तेमाल किया है। मज़ा आ गया।
maza aa gaya,aapka sense of humour wakai kamaal ka hai aur itna accha likhte hain ki padhne mein maza aa jata hai
हा हा मजा आ गया पढने मे और साथ मे सबूत भी दीखाया है।
मै तो टीप्प्णी के सारे दीवार ही तोड दीया हूं और आपने बहूत अच्छा आईडीया बताया है की मॉडरेशन लगा लो। काश मॉडरेशन लगाने के बाद कोई आऊटॊमैटीक टीप्प्णीयों को प्रकाशीत करने वाला आजाता जो स्पैम को छान कर उसे प्रकासीत नही करता।
वो कहते हैं न , बगावत के लिए एक चिंगारी ही काफी है . आपने वर्ड वेरीफिकेशन पर जो अपनी शानदार सोच प्रस्तुत कि है वाकई चिंगारी से कम नहीं है .... लेकिन कभी कभी चिंगारी खतरनाक साबित हो सकती है .
खुदा न करे कि हमारे जैसे साफ्ट . इंजी . कुछ ऐसा प्रोग्राम बना दे कि हर किसी को मुफ्त में १० पन्ने की टिप्पणियाँ मिलनी शुरू हो जाए ...
लोग गूगल वालों को दोष देते हैं ..कि उन्हें सोचना चाहिए .
सोच के ही तो सौपा है उन लोगों ने ......"नेकी कर दरिया में डाल " वाली कहावत हो गयी .
अब ये बात अलग है कि किसी मसखरे बाज़ इंजी .ने bevkoof शब्द डाल दिया हो ...
या ये भी हो सकता है कि कम्पूटर , आजकल के नवयुवकों की ही भाति गाली जैसे लगने वाले शब्दों को इकठ्ठा कर रहा हो ..... ताकि भविष्य में ये हमारी संबोधन भाषा सीख सके ...
अब ये तो किसी दुर्लभ घटना से कम नहीं कि पहले पहल आप ही इस संबोधन के शिकार हुए ...
आपको तो खुश होना चाहिए .. कि कंप्युटर ने आपको समझा .
और आपने उसकी इस प्रथम समझ को एक चित्र में कैद कर लिया ......आप इस उम्र में भी जागरूक इंसान हैं ...
आपने साधुवाद कहने के लायक भी नहीं छोडा ......
एक अच्छा संयोग !!!!!
जब चिट्ठा जगत में कदम रख था तब वर्ड वेरिफ़ि्केशन नामक चिडिया से परिचय नहीं था.फिर दिनेश राय द्विवेदी जी की सलाह मान मैने इस चिडिया को उडा दिया.समीरजी, इस भूल-भुलैया के हम भी खूब सताये हुए हैं
वर्ड वेरिफिकेशन की आख़िर उपयोगिता ही क्या है ? मैं आज तक नही समझ पाया .....आपकी पीडा जायज है !
हाफ सेंचुरी हमीं से कम्पलीट होनी थी! वैसे समीर भइया कंप्यूटर आजकल झूठ नहीं बोलता, लेकिन सच बताओ फोटोशॉप के आप माहिर हो। गूगल के वर्ड वेरीफिकेशन में यह फ़ोंट कभी नहीं आता। और सबसे अहम् बात, इतना सिम्पल तरीके से अगर वर्ड आने लगे तो कोई भी ओ सी आर इसको पढ़ लेगा। सच सच बोलो, यह ख़ुद से किया है या नहीं!! ;)
समीर जी, मज़ेदार पोस्ट के लिये धन्यवाद, लेकिन इसके लिये आपने जो जाल साजी (खुद bevkoof लिख कर लोगों को बनाया) की है, वो भी कभी उज़ागर कर दीजियेगा :)
वैसे बड़ी देर तक मज़ा आया पढ़कर!
अब जो सबको परेशानी है हमें भी होगी ही, हमने भी बहुत गाली खाने के बाद टिप्प्णी करना कम कर दिया।
पोस्ट लिखने का अंदाज रोचक है।
वेरिफिकेसनवा बैरी हो गई हमार,
बिन वेरिफिकेसन हर कोई बांचे,
बांचे न पोस्ट हमार
वेरिफिकेसनवा बैरी हो गई हमार।
आपके इस मुश्किल पर यह गीत शायद बर्फ का काम करे, कुछ ठंडक मिले ।
अच्छी पोस्ट।
बात तो आपने सही पकड़ी है ई वर्ड वेरिफिकेशन के चक्कर में कई बार टिप्पणीयां छूट जाती हैं।
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