अभी थोड़ी देर पहले ही कुछ चिट्ठे पढ़ रहा था. अधिकतर पर नारद विवाद वाली गहमा गहमी थी. कुछ मेरी ही तरह के लोग कहते मिल जायेंगे कि हम ऐसे चिट्ठों पर जाते ही नहीं, उन्हें पढ़ते ही नहीं. मैं उनके संयम को नमन करता हूँ और साफ शब्दों में कहना चाहता हूँ कि मैं एक आम इंसान हूँ, भारत में पला, बढ़ा-वो ही संस्कार हैं. झगड़ा देखकर आनन्द लुटने के लोभ को एक आम भारतीय की ही तरह संवरित नहीं कर पाता हूँ. बहुत मेहनती हूँ और इसीलिये अपने अथक प्रयासों से इसमें शामिल होने से अपने को रोक पाता हूँ. थक जाता हूँ अपने आपको रोकते रोकते और सो जाता हूँ और इसीलिये युद्धकाल में जरा कम ही पोस्ट ले आ पाता हूँ. इस हेतु क्षमा का प्राथी भी हूँ और इस गहन थकान के लिये दया का भी. मगर यह मेरा निजी मामला है, इसलिये चल जा रहा है.
जब चिट्ठे पढ़ें तो हमारे जैसे टिप्पणीपीर टिप्पणियाँ न पढ़ें, यह कैसे संभव है? टिप्पणियाँ पढ़ता हूँ तो पाता हूँ कि जैसे इन सदी के महानायकों ने अपना गृहकार्य पूरा नहीं किया, बस बोलना है इसलिये बोल गये और अपनी बात को वजन देने के लिये कोई पुराने का प्रकरण का उद्धरण दे गये जैसे मोदी विवाद, गुजरात विवाद, हिन्दु-मुस्लिम बहस, मुहल्ला विवाद, अमरीका-समरीका विवाद (जिसमें सागर पुनः टंकी पर चढ़े थे), बैंगाणी बंधु विवाद, नेपकीन प्रकरण आदि आदि.जब देखता हूँ तो लगता है कि अलग अलग लोगों ने, या उन्हीं लोगों ने अलग अलग जगह उसी विवाद को अलग अलग नाम से पुकारा जिससे मुझ जैसे अल्प ज्ञानियों (यह अज्ञानी को सुसंस्कृत भाषा में कहा जाता है-और भाषा का महत्व तो अब सबको ज्ञात है ही) को समझने में बड़ी असुविधा होती है. गल्ती लिखने वालों की भी नहीं है, अब जब कभी यहाँ हुये विवादों को कोई नाम ही नहीं दिया गया तो जिसके जो मन आया वो उसे उस नाम से पुकार गया. सब का भला हो जो अपनी समझ से कुछ तो बता ही जाते हैं वरना अगर कोई लिख देता कि वो उस विवाद में नारद और आप कहाँ थे जो अब चले आये? हम तो समझ ही न पाते कि वो उस क्या और अब क्या? उस का कोई रिफरेंस नहीं और अब जिस पोस्ट पर कहा उसका अभी के विवाद से कुछ लेना देना नहीं, वो तो नारद की तकनिकी समस्या को इंगीत करती पोस्ट है.
खैर, इस बात को मैने क्यूँ उठाया और यहाँ लाकर क्यूँ रोक दिया, इस पर एक बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी देकर फिर शुरु होते हैं.
क्या आपने कभी गौर किया है कि अटलांटिक में और पेसेफिक में जो समुन्द्री तूफान आते हैं, उनके नाम जैसे रीता, कटरीना, बिल आदि कैसे रखे जाते हैं. कौन इनको नाम देता है और कैसे देता है. दरअसल, १९५३ के पहले तक इन्हें इनके लेटिट्यूड और लोन्गीटयूड से जाना जाता था, कोई नाम नहीं. मगर इससे एक आम आदमी को समझने और इस विषय में बात करने में असहूलियत होती थी. तब १९५३ में राष्ट्रीय मौसम विभाग के समुन्द्री मौसम वैज्ञानिकों ने इनके नामकरण की प्रथा शुरु की.शुरु में जैसा की पानी के जहाज को मादा श्रेणी में रखा गया है, इन तूफानों का नामकरण भी महिलाओं के नाम से ही हुआ. इसका और एक पुख्ता कारण रहा होगा कि इन तूफानों के मूड का कुछ पता नहीं- अभी चुप बैठे हैं, एकाएक भड़के तो ऐसा कि सब तहस नहस. क्या पता कब कौन सी बात और किसकी बुरी लग जाये.
अटलांटिक महासागर के तूफानों के लिये ६ लिस्टें बनाई गईं. हर साल के लिये एक-जैसे जैसे तूफान आते गये, नाम अलग होते गये. जैसे अगर रीता २००४ की लिस्ट में है और ७ वें नम्बर पर है तो २००४ में आया ७वां तूफान रीता कहलायेगा. उसके जाने के बाद अब रीता नाम का तूफान इसके सातवें साल में ही आ सकता है, क्यूँकि अगले ६ सालों की लिस्ट तैयार है. जो ६ साल बाद फिर से शुरु होती है. हर लिस्ट में २१ नाम है. ऐसा ही कुछ पैसेफिक में आये तूफानों के लिये भी इंतजाम है. अब मान लिजिये कि एक साल २१ से ज्यादा तूफान आ गये तब क्या होगा? आम धारणा के अनुरुप क्या अगले साल की लिस्ट इस्तेमाल कर लेंगे? नहीं!! इस साल की लिस्ट इस साल के लिये और अगली अगले साल के लिये. तब ऐसे में तय पाया गया कि इस दशा में नेशनल हेरिकेन सेन्टर ग्रीक गणनावली का इस्तेमाल करते हुये उन्हे अल्फा, बीटा, गामा आदि आदि नामों से पुकारेगा.
कुछ रोचक तथ्य इस विषय में और भी है जैसे १९७९ में नारी स्वतंत्रता टाईप आंदोलनकारियों के आगे धुटने टेकते हुये इसमें पुरुष नाम भी शामिल किये गये..एक महिला फिर एक पुरुष, फिर एक महिला फिर एक पुरुष. चलो, पुनः महिलाओं की जीत हुई बहुत नमन महिला शक्ति को.
दूसरा यह कि जब कोई तूफान अत्याधिक कोहराम मचा देता है और बहुत लोग मारे जाते हैं तो उसे रिटायर कर दिया जाता है यानि वो भविष्य में फिर कभी नहीं आयेगा. जैसे कि कटरीना जिसने न्यू ऑरलिन्स में ऐसा मंजर दिखाया कि उसके लिये ऐसा अप्रिय मगर जरुरी निर्णय लेना पड़ा और उसे सेवानिवृत कर दिया गया. इस बात पर कोई विवाद की सुनवाई नहीं होगी. आप इसे तानाशाही मानें तो या लोकतांत्रिक मानें तो. वो रिटायर हो गया और अब नहीं आ सकता, बस्स!! चाहे लाख हल्ला मचा कर देख लो!! :)
और इन तूफानों को नाम देने के पहले उन्हें उष्णकटिबंधीय दबाव के कारण उठे हुये तूफान होना जरुरी है, तभी उन्हें नाम दिया जा सकता है.
तब अपनी बात आगे बढ़ाता हूँ कि क्यूँ न हम भी अपने चिट्ठाजगत में उठे विवादों को एक स्तर पर पहुँच जाने के बाद नाम देना शुरु कर दें. सब को सुविधा हो जायेगी. लोग उस नाम का लेबल अपनी पोस्ट में लगा लेंगे. सर्च भी आसान हो जायेगी. टिप्पणी में रेफर करना भी सरल. अभी टाईप के विवाद को रिटायर भी कर देंगे...सब साफ सुथरा, निर्मल और सरल. गैर तानाशाही, लोकतांत्रिक.
मैं प्रस्तावित करता हूँ कि फिल्म हिरोईनों के नाम पर इनका नामकरण किया जाये. सुन रहे हो, नारद!!!
रेखा नाम दे दें क्या इस नये वाले को-रिटायर करने की सुभीता को देखते हुये. :)
आप सबके विचार आमंत्रित हैं. :)
सोमवार, जून 18, 2007
सुनो नारद, अब हम बोल रहे हैं!!
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42 टिप्पणियां:
ये जी, रीता मेरी पत्नी का नाम है. नाम का दुरुपयोग आप चक्रवात के रूप में कर रहे हैं? समय आने पर देख लेंगे!
वैसे कभी-कभी पत्नीजी चक्रवात हो ही जाती हैं. पर वह अलग विषय है. अभी तो आप भविष्य में रीता नाम का दुरुपयोग नहीं करेंगे - यह संकल्प लें!!!
मज़ेदार स्टाइल में रोचक जानकारियाँ बाँटने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया!
इरादा अच्छा है,पर भाइ ये नाम सूट नही कर रहा,कुछ लोग जो लिखते जरुर हिन्दी मे है ,ना हिंदी फ़िलमे देखते है,ना ही हिंदी पढते है,अब उन्को समस्या होगी,उसके लिये फ़िर पोस्टो और टिप्पणियो मे नया झगडा शुरु होगा,तब फ़िर आप पोस्ट लिखोगे और तब नाम बदलने की राय दोगे,तो आज ही करलो ना,
अरे भाइ शुरु से को अग्रेजी नाम रख दो ना,भारतीय जन वैसे भी अग्रेजी चीजो पर सवाल नही करता है,लगता है कुछ खास ही होगा इसीलिये
ज्ञानी लोग अपनी बात मनवाने के लिये अकसर हिंदी वालो को गूढ अग्रेजी झिलवाते रह्ते है
:)
समीरजी,
बहुत बढिया मौके पर रोचक जानकारी दिये हैं, देखो इन ठण्डी हवाओं से जनता के मन की गर्मी शान्त हो ।
वैसे आपकी वाली बात सौ फ़ीसदी सही है, चर्चा शुरू कहाँ हुयी और घूमते घुमाते कहाँ पहुँच गयी । केवल एक अफ़सोस है, अभी तक किसी ने सेकुलरिस्ट या छद्म सेकुलरिस्ट लोगों को नहीं गरियाया तो थोडी कमी खल रही है :-)
मान्यवर अध्यक्ष महोदय, हम आपका समर्थन करते हैं, सदन में ज़ारी गहमा गहमी को देखते हुए आपका निर्णय ठीक है। राष्ट्रपति तो कलाम को ही दुबारा बनना चाहिए तथा विवाद नामकरण परंपरा प्रारंभ होनी चाहिए।
आज तक आपको मुझसे शिकायत रही की मैने आपके चिट्ठे पर कभी कोई टिप्पणी नही की!
इस लेख के साथ आपने फ़ाईनली वो कॉर्ड हिट कर दी है की टिप्पणी किये बिना रहा ही नही जाए! इस का मतलब ये नहीं की जिनके चिट्ठे पर टिप्पणी की उन्होंने वो कॉर्ड हिट ही की हो कई बार गलती से भी लोगो के इहां टिप्पणी हुई और टिपियाने के बाद अफ़सोस!
खैर .. सबसे पहले तो ये लेख पर बधाई हो!
अईसन है की अपने देसी हिंदी वाले बहुत महान हैं - विवादों के नाम दिये जाने में भी नामों के आरक्षण की मांग करेंगे भईये. इस में भी धर्म आधारित प्रतिशत बांधने की मांग होंगी. फ़िर उस में भी बोलेंगे की वो हक़ तो कलमचियों/चिलमचियों को ही मिलना चाहिए!
दर-असल आपकी अगली पोस्ट इस शोध पर ही बन सकती है की विवादों का नामकरण करने चलेंगे तो उसी पर कितने नए विवाद और होंगे, कितने प्रकार के होंगे. कितना छाती-कूटा और होगा.
वैसे मैने एक नया नियम बना दिया है घर में - जब भी किसी पोस्ट के टाईटल में नारद दिखे तो एक चवन्नी गुल्लक मे डालने का! दो गुल्लक भर गई हैं - तीसरी लेने जा रहा हूं. ;-)
गुड़ खाए और गुलगुले से परहेज :)
:):)...kamaal hain aap bhi [:)]
"बहुत मेहनती हूँ और इसीलिये अपने अथक प्रयासों से इसमें शामिल होने से अपने को रोक पाता हूँ."
आपकी मेहनत का अंदाजा लगा सकता हूँ। :)
"तब अपनी बात आगे बढ़ाता हूँ कि क्यूँ न हम भी अपने चिट्ठाजगत में उठे विवादों को एक स्तर पर पहुँच जाने के बाद नाम देना शुरु कर दें. सब को सुविधा हो जायेगी. लोग उस नाम का लेबल अपनी पोस्ट में लगा लेंगे. सर्च भी आसान हो जायेगी. टिप्पणी में रेफर करना भी सरल. अभी टाईप के विवाद को रिटायर भी कर देंगे...सब साफ सुथरा, निर्मल और सरल. गैर तानाशाही, लोकतांत्रिक."
सही है, इस तरह का काम टैक्नोराती टैग्स के जरिए सही तरीके से हो सकता है। इस विषय पर लिखने वाले सभी लोग अपनी पोस्ट को एक नियत टैग (तूफान/विवाद का नाम) दें। फिर निम्न लिंक पर सब पोस्टें देखी जा सकती हैं।
http://technorati.com/tag/टैग_का_नाम
उदाहरण के लिए गूंज की पोस्टें देखिए।
इस तूफानी समय में इतना अच्छा चक्रवातीय ज्ञान देने का शुक्रिया !
नहीं, इसका नाम 'शिल्पा' रखना ठीक रहेगा !
रोचक जानकारी. आज पता चली नामांकरण प्रक्रिया के बारे में.
ना... रेखा वेखा नहीं...
कुछ ग्लेमरस नाम देते हैं.. वैसे तो रेखा भी कालजयी ग्लेमर तो है, पर उनके नाम को क्यों खराब करें.. कुछ राजनेताओं को पकड लेते हैं.. वैसे भी उनके नाम में क्या रखा है..
तो आगे से विवादो के नाम मोदी, मुलायम, क्वात्रोची, अमर सिंह, जयललिता, सोनिया इसतरह से रखते हैं..
इस बार के फालतु के विवाद को मोदी नाम दे देते हैं.. शुट करेगा. :)
सबकी सुनते सुनते अब आपकी भी सुन ली ...हमें तो लगता है कि हम केवल सुनने के लिये ही बने हैं...:-) घर में बीबी,ऑफिस में बॉस और ब्लौग में मित्र.... सभी सुना रहे हैं... चलो जी अच्छा है....
वाह, इसे कहते हैं गुरु का इश्टाईल!
शुक्रिया!!
वस्तुतः उड़न-तश्तरी जैसी ही उत्सुकतापूर्ण जानकारियाँ हैं। तूफानों / आँधियों के नाम पूतना, सूपर्णखा, लंकिनी आदि रखें तो कैसा रहे?
अमरीका-समरीका विवाद (जिसमें सागर पुनः टंकी पर चढ़े थे
नहीं भाई साहब इस में पुन: शब्द गलत लिख दिया है, यह ही मुआ विवाद था जिससे हमने टंकी पर चढ़ने की स्वस्थ परंपरा डाली थी :)
पहले तो लोगों को यह परंपरा रास नहीं आई थी, पर लगता है यह परंपरा अब सबको भाने लगी है, पिछले हफ्ते में पता नहीं कितने लोग टंकी पर चढ़ गये हैं और कूदने को उतावले हो रहे हैं, सुनता हूँ एक तो कूद भी गये।
आप रेखा यानि किसी एक धर्म विशेष की अभिनेत्री का नाम इस विवाद को देकर एक नये विवाद को जन्म दे सकते हैं, आपको विवाद का नामकरण करने के लिये बिन सांप्रदायिक नाम ढूंढना होगा। :)
हमेशा की भाँति मजेदार लेख।
चलिए इसी बहाने तूफानों के नामकरण के बारे में पता चल गया। बहुत महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी है।
इसी बहाने खुद को बेहद गैर लोकतांत्रिक, तानाशाही्...वाले तरीक से चिट्ठाजगत हेरिकेन सेंटर का मुखिया कह डाला्...नहीं चलेगा...सुनवाई होगी।
वैसे भी हमने आपको उस वाले विवाद में उस समय चेता दिया था कि आप तट पर स्थित (टोरंटों में जो भी नदी नाला हो उसके) रहने की प्रवृत्ति छोडिए वरना समय क्या करेगा आपको मालूम ही है।
भारत में भी इस प्रकार के तूफान नामकरण का काफी स्कोप है। यदि कोई मौसम विज्ञानी पढ रहे हों तो मेरा प्रस्ताव मल्लिका रहेगा। जब स्क्रीन पर आती हैं तो लगता है बाकी सब बरबाद हो गया :)
आपकी लेखनी रोचक है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
रेखा तो आजकल निर्मल जल सी शान्त रह रही है, उसे क्यों विवादित करते हैं समीर जी;
इसके लिये एक वैकल्पिक नाम राखी सावन्त कैसा रहेगा. दोनों ही तुलाराशि हैं. सोच लीजिये
जानकारी की मज़ेदार स्टाइल मे प्रस्तुति, अति उत्तम सुझाव के साथ, बधाइयाँ।
नाम तो आपने दे दिया...पर ये देख लीजियेगा कि रवि जी कहीं नाराज ना हो जायें ...
...
वैसे ये भी हो सकता है कि बहुत खुश हो जायें :)
तूफानों के बारे में नई जानकारी।
संदर्भ चिट्ठों का।
ये आप ही कर सकते हैं।
sameer bhai!
it is brilliant...simply!
you have really hit the chord of the issue...sattire at it's best!
i too hope that people will understand the real meaning behind ur jest.
thnx!
sorry for not writing in hindi...but not my fault...typepad's!:)
तरकश से क्या तीर निकाल के चलाया है मजा आ गया |
समीर जी,
आपकी पुरानी पोस्ट का ट्रेंड देखते हुये हम पूरी इस आस में पढते गये कि आखिर में एक हास्य कविता के दर्शन होगें मगर आप ने सिर्फ़ रेखा कह कर टरका दिया.
इस नाम के साथ जो भी नाम जुडा है वो अल्लाह को प्यारा हो गया है सोच लीजियेगा
वाह, बढ़िया जानकारी दी है, मैं भी सोच ही रहा था कि जनाना नाम काहे दिए जाते हैं इन तूफ़ानों को!! ;)
वाह क्या बात है ! स्त्री मुक्ति वालों से अलग एक खेमा अब माँग करता है कि पुरुष नाम सिर्फ़ चॉकलेटी हों ।
तुफानो के नामकरण मे आरक्षण का विवाद पहले भी खड़ा हो चूका है।
कुछ लोगो ने मुद्दा उठाया था कि तुफानो के नाम श्याम वर्ण के लोगो के प्रचलित नाम के क्यो नही रखे जाते !
:)
नाम आप जो सुझा रहे हैं, उस पर फ़िर विवाद इक होले
हम बोलेंगे नाम सभी के, कोई और नहीं फिर बोले
सारे नाम हमारी गलियों और मोहल्ले से चुनने हैं
रजामन्द जो न हो हमसे, लंबी तान ओढ़ कर सोले
हिन्दी चिट्ठा संसार के लिये क़तई ओरिजिनल आईडिया लाये हो समीरानन्द महाराज!
मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ। इसके अनेक फायदे और भी हैं। अभी से ही सूची बनायी जाय भविष्य के विवादों की।
यह भी प्रयास किया जाय कि और भी विवाद हों - पर सभी एक ही नहीँ, कुछ अंतराल के बाद, ताकि अधिक से अधिक नामों का प्रयोग हो। इसके बाद जितेंद्र जी फिर बनायेंगे इनसे संबंधित चिट्ठों की मेरिट लिस्ट, और फिर और भी नये आईडिये आयेंगे और कुछ व्यावसायिक संभावनाएं भी हो सकती हैं, मसलन विवादों के प्रायोजक वगैरह...
कुल मिला कर बेहतरीन और अति संभावनाओं वाला क्षेत्र होगा यह!
पढ़ लिया सबेरे ही। दिन भर डरे रहे कि कहीं कोई तूफ़ान न आ जाये। अब डर से निकले तो टिपिया के फिर से डरने लगेंगे! :)
बढ़िया लिखा है लेकिन पता नहीं चल पाया कि यह योजना तथाकथित तानाशाही का समर्थन करती है या गाली देने की कला में निपुण लोकतन्त्रवादिओं का।
ज्ञानदत्त जी
भौजी का नाम भूले से जुबान पर आ गया मालूम न था, कहो तो इस निगोडी जुबान को काट दें. वैसे संकल्प लेते हैं, अब न आयेगा. काहे से कि अब जान गये हैं. चाहे लाख चक्रवात आ जाये. :)
हिन्दी ब्लॉगर जी
आभार, आपको अच्छा लगा.
अरुण
चलो जैसा भी रहा, तुम्हारी जिंदाबाद संबल देती है. :)
नीरज
:) अच्छा लगा तो लिखना सार्थक हुआ.
अभिनव
इसको जाने दो, वैसे तुम आ जाते हो, तो समां बंध जाता है. :)
ई-स्वामी
अब लगा कि कुछ लिखा है पहली बार. महाराज के तार झंकृत हुये. कोशिश करता रहूँगा.
आभार पसंद करने का. आपके सुझाये शोध पर विचार कर रहा हूँ :)
महाशक्ति
तुम्हारे रहते काहे की परहेज :)
रंजू जी
सच में?? आभार. :)
श्रीश भाई
हा हा!! आप आते हो , तो माहौल बनता है. पोस्टें देख लीं.
:)
मनीष भाई
बहुत आभार...अच्छा लगा आप आये.
अनुनाद भाई
चलो, जो दिल करे रख दो...बस नाम दे दो यही इच्छा है :)
संजय भाई
अरे, कुछ नया परोस पाये, अच्छा लगा. :)
पंकज
जब फाइनालिज करेंगे तब तुम तो कमेटी में होगे ही..फिर काहे चिंता करना :) तब देखेंगे.
काकेश भाई
हमारी सुनने का आभार. अब क्या करें आपकी किस्मत का...सिर्फ प्रार्थना कर सकता हूँ और सच मानो, रोज करता हूँ कि आपकी स्थितियाँ सुधरें.
संजीत भाई
आभार, मित्र.
हरिराम जी
आपका आना बहुत बड़ी हासिल है, अब जो कहो वो किये देते हैं..बस आते रहो.
:)
सागर
गल्ती हो गई. सुधार मंजूर किया गया, यह तो तुम्हारा पेटेंट है :)
बाकि पसंद करने का आभार..बहुत हिम्मत बढ़ जाती है.
सत्येंद्र भाई
बहुत आभार. :)
मसिजीवि भाई
चेतावनी याद है, झेलेंगे भई..और आप तो हमारा साथ देबे करोगे..वाना घर से प्रेशर डलवायेंगे. बाकि तो हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाया है, तो आज भी वही कर गये..आभार.
राजेश
आपके प्रस्ताव पर विचार जारी है पूरी दमदारी से. :)
राजीव भाई
बहुत भयंकर आभार ऐसा कहने के लिये. :)
मैथली मेरे भाई
आप तो हमारे हम उम्र हैं आपके समर्थन का इंतजार था..खैर कोई बात नहीं, जो कहो, वो वह मान्य हमेशा की तरह. :)
मिश्र जी
हद से उपर आभार.
नितिन भाई.
लगता है खुश हो गये, क्या सोचते हो टिप्पणियों को देख कर, बताना जरा. :)
अतुल
अरे, तुम तो मेरे टॉनिक हो..बहुत आभार...अच्छा लगता है तुम आते हो तो.
दिव्याभ
हमेशा की तरह तुमसे उत्साह मिलता है. बस यूँ ही आते रहो और बताते रहो. :)
विवेक
आभार मित्र..तरकश के सारे तीर ऐसे ही तीखे हैं...बस महसूसने की बात है :)
मोहिन्दर
सॉरी..आगे से ध्यान रखूँगा...वैसे भी फिर भी पसंद करने के लिये आभार. :)
अमित भाई
चलो जानकारी मिल गई, हम कुछ काम आ गये.. :)
अफलातून जी
जो चाहो मोर्चा निकालो. हमें तो मानना पडेगा..आप हमारे खास जो हैं ..हा हा..हम क्यूँ न मानेंगे. :)
आशीष
श्याम वर्ण में तो हमारे नाम से शुरु होगा और तुम पर खत्म....स्कोप कम ही दिखे है. चलो, फोन पर बात करेंगे.
राकेश भाई
आप तो बस आशीष देते चलो..हम अधिनस्त लिखते चलेंगे.
राजीव भाई
आभार, आपने पहचाना. प्रस्ताव के समर्थन के लिये आभार...थोडा थोडा करके भीड़ बढ़ जायेगी. बाकि विवादों की कोशिश पुरजोर की जायेगी, साथ देना. और यह बताना क्या किया जाये..आप तो हमारे हो बता दो न!! :)
अनूप भाई
क्या डरना...लिख तो दिया ही था...जो होता देखते. खैर, बहुत आभार!! :)
लक्ष्मी भाई
बहुत आभार...जरा और गहराई में जाओ न भई!!
बहुत अच्छा लिखा है समीर जी आपने..वक्त का तकाजा यही है.
आभार आपका है साधवी जी.
यह पोस्ट देर से पढ़ पाया। बेहतरीन लिखा है।
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