शनिवार, अप्रैल 02, 2022

रिंग टोन: खोलती है राज आपके व्यक्तित्व का

 


कनाडा से इतर भारत में हर दूसरा मोबाईल फोन, रिंग टोन में गाना बजाता और सुनाता है. अब की भारत यात्रा में तरह तरह की रिंग टोन सुनते और उससे जुड़े फोनधारक के व्यक्तित्व का अध्ययन करते जो परिणाम आये, वह जनहित में प्रकाशित कर रहा हूँ. पुनः आप जैसे अपवादों को छोड़ कर:

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

रिंग टोन रखने वाले लोग ऐसे लगे जैसे हजार पाप कर के गंगा जी में में डुबकी लगा कर समस्त पापों से मुक्ति पा लेने का आभास पाले पुनः नये पाप करने निकल पड़े हों. हर आने वाले फोन पर पिछले फोन काल पर किये पापों से मुक्ति और नये पाप करने का मार्ग सुद्दण होता नजर आता है इन्हें.

मेरे महबूब कयामत होगी, आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी

ये वो फ्रस्टेटेड बन्दे हैं जिन्हें इस बात पर कोई भरोसा ही नहीं कि उनकी मोहब्बत भी कभी कामयाब हो सकती है. उन्होंने वैसे भी अपनी मोहब्बत कभी कामयाब होने की तमन्ना से की भी नहीं. मानो और कुछ न सूझा और पिता जी लतिया रहे हों तो एल एल बी कर ली. फिर कहते फिर रहे हों कि वकालत दिमाग नहीं दलाली का काम है और वो हम से न हो पायेगा. अपना इन्फिरियारीटी काम्पलेक्स छिपायें भी तो भला कैसे?

बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है

ये हर वक्त आलस्य की रजाई ओढ़े वो अलाल लोग हैं जो अपना काम दूसरों पर टालने में माहिर होते हैं. खुद कुछ करना नहीं. अरे प्रभु, महबूब तुम्हारा आ रहा है तो फूल भी तुम ही बरसाओ, बहारों को क्यूँ घसीटते हो. उनका काम फूल खिलाना और उसकी महक फैलाना है और तुम हो कि अपना काम उन पर डाले दे रहे हो.

सुन रहा है न तू, रो रहा हूँ मैं

ये महाराज अपनी प्रेमिका और पत्नी से झूठ बोलने में महारत हासिल कर चुके हैं. रो वो कुछ नहीं रहे हैं. दोस्तों के साथ ही बैठे बीयर पी रहे हैं और जैसे ही रिंग टोन बजी. बस, मानो कि किसी गायक को हारमोनियम पर किसी ने स्केल दे दिया हो. साआआ और फिर उसी स्केल पर इनका गीत शुरु. जानूं, सुन रही हो न, आई एम मिसिंग यू सो मच और यह बोलते हुए भी, पठ्ठा दोस्तों आँख मार कर बता रहा है कि उसका फोन है.

सीटी बजने की आवाज

सारी जिन्दगी सीटी बजाकर किसी को पलटवाने की ख्वाहिश पाले वो भयभीत इन्सान जिसे आजतक ठीक से सीटी बजाना भी नहीं आ पाया कभी. बस, इसे ऐसा समझे कि हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले. दम तो खैर क्या निकलता. हर काल पर अब सीटी जरुर निकल जा रही है.

पुराने जमाने वाले फोन की घंटी. ट्रिन ट्रिन.

काश!! कि वो दिन लौट आयें. हमारा जमाना ही कुछ और था, का नारा बुलंद करने वाले और नये जमाने से साथ कदम ताल न मिला सकने की वजह से पुराने जमाने के पल्लु में मूँह छिपाये उसी फोन की ट्रिंन ट्रिन सुन रहे हैं. इनके पास उस जमाने के किस्सों के सिवाय कुछ भी नहीं.

वाइब्रेशन मोड में हूम्म्म्म्म्म, हूम्म्म्म की आवाज करता फोन

न छिपा पाये, न बता पाये. बस यूँ ही हूम्म्म हूम्म में जिन्दगी बिता आये. अरे, इत्ता तो सोचो कि उपर जाकर क्या जबाब दोगे. न घंटी बजी और न ही चुप रहे. ये बड़े खतरनाक टाईप के लोग होते हैं मानो कि कोई निर्दलीय उम्मीदवार. क्या पता कब सरकार का समर्थन कर दे या कब विरोधियों के खेमे में जाकर सरकार गिरा दे.

साईलेंट मोड पर रखा हुआ फोन

अपने हक की भी तिलांजलि दिये हर हाल में कम्प्रोमाईज़ किये. बेवजह खुद को खुश दिखाने वाले और अन्दर से इतना मायूस कि कहीं कोई उनकी खुशी देख कर नाराज न हो जाये. इस हेतु आने वाले फोन को झुठलाते लोग. जो बाद में उन्हीं मिस हुये कॉलों को फोन करके माफी मांगेगे कि भाई, कहीं व्यस्त था जरा!! सॉरी!

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में

ये रिंग टोन उन सब फोनों में बज रही है जिन्हें आज भी स्व विकास की उम्मीद सरकार से है. खुद तो वो बस आँख मूँदे भक्ति में लीन हैं अपना जीवन सरकार के हाथ में सौंप कर और सरकार भी जानती है कि इनकी आँखें ही नहीं दिमाग भी मूँदें है तो चला रही है अपनी मनमर्जी.   

खैर!! और अनेकों रिंग टोन सुनाई पड़ी, जैसे बेबी डॉल मैं सोने की.

उनका व्यक्तित्व आप आंकिये.

-समीर लाल समीर

भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार मार्च  27, 2022 के अंक में:

http://epaper.subahsavere.news/c/67206068

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4 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ज़बरदस्त शोध । हमने तो इनबिल्ट वाली ही लगा रखी ,खुद को कहाँ फिट करें यही सोच रहे ।

Unknown ने कहा…

आपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा, और यहाँ आकर मुझे एक अच्छे ब्लॉग को फॉलो करने का अवसर मिला. मैं भी ब्लॉग लिखता हूँ, और हमेशा अच्छा लिखने की कोशिस करता हूँ. कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आये और मेरा मार्गदर्शन करें.
shabd.in

Pammi singh'tripti' ने कहा…

बढ़िया विश्लेषण।

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया
शोध में अभी बहुत गुंजाईश है