रविवार, अक्तूबर 07, 2018

कृपा कहाँ अटकी है, कौन जाने?


यूँ तो हर त्यौहारों पर घर की सफाई की परम्परा रही है किन्तु दीवाली पर इस साफ सफाई का जोश कई गुणित रहता है. कहते हैं कि लक्ष्मी जी आती हैं और अगर घर में गंदगी देखती हैं तो बिना कृपा बरसाये लौट जाती हैं. ऐसे में भला कौन रिस्क ले कि सिर्फ गंदगी के कारण धन दौलत मिलने का मौका हाथ से जाता रहे.
रुपया किसे नहीं चाहिये? और उसके लिए साल में एक दिन साफ सफाई करने से कौन गुरेज करेगा. फिर उसके बाद भी अगर रुपया न मिले तो उसकी जिम्मेदारी फूटी किस्मत की. कम से कम लक्ष्मी जी को ये तो कहने को नहीं रहेगा कि सफाई नहीं की, इसलिए रुपये न भेज पाई.
अच्छा है लक्ष्मी जी राजनीति में नहीं हैं वरना रकम न पहुँचाने के क्या क्या बहाने खोज रहीं होती? आखिर जिसने भी इस तरह की आस्था को बुजुर्गों से सुनकर उन्हें पूजा है, वो बदले में प्रसाद तो चाहेंगे. कतई आश्चर्य न होता अगर सुनने में आता कि उल्लु की तबीयत खराब हो गई थी इसलिए नहीं आ पाई या कहतीं कि पुराने नोट बदली नहीं हो पाये इसलिए डिलिवरी नहीं हो पाई या मंहगाई का रोना रो देती कि खुद का ही खर्चा चलना मुश्किल हुआ है तुमको क्या पहुँचायें. वैसे तो वो रकम न पहुँचाये जाने के आरोपों पर चुप्पी ही साधना बेहतर समझतीं.
आज के प्रभु अपनी आस्था का विषय जुमले के रुप में खुद ही घोषित करते हैं. बुजुर्गों को सुनने का जमाना अब रहा नहीं. वो मात्र मार्गदर्शक मंडल की शोभा बढ़ाते हैं. अतः अब प्रभु स्वयं बताते हैं कि तुम मुझे वोट अर्पित करो, मैं तुम्हारे खाते में १५ लाख भेजूँगा. जब वोट मिल जाते हैं तो फिर वहीं टंटा. सफाई नहीं दिख रही है और मामला रुपयों का है. तो सारे इन्तजारकर्ताओं को सफाई की पुड़िया दी जाती है, स्वच्छता अभियान के रुप में. जब साफ सफाई होगी तो ही न लक्ष्मी जी आवेंगी.
अब सारा देश स्वच्छता अभियान से जुड़ा सफाई में लगा सेल्फी खिंचवाये पड़ा है कि शायद प्रभु सेल्फी देखकर ही प्रसन्न हो जायें और १५ लाख खाते में आ जायें. सेल्फी इस बात की सुविधा देती है कि किस एंगल को दिखाना है और किसे नहीं? सेल्फी के चक्कर में न जाने कितनी फेसबुक प्रोफाईल वॉव लुक पर वायरल हुई जा रही हैं मगर ये १५ लाख का मामला बस १० -२० दोस्तों के सिवाय किसी और के लिए वायरल हो नहीं पा रहा है.
स्वच्छता अभियान के चक्कर में, लोग जो काम साल दर साल से करते आये हैं उसमें बस एक नया एंगल आ गया है कि अब इसकी सेल्फी खींची जा रही है और फेसबुक पर टाईम लाईन अपडेट कर दी जा रही है. दीवाली सफाई हैशटैग #स्वच्छता अभियान, #दीवाली, #लक्ष्मी जी, #मोदी जी, #कालाधन, #आरबीआई, #नोटबंदी, #गुलाबीनोट, #उल्लु जी. उम्मीद यह रहती है कि कहीं भी अगर फिट हो जाये तो कृपा खुल जाये. निर्मल बाबा की तर्ज पर यह सोच बदली है कि कृपा जाने कहाँ अटकी हो? कोशिश हर तरफ करनी होती है.
वैसे ध्यान देने योग्य बात यह भी है बात सफाई की है और हैशटैग हुए उल्लु, वो भी उल्लु जी के नाम से. आखिर मजबूरी में गधे को भी बाप बनाना पड़ता है, ऐसी कहावत है. ऐसे में अगला प्रभु कौन होगा, कहना मुश्किल है मगर नाम लेना उचित नहीं. सब मौके की बात है. न जाने कौन सी आस्था की झीर फूट पड़े और स्वच्छता की सेल्फी किसी और एंगल से लेने का फैशन चल पड़े.
परिवर्तन संसार का नियम है.
इन्तजार किजिये एक नये आयाम का,
नये समय के नये सफाई अभियान का.
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित सुबह सवेरे के रविवार अक्टूबर ०७, २०१८ में:


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3 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-10-2018) को "ब्लॉग क्या है? " (चर्चा अंक-3119) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सटीक बात। एक छोटी सी रिक्वेस्ट है। ब्लॉग का फॉन्ट थोड़ा सा बड़ा कर दीजिये। पढ़ने में आसानी होगी।

Udan Tashtari ने कहा…

@विकास नैनवाल : कोशिश की बदलने की, बदल नहीं रहा. फिर कोशिश करता हूँ.