पड़ोसी से संबंध अच्छे नहीं
हैं,
कहना भी संबंधों की लाज रखने जैसी ही बात है. दरअसल संबंध इतने खराब
हैं कि दोनों ही ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते, जब वो दूसरे को
जान माल का नुकसान पहुँचा सकें. पड़ोसी के घर शादी की खबर सुन कर फिर भी आदतन
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तर्ज पर नाचना शुरु हो जाता है. मालूम है कि
न तो शादी में आपको बुलाया जायेगा और न ही शादी के बाद आपसे कोई संबंध अच्छे बना
लिये जायेंगे. मगर फिर भी मात्र इस बात के कारण हुई शांति को कि शादी निर्विघ्न
संपन्न हो जाये और उसके बाद लड़की की विदाई और अगुवाई में कोई बाधा न पड़े, अच्छे संबंधों की तरफ उनके बढ़ते कदम मान लेने की गल्ती हर दफा करते नजर
आते हैं और फिर लड़ाई पर उतर आते हैं. पकवान न सही, उसकी महक से ही तर हो लेते हैं.मजा
आता है.
मजे काटना हमारे डीएनए में
है. मजे हम पान की दुकानों पर काटते हैं, मीडिया की डीबेट में काटते
हैं. संसद में भाषण देते हुए काटते हैं. चुनाव लड़ने में काटते हैं. चुनाव जीत कर
काटते हैं. चुनाव हार कर काटते हैं.
आश्चर्य तब होता है जब लोग
मजे काटने में इतना लिप्त हो जाते हैं कि उन्हें किसी की जान बचाने की परवाह से
बढ़कर उसके मरने का विडिओ बनाना ज्यादा जरुरी लगता है. दिल्ली के चिड़ियाघर में जब
एक बालक शेर के पिंजरे में गिर गया था तो तमाम लोगों ने हर एंगल से १५ मिनट का तब तक
उसका विडिओ बनाया, जब तक की शेर ने उसे मार नहीं दिया. कोइ भी बंदा रस्सी लटकाते,
कुछ बचाने का इन्तजाम करते नजर नहीं आया. फिर मजे काटने के लिए दिन भर उसे जगह जगह
फॉरवर्ड करते रहे. ऐसी ही न जाने कितनी घटनायें रोज हो रही हैं. लोग मजे ले रहे
हैं.
एक भीड़ बंदों को पीट पीट
जान से मार डाल रही है और तो दूसरी एक भीड़ उसका विडिओ बना कर मजे काटने का जुगाड़ बना
रही है मगर वो भीड़ न जाने कहाँ गुम है, जो उस बंदे को बचाये. फिर सब इसे मॉब
लिंचिंग का नाम दे देते हैं और नेता ऐसे करने वालों पर आगे से कड़ी कार्यवाही का
उदघोष कर फिर अगली घटना के इन्तजार में लग जाते हैं. मीडिया सर पीट पीट कर डीबेट
करा कर अलग मजे लूटती है.
मजे लूटते लूटते अब हमारी
संवेदना भी लुप्त होती जा रही हैं. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है, जब तक बात
खुद पर न आ जाये. हम भी किसी के खींचे हुए विडिओ को फॉरवर्ड करने में व्यस्त हैं.
जिन बातों से हमें कुछ
लेना देना नहीं, बल्कि नुकसान ही होना है, उसमें भी हम मजे लेने लगते हैं. चुनाव
पाकिस्तान के, खुश हम हो रहे हैं कि वो हमारे प्रधान मंत्री जी की तारीफ कर रहा
है. मीडिया डीबेट सजाये बैठा टीआरपी लूट रहा है. पाकिस्तान के चुनाव का एनालिसिस
पाकिस्तान से ज्यादा हमारे यहाँ हो रहा है. ७१ सालों में न जाने कितने चुनाव हो
गये, कभी उनसे न तो संबंध सुधरे और न ही दोनों तरफ से कोई कठोर कदम उठाये जाते हैं
इस दिशा में. दोनों के लिए मुफीद है संबंधों का खराब रहना. दोनों को ही चुनाव
जिताने में काम आता है आपसी संबंधों के सुधार का जुमला. कड़े कदम उठाने की बात इतनी
कड़ी है कि कदम उठते ही नहीं कभी.
यह वैसा ही है जैसे कि
गरीबी हटायेंगे, बेरोजगारी मिटायेंगे आदि. गरीबी हटा देंगे तो अगले चुनाव में वोट
कहाँ से लायेंगे? बेरोजगारी मिटा दें तो अगले चुनाव में रैलियों में भीड़ कहाँ से
जुटायेंगे? पड़ोसी मुल्क से संबंध सुधार हो जाये तो फिर देश के अन्य मसलों से जनता
का समय समय पर ध्यान भटकाने के लिए बमों की फोड़ा फाड़ी का कार्यक्रम कहाँ संपन्न करायें?
उधर भी नये प्रधान आ गये
हैं. उनकी जुमलेबाजी भी जारी है. भारत एक कदम बढ़ाये तो हम दूसरा बढ़ायेंगे.
अब इसका अर्थ क्या है और
कौन से कदम को पहला मानेंगे? किस तरह से मानेंगे? यह मजा
लूटने का मुद्दा है. खूब डीबेट चल रही है. सोशल मीडिया पर भक्त इसे साहब से
प्रभावित होकर दिया गया बयान बता रहे हैं और कह रहे हैं कि अब पड़ोसी मुल्क से
संबंध सुधर कर ही रहेंगे और जो कोई उनकी इस बात का विरोध कर रहा है कि संबंध नहीं
सुधर सकते, उसे पाकिस्तान चले जाने की सलाह दे जा रहे हैं.
अजब विरोधाभास है. मजा
काटने के चक्कर में हम कर क्या रहे हैं, कह क्या रहे हैं, यही नहीं पता.
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित दैनिक
सुबह सवेरे में रविवार जुलाई २९,२०१८ के अंक में:
#Jugalbandi
#जुगलबंदी
#व्यंग्य_की_जुगलबंदी
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
#Hindi_Blogging
3 टिप्पणियां:
रोज-मर्रा की जिंदगी के अपवादों में से धागे चुनकर बहुत ही नाजुकता से सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतर-राष्ट्रीय विवादों में पिरोआ है। आपका हर लेख आत्मचिंतन के लिए बाध्य पकार्टा है कि चर्चित विवादों के लिए हम कितने जिम्मेदार है और हमें सुधर करना है। राजनीती वर्तमान स्थिति कितने है ?
विगत दिनों में उड़न-तश्तरी की वर्ष गाँठ थी , बहुत- बहुत बधाई और आशा करता हूँ कि आपकी लेखनी बुद्धिजीवियों वैचारिक क्रांति लाने में सफल होगी.....
Bahut sateek lekh aapko meri bahut bahut badhai or hardik shubhkamnayen.
सर आपकी लेखनशैली से मैं बहुत प्रभावित हूँ।कितनो भी गम्भीर मसले को आप जो सटिकता से मज़ाकिया अंदाज में स्पर्श करते हैं।अपने आप में अद्भुत है।आपका फैन हो गया हूँ गुरूजी मैं तो जब से आपके ब्लॉग में प्रवेश किया हूँ
एक टिप्पणी भेजें