दिखता है खुली
आँखों विकास. न!! वो जुमले वाला नहीं..दूसरा वाला और वो भी २०१४ के बाद वाला नहीं..जो अनवरत होता ही
रहता है वो वाला.
कभी रेडिओ पर
गाने सुना करते थे, फिर ट्रांजिस्टर पर सुनने लगे, फिर स्पूल वाले टेप रिकार्डर पर सुने, ग्रामोफोन पर
सुने. फिर एल पी पर सुने..और ज्यादा विकसित हुए तो कैसेट वाले टेपरिकार्डर पर सुने. विकास होता गया. वॉक मैन, आई पॉड, सीडी, डीवीडी, एमपी३..सब आते, अपनी
अपनी विकास गाथा सुनाते और इतिहास का हिस्सा बनकर गुम हो जाते.
पहले कोयले के
इंजन वाली पैसेन्जर ट्रेन से चला करते थे खरामा खरामा जिस दूरी के लिए तीन तीन दिन
तक, वो विकसित होते होते तूफान और राजधानी एक्स्प्रेस जैसी फटाफट ट्रेनों के
माध्यम से एक दिन में पूरी होने लगी.. सुना है बुलेट ट्रेन आने वाली है, उसमें तो चढ़े नहीं कि उतरने की लाईन में लग
जाने वाली स्पीड बताते हैं. मगर अब तक सुने सुने ही हैं, देखे नहीं हैं इसलिए यह जुमला निकल जाये, तो कोई गारंटी
नहीं. आज ही किसी ने आर टी आई करके पता किया तो मालूम हुआ कि बुलेट ट्रेन खरीदने का
तो कोई एमओयू ही नहीं हुआ है अब तक.
कम्प्यूटर को ही
देख लें, ऐसा विकास कि कमरे की साईज वाले कम्प्यूटर से भी कई गुना ज्यादा ताकतवर
कम्प्यूटर आपकी गोदी में लैपटॉप बने बैठा है.
वैसा ही विकास आज
इंसानी मानसिकता में हुआ है. मुझे याद है कि हमारे समय के दलित नेता एवं कांग्रेस में
केन्द्रीय मंत्री रहे नेता जो बिहार के सासाराम से आते थे, उनके सुपुत्र के पोस्टर पूरे देश में प्रिंट
करके दिवालों पर लगाये गये थे. किसी लड़की के साथ आलिंगनबद्ध हुए और केन्द्रीय मंत्री जी
से इस्तिफा मांगा जा रहा था. पोस्टर देखकर लोग कहते थे कि हाँ, लग तो कोई लड़की ही रही है. मने लग भर जाना काफी था, दिखना दिखाना तो दूर की बात.
इस फील्ड में
विकास भरपूर हुआ और अब तो खुले आम विडिओ सीडी भी दिखा दो तो लोग मुकर जा रहे हैं
कि ये डॉक्टर्ड है. दिल्ली सरकार के मंत्री जी की सेक्स कांड वाली सीडी देखकर
तो लगता था वाकई सेक्स काण्ड है. प्रिंट के जमाने में लोग इस्तिफा मांगते थे, आज विकसित
जमाने में लोग मांगते तो जरुर हैं मगर इस्तिफे की जगह सीडी. जिसे देखो वो ही मांगता था कि है क्या वो वाली
सीडी? उसमें सेक्स सीडी वाला कंटेंट था और कटेंट तो राजा होता है. ये अलग बात है
उसे भी झुठलाया जाता रहा वो भी उनके द्वारा जो उसको चटखारे लेकर देख रहे थे.उनकी पार्टी की
आंतरिक लोकपाल समीति भी वो सीमित ५ मिनिट की सीडी ३ घंटे देखती रही. ये होती है
कला सीडी बनाने की.
अब आया है
हार्दिक पटेल का सेक्स सीडी काण्ड...कंटेंट के नाम पर शून्य.. बड़े चाव से लोग देखने जा रहे हैं और सेक्स छोड़
कर सब पाकर लौट आ रहे हैं मायूस होकर..कहने लगे कि इसमें तो कुछ है ही नहीं.. कोई पार्ट २ भी
है क्या? हमने पूछा कि क्या देखने गये थे तो शरमा गये, कुछ बोले ही नहीं..बस इत्ता कहा कि इनने बेवकूफ बना दिया इसमें भी
फिर से...
ये भी जुमले जैसा
ही निकला...दरअसल जिज्ञासावश हम भी देख आये..कोई हार्दिक जैसा दिखता शक्स..चलो, माना कि हार्दिक ही होगा..किसी लड़की के साथ एक कमरे में है..उसके फोन पर
दोनों कुछ देख सुन रहे हैं और हम सांस थामें देख रहे हैं कि अब क्या होगा..आखिर सेक्स सीडी
है ..फिर एकाएक कमरे में अँधेरा हो जाता है और फिर गुलाबी सी रोशनी..और कोई दो शक्स
कैमरे के सामने से नीचे होते हुए बिस्तर में खो जाते हैं. कहो सो ही गये हों..
नींद ही न लग गई हो.. मगर लगे
हल्ला मचाने कि ये देखो सेक्स सीडी...इतनी निराशा तो पुरानी फिल्मों में भी न होती थी..जहाँ ऐसे मौके पर
दो तोता तोती चोंच भिड़ाने लगते थे संकेतात्मक प्रक्रिया के लिए...मैं सोचता हूँ कि
ये अगर सेक्स सीडी है तो इससे बेहतर तो कोई यू सर्टिफिकेट फिल्म ही देख लो, इस
लाईन का बेहतर कन्टेट तो उसमें मिल जायेगा.. आखिर सेन्सर बोर्ड है ही क्यूँ?? और वो देखता क्या
है?
खैर, आप पूछोगे इसमें
विकास की क्या बात? इसे उससे क्यूँ जोड़ रहे हैं?....
तो ऐसा है कि यह
अपवाद सा हो लिया है...जबकि हर क्षेत्र में विकास हो रहा है...सेक्स काण्ड प्रिंट से विकसित होकर सीडी में
अटक गया है..हर बार जब भी सेक्स काण्ड का भंडाफोड़ होता है..सीडी ही जारी होती है...अरे भई..विकास की इस यात्रा में अब डीवीडी जारी करो..एमपी ४ जारी करो..वही सीडी पर अटके
हो..क्यूँ?
एक विकास जो साफ
नजर आता है वो है टर्मिनोलॉजी का..सेक्स सीडी ये लोग अब यूट्यूब पर अपलोड नहीं करते..बल्कि वायरल करते
हैं.
जुमला देखें..हमने इनकी सेक्स
सीडी यू ट्यूब पर वायरल कर दी है..
हे प्रभु..आपका काम अपलोड
करना है और देखने वालों का काम वायरल करना है...इतना तो समझो.
मानो सेक्स सीडी
न हो..कोई ईवीएम हो..कि ठान कर बैठ गई हो कि बस इनको ही जीताना है...वोटर चाहे कुछ भी
कहे!! वोट इनको को ही पड़े...इनके वोट वायरल कर डालती है ईवीएम..
उम्मीद है कि
जल्द ही एक विकास का झटका और लगेगा और कल कोई सेक्स डीवीडी जारी होगी...
बस!! भाई जी..मेरा एक निवेदन
है कि क्वालिटी क्रिस्प रहे वरना नेता तो गये तेल लेने...आमजन निराश होता है!!
दैनिक सुबह सवेरे भोपाल के सोमवार नवम्बर २०, २०१७ के अंक में प्रकाशित:
http://epaper.subahsavere.news/c/23843541
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1 टिप्पणी:
विकास का एक रूप यह भी तो है कि आपके लेख प्रकाशित होते ही टिप्पणी तैयार रहे
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