आज कहीं अखबार की कटिंग पढ़ी कि अब सोशल मीडिया
पर शेखी बघारना मँहगा पड़ेगा. अव्वल तो बात खुद से जुड़ी
लगी अतः थोड़ी घबराहट स्वभाविक थी. शेखी तो क्या हम तो पूरे
शेख बने फिरते हैं सोशल मीडिया पर. अपनी शेखी भी ऐसी वैसी नहीं, कभी खुद को गालिब तो कभी खुद को बुद्ध घोषित कर जाना तो आम
सी बात है.
मगर तभी ख्याल आया कि इसमें महँगा पड़ने जैसी
क्या बात है? फ्री है तभी तो सारे लोग
जुटे पड़े हैं. प्रति शब्द १० पैसे भी लगा
दे फेस बुक या व्हाट्स अप, तो गारंटी है कि ९५% फेसबुकिया कवि कविता लिखना छोड़ देंगे वे तो लिखते ही हैं
इसलिए कि फ्री की जगह मिली है, कुछ २० शब्दों की धज्जियाँ
उड़ाईं और उसे कविता कह कर छाप डाला. बकिया भी फ्री विचर रहे हैं. मित्र ने छापा है तो लाईक कर ही दिया जाये.
ये वो भीड़ है जिसे थूकदान देखकर ख्याल आता है कि
चलो थूक लिया जाये.
फिर आज का माहौल देखकर एकाएक ख्याल आया कि कहीं
सोशल मीडिया पर डाली पोस्ट पर भी तो जीएसटी नहीं लगा दिया. क्या भरोसा है इनका? कहते हैं जिस आदमी
को चूहा पकड़ने का शौक लग जाये वो जब चूहेदानी लगाता है तब घर में छोटी से छोटी
नाली का छेद भी खुला नहीं छोड़ता.
पूरा समाचार पढ़ा तो पता चला कि ये जो फेसबुकिये
सबको चिढ़ाने के लिए पोस्ट लगाते हैं..फीलिंग कूल..फ्लाईंग फ्राम नई दिल्ली टू ज्यूरिख..स्विटजरलैण्ड इज कालिंग..जैसे इनमें ही भर सुरखाब के पंख लगे हैं जो इनको बुला रहा
है स्विटरजरलैंड..हमें तो भोपाल भी काल नहीं
करता. दूसरे चढ़ायेंगे..जस्ट चैक्ड ईन..पार्क हयात गोवा
रिसार्ट एण्ड स्पा..टाईम टू रिलेक्स एण्ड हेव
फन.ऐसे सारे स्टेटस को पकड कर उनके आयकर में दाखिल
रिटर्न से मिलान किया जायेगा और टैक्स लगाया जायेगा. इस हेतु पूरा ठेका ६५० करोड़ में एल एण्ड टी इन्फोटेक को दे
दिया गया है.
मने अब किसी को चिढ़ाने पर भी टैक्स. एक यही तो सुकून था कि चलो कहीं जा पाने लायक तो कमाई रह नहीं
गई है व्यापार में- कम से कम फेसबुक और व्हाट्सएप
से ही चिढ़ा लेंगे पडोसियों को..वो सुख भी जाता रहा.
इनकी स्कीमें देखकर तो लगता है कि जो शोचालय बना
रहे हैं कहीं उसी के पीछे लैब में ये न टेस्ट
कराने लगे कि बंदे ने कल क्या खाया था और उस पर जीएसटी भरा था कि नहीं.
यह विकट घेरा बंदी का काल है.
-समीर लाल ’समीर’
पल पल इंडिया में प्रकाशित
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
#Hindi_Blogging
6 टिप्पणियां:
हा हा!! सही कहा। अब तो सरकार की नज़र हर जगह रहेगी। वैसे देखना ये इस काम को कैसे कर पायेंगे। ये ज्यादा रोचक होगा। बढ़िया व्यंग।
@प्रति शब्द १० पैसे भी लगा दे फेस बुक या व्हाट्स अप, तो गारंटी है कि ९५% फेसबुकिया कवि कविता लिखना छोड़ देंगे वे तो लिखते ही हैं इसलिए कि फ्री की जगह मिली है........बिल्कुल सही !
सही कहा लैबरेटरी मे खाने का टेस्ट कर जी एस टी का हिसाब लगा लिया जायेगा।।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (18-10-2017) को
"मधुर-मधुर मेरे दीपक जल" चर्चामंच 2761
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
पंच पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन धनतेरस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
बहुत खूब!
आपको दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!
एक टिप्पणी भेजें