हमारे
शहर की पान की दुकान पर एक बोर्ड लगा हुआ है कि कृप्या यहाँ पर अपना ज्ञान न
बांटे, यहाँ सभी ज्ञानी हैं.
ज्ञानी
के ज्ञानी होने के लिए मूर्खों का होना अति आवश्यक है. सोचिये अगर सभी अच्छे हों
और कोई बुरा हो ही न तो अच्छा होने की कीमत तो दो कौड़ी की न रहेगी.
एक अमीर
दूसरे अमीर को सलाम नहीं ठोकता. अमीर को सलाम ठोकने के लिए गरीब का होना आवश्यक
है.
यह बड़ी
बेसिक सी बात है. अब यदि कोई इतना भी न समझे तो हम क्या करें.
एक
जमाना वो था कि जब हम कहीं यदि हवाई जहाज से जाते थे तो पूरे शहर को यह खबर जाने
के एक महिने पहले से और आने के एक महिने बाद तक किसी न किसी बहाने से सूचित करते
रहते थे. हालत ये थे कि धोबी को भी कपड़े देते वक्त हिदायत दे देते थे कि समय पर
धोकर ला देना, फलानी तारीख को बाहर जा रहे हैं हवाई जहाज से. और एक जमाना आज का है
कि पता चलता है वो धोबी ही अपने से अगली सीट पर बैठा हवाई जहाज से शिमला चला जा
रहा है छुट्टी मनाने स्लिपर पहने.
महत्वपूर्ण
की महत्ता ही अमहत्वपूर्ण लोगों से होती है. यदि सभी महत्वपूर्ण हो लिए तब तो
समारोहों में सामने वाली कुर्सियों के लिए मारा काटी मच जायेगी. लाल किले पर १५
अगस्त को गणेश खोमचा वाले सबसे सामने बैठे हैं और मित्र बराक ओबामा स्टैंड में भीड़
के बीच खड़े भाषण सुन रहे हैं.
रेडिओ
पर यह सुनते ही कि अब समय आ गया है, जब वीआईपी संस्कृति को बदलकर ईपीआई (हर व्यक्ति
महत्वपूर्ण) कर दिया जाए, रमलू चपरासी घर के रास्ते पर सीना चौड़ा किये निकल पड़ा और
सामने से आते रिक्शे वाले को चांटा रसीद कर दिया. देखते नहीं कि हम आ रहे हैं.
तुमको हमारे रास्ते में नहीं आना चाहिये, हम महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं. रेडिओ नहीं
सुनते क्या? अभी बोल कर चुप भी न हो पाये थे रिक्शे वाले ने पलट कर चांटा रसीद कर
दिया..हम भी महत्वपूर्ण है, तुमको रास्ता छोड़ना चाहिये था. रेडिओ ध्यान से सुना
करो.
अजब सा
माहौल पैदा कर दिया है इनकी इस घोषणा ने.
जिसे
देखो वो ही महत्वपूर्ण हो गया मानो कि महत्वपूर्ण न हुए हमारे जमाने के एल आई सी
एजेन्ट हो गये..जिसे देखो वो ही एल आई सी एजेन्ट होता था.
अब तो
जी कर रहा है कि जनहित में खुद से ही मना कर दूँ कि जी, हम महत्वपूर्ण नहीं हैं...कम
से कम सामने वाले की महत्ता ही बन जाये.
-समीर
लाल ’समीर’
5 टिप्पणियां:
मजा ही आ गया. क्या मस्त लिखते है सर.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-05-2017) को
"मुद्दा तीन तलाक का, बना नाक का बाल" (चर्चा अंक-2634)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत खूब कहा ।।। read me also againindian.blogspot.com
बहुत खूब कहा ।।। read me also againindian.blogspot.com
Click me againindian.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें