रविवार, सितंबर 21, 2014

तितली

sl

 

तितली

उस रोज ऊगी थी

बगीचे मे मेरे

गुलाब को चूमते..

आ बैठती थी काँधे पर मेरे

अपनापन पहचान

बगीचे की खुशबू से..

अब बड़ी हुई

और उड़ चली

आज शाम

रंगबिरंगी ईठलाती..

इन्तजार मेरा कहता है कि

कह सुबह वो

फिर लौटेगी उपवन मे मेरे...

कौन जाने!!

कि महज एक सोच

हर उन बुजुर्ग आँखों की...

-समीर लाल ’समीर’

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31 टिप्‍पणियां:

amit kumar srivastava ने कहा…

यह तितलियाँ तो बस आँखों में ही बस पाती हैं ।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सुन्दर!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut gahan soch utari hai kalam se hardik badhai....

Dr. Shailja Saksena ने कहा…

Bahut sunder Sameer ji

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

वाह ...बहुत सुन्दर ....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इंतज़ार रहना चाहिए ... आशा बनी बनी रहनी चाहिए ...
कुछ तितलियाँ जरूर लौटती हैं बुजुर्गों के पास ...

PRAN SHARMA ने कहा…

Kya Baat Hai! Antim Pankti Ne Kavita Mein Jaan Daal Dee Hai .

Ragini ने कहा…

बहुत खूब समीरजी
उम्मीदों की कश्ती को डुबोया नहीं करते .

Ragini ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Ragini Shrivastava ने कहा…

बहुत खूब समीरजी
उम्मीदों की कश्ती को डुबोया नहीं करते

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

तितलियाँ उड़ जाती हैं - पर एक बार लौटती हैं वहाँ जहाँ बड़ी हुई थीं .

Girish Kumar Billore ने कहा…

समीर भाई
अदभुत

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

मार्मिक

Asha Joglekar ने कहा…

हर बुजुर्ग की उम्मीद।

hem pandey(शकुनाखर) ने कहा…

किस्मत वालों की आस पूरी होती है।

hem pandey(शकुनाखर) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
"Nira" ने कहा…

इंतज़ार और उम्मीद ज़िंदगी जीने के प्रेरणा देती है
बहुत ख़ूबसूरत रचना है
नीरा

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।मेरे पोस्ट पर आप आमंश्रित हैं।!

कविता रावत ने कहा…

कल सुबह वो
फिर लौटेगी उपवन मे मेरे...
कौन जाने!!
कि महज एक सोच
हर उन बुजुर्ग आँखों की...
..फिर भी इंतज़ार तो रहता है लेकिन तितली को बुजुर्ग की बात समय रहते समझ नहीं पाती ..
मर्मस्पर्शी रचना ..

कविता रावत ने कहा…

कल सुबह वो
फिर लौटेगी उपवन मे मेरे...
कौन जाने!!
कि महज एक सोच
हर उन बुजुर्ग आँखों की...
..फिर भी इंतज़ार तो रहता है लेकिन तितली को बुजुर्ग की बात समय रहते समझ नहीं पाती ..
मर्मस्पर्शी रचना ..

डॉ. नवीन जोशी ने कहा…

आपका ब्लॉग मेरे ब्लॉग "नवीन जोशी समग्र" के हिंदी ब्लॉगिंग को समर्पित पेज "हिंदी समग्र" (http://navinjoshi.in/hindi-samagra/) में शामिल किया गया है। अन्य हिंदी ब्लॉगर भी अपने ब्लॉग को यहाँ चेक कर सकते हैं, और न होने पर कॉमेंट्स के जरिये अपने ब्लॉग के नाम व URL सहित सूचित कर सकते हैं।

Unknown ने कहा…

तितली का आना उन रंगों की याद दिलाता हैं जो कहीं खो गए हैं------
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Chakreshhar Singh Surya ने कहा…

बहुत बढ़िया जनाब :)

Unknown ने कहा…

great hindi shayari blog.
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Asha Joglekar ने कहा…

हर सुबह का इंतज़ार तितली को भी है कि वह जाये उपवन में मिले अपने प्रिय से।

dpkraj ने कहा…

बहुत दिनों बाद आपकी टिप्पणी देखी। आप आजकल रहते कहां हैं?

dpkraj ने कहा…

बहुत दिनों बाद आपकी टिप्पणी देखी। आप आजकल रहते कहां हैं?

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

तितली के माध्यम से बुजुर्गों का इंतज़ार अपनों के लिए...

कह सुबह वो
फिर लौटेगी उपवन मे मेरे...
कौन जाने!!
कि महज एक सोच
हर उन बुजुर्ग आँखों की...

बहुत उम्दा अभिव्यक्ति, बधाई.

Ankur Jain ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति।

Ravikant yadav ने कहा…

बहुत सराहनीय प्रयास कृपया मुझे भी पढ़े | :-)
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कहकशां खान ने कहा…

तितली रूपी रचना तितली के समान सुंदर लगी।