इतना सारा स्नेह, इतना सम्मान-ढेरों रिपोर्टिंग.
आनन्द आ गया दिल्ली मिलन समारोह में.
अक्षरम हिंदी संसार और प्रवासी टुडे से जुडे अनिल जोशी जी एवं अविनाश वाचस्पति जी जिस दिन मैं दिल्ली पहुँचा, उसके अगले दिन ही आकर मिले. बहुत देर चर्चा हुई, चाय के दौर चले और तय पाया कि सभी ब्लॉगर मित्र कनाट प्लेस में मुलाकात करेंगे. १३ तारीख को शाम ३ बजे मिलना तय पाया.
१३ तारीख को सतीश सक्सेना जी का फोन आया और उन्होंने मुझे अपने साथ चलने का ऑफर दिया. अंधा क्या चाहे, दो आँख. मैं तुरंत तैयार हो गया मगर जब बाद में पता चला कि वह मुझे लेने नोयडा से दिल्ली विश्व विद्यालय नार्थ कैम्पस तक आये हैं और उसकी दूरी और ट्रेफिक को जाना तो लगा कि काश!! मैं खुद से चला जाता तो उन्हें इतना परेशान न होना पड़ता.
कनाट प्लेस जैन मंदिर सभागर में बहुत बड़ी तादाद में ब्लॉगर मित्र पधारे थे, सभी के नाम आप विभिन्न रिपोर्टों में पढ़ ही चुके हैं उन सबके साथ साथ वहाँ प्रसिद्ध व्यंग्यकार मान. प्रेम जनमजेय जी को पाकर मन प्रफुल्लित हो उठा. फिर पाया कि वहाँ मीडिया रिसर्च स्कॉलर श्री सुधीर जी के साथ अनेक बच्चे मीडिया शिक्षार्थी ब्लॉगिंग के विषय में कुछ जानने समझने आए हैं. बहुत अद्भुत नजारा था सब का मिलना. इन्हीं शिक्षार्थियों में एक छात्रा रिया नागपाल जिसने हिंदी ब्लॉगिंग को ही शोध के विषय के रूप में चुना है, से मुलाकात हुई और उसने मुझे याद दिलाया कि एक बार वह मेरा इसी विषय पर कनाडा से साक्षात्कार ले चुकी है. बहुत अच्छा लगा सबसे मिलकर.
लगभग सभी ब्लॉगर मित्रों को मैं तुरंत पहचान गया. राजीव तनेजा (संजू तनेजा जी से फोन पर बात हुई थी पहले), मोहिन्दर जी और सुनिता शानु जी से तो पहले भी मिला था बस, रतन सिंह जी बिना पगड़ी के पहचान नहीं आये और अजय कुमार झा को देख लगा जैसे कोई कालेज के फर्स्ट ईयर का छात्र है, जबरदस्त मेन्टेनेन्स के लिए वो बधाई के पात्र हैं. शहनवाज से भी एक दिन पूर्व फोन पर चर्चा हुई और वहाँ इस उर्जावान युवा मिलना से बहुत अच्छा लगा. श्री तारकेश्वर गिरि जी ,श्री नीरज जाट जी (पहले चैट पर आवाज तो सुन ही चुका था इनकी, बस दर्शन बाकी थे) , श्री अरुण सी रॉय जी, श्री एम वर्मा जी, श्री सुरेश यादव जी (आप विशेष तौर पर मिलने के लिए एक दिन रुके रहे दिल्ली में) , श्री निर्मल वैद्य जी , श्री अरविन्द चतुर्वेदी जी, एलोवेरा वाले राम बाबू सिंह जी, डॉ वेद व्यथित जी, मयंक सक्सेना (बाद में मयंक ने टीवी के लिए इन्टरव्यू भी लिया), कनिष्क कश्यप (बहुत व्यस्तता के बीच पधारे), दीपक बाबा, भतीजे पद्म सिंह , श्री राजीव तनेजा जी ,श्री कौशल मिश्र , पुरबिया जी, नवीन चंद्र जोशी जी, ,पंकज नारायण जी , सुश्री अपूर्वा बजाज सुश्री प्रतिभा कुशवाहा , आदि से मिलना अद्भुत रहा.
डॉ दराल सा: अपने पिता जी की तबीयत बहुत खराब होने के बावजूद भी समय निकाल कर मिलने आये.
रचना जी ने अपनी माता जी की कविताओं की पुस्तक सस्नेह भेंट की और चूँकि अगले दिन मुझे जबलपुर के लिए रवाना होना था तो बड़ी बहन का फर्ज निभाते हुए रास्ते में खाने के लिए बिस्कुट का पैकेट भी दिया. वाकई, रास्ते में काम आया चाय के साथ खाने में.
मुझे इस बात की कतई उम्मीद न थी कि वहाँ पहुँच कर चर्चा के अलावा भाषण जैसा कुछ देकर अपने विचार रखने होंगे अतः सबसे मिलने के उत्साह में कुछ तैयारी तो की नहीं थी. मेरे पहले श्री प्रेम जनमजेय जी ने और फिर बालेन्दु दधीची जी ने अपने विचार रखे. बालेन्दु जी पूरी तैयारी में थे. पाईण्ट बना कर लाये थे और बहुत सार्थक आंकड़े प्रस्तुत किये. साथ ही ब्लॉगर्स पर आधारित एक बेहतरीन कविता भी सुनाई. उनकी तैयारी देख कर मैं घबराया कि अब मैं क्या बोलूँगा मगर जब नम्बर आया तो बस, बिना तैयारी शुरु हो गये जैसे जैसे विचार मन में आते गये, कहते चले गये. मित्रों नें अपनी जिज्ञासाएँ भी प्रकट की और मैने हर संभव प्रयत्न किया कि उसका निवारण हो सके. भाषण खतम होते ही सबने ताली बजाकर मामला ही ठप्प कर दिया कि बहुत देर हो रही है, अशोक चक्रधर जी के कार्यक्रम में जाना है तो मुझे कविता झिलाने का समय ही नहीं मिला, वरना सोचा था कि गाकर सुनाऊँगा. :) खैर, फिर कभी सही. वरना बालेन्दु जी कविता सुना जायें और हमारी सुने बिना निकल जायें, यह कैसे संभव है. बस, समय का खेल है. उनको तो पक्का दो तीन सुनानी है खूब लम्बी लम्बी.
मैं सभी मित्रों का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर मुझे समय प्रदान किया एवं श्री अविनाश वाचस्पति, श्री अनिल जोशी जी का इस विराट आयोजन के लिए विशेष आभार.
आयोजन की समाप्ति पर फिर वापस छोड़ने भी सतीश सक्सेना जी गये तो लगा कि कितना दुष्कर कार्य वह मित्रतावश मुस्कराते हुए कर गये. लौटते वक्त सतीश भाई ने डीनर का ऑफर भी दिया लेकिन तब तक भारत के हिसाब से पेट एडजस्ट नहीं हो पाया था तो जुबान की मांग के बावजूद भी मना करना पड़ा. अगली बार के लिए ड्यू है सतीश भाई. इस दौरान भाई विनोद पाण्डे भी साथ थे और मौके का फायदा उठाते हुए विनोद जी ने रास्ते में ही दो गज़लें भी सुना डाली. वैसे थी बहुत बेहतरीन. मैं जब तक माहौल बनाता कि बदला लिया जाये, तब तक शायद सतीश भाई भाँप गये और उन्होंने स्पीड बढ़ा कर यूनिवर्सिटी पहुँचा कर उतार दिया. ये नाईंसाफी है, एक न एक दिन घेर कर सुनाऊँगा जरुर.
आशा करता हूँ हम सभी मित्र समय समय पर ऐसे आयोजन कर हिन्दी ब्लॉगिंग को समृद्ध करते रहेंगे. अनेक शुभकामनाएँ.
नोट: फोटो सभी अजय झा के यहाँ से चुराई हुई हैं.
89 टिप्पणियां:
Are Prabhu ji aap hain ya thande pradesh ko chale gaye.
इसी रिपोर्ट का तो इंतज़ार था !
ji ha mujhe bhi padam ji ne bataya tha is mulakat ke bare me
or photos bhi dekhe the mene
गुरुदेव,
मिलने के बड़े अरमान संजो रखे थे...लेकिन कहते हैं न कि खुद के चाहने से सब कुछ नहीं होता...जिस वक्त आप इस कार्यक्रम में थे, मैं हरिद्वार में पुत्रधर्म का पालन कर रहा था...आपसे मिलने की ख्वाहिश जल्दी ही पूरी होगी...
जय हिंद...
rohtak me bhi charcha thi ki aap aayenge...
khair...
fir sahi...
rohtak me bhi charcha thi ki aap aayenge...
khair...
fir sahi...
वाह जी सबसे लेट...... बढिया ये अदा भी....
आपसे नज़रे मिली तो थी, पर का है क्या हमरा शर्मीला स्वाभाव यहाँ आड़े आ गया ... कुछ बतिया नहीं पाए.........
आभार - याद रखने के लिए.
आपके मुख से सुन अब तृप्ति हो गयी।
आपकी रिपोर्ट से यह तो पता चल गया की दिल्ली दिल वालों की है ....मुझे दिसंबर का इंतज़ार है :)
सबकी सुन ली अपनी नहीं सुना पाए...ये तो वाकई न इंसाफी है :)
आपसे मिलना (इसको भी कोई मिलना कहते हैं) अच्छा लगा. आप तो हूबहू वैसे ही हैं जैसा सोचा था.
मैने तो आपकी आवाज भी चुरा ली थी पता चला क्या?
http://phool-kante.blogspot.com/2010/11/blog-post_4657.html
और
http://phool-kante.blogspot.com/2010/11/blog-post_5127.html
और
http://phool-kante.blogspot.com/2010/11/blog-post_13.html
बहुत अच्छी रिपोर्ट है | सभी लोगो को आपकी रिपोर्ट का इन्तजार था कि आप इस मिलन को किस नजरिये से देख रहे थे | रोहतक में आपकी काफी चर्चा रही थी | लेकिन आपकी कमी भी महशूस की गयी |
दिल्ली ब्लागर्स मिलन अवसर के बारे में बहुत ही उम्दा विस्तृत सारगर्वित रिपोर्ट है ... बहुत अच्छा लगा पढ़कर ...आभार
चलो! आप का भी संस्मरण संस्करण निकल ही गया:)
भारत भ्रमण का बेहतरीन संस्मरण.......!!!! आपसे काश हम भी मिल सकते.....
हमारे लिए भी ये मिलन बैठक यादगार रहेगी :)
बहुत अच्छा लगा... आप यूंही आते रहें और खुशियां बिखेरते रहें..
Great to know that there was a hindi bloggers meet ...you sure had a great time.
बालेन्दु जी कविता सुना जायें और हमारी सुने बिना निकल जायें, यह कैसे संभव है.
वाकई बहुत अफ़्सोसजनक बात हौई ये तो. आपसे पूरी हमदर्दी है, पर अगली बार सामने वाले की सुनना ही मत बस अपनी शुरू करके रुकियेगा नही.
चोरी का माल वाकई चुराने लायक है. झाजी की खींची हुई फ़ोटो बहुत सुंदर हैं. प्रणाम.
रामराम
बहुत अच्छी रिपोर्ट है |बहुत अच्छा लगा पढ़कर आभार...
कमबख़्त अपना दिल ही दगाबाज़ निकला... मिस जो कर गए!!
"दिल्ली में मिले दिल वालों से..१३ नवम्बर, २०१०"
sab log itna keh chuke hai ki ab kuch naya kahane ko hai hi nahi.
ab agle mulakat kab hogi.
uska intizaar hai----.
आप से मुलाकात संक्षिप्त किन्तु अच्छी रही... आपका संक्षिप्त वार्ता ज्ञानवर्धक था...
आनन्द आ गया था आपसे मिलकर।
मस्त रिपोर्टिंग रही ये :)
सारगर्भित रिपोर्ट...
आपसे पुन: मिल कर अच्छा लगा...
फिर से मिलने की तमन्ना है ...
जाने कब मुंबई का नम्बर लगेगा ।
दिल्ली के कार्यक्रम में मिलने का पूरा प्रयास किया , पर किसी कारणवश मिल नहीं पाया ...खेर रोहतक में जाने का अवसर मिला ..वहां बहुत कुछ सीखने को मिला ...और सबका सहयोग भी ...आपके दर्शन की तमन्ना है ....आपकी रपट का मुझे इन्तजार था ....शुक्रिया
आपकी प्रतीक्षा थी, आप सबकी अलग-अलग नजरों से इसी वाकये को देखना, एक मजेदार अनुभव है यह.
बहुत अच्छी रिपोर्ट पेश की है आपने, अपनी जानी पहचानी और विशिष्ट शैली में.
ब्लोग्वासियों ने घर कि मुर्गी डाल बराबर वाली कहावत को सही सिद्ध कर दिया है. पहली बार आपकी पोस्ट पर इतनी कम टिप्पणिया देख रहा हूँ. भारत पहुंचकर आयी आपकी पहली पोस्ट पर ऐसा क्यों हुआ?
Nice post .
बस मानो इसी का था इन्तजार -अब आया दिल को करार !
13 नवंबर की दोपहर से 14 नवंबर की सुबह तक मैं वर्धा से दिल्ली जाने वाली रेलगाड़ी में था। दिल्ली पहुँचकर इतनी बुरी तरह व्यस्त हुआ कि नेट पर भी कुछ नहीं देख पाया। दिल्ली सम्मेलन की कोई रिपोर्ट देखने का मौका नहीं मिला था। आपकी पोस्ट से कुछ कमी पूरी हो गयी।
मैं चाहूँगा कि दूसरी रिपोर्ट्स का लिंक भी कोई उपलब्ध करा दे तो इस महत्वपूर्ण जुटान का पूरा ब्यौरा जानने को मिले। मैं दिल्ली और रोहतक दोनो मिस कर गया। अफ़सोस हो रहा है।
29/30
इस रोचक संस्मरण के लिये आभार। रिपोर्टिंग की भाषा और शैली जोरदार है। ऐसे आयोजनों में जरा उस्ताद जी (असली पटियाला वाले) को याद कर लिया किजिये।
नकली उस्ताद से बचकर रहें। आजकल कई ऐरे गैरे उस्ताद बने घूम रहे हैं।
आपसे मुलाकात होना लिखा था , इसलिए संभव हो सका ।
बहुत उम्दा रिपोर्ट थी दिल्ली विज़िट की।
डा. दराल साहब के पिता जी की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना के साथ..... तमाम दिल्लीया ब्लॉगर्स के साथ आपको यथा योग्य।
इस पोस्ट का कब से इंतज़ार था.पढ़ कर जिज्ञासा शांत हुई.अब आप से मुलाक़ात का इंतज़ार है :)
बढ़िया, ट्रेन यात्रा कैसी रही?
दिल्ली के दिलवालों के द्वारा आपके साथ हुई नाईंसाफ़ी का हम विरोध करते हैं:)
अगली बार आप सावधान रहियेगा। पहले आप अपनी सुनाईयेगा, फ़िर औरों की सुनियेगा।
समीर जी का अंदाज़ ए बयान और ही है. लुत्फ़ आता है पढने मैं.
उम्दा और विस्तृत रिपोर्ट ....
अपुन को तो पता ही नहीं चल पाया औऱ इसका नुकसान ये हुआ कि आप एक श्रोता से महरूम रह गए। हाहाहाहहाहाहा
कवि के लिए इससे बड़ा दुःख क्या हो सकता है कि उसे अपनी कविता सुनाने का मौका ही नहीं मिले ...
ब्लॉगर मीट पर एक अच्छी संस्मरणात्मक पोस्ट ...
रचना जी के व्यक्तित्व का एक सकारात्मक पहलू जानने को मिला ....
आभार..!
बहुत उम्दा रिपोर्टिंग लगी ,वैसे तो रिपोर्टिंग की अलिफ़ बे भी नहीं जानती हूं लेकिन जिस रिपोर्ट को पढ़ कर ये लगे कि हम भी कार्यक्रम का हिस्सा हैं मुझे अच्छी लगती है
बधाई
क्या हसीं मिलन था,
प्रेम दो-गुना था
सद्भाव का वोह सपना
नुक्कड़ पे बुना था
बड़े हसीन पल थे
दिल खोल कर मिले थे
जिनको पढ़ते आएं थे
अब उनको सुना था
समीर जी सम्मलेन से एक दिन पहले मैंने तुरत-फुरत में एक ग़ज़ल के रूप में ब्लॉग जगत को न्यौता दिया, आप शायद व्यस्त थे इसलिए पढ़ नहीं पाए:
ग़ज़ल / न्यौता: ब्लॉगर बिरादरी और उड़न तश्तरी
ये खूब रही उडन जी ,हम तो छात्र हैं ही , और शागिर्द भी हैं ही आपके । फ़ोटो अब आपकी ही हैं महाराज फ़िर चुराना कैसा ...........
बढ़िया प्रस्तुति !
समीर जी,
यह सम्मेलन हम सब के लिए एक बहुत यादगार रहेगी मुझे उम्मीद से ज़्यादा मिला |सोचा था की बहुत लोग आएँगे और भीड़ में आपसे कुछ बात भी हो पाएगी या नही पर किस्मत देखिए शायद दिल्ली के सभी ब्लॉगर्स से ज़्यादा समय मुझे और सतीश जी को मिला आपके साथ रहने का..बहुत ही अच्छा लगा ...आपके बारे में और जानकार तो मैं आपका.. और ही बड़ा फ़ैन बन गया हूँ ...और हाँ रही कविता की बात तो सच पूछिए मैं आपसे भी कविता सुनना चाह रहा था पर रास्ता भटका नही और बात बदल गई..वैसे फिर जब भी मौका मिलेगा आपसे कविता ज़रूर सुनेंगे और अपनी भी कुछ बची-खुची रचनाएँ आपको सुनानी है...
एक यादगार सम्मेलन....अविनाश जी,अनिलजी,डॉ, दराल जी और भी सभी ब्लॉगर्स जो इस ब्लॉगर्स मीट में आएँ निसंदेह बधाई के पात्र है..
पढकर बहुत खुशी हुई।
आशा करता हूँ कि कभी हमें भी ऐसा अवसर मिलेगा।
ब्लॉग जगत में केवल दो मित्रों से साक्षात भेंट हुई है।
एक हैं प्रवीण पान्डेजी जो आजकल यहीं बेंगळूरु में रहते हैं।
पिछले साल, प्रशान्त (blogger PD) जो चेन्नई में रहते हैं, मुझ से मिलने आया था।
औरों से फ़ोन पर बात हुई है और एक बार आपसे भी बात हुई थी।
पर मिलने का आनन्द तो कुछ और ही है।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
समीर भाई !
जैसा आपके बारे में अंदाजा था उससे अधिक प्यारे लगे यार ! आत्मीयता इतनी कि जैसे एक घर में साथ साथ रहे हों ! प्यार का वह सन्देश, जिसे आप शुरू से ब्लाग जगत में फैलाते रहे हो हर किसी का सम्मान लेने में सक्षम है !
आपके स्नेही स्वभाव को भुलाना मुश्किल होगा ! हालांकि एक रंज रहेगा कि आपकी उड़नतश्तरी हाथ नहीं लगी !
मेरी कविता को चमका दे,मुझको भी होंडा दिलवा दे
बहुत दिनों से इच्छा मेरी,सारे जग में नाम करा दे
इतने दिन से करूँ साधना,मेरी इज्जत को चमका दे
मेरी कविता को भी भोले, बोलीवुड में नाम दिला दे
कबाड़खाना बंद करा दे, मोहल्ले में आग लगा दे
सारे पाठक मुझको ढूंढे ,ऐसी टी आर पी करवा दे
मेरे ऊपर धन बरसा दे,कुछ लोगों को सबक सिखादे
मेरा कोई ब्लाग न पढता,ब्लाग जगत में भोले शंकर
मेरे को ऊपर पहुंचा दे , मेरा भी झंडा फहरा दे !
मेरे आगे पीछे घूमे दुनिया,ऐसी जुगत करा दे !
एक आखिरी बिनती मेरी,इतनी मेरी बात मान ले
समीर लाल को धक्का देकर,उड़नतश्तरी मुझे दिला दे !
बहुत ही अच्छा लिखा है ...सबके बारे में और अपने बारे में भी, सभी बहुत खुश हैं ....।
@सतीश भाई
बिना धकियाये ही ले लो भाई उड़न तश्तरी...हमें तो कहीं जाना होगा तो सतीश भाई को फोनिया देंगे. :)
यही तो एक कवि की त्रासदी है जब तक खुद का नम्बर आता है सब रफ़ू चक्कर हो जाते हैं………हा हा हा।
बलोगर मिलन के बारे मे इतना जानकर काफ़ी अच्छा लगा।
मुझे अफसोस रहा कि समय पर उस सम्मेलन का पता नही चला। आपसे मिलने की तमन्ना अधूरी रह गयी। अगली बार देखते हैं। शुभकामनायें।
ये होता है मेरे जैसे बीच-बीच में ब्लागिंग से फ़र्लो मारने वालों का. दिल्ली के इस आयोजन के दिनों मैं ब्लागिंग से लगभग एकदम ही कटा हुआ था...कुछ खबर ही नहीं हुई. पर कुछ दिन बाद रपटें पढ़ कर पता तो चला ही, अच्छा भी लगा कि लोग अब इस पर पीएचडी तक करने में जुटे हुए हैं...इसके भविष्य को लेकर उड़ने वाली अफ़वाहों में दम कैसे हो सकता है, यह भी सोचता हूं मैं कभी कभी :)
rochak varnan,bahot achchi lagi.
bahut achchha sansmaran.kalamkar ikattha huye to maza to ayega hi!
अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसा जबरदस्त रहा होगा आयोजन...
इतने गुनी लोग मिले, तो जो विचार मंथन हुआ उससे हिन्दी ब्लोगिंग का प्रगति और प्रसार होगा ही यह सुनिश्चित है..
सटीक ... गज़ब की रिपोर्ट पेश की है समीर भाई .... आपकी उड़न तश्तरी आये और लों मिलने को उतावले न हों ... ऐसा हो सकता है क्या ....
फोटो भी जोरदार हैं भाई ...
आप बहुत खराब हैं और रिपोर्टिंग भी अच्छी नहीं की है जाइए। पूरे टाइम हा हा ठी ठी । वैरी बैड।
ही ही ही....
रिपोर्ट पढ़ कर अच्छा लगा!
एक अच्छी महफ़िल की तरतीब और तफ़सील से लिखी तहरीर पढ कर तबीयत हरी हो गई। समीर जी का आभार।
AAPKI BAAT ..... HAI KUCH KHAS
PADH DALI HAME... APKI BAAT....
PRANAM.
AAPKI BAAT ..... HAI KUCH KHAS
PADH DALI HAME... APKI BAAT....
PRANAM.
oho aap phir bhaarat ghum aaye..
:-), bahut achcha laga aapki report padh kar ..
बढ़िया चर्चा है ....!
अलग अलग शहरों में अलग अलग समय पर ब्लोगर मिलन होते हैं और हर बार रिपोर्ट पढ़ने वालों को लगता है कि काश हम भी वहां होते( अब देखिए अगर हम वहां होते तो आप की कविता जरूर सुनते…।:)) क्युं न कुछ ऐसा कार्यक्रम बने कि पूरे हिंदूस्तान के हिंदी ब्लोगर्स एक साथ मिलें और कम से कम दो दिन का प्रोग्राम बनें। ऐसा आयोजन करना है तो मुश्किल पर सपने देखना तो मुश्किल नहीं न।
आप की रिपोर्ट का ही इंतजार था, अच्छा भी लगा वहां का आखों देखा हाल आप की नजर से और अफ़सोस भी रहा कि हम ऐसे अनुभव से वंचित रह गये…:)
जो रह गए हैं मिलने से
वे हो जाएं सावधान
दिसम्बर में फिर
मिलने वाले हैं हम
और भी अनेक
जो हैं नेक
मत कहना कि
खबर न हुई
खबरदार
आओ अमेरिका चलें
कैनन का एस एक्स 210 : खरीद लूं क्या (अविनाश वाचस्पति गोवा में)
विश्व सिनेमा में स्त्रियों का नया अवतार : गोवा से अजित राय
satish sir ne badi pyari baat kahi..:)
दिल्ली, दिलवालों की!
बहुत सुन्दर जानकारी मिली ।SIR HAVE A NICE DAY
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
http://saaransh-ek-ant.blogspot.com
अच्छी रही ये सम्मेलन रपट । आप हम से भी मिलने वाले थे क्या अभी जबलपूर हैं ? वापसी पर जरूर आइयेगा ।
बहुत बढ़िया और विस्तारित रूप से लिखा है आपने! ब्लोगर मिलन के बारे में जानकर अच्छा लगा!
आप दिल्ली आयें और ब्लोग्गर्स के गढ़ से यूँ ही निकल जाएँ असंभव....ये तो होना ही था...
आपको जो अपनी कवितायेँ और ग़ज़लें न सुना पाने का मलाल है उसका एक उपाय है मेरे पास...
ऐसा करें अपनी कवितायें और ग़ज़लें एक सी.डी में रिकार्ड कर लें और जो मिलने आये उसे टिका दें...बस. आप भी खुश और लेने वाला भी खुश. आप इसलिए खुश के ये सुनेगा और दूसरा इसलिए खुश के सुनने से बच गए. :-)
नीरज
Bhai ji,
Laajawab post.Laajawab mulakaat.Laajawab jo thahre hain aap.Badhai!!
इस बार मुलाकात नहीं हो पाई, अफसोस रहेगा।
नमस्कार जी !
बेहतरीन दिल्ली दिल वालों की है
आपकी रिपोर्टिंग ने ब्लागर्स - मिलन का पूरा दृश्य दिखा दिया !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
सिर्फ दिल्ली ही क्यों कही? ये तो पूरी इंडिया ही दिल वालों की है. ये बात और है की आपको दिल्ली वाले ही मिले और उनके ही दिल दिखे . वैसे लखनऊ और कानपुर वाले भी बुरे नहीं है. आप मौका तो देकर देखिये सेवा का. बहुत अच्छा लगा आपके संस्मरण पढ़ कर.
ब्लॉग परिवार को आत्मीयता से बैठ बतियाते देखना एक सुखद अनुभव है। एक आशा बंधती है कि लगभग रोज़ाना की कटुता के बावजूद,चंद लोग हमेशा रहेंगे-सद्प्रयासों में तल्लीन,अपने लक्ष्यों की ओर आहिस्ता-आहिस्ता डग भरते। शुभकामनाएँ।
वाकई इस तरह के ब्लोगर मिलन समारोह आनंददायी होते है!...बहुत कुछ नया जानने को मिलता है और सभी से प्रत्यक्ष मे मिलना भी अदभूत अनुभव होता है!...काश कि आप राज भाटिया की आयोजित तिलियार लेक के संमेलन में दर्शन देते!...वह संमेलन भी आनंददायक रहा!
....धन्यवाद एवं अनेको शुभकामनाएं!
Bahut acha laga padhkar...
रिपोर्ट, कहानी, आलेख आप का लिखा अंतस तक पहुँचता है.
सुन्दर रिपोर्ट.
- विजय तिवारी "किसलय"
वैसे सर आप अगली बार आएंगे तो शायद मैं भी आपसे दिल्ली में मिलूं..दरअसल मेरी शादी है 8 दिसंबर को...आपका मेल ID नहीं है इसलिए आमंत्रण ब्लॉग पर ही स्वीकार करें
Hi,SIR
With a cheerful heart and deep joy within, we along with our parents invite you and your family to be part of the most important day of our lives when we tie the knot on 8th of December.
We will be really glad if you could come and share our joy when we step into a new beginning of wedded life. Your blessings and good wishes will go a long way in making this special day a memorable one!
Please be there to celebrate this special day with us.
Programme:-
Wedding : 8th Dec, In the night
Pakhariya Peer, New Colony, Muzaffarpur, Bihar
Reception : 11th Dec, 7.00PM
GPC House, Chaurasia Nagar, Deo, Aurangabad, Bihar
Please find below our marriage website and bless us with your wishes:
http://www.wix.com/madhubraj/mymarriage
http://www.momentville.com/madhubraj
Hope to see you there!
Madhu
सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति ,बधाई !
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