आज दिनांक ०२/१२/२०१० को एकाएक दोपहर में फोन बजा. ललित शर्मा, अवधिया जी(दोनों रायपुर से), विजय सप्पत्ति जी(हैदराबाद से) बवाल एवं महेन्द्र मिश्र जी की अगुवाई में भेड़ाघाट की संगमरमरी वादियों की सैर पर गये हुए थे और मैं पारिवारिक परियोजनों में उलझा घर पर ही था. पता चला डॉ महेश सिन्हा जी (रायपुर) का फोन है. वो भी एक विवाह समारोह में सम्मलित होने जबलपुर आये हैं और आज ही वापस जा रहे हैं. विवाह एक तारीख को था इसलिए वह जबलपुर में होते हुए भी कार्यशाला में नहीं आ सके. बाद में मिलने पर ज्ञात हुआ कि वह हमारे मित्र की बिटिया की शादी में ही आये हैं जिसमें हम कार्यशाला की वजह से न जा सके. अजब संयोग है. घर से मात्र १ किमी की दूरी पर ठहरे महेश जी से फिर आज शाम सुखद मुलाकात हुई. उनके सारे रिश्तेदार जो जबलपुर में हैं, सभी हमारे पारिवारिक मित्र निकले और जहाँ जिस परिवार में विवाह किया है, वह परिवार भी हमारे अर्सों से मित्र है.
गये थे मिलने डॉ महेश सिन्हा से मिलने और जाने कितने बिछुड़े हुए पुराने पुराने साथियों से मुलाकात हो गई. बहुत आनन्द आया, उसी अवसर पर बतौर सबूत एक तस्वीर खिंचवा ली गई है, वो पेश है:
कल दिनांक ०१/१२/२०१० को जबलपुर हिन्दी ब्लागर्स कार्यशाला का आयोजन होटल सूर्या के कांफ़्रेंस हाल में सायं ६ बजे से किया गया. कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री विजय सत्पथी, हैदराबाद एवं विशिष्ठ अतिथि श्री ललित शर्मा, रायपुर एवं श्री जी के अवधिया, रायपुर रहे. साथ ही जबलपुर से राजेश पाठक, महेंद्र मिश्रा जी, गिरीश बिल्लोरे जी, कार्टूनिस्ट राजेश डूबे जी,बवाल जी,पंकज गुलुस, डाक्टर विजय तिवारी’किसलय’, श्री अरुण निगम, विवेकरंजन श्रीवास्तव, सलिल समाधिया, सार्थक पाठक, प्रेम फ़रुख्खाबादी (सपत्नीक), आनंद कृष्ण ,संजू तिवारी आदि इस कार्यशाला में शामिल हुए. अनेकों पत्रकार एवं प्रेस फोटोग्राफर्स भी इस मौके पर उपस्थित थे.
इसी अवसर पर हिन्दी ब्लॉगिंग में आचार संहिता, हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रचार एवं प्रसार के लिए आवश्यक कदम एवं अन्य विषयों पर लोगों ने अपने विचार प्रकट गये जिसकी अधिकारिक रिपोर्ट समारोह के अधिकृत प्रवक्ता श्री गिरीश बिल्लोरे जी द्वारा शीघ्र जारी की जावेगी .
उसी अवसर के कार्यक्रम प्रारंभ होने के पूर्व के कुछ चित्र:
राजेश डुबे जी (कार्टूनिस्ट) द्वारा बनाया गया मेरा चित्र: :)
अन्य तस्वीरें:
यहाँ क्लिक करें, गिरीश भाई की अधिकारिक रिपोर्ट आ गई है.
79 टिप्पणियां:
कार्टून तो जोरदार है, लगता है गॉगल लगाना भूल गए वो ;)
मज़े करिए ...
एक सफल आयोजन के लिए आप को बधाई. कार्टून में दाहिना गाल बहुत फुला दिया गया है.
लगता है भारत में आपका प्रवास - ब्लॉगजगत को ही समर्पित रहेगा.
लगता है भारत में आपका प्रवास - ब्लॉगजगत को ही समर्पित रहेगा.
कार्टून तो चोखा बनाया है. मेल मिलाप भी स्वागत योग्य है. आयोजन कर्ताओं को घणी घणी बधाई.
देखो भई,
आप लोग थोड़ा संभल कर फोटो वोटो खिंचाया करें। देख रहा हूँ महेश जी पर्स में से पैसे निकाल रहे हैं, कुछ मंगवाने के लिए।
अब ये न कहिएगा कि अरे वो तो पर्स में पैसे निकाल नहीं बल्कि डाल रहे थे :)
चूंकि ऐसे वक्त पर मिलन वगैरह पर पर्स से पैसे निकालने का चलन है ताकि कुछ.... हुं..हंहं...गला तर किया जा सके...तो भई जरा संभल कर फोटो शोटो खिंचाया करें आप लोग।
काहे को हम जैसे न्यू जेनरेशन वालों को टशन दे रहे हैं :)
----------
अब इतनी सारी फालतू बातों के बाद तनिक सिरियस हो कहूं तो....
पोस्ट अच्छी लगी। यह अक्सर होता है कि हम जिसे दूर का समझते हैं वह हमारे आसपास का ही निकलता है।
बढ़िया विवरण रहा।
बहोत ही प्यारी कार्टून बनायी गयी है गुरुदेव आपकी ..........:)
सुंदर रपट। ब्लागरों का आपस में मिलते रहना जरूरी है।
बहुत जोरदार आओजन था समीर जी। आप कनाडा से जबल्पुर पोंहोच गये। ब्लागिंग की कार्यशाला भी होती है। मुझे लग रहा है मुझे भी वहाँ होना चहिए था। कार्टूनिस्ट ने आपका मजेदार चित्र बनाया है उन्को जादा मेहनत करनी नहीं पड़ी होगी। ही ही। आप अदर्वाइज़ मत लेना। बहुत अच्छा प्रोग्राम कराया आप लोगों ने। एऐसा और भी जगहों पर होना चाहिए। इससे लोगों में हिन्दी ब्लागिंग के लिए जागरूकता आयेगी। आप और आपके दोस्त बवालजी और वहाँ के सभी ब्लागर्स को बधाई।
भाई समीर जी ! जय राम जी की !
पुराने .....बिछुडों से मिलना कितना अच्छा लगता है .......नयी ऊर्जा मिल जाती है .......सौभाग्य से ऐसा सुख मिलता है ....भाग्यशाली हैं आप. ......बधाई हो . कार्यशाला की विस्तृत जानकारी की बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी. कार्टून में गाल पे एक दिठौना लगवा लेना था ....किसी की नज़र न लग जाए ......वैसे मैं मिर्चा उतार दूंगा .
सर्वप्रिय समीर जी
नमस्कार !
आशा है आप अभी व्यस्त से व्यस्ततम होंगे । आपके ब्लॉग सहित अन्य विभिन्न ब्लॉग्स पर आपको देखने-सुनने के कुछ सुअवसर मिले …
कुल मिला कर आप नवंबर-दिसंबर की ठंड को गरम किए हुए हैं … स्वागत ! आभार ! बधाई !
राजेश डुबे जी द्वारा बनाया गया आपका चित्र बहुत शानदार है, उन्हें बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
kitne bade pariwaar ke hum sadasya hain ...
आभार बहुत उम्दा
लिंक का आभार
मिसफ़िट पर लिन्क चिपका दिया
आपकी उपस्थिति में आयोजन सफल रहा, कोई हींग का झोक नहीं लगा, अच्छा लगा। शुभकामनाएं।
aap aaye to aayojan aur safal ho gaya...
संलिप्त वही है जो निर्लिप्त है
कार्टून अच्छा है
डाक्टर सिन्हा जी से आपका मिलना सुखद लगा ... बहुत ही बढ़िया परिचय देने के लिए आभार ....
गरिमामय माहौल में शानदार यादगार जबलपुर ब्लागर मीट और राष्ट्रिय वर्कशांप ....
आगामी पोस्ट - दाल बाटी कैसे खाई जाती है बताएगें भाई बबाल जी ...
कार्टून का तो जवाब नहीं!....जबलपुर हिन्दी ब्लागर्स कार्यशाला का आयोजन सफल रहा जान कर बहुत खुशी हुई.....बधाई!
अच्छा विवरण ...
सुन्दर तस्वीर !
राष्ट्रीय कार्यशाला के इस आयोजन के लिये बधाईयां।
राजेश डुबे जी की कूची वाकई कमाल करती है।
प्रणाम स्वीकार करें
इस आयोजन की झलकियां आपके माध्यम से हम तक पहुंची ...बहुत ही अच्छा लगा ...और आपका चित्र भी ....बधाई के साथ शुभकामनायें ...।
... shaandaar cartoon ... behatreen post !!!
भाई बिल्लौरे जी ! विस्तृत प्रतिवेदन के लिए साधुवाद .
भाई गुलुश जी का बिंदु क्रमांक १० तुरंत लागू किये जाने योग्य है .एक सर्वमान्या आचार संहिता होनी ही चाहिए . चेक गणराज्य में लेखन को गौरव पूर्ण स्थान प्राप्त है .....वहां कोई लेखक भूखों नहीं मरता ......हमारे देश में बौद्धिक संपदा केलिए कोई सर्वमान्य सिद्धांत नहीं है .इसलिए बिंदु क्रमांक ११ भी कम महत्त्व पूर्ण नहीं है . भाई समीर जी ने लेखन में सावधानी की ओर संकेत करके चेतावनी दे दी है ...महत्त्व पूर्ण प्यार भरी चेतावनी का स्वागत किया जाना चाहिए .....वाकई हम ज़ो भी लिखते हैं वह एक खुला दस्तावेज़ होता है ......बन्दूक से निकली गोली की तरह .....वापस नहीं होगा ....उनके सभी सुझाव मार्ग दर्शक की तरह हैं .....अन्य सभी के विचार भी महत्वपूर्ण लगे.
भाई बिल्लौरे जी ! विस्तृत प्रतिवेदन के लिए साधुवाद .
भाई गुलुश जी का बिंदु क्रमांक १० तुरंत लागू किये जाने योग्य है .एक सर्वमान्या आचार संहिता होनी ही चाहिए . चेक गणराज्य में लेखन को गौरव पूर्ण स्थान प्राप्त है .....वहां कोई लेखक भूखों नहीं मरता ......हमारे देश में बौद्धिक संपदा केलिए कोई सर्वमान्य सिद्धांत नहीं है .इसलिए बिंदु क्रमांक ११ भी कम महत्त्व पूर्ण नहीं है . भाई समीर जी ने लेखन में सावधानी की ओर संकेत करके चेतावनी दे दी है ...महत्त्व पूर्ण प्यार भरी चेतावनी का स्वागत किया जाना चाहिए .....वाकई हम ज़ो भी लिखते हैं वह एक खुला दस्तावेज़ होता है ......बन्दूक से निकली गोली की तरह .....वापस नहीं होगा ....उनके सभी सुझाव मार्ग दर्शक की तरह हैं .....अन्य सभी के विचार भी महत्वपूर्ण लगे.
aap to aise na the !
इस प्रकार के आयोजन के लिये आयोजन कर्ता एवं भाग लेने वाले दोनों ही धन्यवाद के पात्र है |
कार्टून तो जोरदार है
कार्टून और आयोजन रिपोर्ट दोनों ही बहुत बढिया लगी.....
बढ़िया विवरण....बहुत ही सफल आयोजन रहा...
महेश जी से मुलाकात का विवरण बढ़िया रहा
badhiya vivran, ye accha raha k sabse mulakat ho gai, badhai
कार्टून जबर्दस्त्त है .और विवरण भी :)
कार्टून देख कर तो आनन्द ही आ गया।
समीर भाई जी,
०१ दिसम्बर की ब्लागर्स मीट अपने आप में बड़ी रोचक रही। आप के उदबोधन द्वारा आपको और गहराई से जानने का अवसर मिला। सच पूछिए , आनंद आ गया। ब्लागर मित्रों से मिलकर एक उत्सव जैसी अनुभूति हुई। आप की पुस्तक को तन्मयता से पढ़ रहा हूँ । ऐसे लग रहा जैसे आपको बैठ कर सुन रहा हूँ।
आपकी पुस्तक अपने आप में एक धरोहर लगती है। हर रचना अपने आप में एक सन्देश लिए हुए है। आपकी पुस्तक आपका व्यक्तित्व झलकाती है। कहने की आवश्यकता नहीं है आप हिन्दी ब्लागर्स के प्रेरणा स्रोत हैं। दिलसे बधाई!!
कार्टून बहुत सही साट है। बाकी मेल मिलाप तो चलता है! :)
विजय सप्पति जी ने अपने सुमधुर कंठ से अपनी विलक्षण कवितानो का रसास्वादन कराया या नहीं ????
वे बड़ा ही मधुर गाते भी हैं...कभी अवसर मिले तो अवश्य सुनियेगा...और विशेषकर उनके द्वारा रचित कविताओं को ही..
आदरणीय समीर जी
नमस्कार !
आपकी उपस्थिति में आयोजन सफल रहा,
कार्टून का तो जवाब नहीं!
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
बहुत बढि्या रहा ये आयोजन तो साथ मे कार्टून भी।
बहुत यादगार आयोजन रहा। ये सब आपके ही अथक प्रयास का नतीजा है। इसके लिए हम सब आपके बहुत आभारी हैं।
विजय भाई, अवधिया जी और ललित जी जैसी हस्तियों के अलावा अन्य विभूतियों से मुलाक़ात के क्षण भला कैसे भुलाए जा सकते हैं? कल महेन्द्र मिश्रा जी के मार्गदर्शन में सत्पति जी, अवधिया जी और ललित जी के साथ भेड़ाघाट ही नहीं ग्वारीघाट का भी भ्रमण हुआ। रोपवे, नौकायन, संगमरमर की वादियों के दर्शन और माँ नर्मदे की गोद में गक्कड़-भर्ता-दाल-कलाकंद की पार्टी। आय हाय काश हमारे साथ आप भी वहाँ होते। खै़र अच्छा ही हुआ वर्ना आप को देख कर गक्कड़ भर्ता वाला हमलोगों को मना ही कर देता कि इत्ती बड़ी गक्कड़ तो खु़द ही लेकर............... हा हा।
अब जल्दी बोलिए एक बार
कौन टाइप के ........हा हा
`वह हमारे मित्र की बिटिया की शादी में ही आये हैं जिसमें हम कार्यशाला की वजह से न जा सके. अजब संयोग है'
अरे........! यह तो ओ’हेनरी की कहानी हो गई :)
राष्ट्रीय कार्यशाला के इस आयोजन के लिये बधाईयां।
एक अच्छी रिपोर्ट और बहुत से बेहतरीन सुझाव..
बहुत सुंदर और संयोजित तरीके से हुई ये ब्लाग गोष्ठी, इसके लिये सभी का आभार.
रामराम.
कमाल है उन उँगलियों का जिन्होंने ये रेखाचित्र बनाया
मेल मिलाप तो जोरदार है ,कार्टून भी जोरदार है,
cool cartoon!
इस बार आपसे अधिक तारीफ के हकदार डूबे जी हैं :)
सफल कार्यक्रम की बधाई...लेकिन सबसे अधिक बधाई डुबेजी को...आपको हूबहू लकीरों में उतार दिया है...
नीरज
यह मिलने मिलाने का क्रम यूँ ही जारी रहे ।
अब हम भी शुरू होते हैं ।
एक अच्छा क़दम है यह। कुछ आचार संहिता तो बननी ही चाहिए। यदि हर ब्लॉगर के मन में विचारों का तालमेल हो तो ब्लॉगजगत में सामन्जस्य एवं स्नेह स्वत: ही प्रतिबिम्बित होगा। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - भारतीयता के प्रतीक
कार्टून ए-वन है। जरा सम्मेलन के मेनू पर विस्तृत प्रकाश फ़ेंका जाना चाहिये।
कार्यशाला के असल कार्य
का विवरण आना अभी बाकी है
पीने पिलाने का जो दौर चला था
उसकी जानकारी बेबाकी से कौन देगा
उसे गांव चलने का मौका मिलेगा
आओ बंधु, गोरी के गांव चलें
अभी तो खूब सारी जानकारी आनी है
जो नहीं आई है
यही सबकी परेशानी है
सफल आयोजन के लिए आप को बधाई
@ अविनाश भाई
कार्यशाला के ब्बद के दौर चूंकि कार्यशाला के हिस्से नहीं थे, तो उस पर भला क्या रिपोर्टिंग? इस विषय पर तो संस्कारधानी (जबलपुर) से मायूसी ही परोसी जायेगी क्यूँकि जबलपुर की मेहमाननवाज़ी जबलपुर आकर ही महसूस की जा सकती है, कही नहीं जा सकती.....उससे उसका मूल्य कम करना जबलपुर का अंदाज नहीं. )
यह मखमली संगमरमर का शहर है. हर दिल संगमरमर पत्थर हो भी मोम सा है.
आप सबसे यहां आकर तो हम भी मिल लिए.
लगता है आजकल ब्लोगर मीट का सीज़न चल रहा है.... अच्छी लगी रपट ...
सफल आयोजन के लिए बधाई ..... कार्टून क्यूट बनाया है.....(गिरिशजी की पूरी रिपोर्ट पढ़ी .... आयोजन के विषय में विस्तार से जानकर अच्छा लगा .....)
बाकी सब रिपोर्ट तो ठीक है पर डाक्टर साहब की अंगुलियों और पर्स वाला माज़रा क्या है ? :)
इण्डिया-विजिट के फायदे ही फायदे...खूब मुलाकातें-बातें. आपसे फोन पर वार्ता आत्मीय रही.
मुलाकातों का दौर जारी रहे....संस्मरण भी तो तभी लिखे जायेंगें.
कार्टून मस्त...फोटो मस्त...रिपोर्ट मस्त :) :)
manoranjak baaten padhne ko mili.
समीर जी ! बधाई , लखनऊ कब आ रहे हैं ?
अरे वाह आपका तो सही भारत भ्रमण हो रहा है।
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग!
समीर जी! हमें तो आप और अन्य ब्लोगर साथियों से मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई!
साथ ही बवाली के भारी किन्तु सुमधुर कण्ठस्वर में गाये गज़लों और गीतों ने हृदय को गद्गद् करके रख दिया!
मेरी उपरोक्त टिप्पणी में "बवाल जी" के स्थान पर गलती से "बवाली" टाइप हो गया है। कृपया सुधार कर पढ़ें।
आशा है बवाल जी इस गलती को अन्यथा नहीं लेंगे।
ऐसे मिलना जुलना होता रहे ,हमारा भी नंबर लगेगा ।
आदरणीय मित्र ,
जबलपुर की यात्रा के दौरान आपका साथ और प्यार मिला इसके लिए आपका बहुत धन्यवाद.
मैंने भी एक छोटी सी पोस्ट लगायी है इस सम्मलेन पर . कृपया वहां भी पधारे.
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/12/blog-post.html
आपका शुक्रिया , आपसे फिर मिलने की आकांक्षा है .
धन्यवाद.
आपका
विजय
aise karyshalayen hindi blogging ko sahi disha dengi -aisa mujhe vishvas hai .shubhkamnaye .
यह मिलन यादगार में शामिल हो गया होगा!
Blogpitaamah Sameerji ,Bharat pravaas par badhaai .
veerubhai .
C4,Anuradha ,NOFRA ,Colaba ,Mumbai -400-005
09350986685
वाह समीर भाई ... मुलाक़ातों का सिलसिला यूँ ही चलता रहे ... अपुन भी जल्दी मिलते हैं ...
आज छुट्टी का दिन था तो पहली दिसम्बर के आयोजन की सारी रिपोर्ट्स पढ़ी , मजा आ गया .
sir ji sadar namaskar .... dobara hum kab mil rahen hain ......
सुन्दर कार्टून...
भाई समीर जी
काश डॉ. महेश सिन्हा जी भी कार्यशाला में आ पाते तो उनके भी विचारहम सभी जान पाते!
कार्यशाला में शामिल लोगों का उल्लेख और कार्यशाला के विषय का संक्षिप्त विवरण और बाद में
भाई राजेश दुबे "डूबे जी " द्वारा मिनटों में बनाये गए आपके लाजवाब व्यंग्य चित्र ने पोस्ट में चार चाँद लगा दिए.
आपका आभार, भाई "डूबेजी" को इतने अच्छे स्केच के लिए बधाई .
-विजय तिवारी 'किसलय'
समीर भाई से छोटी लेकिन महत्वपूर्ण मुलाक़ात एक यादगार है । दुनिया वाकई छोटी है अगर दिल बड़ा हो :)
कार्यशाला और विवाह कार्यक्रम का दिन और समय एक होने से और लोगों से मुलाक़ात नहीं हो सकी ॥ गिरीश जी से भी उनके अस्वस्थ होने से दूसरे दिन मुलाक़ात न हो सकी ।
पर्स की मिस्ट्री कोई बड़ी नहीं है :) उससे विजिटिंग कार्ड निकाला जा रहा था ।
गुरुदव,
आप मौजूद थे तो ये कार्यशाला राष्ट्रीय न होकर अंतराष्ट्रीय थी...आपका अब दिल्ली आने का बेसब्री से इंतज़ार...(शनिवार, रविवार) को ये पुनीत कार्य हो तो मेरे लिए बहुत आसानी रहेगी...
जय हिंद...
एट अवधिया जी
अन्यथा लेंगे तो
बवाली ही कहलायेंगे
समीर जी,
आपसे पहली मुलाकात अविस्मरणीय रहेगी.देश के बाहर रह कर भी हिंदी की ऐसी सेवा स्तुत्य है."बिखरे - मोती " के पूर्ण पठन के पश्चात् ही अपनी भावनाएं अपने ब्लाग में व्यक्त करूँगा.इस हेतु कुछ पंक्तियों की प्रस्तुति आवश्यक होगी.आशा है आपकी अनुमति रहेगी.शीघ्र ही फिर मिलेंगे.
एक टिप्पणी भेजें