अभी २ दिन बाद वाशिंग्टन कवि सम्मेलन से लौटा १५ मिनट पहले. चिट्ठों में तो दमादम मची है. चलो, अच्छा है अच्छी परंपरा है सब खुल कर बात करते हैं. यही तो अपनापन है. आज इतनी जल्दी में कुछ लिखने को नहीं है-न ही कवि सम्मेलन की रिपोर्ट. इतने बड़े कवि सम्मेलन जिसमें मेरे अलावा (वो तो लिख जाता) अनूप भार्गव, उनकी पत्नी रजनी भार्गव (सुना है वो ही अनूप जी के लिये भी लिखती है-बकौल मानोशी-वाया फुरसतिया), राकेश खंडेलवाल, घनश्य़ाम गुप्त जी जैसे २५ लोग शिरकत कर रहे हों, वो कैसे संभव हैं...
तो आज के लिये मात्र एक आर्कुट खुदाई की रिपोर्ट पेश कर देता हूँ देवनागरी में. कल पेश कर दूँगा जो मुझसे जमाने से पूछा जा रहा है कि मैं कैसे मैनेज करता हूँ इतनी टिप्पणियां और सारे ब्लॉग पढ़ना....भई, बहुत सरल है, बस एक से ढेढ घंटा चाहिये....अजब लगा न!!! कल पढ़ना मुझे...बताता हूँ कैसे संभव है...५० ब्लॉग १.३० घंटे में निपटाना मय टिप्पणी.....तब तक यह महज मनोरंजन को पढ़ें.:
राम की चिट्ठी सीता जी के नाम पंजाबी में और कलयुग में:
प्यारी सित्ता,
मैं इत्थे राजी खुशी से हां एंड होप के तु वी ठिक ठाक होवेंगी.
लक्ष्मण तेन्नु भोत याद करदा सी.
मैं इस बंदर दे हात्थ तन्नु चिट्ठी भेज रेहा हां.
तु बिल्कुल टेन्शन न लेई मैं भोत जल्दी तेनु रावण कोलो छुड़ा लावांगा.
मैं एअरटेल दा पोस्टपेड ले लिया सी, रावण नु मैं मोबाईल ते भोत गालियाँ काड़िया ते साले ने कट दित्ता.
चल कोई नी मैने आना ता है ही. तान कुटुँगा साले कंजर नु.
मैं तेरे नाल भी एक एअरटेल का प्रीपेड भेज रिया व उस विच १५०० एस एम एस फ्री वाली स्किम हा, तु रोज मेनु एस एम एस करी.
चिन्ता न करी, जद वी गल करने नु जी करे, एक मिस काल मार दियो, मैं वापस फोन्न कर लेवागा.
तु मेरे बिल दी चिन्ता न करी, सुग्रिवा नु पेमेन्ट दा जिम्मा दे दित्ता वै.
अच्छा ओके
सी य्य्यू
विथ लव
दशरथ दा वड्डा पुत्तर ’राम
रविवार, अक्तूबर 28, 2007
राम की चिट्ठी सीता जी के नाम
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33 टिप्पणियां:
:) स्वागत है ! ..उड़न तश्तरी थोड़ी देर आँखों से ओझल हो जाए... सब अंर्तजाल रूपी आकाश को ताकते रह जाते हैं.
मान गए आपको.. गुरुवर !
बढि़या मजेदार
वाह। दशरथ पुत्र के इस पत्र का जबाब क्या दिया सीताजी ने? लिखिये। कल की पोस्ट का इंतजार है।
चलिये ये भी बढिय़ा रहा.अगली पोस्ट क इंतजार है.
प्रभु पहले मुझे लगा बहती गंगा में हाथ धो रहे हो राम सेतु के बहाने पर बाद में वेख्या ते मामला कुछ होर ई निकड़्या।
राम जी की चिट्ठी भी कितनी आधुनिक है और उस पर यह व्यंग्य खूब जँचा। पढ़ कर सुबह सुबह हंसना हो गया अब दिन अच्छा जायेगा।
वैसे मैं भी अब डेढ़ घंटा निकालने की कोशिश करुँगी।
चिट्ठों की इस नगरी में बेतकल्लुफी ही अपनापन बनाए हुए है। मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि इस नगरी में मैं भी रहती हूँ।
सी य्य्यू
विथ लव
दशरथ दा वड्डा पुत्तर ’राम
अफसोस पंजाबी नहीं आती। आती होती तो दशरथ दा पुत्तर की इस चिट्ठी पर जरूर लिखता। अभी तो हंस रहा हूं।
उस कना़डियन पंजाबी गर्लफ्रेंड को साधुवाद, जिसने यह रचना लिखी है, धांसू च मारू।
गुरुजी तुस्सी ए दस्सो कि अ चिट्टी रामजी सीता जी नूँ कदौ लिखी सी?
सुनीता(शानू)
बहुत मनोरंजक आधुनिक राम सीता का प्रसंग सराहनीय है काश इस आधुनिक युग मे यदि राम सीता होते तो सारी बाते वे मोबाइल पर कर लेते ओर हनुमान जी को शायद लंका जाने क़ी ज़रूरत भी नही पड़ती |
जानते हैं - मैं हिन्दू क्यों हूं? बस इसलिये कि अपने भगवान से इतनी मस्ती से मजाक कर लेता हूं - जैसे आपने लिखा है।
अपने भगवान अपने यार, फ्रेण्ड, फिलॉसफर और गाइड भी हैं - बिसाइड्स दशरथ दे पुत्तर के!
:)
मुझे लगा कि अचानक समीर जी कहाँ खो गए । चलो अच्छ है खोज खबर तो आई ।
कल के लेख का इंतज़ार रहेगा ।
सप्रेम
संजय गुलाटी मुसाफिर
ji, maja aa gaya... bahut dino baad ye chitthi padhi.. 2-3 sal pahle mere ek mitra ne mujhe e-mail ke jariye ye ram ji ki chitthi bheji thi..
ab aapake salah ka wait kar raha hun.. ki kaise aap itni tippaniya karte hain lagbhag har blog par.. aur wo bhi bas 1.5 ghante me hi...
आधुनिक राम जी ने बड़ी रोचक चिट्ठी लिख डाली. अछ्छी लगी.
मस्त है समीर भाई..
चलिए, बहस आगे ले जाने का रास्ता तो खुला...कितने सालों से अयोध्या में अटके थे लोग...अब बात होशियारपुर, पंजाब तक जाने की बारी है......:-)
खूब, मज़ा आ गया पत्र पढ़कर। अनूप जी की बात पर ध्यान दें, इसका एक जवाबी पत्र भी होना चाहिए सीता जी की ओर से!! :D
sameer
too good to give any comment , wow humor at its best . my late father was a profesor in hindi and he would also narate such things which would keep us is splits
sita if she is todays sita will sms her reply , waiting for your version of that reply
regds
rachna
समीर की उड़न तश्तरी के माध्यम से रामजी ने सीताजी से अपने दिल की बात कही। समीर-आत्मज (हनुमान) का जिक्र भी सलोना रहा। आप तो ब्लॉगसॅ की दुनिया में --मैन ऑफ सीरिज हैं---- आज का मैन ऑफ द मैच (डे) का खिताब भी आपके नाम ही रहा। पंजाबी में सरल शब्दावली यूं दिल में उतरती गई जैसे मक्के दी रोटी संग सरसों दा साग......लख लख बधइयां.
समीर की उड़न तश्तरी के माध्यम से रामजी ने सीताजी से अपने दिल की बात कही। समीर-आत्मज (हनुमान) का जिक्र भी सलोना रहा। आप तो ब्लॉगसॅ की दुनिया में --मैन ऑफ सीरिज हैं---- आज का मैन ऑफ द मैच (डे) का खिताब भी आपके नाम ही रहा। पंजाबी में सरल शब्दावली यूं दिल में उतरती गई जैसे मक्के दी रोटी संग सरसों दा साग......लख लख बधइयां.
बहुत बढ़िया लिखा है । पढ़कर मजा आ गया ।
घुघूती बासूती
बहुत बढिया!अगले लेख का इंतजार है।
अंतत: ओSSहSSS थोड़ी सांसे ले लूं… पसीना पोछ लिया आहSSS… समझ में यह भी समझ में आही गया…। और क्यों न आयेगा आपने जो लिखा है :)
आपकी तो पंजाबी भी दमदार है, आप जितना भारी-भरकम दिखते हो उससे भी ज्यादा असल में हो :-)
अच्छा ये पता कर के बताईये कि ओन्टारियो में कोई मैराथन दौड होती है क्या? आपके नाम से पंजीकरण करवाना है । अनूपजी ने दगा दे दिया, ज्ञानदत्तजी ने चर्चा ही नहीं होने दी, अब आप पर ही भरोसा है :-)
साभार,
सीता माता का जवाव
हो जी मैनूं मोबाइल ते मिलग्या,पर बीस नल दा साड्डे सात सौ दा पलान हाळा सिम भी भेजी बीसनल उत्ते बात करणा फीरी हा.होर मैनुं जलदी बुला ल्यो एदर मच्छर बोत है.होर एक कलर मोबाईल होर भेजी तैनुं एदर दी फोटुआं दिखावांगी
होर सत सिरी अकाल जी
:) :) और :)
हा हा, मस्त है!!
अगले लेख का इंतजार है!!
humesha ki tarah, badhiya post rahee sameer bhai - sneh,
-- lavany
बहुत जोरदार! मजा आ गया
दीपक भारतदीप
हा हा हा मजा आ गया। सीता जी के जवाब का इन्तजार है जी वो भी लिखिए। वैसे मोबाइल के साथ एक कंपुयटर भी भेज देते तो क्या हर्ज था विडियो कान्फ़्रेंसिग की सुविधा के साथ्।
ज़बरद्स्त....मज़ा आ गया जी...
हिन्दि मे खोज!
http://www.yanthram.com/hi/
हिन्दि खोज अपका सैटु के लिये!
http://hindiyanthram.blogspot.com/
हिन्दि खोज आपका गुगुल पहेला पेजि के लिये!
http://www.google.com/ig/adde?hl=en&moduleurl=http://hosting.gmodules.com/ig/gadgets/file/112207795736904815567/hindi-yanthram.xml&source=imag
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