ट्रिन..ट्रिन...
'हेलो, सबसे तेज चैनल "बात-कर"? मैं दस्युराज मरखाम बोल रहा हूँ.'
'अरे दस्युराज, बहुत दिन बाद फोन किया? सब ठीक ठाक तो चल रहा है?'
'हाँ भई, सब ठीक चल रहा है. अभी चुनाव में काफी व्यस्त थे. कल ही फारिग हुये हैं तो सोचा कि अब काम धंधे से लगें. एकाध डकैती डाल ली जाये.'
'यह तो बड़ा नेक विचार है. कहाँ डकैती डालने का विचार है?'
'वही सेठ करोड़ीमल के यहाँ. बहुत माल जमा किये है, स्साला!!. न जाने कैसे ये लोग दो नम्बर का पैसा हजम करते हैं. हम तो जब तक जान की बाजी लगाकर मेहनत से छीनकर न लायें, हजम ही नहीं कर सकते.'
'सेठ करोड़ीमल के यहाँ!! कोई फायदा नहीं. उनके यहाँ तो अभी दस मिनट में सरकारी डाका पड़ने वाला है. हमें लाईव कवरेज का एक्सक्लूसिव कान्टेर्क्ट मिला है.'
'सरकारी डाका??'
'हाँ भाई, आयकर का छापा मारा जा रहा है. अति गोपनीय खबर है. हमारी टीम तो कवरेज के लिये निकल भी गई है स्पॉट पर.'
' बहुत तेज खबर लाते हो भाई!! वाकई, फिर तो कोई फायदा नहीं है वहाँ जाने का. जूठन भी नहीं छोड़ेंगे वो तो.'
'हाँ, तुम्हारे डाके से तो कुछ दिन में आदमी उबर भी जाये. सरकारी डाके में तो रुपये पैसे के साथ इज्जत अलग जाये और सारी जिन्दगी की उगाही बोनस में. जब देखो तब होली दिवाली नज़राना पहुँचाओ, लिस्ट में नाम जो चढ़ गया.'
' बताओ, हमारी तो पूरी टोली तैयार बैठी है. फिर हम सेठ इतवारी लाल के यहाँ डाका डाल देते हैं.'
'दस्युराज, आप वहाँ एक दो दिन रुक कर डाल लें.दो दिन का मसाला तो हमको मिल ही गया है, इस सरकारी डाके से. उसके बाद फिर आपकी कवरेज कर लेंगे.'
'अरे, दो दिन बाद से हम खाली नहीं हैं. राजधानी जाना होगा. चुनाव परिणाम आ रहे हैं. जोड़ तोड़ के बिना सरकार बन नहीं पायेगी. कौनो मेजारटी तो आ नहीं रही. इस बार भी सब हमारी महिमा पर निर्भर करेंगे.'
'तब फिर वहाँ से फुरसत होकर डाल लिजियेगा. न तो सेठ जी कहीं जा रहे हैं, न ही आप और न उनकी दौलत. आराम से डाल लिजियेगा और हम तो हैं ही कवरेज के लिये.'
'नहीं भाई नहीं, हमारे पास बस आज और कल का ही समय है. आप तो अपनी टीम भिजवा कर लाईव कवरेज करवाईये या फिर हम दूसरे चैनल वालों से बात करें?'
'कैसी बातें कर रहे हैं आप? यह मत भूलियेगा कि आपको उठाईगीर से दस्युराज का खिताब दिलाने वाला भी हमारा ही चैनल है. झूठी डकैतियों में भी आपको ही हाई लाइट किया. वारदातों पर वारदात दिखाई. तब जाकर आप जीरो से हीरो बने. बड़े बड़े लुटेरों को बिना कवरेज के निख्खटू बना दिया सिर्फ आपको प्रमोट करने के लिये. आपके नाम की दहशत का माहौल हमने बनाया और आज आप ऐसी बात कर रहे हैं.-
-आपने अगर किसी दूसरे चैनल को अपना काम दिया तो हम फिर किसी और को प्रमोट करेंगे, तब आप हमसे कुछ न कहियेगा. आप तो जानते हैं हम तो मरे गुण्डे तक को वाया आतंकवादी घोषित करवाते हीरो बनवा दें, फिर जिन्दा की तो बात ही क्या है. बहुत तेज चैनल है हमारा. हमसे आगे कोई कहीं नहीं पहुँच पाता. घटनाकार भी नहीं. अरे हमारी तेजी तो ऐसी है कि बच्चा जब घर से गढ्ढे में गिरने के लिये निकलता है तब से कवर करते हैं और तब तक करते हैं जब तक की सरकार उसे गढ्ढे से निकाल न ले. अनेकों उदाहरण हैं हमारी तेजी और फुर्ती के-बंदा कलेक्टरेट में जेब से जहर की बोतल निकालता है और हम कवर करना शुरु कर देते हैं जब तक पुलिस या आम नागरिक उससे जहर की बोतल छीनकर उसे मरणासन्न अवस्था में अस्पताल न पहुँचा दें. हम न तो पुलिस हैं और न ही आम नागरिक कि उसे बचायें. हमारा काम कवरेज करना है, सो हम से बेहतरीन कोई नहीं कर सकता. हमारी कवरेज के लोग मुरीद हैं, कहाँ मिलेगी आपको ऐसी कवरेज?? जाना है तो शौक से जाईये मगर फिर हमसे कोई उम्मीद मत रखियेगा.'
दस्युराज को भावावेश में की गई अपनी गल्ती का एहसास हो गया. वो इस चैनल की फुर्ती और तेजी का आख्यान सुन के भावविभोर हो उठे और अपने उपर किये गये इनके अहसानों से इतने द्रवित हुए कि आँख भर आई.
भर्राये गले से सिर्फ इतना ही बोल पाये कि 'सॉरी' और फोन रख दिया.
अब चुनाव परिणाम आने के बाद ही डाके की सोचेंगे.
तब तक आप देखते रहिये..सबसे तेज चैनल..."बात-कर".
बुधवार, मई 09, 2007
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23 टिप्पणियां:
nice blog
अरे शरम आनी चहिये आपको.इतनी निजी और गोपनीय बातें आपने सार्वजनिक कर दीं.आप पर हरिद्वार के कोर्ट में मानहानि का मुकदमा किया जायेगा.और फिर रवि जी तो बोल ही चुके हैं कि कोई चाहे टोरंटो में भी क्यों ना हो ..बच नहीं सकता. :-) बच के रहना रे बाबा.
नही काशेश भाई मुरैना या ग्वालियर मे ही करना होगा ये मोलिक अधिकारो का उल्लघन है आप किसी से बतियाकर वो भी टेलेफ़ोनवा पर इस तरह सार्वजनिक नही कर सकते या तो फ़िर आप कोर्ट को बता कर कर स्कते है मै तो सोच रहा हू आज शाम को इस पर एक लाइव कार्यक्रम और sms द्वारा पोलिंग भी कराले आखिर देश के डाकुओ को भी मानवाधिकार और डाक्वाधिकार के बारे मे पता चलना चाहिये अभि तक हम केवल आतंकवादियो को ही उनके मानवाधिकार के बारे मे बताते आये है
समीर भैय्या, बड़ा मस्त मस्त लिक्खा है.
वाह, वाह
आलोक पुराणिक
अरे इतनी तेजी से निकल लिए. सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र
चलो हमारी पकड से कहाँ बचेंगे. अभी सवेन्दनशील होकर थोडी मार लेते हैं.
ही ही, अब देखो संगत का असर मैं कवि होने लगा आप मारने लगे. :)
होता है होता है, जहाँ चार यार मिल जाए वहाँ रात हो गुलजार... :) लगे रहिए, लगाए रखिए. :)
नहीं आज कोई कविता नहीं. टु बेड...
तीस मारखाँ न समझो. आपने यह शानदार व्यंग्य लिखना शुरू भी न किया होगा,उससे पहले ही ब्रेकिंग न्युज पर इसकि खबर हमे लग गई थी.:)
ये चैनल तो बाकी दूसरे चैनलों की छुट्टी कर देगा।
अरे भाया,इस तरह तो चैनंलो की ऎसी तैसी ना करो। बेचारे पहले ही नजरो से गिरने लगे हैं लोगो की। अपनी ऊट पटांग खबरों के कारन तो वा सब की रोटी चलती है। भले ही जो आप ने बतिया वह सब सच है।
बहुत अच्छा कटाक्ष किया है।
अपनी पत्रकार बिरादरी कहां बैठी है. "सबसे तेज चैनल" के माधय्म से यह "उड़न तश्तरी" उन का चरित्र हनन कर रही है और वे कसमसा भी नहीं रहे?
आखिर लपेट ही लिया आपने इन्हें।
मस्त लिखा है,
ऐसे ही मस्त मस्त लिखते रहे तो मुझे आपके लिए
"मस्तराम" की उपाधि दिलवाने के लिए सिफ़ारिश करनी पड़ेगी। हे हे
A very good and interesting blog.. Keep up the good work
बढ़िया व्यंग्य दस्युराज की कहानी पर जबरदस्त लपेटा 'बात कर' को
बड़ा ही तेज़ चैनल है यार,..
समीर भाई एसे ही लिखते रहीये,..और हमे जगाते रहीए,..
सुनीता(शानू)
अहा "बात कर"
दिने मे कर, रात कर!
यूं ही सब को मात कर!
तेज तेज बात कर!!
वाह वाह!!!!! यह" बात कर "ने तो कमाल ही कर दिया......क्या तेज़ चैनल हैं भाई......
वैसे बिल्कुल सटीक व्यंग हैं......यह चैनल हर बार सारे अवार्ड्स ले जाता हैं.......इसकी तेज़ी की कुछ तो तारीफ होनी ही चाहिऐ।
वाह समीर जे जे तो वाकई बहुत तेज चैनल है तेजी का ही जमाना है जी मंदी का नहीं ! सबसे तेज की होड में हम गिरे पडे भागे जाते हैं लाइव कवरेज का सुख और लाइव देखने का सुख सबको चाहिए ही !
आज तो डकैती डालने का विचार भी बडा नेक है और ये चैनल न हो तो हमारी प्रतिभा को कौन पहचानेगा जी हम निरे उठाईगीर से दस्युराज तो कभी न बन पाऎगे न
sameer ji
kya khoob likh dalte hain har mudde par aaram se. yah koun si channel par aapne kripa nazar ki hai?? jara batayen to. aap jaise baat karte ho, waisa hi likhte ho, yah kam dekhne ko milta hai. bahut achcha likhate hain.
Khalid
अच्छा है। २० टिप्पणियां करने के लिये खास तौर पर तारीफ़ कर रहा हूं! :)
लेख बढ़िया है समीर भाईसाहब। कविता की पुस्तक के साथ एक व्यंगएय संग्रह भी प्रकाशित हो जाए।
हमेशा की तरह एक और नई समस्या का हंसभरी शैली का सुंदर लेख! अगली कवरेज
का इंतज़ार है।
हमेशा की तरह एक और नई समस्या लिए सुंदर हंसभरी लेख! अगली कवरेज का इंतज़ार है।
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