अभी अभी शादी से लौटे, तब ख्याल आया कि कल तो हमें कुछ लिखना नहीं है. कल हम ३० अप्रेल को सारे ब्लॉगर द्वारा वर्जनिया टेक की घटना के विरोध में ब्लॉग न लिखने के समर्थन में नहीं लिखेंगे. तब सोचा, सबको बता दें कि आ गये हैं पहले से बेहतर होकर जो कि आप निम्न पंक्तियों से समझ जायेंगे:
दो दिन की छूट....
कई माह तक कसरत करके
थोड़ा वज़न घटाया था
तले भूने का मोह छोड़ कर
नया रुप कुछ पाया था.
शर्ट हमारी लटक रही थी
गेलिस से थी पैन्ट टंगी
हमरी फिटनेस की बातों से
सारी खबरें खूब रंगी.
हमसे पूछें अदनान सामी
कैसे दुबले होते हैं
हमने कहा-क्या जानें वो
सारा दिन जो सोते हैं.
खेल सीख कर हमसे सारे
वो दुबले हो अब गाते हैं
हमको जाना था शादी में
हम कार चलाये जाते हैं.
सुबह शाम बस दावत चलती
हलुआ पूरी खाते हैं,
जितना वजन घटाया था
दुगना उससे पाते हैं.
इतने दिन की मेहनत सारी
अब तो मटिया मेट हो गई
शर्ट कसी है पेट के उपर
पैन्ट लगे लंगोट हो गई.
मोटों की बिछड़ी दुनिया में,
फिर से मेरी पूछ हो गई!!!!!
मेरी मेहनत की अब दुश्मन
दो ही दिन की छूट हो गई!!!
--समीर लाल 'समीर'
शनिवार, अप्रैल 28, 2007
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11 टिप्पणियां:
^मोटों की बिछड़ी दुनिया में,
फिर से मेरी पूछ हो गई!!!!!
मेरी मेहनत की अब दुश्मन
दो ही दिन की छूट हो गई!!!^
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हा हा हा
अच्छा रहा।
भाई दावत में क्या क्या उड़ा आए वो भी तो बताएँ आप तो सिर्फ after effects की बात बता के खिसक लिए :)
आप की पँक्तियाँ मेरे ऊपर भी बिल्कुल सही बैठती हैं, बस फर्क इतना है कि हमारी छूट दो दिन की नहीं, अधिकतर छूट ही छूट है!
दो दिन की जगह तीन कर दीजिए। आपको हमारे यहाँ भी खाना है। हम तो पहले ही जानते थे आप बहाना बनाएंगे।
शादी कैसी रही ?भाई शादी मे जाएँ और वजन ना बढे ,ये कुछ ठीक नही लगता है।
वापस आ गये। वाह बधाई!
समीर जी,
बधाई। वापस आने की। इच्छनुसार भोजन करना दसवीं सिद्धि है जिसके बारे में पतरची लोग कुछ नहीं जानते हैं।
समीर भाई
लगता है दावत ने नई कमीज, पैन्ट खरीदवाने की हालत कर दी है। पुराने कपड़े फेंकना मत।
दो चार बार श्री देवानन्द जी की पार्टी में चले जाना। खाने में भुने हुए चने के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। एक पंत दो काज! दावत भी और वजन भी सही नापे में आजाएगा।
पहले वाले कपड़े फिर से फ़िट हो जाएंगे।
अगली पोस्ट का बेसब्री से इंतज़ार है।
स्वागत है।बढ़िया पोस्ट के साथ वापसी।
अरे गुरुवर फोटो लिए थे कि नही कम वजन वाला?
खूब दावत उडा के आए हो आप. ऐसे लोगों से सख्त नफरत करता हुँ जो दावत खाने जाए और मुझे नहीं ले जाए.
:)
मुझे दावतें बहुत पसन्द है. अगली बार जरा ध्यान रखा जाए श्रीमान, अगर हम और आप मिल बाँट कर खाएँ तो मेरा मन भी रमा रहेगा और आपकी सेहत भी दुरूस्त रहेगी. :)
आओ मिलकर खाँए दावत,
उदरस्थ करें मेवा मिठाई,
मैं हो जाऊँ थोडा मोटा,
आपकी भी ना हो जग हँसाई,
लगो आप फिर स्लीम और ट्रीम,
कि ब्रुश ली को भूल जाएँ लोग,
उडनतस्तरी उडे और ऊँची,
सुधारो अपना लोक परलोक.
लगता है खूब माल उड़ाया है।
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