एक बार बाल झड़ जाने के बाद उनके वापस आने का इंतजार ठीक वैसा ही है जैसे भारतीय नौकरशाही में संपूर्ण इमानदारी की बहाली का इंतजार करना. चार-छः अधिकारियों के यहाँ छापे मार उनके स्थान पर दूसरे अधिकारियों को बैठाना, इमानदारी की बहाली का बाह्य भ्रम तो पैदा कर सकता है, जैसे कि आप विग आदि पहन कर सर पर हरियाली बहाली का भ्रम पैदा कर दें. किन्तु हर हाल में दोनों की भीतरी और सत्य स्थिती बिल्कुल भिन्न. भ्रम के मायावी जाल की उम्र वैसे भी अधिक नहीं होती और जल्द ही सत्यता उजागर हो जाती है, किसी न किसी तरह. हालात ऐसे हो जाते हैं कि विग पहना आदमी, तेज आंधी, बारिश आदि को देख, विग संभालते हुये, सोचता है कि आखिर ये मेरे ही पीछे क्यूँ पड़े हैं. यह ठीक वैसा ही है जैसे कि भ्रष्टाचार में लिप्त नौकरशाह लोकायुक्त के अधिकारियों के प्रति या कि तहलका चैनल के फोड़ू पत्रकार के प्रति अपनी पुण्य सोच रखते हैं.
स्वामी बाबादेव कहते हैं कि नाखूनों को आपस में घिसो तो उजड़ी बालों की फसल वापस आबाद हो जायेगी और बालों की पतन की गति में भी त्वरीत विराम लगेगा. खैर इस केश पतन रुपी दुर्गती की गति में तो विराम नहीं लगा किन्तु अब हम ऐसे स्वामी बाबादेव की खोज में लगे हैं जो घीसे नाखूनों को वापस उगाने का सुगम उपाय बता सकें. पहले सिर्फ़ बाल ही नहीं उग रहे थे, अब नाखून भी नहीं उग रहे.
बालों में आई सफेदी को तो फिर भी परिपक्वता की निशानी मान झेली जा सकती और गोदरेज और लोरियल जैसे बालों को मूल रंग देने की सुविधा का उपयोग करते हुये परिपक्वता को अल्ल्हड़पने में बदला जाना बहुत सरलता से संभव है, इसी लिये केशव, जो कि बड़े भावुक और रसिक व्यक्ति थे, का एक बार वृध्दावस्था में किसी कुएं पर बैठकर वहां पानी भरने के लिए आई हुई कुछ स्त्रियों ने उन्हें बाबा कहकर संबोधन करने पर, कहा गया यह दोहा, गोदरेज और लोरियल के जमाने में अपनी प्रासंगिगता खो चुका है:
केशव केसनि असि करी, बैरिहु जस न कराहिं
चंद्रवदन मृगलोचनी बाबा कहि कहि जाहिं।
मेरी नजर में अब इस दोहे का कोई महत्व नहीं. यह ठीक उसी गीत की तरह हो गया है जिसमे आज के ईमेल, एस एम एस और मोबाईल के जमाने में, प्रेम पत्र किताब में रख कर गोरी तक पहूँचाने की कोई बात करे.
मगर वहीं सफेद बालों की जगह टकलापन, परिपक्वता की चरमावस्था के बाद की स्तिथी को दर्शाता है, जैसे की पका फल अति पकने के बाद पिलपिला जाये. न खाया जाये और न किसी को खाते देखा जाये. ईश्वर से यही प्रार्थना रहती है कि अगर कोई नाराजगी हो ही गई हो, तो सारे बाल सफेद कर दो, एक वाईज़ मेन की उपाधी से कोई ऐतराज नहीं और अगर होगा भी, तो रंग रोगन से दुरस्त कर लेंगे मगर ४०-५० की बाली उमर में सठियाये से नवाजे जायें, यह बर्दाश्त करना बहुत ही मुश्किल होगा.
मुझे ज्ञात है कि बहुतरे लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं और जो नहीं जूझ रहे, वो जल्द ही जूझेंगे. जनहित में स्वामी समीरानन्द के द्वारा बाल आरती जारी की जा रही है. हर रोज प्रातः इस आरती को कर हमारा पुण्य स्मरण करने से निश्चित लाभ होगा:
(कृप्या इसे 'हे प्रभु, आनन्द दाता, ज्ञान हमको दिजिये....' की तर्ज चुरा कर इस आरती को गायें, आरती के लिये धुनों की चोरी मान्यता प्राप्त प्रचलन है और यह चोरी की श्रेणी में नहीं ली जाती :) )
बाल आरती
हे प्रभु, हे बाल मेरे,
अपना गिरना रोकिये
इस तरह न बीच
भव सागर में
हमको झोंकिये.
आप मेरा बालपन से
साथ देते आये हैं
आपकी मालिश बहुत हम
तेल से करवाये हैं.
किस खता से आप हमसे
इस कदर नाराज हैं,
इस सलौने मुड़ के
आप ही सरताज हैं.
हर तरह के शैम्पू हैं
आप ही के नाम पर
रोज अर्पण कर रहे हैं
फल न मिलता बाल भर.
नाखूंनों को घिस रहा हूँ,
बस इसी एक आस में,
कोई कमी न रह गई हो
मेरे इस प्रयास में.
रोज आते हो उलझकर
कंघियों के साथ में,
इस तरह से बह गये हैं
ढेर सारे बाथ में.
उम्र पर दें ध्यान थोड़ा
साथ यूँ न छोड़िये
आप गिरने के सफर में
विश्राम थोड़ा लिजिये.
आपसे ही तो छुपी है
उम्र की अंगड़ाईयां
आप ही जब चल दिये
दिखने लगेंगी झाईयां.
क्या बुरी है खोपड़ी पर
आपकी यह आसनी
आप नाली में बहे और
दिख रही यह चाँदनी.
आप मेरी आँख में
आई उदासी देखिये
कह रहे हैं लोग सारे
अपनी कंघी फेकिये.
माँगता दस साल केवल
शान से सर बैठिये,
हे प्रभु, हे बाल मेरे,
अपना गिरना रोकिये.
--समीर लाल 'समीर'
चलते-चलते: कोई भी बालाभावित इसे व्यक्तिगत न ले, हम स्वयं कुछ दिनों में उनके समकक्ष नजर आयेंगे. :)
रविवार, फ़रवरी 04, 2007
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35 टिप्पणियां:
aapne achchha likha hai. palke to shirshk ko dekh kar laga ki yay bal bachcho par likha gaya hai par yah to us baal ke upar likha gaya ha jiske girane se chand chamk udhta hai.
यह बचे बालों की पीड़ा है। जैसे गिरती सरकार से समर्थन वापस लेने की विधायकों / सांसदों में होड़ मचती है वैसे ही बाल भी पतन-दौड़ में शामिल होते हैं। यह आरती पढ़ते समय इसका मतलब पता चला- खुदा गंजे को नाखून नहीं देता। इसीलिये नहीं देता होगा कि गंजा कहीं फिर से बाल न उगा ले। बाल-आरती के लक्षण ठीक नहीं है यह अब चुरायी जायेगी। इसमें हमारी सुझाई तरकीब पर अमल करते हुये हर पद के बाद लिख दीजिये-
यह आरती हमारी लिखी नहीं है। इसे हमने स्वामी समीरानन्दजी के ब्लाग से चुराया है।
बाल आरती पढ़कर आनंद आया।
जो हर रोज़ नहाकर बाल आरती गाए,
उसके सिर की खेती लहर के लहराए,
बोलो स्वामी समीरानंद महाराज की जय।
शीर्षक देख हम समझे कि बच्चों की तारीफ में कुछ लिख दिये हैं :)
पता नहीं आजकल आपके यहां टिप्पणी करने आओ तो कोई शेर ही याद आ जाता है:
"सरकती जाये है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफताब आहिस्ता आहिस्ता"
:D :D
लगता है अब समय आ गया है जब हम इस आरती को आरती संग्रह में स्थान दें, व नितमीत पाठ करें. धन्यवाद आपका की इस गुढज्ञान सम आरती को लोककल्याणार्थ सार्वजनिक किया.
मैं तो कहुंगा जिनके बाल अब टा टा, बाय बाय करने लगे हैं, उन्हे इस आरती के 101 जेरोक्षकॉपी (उत्तम फल के लिए नाहरजी की मशीन से) करवा कर वांटने चाहिए. उनके बालो को फायदा होगा.
बाल की खाल तो खूब निकाली लालाजी...
अब अगर बाल बाल बचे तो आपके नक्शे कदम पर भी चल कर देख लेंगे.
क्या बात है !
आप किसी बालरोग वि्शेषज्ञ से क्यो नही मिल लेते ?
बाल कथा मे बाल महिमा के साथ आरती कमाल की रही!!
बालों की महिमा है समीरजी कि साल में एक दिन "बाल दिवस" भी मनाया जाता है.
:)
वाह वाह वाह समीर जी,
(अगर आप अनुमति दें तो चुरा लूं)
मैथिली
क्या बुरी है खोपड़ी पर
आपकी यह आसनी
आप नाली में बहे और
दिख रही यह चाँदनी.
हा हा हा हा! बहुत खूब जनाब !
आपकी बाल भारती पढ़कर आनंद आ गया ।
बहुत खूब ....लगे रहो लालाजी
हमारी परेशानी कुछ दूसरी ही है, हम जरूरत से ज्यादा बढ़ते बालों से परेशान हो चुके हैं।
दो महीने में तीन बाल बार कटवाने पड़ते हैं और हर बार चालीस रुपये बाल कटवाने के, यानि एक दिन में दो रुपये के बाल बढ़ जाते हैं।
आप की बाल आरती पढ़ी ही नहीं कहीं और ज्यादा बाल बढ़ने लगे तो?
लेख पढ़ने में अगर बाल ज्यादा बढ़ने लगे तो अगले महीने नाई का बिल आपको भेज दूंगा। :)
भाई प्रमेन्द्र,
सर्वप्रथम तो तारीफ के लिये धन्यवाद. फिर क्षमाप्रार्थना कि एक ‘बाल’ ने आपको भ्रमित किया और वो भी ऐसा कि आप हिन्दी के अऔजार तोड़कर रोमन पर उतर आये. :) कोई बात नहीं, आते रहना चूँकि अब तो भ्रम के बादल छँट चुके हैं. :)
अनूप भाई
ज्ञान बांटों, ज्ञान मिलता है. देखिये, आपने भी क्या ज्ञान की बात बता दी कि गंजों को माखून क्यूँ नहीं दिये जाते. :)
रही बात चोरी की तो हो जाने दो, भाई. एक बार यह भी सही, कुछ और लोग पढ़ लेंगे. और वैसे भी अब तो मैथली भईया भी ब्लागर हो गये हैं और बिना बताये तो चुरायेंगे नहीं. बता कर चुराना चोरी थोड़ी कहलायेगी!!
बहुत धन्यवाद, रचना को इस स्तर का समझने के लिये, अब देखो, मैथली जी कैसा आंकते है इसे. नहीं तो हम फिर इंतजार करते रह जायें और बाद में चोरी न हो, तो मुंह लटकाना पड़े. :)
अभिनव भाई
आप आरती पढ़कर आनन्दित हुये और हम आपका आनन्द देख कर. धन्यवाद, स्तुति मंत्र जनता को प्रदान करने के लिये. :)
जगदीश भाई
कभी कभी भ्रम की स्थिती भी मजेदार होती है, खास कर जब आहिस्ता आहिस्ता नकाब खिसक रही हो!!
धन्यवाद…
संजय भाई
आपका इस तरह की धार्मिक रचनाओं के प्रति रुझान और तरकश पर जन कल्याणार्थ इनके संकलन के विचार को देख मन भाव विभोर हो गया और यह जागृति आई कि धर्म अभी मरा नहीं है. :)
इस तरह की और भी धार्मिक रचनायें उपलब्द्ब करा पाऊँगा जैसे कि ताली महात्म, ऑफिस पुराण और साथ ही स्वामी समीरानन्द जी की प्रवचन माला, यह मेरी तरफ से धर्म सेवा में छोटा सा योगदान होगा, नान-कामर्शियल, मात्र जनहित हेतु. आप निमित्त बन रहे हैं. ईश्वर आपके बालों की रक्षा करेगा यथा संभव. :)
बाकी तो धन्यवाद है ही!!
पंकज
आज नहीं तो कल-आना तो पड़ता है ईश्वर सेवा में. कोई जल्दी पहुँचता है, कोई देर से. इंतजार रहेगा. वैसे तुम्हारी तरफ से भी मैं ही आरती करके देखता हूँ ताकि तुम्हें मेहनत न करनी पड़े मगर फल हल्का फुलका ही मिलता है ऐसे में. :)
अफलातून भाई
अगर आप पूछ रहे हैं कि क्या बात है!!- भैया, कोई खास नहीं, बस हल्की सी धरम करम और उनके फलों पर चर्चा चल रही है, बाकि कोई विशेष नहीं.परेशान न हों. :)
और अगर प्रश्न चिन्ह, भूलवश नहीं जानबूझ कर छोड़ा गया है, तो बहुत धन्यवाद, आरती पर दाद के लिये.
आशीष
गया था बाल रोग विशेषज्ञ के यहाँ. चपरासी ने बाहर से भगा दिया, बोला, मरीज को साथ लाओ.
रचना जी
रही न कमाल की!!
मैने तो पहले ही बताया था कि एक दिन कमाल करुँगा. चलो, वो भी लगभग हो ही गया. :)
पसंद करने के लिये धन्यवाद.
अनुराग भाई
बस बाल गिरना रुक जायें. एक दिन तो क्या, हर रोज बाल दिवस मनायेंगे.
धन्यवाद.
मैथली भाई
आपने इतना सम्मान दिया. जिसका हमको कब से इंतजार लगा था वो घड़ी भी आप ला दिये. वरना मैं तो आपको चिट्ठी लिखने वाला था कि भईया, आज जो लिख दिया है, इससे ज्यादा मेहनत से अब न लिख सकेंगे. सच मानो तो आपके लिये लिखें हैं… :)
अब आप ने पूछ लिया है और मैं तो यूँ भी आग्रह का कच्चा हूँ तो ये वाली ले जाओ भाई. धर्म का काम है यह तो. थोड़ा साथ मे नाम-साम रंग बिरंगा छाप देना और फोटू भी चाहिये हो, तो बताना शरमाना मत. :)
धन्य धन्य हे गुरुवर। इस आरती की जरुरत तो मुझे अभी से पड़ने वाली है, भरी जवानी में बाल बेवफाई करने पर तुले हैं।
वैसे संजय जी का सुझाव भी अच्छा है। :)
मनीष भाई
आरती को दाद मिली, वाह वाह. बहुत धन्यवाद. :)
रीतेश भाई
आपको आनन्द आया, हम आनन्दित हुये. आरती को दाद मिली, बहुत धन्यवाद. बाकि लगा रहूँगा आदेशानुसार. :)
सागर भाई
बहुत धन्यवाद. बिल के साथ जो बाल कटवाये हो वो भी भेज देना, विग बनवा लेंगे. फिर भी भविष्य निधी के हिसाब से आरती पढ़ते रहने में कोई बुराई नहीं, वो तो सुना ही होगा:
दुख मे सुमरन सब करें, सुख में करे न कोय….. :)
कमाल की घुमाई कंघी की हम सबों के बाल उड़ गये…पर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मुझे लगता है टकले लोगों पर खुदा की महर ज्यादा करीबी होती है…बाल आपके पुरातन जंगली होने की पहचान करवाता रहता है…जैसे पशुओं के बाल ही बाल होते हैं जो गंजे है वो तो खुदा की नजर में पूर्णत: इंसान…हुए न… :)
बेहतरीन आरती लगी बधाई!
बाल सर से हों नदारद, किसलिये घबरा रहे हो
बात ये है मित्र मेरे, इक बड़े सम्मान की
जितने कम हों बाल सिर पर उतना ही आदर बढ़े
लोग कहते आप तो हैं खान गहरी ज्ञान की
शैम्पू का, तेल का खर्चा सभी बच जायेगा
और नाई को न देने फिर पड़ेंगे बीस डालर
चाँद पर जब चाँद चमके, चाँदनी की रात में
जान लीजे तब उमड़ने लग पड़ेगा भाव सागर
श्रीश भाई
यह ईश्वरीय कहर सब पर समदृष्टी रखता है, उम्र या लिंग का कोई भेदभाव नहीं करता. इसीलिये स्वामी समीरानन्द कहते हैं कि इस आरती का नित्य पाठ करना चाहिये वरना न जाने कब कोप भाजन करना पड़े. :)
यह आपने अच्छा बता दिया कि संजय भाई का सुझाव अच्छा है. उन्हें ईनाम दिया जायेगा. श्रीश भाई, आप सबका कितना ख्याल रखते हैं. :)
दिव्याभ भाई
अभी आपको जबाब लिखने को कलम उठाई ही थी कि गालिब का शेर बज उठा..”दिल को बहलाने, गालिब ख्याल अच्छा है.” –मगर दिल का हाल तो दिल ही जानता है.
आपका वचन अपने बुरे दिन में खुद को बहलाने को रख लिया है. साधुवाद आपका और आरती बेहतरीन लगने एवं बधाई के लिये धन्यवाद भी. :)
राकेश भाई
ये गालिब का शेर तो फिर लूप में बज उठा..”दिल को बहलाने, गालिब ख्याल अच्छा है.”
बाकि आपके ख्यालों को भी बुरे वक्त के सफर में दिल बहलाने को रख लेता हूँ. :) बहुत धन्यवाद प्रोत्साहन के लिये.
पहले हमने सोचा बच्चों की बातें कर रहे हैं आप लेकिन जैसे पढना शुरू किया तब लग गया अब इस बढती उमरिया में आप बाल महिमा की ही बातें करेंगे ना कि बाल मन कि। और बाल महिमा की आरती का तो कहना ही क्या
कोई भी बालाभावित इसे व्यक्तिगत न ले, हम स्वयं कुछ दिनों में उनके समकक्ष नजर आयेंगे. :)
तो इसका मतलब है कि कुछ दिनों मे आप इसे व्यक्तिगत ले ही लेंगे ;)
तरुण
हम तो खैर जब व्यक्ति्गत लेंगे तब पता चल ही जायेगा :) हमारा सर देखकर, मगर तुम अपनी जवानी में काहे इतना विचलीत हो रहे हो...थोड़ा धीरज धरो और आरती का पाठ शुरु रखो, सब अच्छा चलेगा, थोड़ा एक्सट्रा टाइम दिया जायेगा. :)
धन्यवाद रचना पसंद करने का!!!
महानता से परहेज क्या है...बापूजी और सरदार पटेल जी से ही दिखोगे...वैसे पोस्ट पढ़ कर हँस हँस कर थोड़े बाल हमारे भी गिर गये...:))
समीर जी लगता है लेख और रचना लिखने के लिए आपके पास विषयों की खान है। आपकी कलम से कोई विषय अछूता नहीं है। आपकी लेखनी सदा यूँ ही चलती रहे और हम सबको आनन्द के सागर में गोते लगाने को मिलते रहें :) बहुत-बहुत बधाई।
भाई आरती तो खूब रही, पर यह तो बतायें कि
मुझे ज्ञात है कि बहुतरे लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं और जो नहीं जूझ रहे, वो जल्द ही जूझेंगे. यह मंगल-कामना है, या फिर...??
बेजी जी
यह जिनके नाम आपने लिये-गांधी जी और सरदार पटेल, मेरी जानकारी में दोनों ही न तो महान पैदा हुये थे और न ही गंजे. अरे, उस महानता तक पहुँच तो जाऊँ फिर गंजा होने से कभी इंकार नहीं करुँगा. भले बाल बचे रह जायें, खुद मुड़ लूँगा. मगर आप इतना न हँसे कि बाल गिर जायें. आपकी किनसे तुलना करुँगा?? :)
अच्छा लगा, आप आईं, ध्यान से पढ़ा. हँसीं भी –बहुत धन्यवाद.
वैसे थोड़ा बचपन मेरा भी रावातभाटा की विद्युत मंडल की कॉलोनी में बीता है..जब डैम बना था. मेरे समझ से १९७२ तक.
भावना जी
अरे, विषय तो बस आसपास जो नजर आ जाये, अटक जाता है. आप सब की सराहना मिलती रहती है और हरदम नयी रचना रचती रहती है. ऐसा ही स्नेह बनाये रखें, आनन्द सागर में गोते लगवाने की गारंटी हमारी!! :)
धन्यवाद पधारने के लिये.
राजीव भाई
आरती पसंद करने का धन्यवाद. स्वामी जी की हर बात जन कल्याण में होती है, इसमें अन्यथा सोच नहीं होती..तो इसे मंगल कामना का ही दर्जा दिया जाये और शीश नवाये जायें. :)
ये रही अन्दर की बात. एक बार बडी अच्छी कहानी पढी थी कि एक आदमी (युवा और बुजुर्ग के बीच की अवस्था) की एक अधेड धर्मपत्नी और एक प्रेमिका थी. पत्नी उसके काले बाल उखाड देती थी और प्रेमिका सफेद बाल. बताने की आवश्यकता नही कि कुछ ही दिनों में सिर पर कैसा आफताब खिला.
अब समीरजी से ऐसी आशा तो नहीं थी परन्तु शोहरत चीज ही ऐसी होती है कब किसके पैर फिसल जायें कौन जाने. अरे भाई हम भी वैद्यजी के समान साश्वत सत्य बोलनें की मुद्रा में कहते हैं, “घोर कलयुग आ गया है, धर्म का नाम तो रसातल में चला गया है”
ये टिप्पणी गलती से कोई और पढ ले तो आफताब के प्रकट होने की दर ब्लाग पर आयी टिप्पणियों की संख्या के समानुपाती होगी. अब आप बतायें कि क्या इसे “नीरज का केश घनत्व निर्धारण नियम” कहा जा सकता है?
गुरुजी, वैसे तो अपनी खुपड़िया पे बालों के झंडे अभी बदस्तूर गड़े हुए हैं, लेकिन आपकी रचना पढ़कर सैनी हर्बल तेल खरीदने की ज़बर्दस्त इच्छा पैदा हो गइ. उत्तम रचना है आपकी बाल महिमा.
नीरज
चलो हम इसे “नीरज का केश घनत्व निर्धारण नियम” मान लेते हैं मगर भईया, बीच बजार हमारी टोपी काहे उछाल रहे हो. उम्र हो चली है, लिख कर खुश हो लेते हैं ,अब काहे की प्रेमिका. अगर कभी हुई तो तुमको अलग से ईमेल कर दूँगा, पक्का!!! :)
धुरविरोधी
बुरा नहीं चाहता मगर यह तो सबको झेलना है, आज नहीं तो कल.हर्बल तेल खरीद ही लो!!! हा हा, और नाखून घिसना शुरु करो, शुभकामनायें
समीर जी, अच्छी हास्य-रचना है - लिखते रहें। निरंतर में सुकुल जी के मार्फ़त आपके बारे में काफ़ी जानकारी प्राप्त हुई।
बाल बाल दिन ये आये
बाल बाल दिल ये गाये
तू रहे हजारों साल ये मेरी है आरज़ू
हैप्पी बाल-डे टू यू
हैप्पी बाल-डे टू यू.
ध्यान देने वाली बात ये है कि बाल कभी गिरते या झड़ते नहीं है. बाल भी ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन करते हैं. जैसे जैसे उमर बढ़ने लगती है देह की प्राकृतिक क्रिया बालों को सर से खींच कर उन्हें शरीर के दूसरे हिस्से से निकाल देती है - उदाहरण के तौर पर आपके कानों से.
इस लिये समीर इस बात से दुखी न हों. आपके बाल कहीं गये नहीं हैं वो अभी भी आपके ही साथ आपके शरीर पर हैं.
Simply Supreb!
I have just started reading you blog and I am looking forward to read it soon enough.
Your flair for writing is 'interesting' indeed.
kudos!
PI
WaaaHhhhhhhhhhhhh!!!
Bahut hi sunder aur anupam peshgi hai is BloG ki. Baal Aarti padkar anand aya, Sameerji keep it up. HouslOn ki bulandiyan jhalkiyOn ke taur jhanti nazar aa rahi hai,
Mubarak ho.
Devi Nangrani
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