अभी कुछ दिन पहले पंकज ने मेक्सिम पत्रिका से मन्दिरा बेदी की तस्वीरें अपने ब्लाग पर छापी थी और कहा कि मन्दिरा जो कि अपने X-Factor के लिए हमेशा चर्चा में रही. इस बात पर उनके पाठकों ने X Factor के बारे में जानने की जिज्ञासा प्रकट की. पंकज इस X Factor को समझाने का जिम्मा उसी वक्त, वहीं टिप्पणी में, हमारे उपर टरका कर किनारे हो गये और रोज पूछते हैं कि क्या हुआ, कब लिखोगे. यह उनकी आदत है कि कहीं पर कुछ भी फैला लो और फिर किसी के सर पर भी टोपी रख दो कि जरा इसे साफ कर देना और उस पर से तुर्रा कि जरा जल्दी और ठीक से और शुरु तकादे की झड़ी. मगर फिर भी हम सब झेलते हैं और उनके आगे पीछे घूमते रहते हैं. दिखने में दुबले पतले, एक औसत और आम नागरिक, हर चीज में नार्मल टाईप मगर फिर भी न जाने क्या बात हैं उसमें कि सब उससे जुड़ना चाहते हैं. उससे बात करना चाहते हैं, मिलना चाहते है. यह वो भी नहीं जानता. कोई विशेष खासियत वाली बात नहीं मगर फिर भी एक अद्दश्य, अनजान कोई बात है बंदे में और वो ही तो X Factor कहलाता है. X Factor का धारक खुद नहीं जानता कि उसमें X Factor है. बस लोगों को आकर्षित करने की, सम्मोहित करने की एक आलोकिक और अदभूत इनबिल्ट शक्ति- यही X Factor है.
यह X Factor अधिकतर (अधिकतर शब्द पर गौर फरमाये अर्थात सबमें नहीं) सेलेब्रेटी म्यूजिक और फिल्म स्टार्स में बहुतायत में पाया जाता है. लोग पागलो की तरह टूट पड़ते हैं उनकी झलक पाने. अब यह टूटन कभी कभी Sex Appeal से भी प्रभावित होती है और यही X Factor की परिभाषा की समझ में द्वंद पैदा कर देता है. मगर मेरी समझ से X Factor और Sex Appeal के मायने आपस में एक दूसरे से बहुत भिन्न हैं, यह मैं आपको उदाहरण देकर बाद में समझाता हूँ. अभी के लिये तो बस इतना जान लें कि यह एक नहीं हैं. मगर एक का दूसरे में सम्मिश्रण मिठास और बढ़ा देता है.
यूँ तो यह X Factor सेलेब्रेटी म्यूजिक और फिल्म स्टार्स की बपौती नहीं है, यह पंकज का X Factor साबित कर ही चुका हैं. पंकज तो पंकज, मैने तो X Factor की एक अच्छी खासी मात्रा लालू प्रसाद यादव तक में देखी है और भी कई नेताओं में है मगर सब नेताओं में हो, यह जरुरी नहीं. मुलायम सिंग और नितिश कुमार में नहीं है जबकि तीनों एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं. एक सी इमानदारी (यहाँ इमानदारी शब्द का वैसा ही प्रयोग है जैसे अंधेरे को अंधेरा न कह कर रोशनी का आभाव कहा जाये या फिर लॉस को निगेटिव प्राफिट), एक सी हरकतें, एक से पद, एक से राज्य, लगभग एक सी वेशभूषा मगर लालू में जो X Factor है, वो उनको इन दोनों से अलग करता है. लालू आपके शहर में आयें तो भीड़ जमा होती है, उनकी झलक पाने के लिये और नितिश और मुलायम के लिये भीड़ जमा करनी होती है, ताकि ये भीड़ की झलक पा लें तो कार्यकर्ताओं की रोजी रोटी चलती रहे. खैर, इन सबसे क्या लेना देना, हम लोग तो X Factor समझ रहे थे. किसी ने बताया है कि कुछ क्रिमिनल्स में भी X Factor होता है मसलन दाऊद में है मगर और न जाने कितनी जेलों में बंद क्रिमिनल्स में नहीं है.
एक सी इमानदारी (यहाँ इमानदारी शब्द का वैसा ही प्रयोग है जैसे अंधेरे को अंधेरा न कह कर रोशनी का आभाव कहा जाये या फिर लॉस को निगेटिव प्राफिट), एक सी हरकतें, एक से पद, एक से राज्य, लगभग एक सी वेशभूषा मगर लालू में जो X Factor है, वो उनको इन दोनों से अलग करता है.
तो X Factor का तो ऐसा है कि यह खरीदा नहीं जा सकता, यह पहना नहीं जा सकता, यह सीखा नहीं जा सकता बस उपर वाले की मेहरबानी है. है तो है नहीं है भूल जाओ. कुछ नहीं कर सकते इसकी प्राप्ति के लिये. आप अपनी जुगत भीड़त लगा कर मंत्री का पद ला सकते हैं, उपाधि ला सकते हैं, पुरुस्कार ला सकते हैं, मंचों पर उच्च स्थान पर विराजमान हो सकते हैं मगर X Factor नहीं ला सकते, यह तो कुछ लोगों के साथ उपर से पैक करके भेजा जाता है. पैकिंग उम्र के किस पड़ाव में खुलेगी, कोई नहीं जानता बस इतना पता है कि आपका X Factor आपके साथ ही विदा हो जायेगा.
मुझे तो लगता है कि हमारा हिन्दी चिट्ठाजगत भी इससे अछूता नहीं है. यहाँ भी लोग हैं X Factor के साथ.
याद आता है कभी सागर ने कहा था, अलविदा चिट्ठाजगत.ऐसा मनुहार मचा, ३० ३० कमेंट, रुक जा भईया, न जा. तेरे बिन हम नहीं रह पायेंगे और जाने क्या क्या, तब जा कर वो रुके. फिर देखता हूँ रचना जी को, वो तो सिर्फ नारद छोड़ने की बात कर रहीं थी, उस पर ३० लोग भीड़ लगा लिये कि अरे कहाँ जा रहीं हैं, हमारा क्या होगा. और एक हमें देखिये, चिट्ठाचर्चा छोड़ने का एलान किये, फिर इंतजार करते रहे कि लोग मनायेंगे कि न जाओ. कोई आया ही नहीं मनाने बल्कि शुभचिंतक पंकज ऐसे कि कहने लगे मैं स्वयं चाहता हुँ लालाजी कुछ समय के लिए चिट्ठाचर्चा से अवकाश लें...तो हम खुद ही लौट आये वरना तो समझो बाहर ही हो गये थे. आखिरकार तीनों ही तो चिट्ठाकार हैं. तीनों को ही अपने लेखों पर ठीकठाक टिप्पणियां मिल जाती हैं और तीनों को ही चिट्ठाजगत जानता है. फिर ऐसा क्या है कि लोग उन्हें रोकने के लिये बिछ बिछ गये और एकदम वैसी ही घटना में हमारे लिये बिछना तो दूर, सलाह मिलने लगी कि ठीक है अवकाश ले लिजिये. यह जो अनदेखा अंतर है न!! जो दिखता नहीं मगर है, वही X Factor है. यह लोगों को आपकी तरफ आकर्षित करता है अनायास ही. आप कुछ नहीं करते. न ही सजते हैं, न ही कोई खास अदा दिखाते हैं मगर यह फेक्टर लोगों को बरबस ही आपकी ओर आकर्षित करता है. किसी में कम, किसी में ज्यादा और किसी में बिल्कुल नहीं. स्त्री या पुरुष से कोई फर्क नहीं पड़ता. अब देखिये रचना जी में है तो सागर में भी है. हममे नहीं है. जाहिर है तभी तो कोई रोकता नहीं.
यह जो अनदेखा अंतर है न!! जो दिखता नहीं मगर है, वही X Factor है. यह लोगों को आपकी तरफ आकर्षित करता है अनायास ही. आप कुछ नहीं करते. न ही सजते हैं, न ही कोई खास अदा दिखाते हैं मगर यह फेक्टर लोगों को बरबस ही आपकी ओर आकर्षित करता है. किसी में कम, किसी में ज्यादा और किसी में बिल्कुल नहीं.
मैने कई लोगों को X Factor और Sex Appeal में कन्फ्यूज होते देखा है. अब पंकज और सागर के उदाहरण से तो आप समझ ही गये होंगे X Factor और Sex Appeal का आपस में कुछ लेना देना नहीं. कहाँ ये दोनों सीधे सादे बालक और कहाँ Sex Appeal .
चलते चलते बताता चलूँ कि यह X Factor कोई नया आईटम नहीं है या हम पहले नहीं जो इससे परेशान हो कर लिख रहे हैं. तुलसी दास जी के समय में भी जब X Factor के आभाव में उनका नाम नहीं हो पा रहा था और उनकी योग्यता के सामने नाकारे कवि, उनसे ज्यादा नाम कमा रहे थे सिर्फ X Factor के चलते, तब उन्होंने यह एक लाईन का शेर कहा था जिसमें उन्होंने X Factor को हवा बताया है और नाकारे कवियों को धूल ( तुलसीदास जी अक्सर प्रतीकों में बात कहते थे, सीधे नहीं (शायद विवादों से बचने को ऐसा करते रहे होंगे)):
गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा ।
अर्थात हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाती है — गोस्वामी तुलसीदास
आशा है मित्रों की X Factor को लेकर जिज्ञासा कुछ हद तक शांत हुई होगी.
30 टिप्पणियां:
X- तो समझ आ गया कुछ कुछ..अब Y- का इन्तज़ार है। मेरी समझ से होता तो जरूर ही होगा।
-xy
44+xy
Kya baat hai. Is tarah to X factor ke baare me socha hi nahi tha. Aapka gyan adbhut hai-Sachmuch.
-Khalid
हमने तो ये X factor ही अभी सुना था पंकज की पोस्ट में, तब मालूम नही था कि इतनी जल्दी इसका विस्तृत विश्लेषण भी पढ़ने को मिल जायेगा। बहुत सही
एक साइट भी खुलनी चाहिये जो आप से दस-पांच सही-गलत सवाल करे और आपका एक्स-फैक्टर बतादे - 0-7 की स्केल पर.
है कोई नारदीय बन्दा जो पहल करे?
वाह प्रभु वाह। आपके आस-पास वाले ही ज्यादा अच्छे से बता सकतें हैं कि आप में X factor है या नहीं लेकिन मै इतना दावे से कह सकता हूं कि आपकी लेखनी में जरुर X factor है।
किसी भी मुद्दे पर रोचक अंदाज़ में लिखना तो कोई आपसे सीखे।
अब x-factor समझ में आया
ज्ञान वर्धित करने के लिये धन्यवाद स्वामी जी। :)
वाह! आप तो यदि रोटी बनाने, घास काटने की कला पर भी लिखें तो भी वह मनोरंजक होगा. इसे कहते हैं R factor= readability factor! जो आप में प्रचुर मात्रा में है । मुझे पूरा विश्वास है आप बहुत अच्छे अध्यापक हो सकते हैं ।
घुघूती बासूती
हाँ अब जाकर जिज्ञासा शांत हुई. इतने दिन युँ ही सोचता था कि कैसे लाऊँ X factor अपने अन्दर. पर पता ही नहीं था वो तो घुस के बैठा है इस बन्दर के अन्दर. :)
और आपने यह क्या लिख मारा जी कि हमने फोटुएँ छाप दी. ना जी हमने तो खाली लिखा और फोटु दिखाने का कार्य कोई और कर रहा था तो हम तो सिर्फ फोटुशाला का रस्ता दे दिए बस.. ताकि मदिराभक्त ... मेरा मतलब मन्दिरा भक्त तनिक प्रत्यक्ष दर्शन भी कर लें देवी का. :)
ज्ञान चक्षु खुल गए,
सही जानकारी दी.
कोई आया ही नहीं मनाने बल्कि शुभचिंतक पंकज ऐसे कि कहने लगे मैं स्वयं चाहता हुँ लालाजी कुछ समय के लिए चिट्ठाचर्चा से अवकाश लें...तो हम खुद ही लौट आये
आपके पास कौनो फ़ैक्टर की कमी है?
आपके पास ए टू ज़ेड फ़ैक्टर हैं. जनता खूब समझती है. इसीलिए. :)
X-तो अंतिम अक्षर के आसपास आता है। इसके पहले कई अक्षर होते हैं। उनका भी कुछ फैक्टर होता है। वे सारे फैक्टर भी X-फ़ैक्टर को प्रभावित
करते हैं। इन्हीं फैक्टरों के चलते किसी को यह अहसास ही नहीं हुआ कि आप चिट्ठाचर्चा छोड़कर जायेंगे इसीलिये किसी ने मनौना नहीं किया। :)
समीर जी,
आज समझ में आया कि हम आप से क्यो जुडे हुये हैं, आप में भी X-Factor के कारण ही चुम्बकीय आकर्षण है...
इसके पहले यह फैक्टर नहीं सुना था, अब तो जान भी लिया।
एक उमंग का नाम है
एक तरंग की बात
एक दिखाता है हुनर
एक दिखावे गात.
एक दिखावे गात, गरम सी बाते करता
एक्स फैक्टर को लिये वह आगे बढता.
कमाल कर दिया गुरू. अब आपमें भी एक्स फेक्टर आने वाला है
यू और ड्ब्ल्यू तो आपके पास आ गया..
अब यू फैक्टर और ड्ब्यू फैक्टर को भी विश्लेषित करें....
आपने तो एक ही लेख में X, Y, Z सारे फैक्टर समझा डाले।
बहुत बढ़िया लेख..
आपने तो एक ही बार में X,Y, Z सारे फैक्टर समझा डाले-
बहुत बढ़िया रचना...
'एक्स' फ़ैक्टर कामचलाऊ हो तो ठीक वरना बहुत 'वाई' वाले पीछे घूमते हैं . सो इसकी अति बुरी है. विशेषकर भारत जैसे देश में जहां एक्स-वाई-ज़ेड सब दूसरे की फ़िकर में ज्यादा दुबले होते हैं .
सही है, गजब का लेख था।
आपका फैक्टर मुझे पता है। जल्दी लेकर कर आ रहा हूँ।
चलिए जान गए मुए इस को X भी ;), आगे भी इसी तरह ज्ञानवर्धन करते रहें ।
आपके हरेक लेख पर अमूमन 20+ टिप्प्णीयाँ होती है, फुरसतियाजी और आप के अलावा एक दो जनों को छोड़ दें तो किसी को इतनी टिप्प्णीँ नहीं मिलती, यानि कि सारे के सारे फेक्टर तो आप तीन चार जनों ने बाँट लिये, और कहते हैं कि आपके पास X Factor नहीं है।
बचा खुचा और खाना खा लेने के बाद में गिरे जूठन की तरह कुछेक फेक्टर हमारे हिस्से में आ जाता है, अब उसे x,y या z कोई भी फेख्टर मान लो क्या फर्क पड़ता है।
हमेशा की भाँति मजेदार रचना, आप तो छा गये।
:) :) :)
धन्य हैं स्वामी जी आज मालूम हुआ कि आपकी पोस्ट पब्लिश होते ही टिप्पणियों की झड़ी क्यों लग जाती है। सब x-factor का कमाल है जी।
अब जैसा आपने बताया कि x-factor आर्टिफिशियली नहीं बनाया जा सकता, इसलिए हमें तो अगले ही जन्म का इंतजार करना पड़ेगा। :(
महाराज!!
आपके पास जो "एक्स्ट्रा X Factor " है, उससे उपजे इस सुवचन ने मेरी ३० टिप्पणी वाली पोस्ट सहित पूरे ब्लॉग की वाट लगा दी है!!
//तुलसी दास जी के समय में भी जब X Factor के आभाव में उनका नाम नहीं हो पा रहा था और उनकी योग्यता के सामने नाकारे कवि, उनसे ज्यादा नाम कमा रहे थे सिर्फ X Factor के चलते, तब उन्होंने यह एक लाईन का शेर कहा था जिसमें उन्होंने X Factor को हवा बताया है और नाकारे कवियों को धूल ( तुलसीदास जी अक्सर प्रतीकों में बात कहते थे, सीधे नहीं (शायद विवादों से बचने को ऐसा करते रहे होंगे))://
महाराज! भगवान के दिये इस X Factorे बचने के कोई उपाय? कोई यज्ञ? कोई अनुष्ठान? हो तो बताइये, बडी
कृपा होगी!!
X फैक्टर का अच्छा विश्लेण टिकाया है- गनीमत है केवल उन लोगों को गिनाकर शांत हो गए जिनमें X फैक्टर है या नहीं है वरना कुछ ऐसे भी हैं जिनमें एंटी एक्स फैक्टर है जैसे कि हम। यानि कुछ ऐसा अदृश्य कुछ लोगों में होता है कि सहज विकर्षण होता लोगों को :)
X-Factor की जानकारी रोचक लगी.
मिश्रा जी
आप तो विज्ञान से संबंधित हैं. जब आप कहते हैं तो जरुर Y भी होता होगा. पता करके खबर की जायेगी. :)
शुक्रिया आप पधारे.
खालिद भाई
बहुत आभार. आपने पहचाना वो आपके ज्ञान की व्याख्या भी करता है. :)
बहुत धन्यवाद.
तरुण भाई
चलो, अब संपूर्ण ज्ञान हो गया, अच्छा लगा. जिज्ञासा मन में न रखो, बताओ न!! शांत करने का प्रबंध किया जायेगा. :) बहुत धन्यवाद.
पाण्डेय जी
देखो, कोई आगे आ जाये. वैसे किसका पता करना चाह रहे हैं, बताईये न!! शायद कुछ मदद कर पाऊँ आदतन!! :)
बहुत धन्यवाद आप पधारे.
संजीत भाई
चलो, तुमको मजा आया. मुझे अच्छा लगा. लेखन तो सब तुम लोगों का स्नेह है जो कलम चल निकलती है. बहुत धन्यवाद नियमित उत्साहवर्धन के लिये.
उन्मुक्त जी
अच्छा लगा-यही उद्देश्य था. बहुत धन्यवाद.
जगदीश भाई
अरे धन्यवाद कैसा? इसी लिये तो मनुष्य अवतार लिया है और आपके बीच आये हैं.. :)
आज आपकी पोस्ट देखी-चिट्ठाजगत के नये स्वामी को भी हमारा नमन!! पढ़ने के लिये आभार.
घुघूती जी
अरे, आप तो सब छात्रों को फेल करवायेंगी हमसे पढ़वा कर...जबकि मैं रोटी बनाने और घास काटने में सचमुच महारत रखता हूँ-रोज का काम है न!! करत करत अभ्यास ते...वाली बात है. :) शुक्रिया आप ने पढ़ा.
पंकज
तुम जान गये हम खुश हो गये. :) अब अगली पोस्ट पढ़ना फिर नया कुछ जानोगे शायद...कब तक बस जानते ही रहोगे :) कविता नहीं लिखी इस बार?
बहुत धन्यवाद.
संजय भाई
चलो, अब संपूर्ण ज्ञान हो गया, अच्छा लगा. :) बहुत धन्यवाद.
रवि भाई
बहुत धन्यवाद आप ने समझा और पधारे.
अनूप भाई
यह सब आपका स्नेह है, अनूप भाई. बहुत धन्यवाद लगातार उत्साहवर्धन के लिये.
मोहिन्दर भाई
आपका स्नेह है,-अच्छा लगा, हौसला बढ़ा. बहुत धन्यवाद.
अतुल भाई
बहुत धन्यवाद आप ने समझ लिया और पधारे.
योगेश भाई
अब आपका कहा टाल पाना तो हमारे बस का नहीं, जरुर विश्लेषित करेंगे. आप आते हैं, लिखने का हौसला आ जाता है. आते रहें. बहुत आभार और धन्यवाद.
गौरी जी
रचना पसंद करने के लिये बहुत धन्यवाद. (दो बार)
प्रियंकर जी
अच्छा लगा आपके विचार सुनकर. :) ाअप पढ़ लेते हैं, लिखना सफल हो जाता है. बहुत धन्यवाद.
प्रमेंन्द्र भाई
लेख पसंद करने को बहुत धन्यवाद. चलो हमारा फेक्टर भी ले आओ, इंतजार लगवा दिये हो. देखें अपनी कुंडली भी. :)
मनीष भाई
जान गये, पक्का!! अच्छा लगा. बहुत धन्यवाद उत्साहवर्धन के लिये. लाते रहेंगे और बहाते रहेंगे ज्ञान गंगा-आपका आदेश जो है.
सागर भाई
आपका स्नेह है,-अच्छा लगा, हौसला बढ़ा. बहुत धन्यवाद. हम आपके स्नेह के छाते से छाये हुये हैं, उसे न हटाना भाई!!
श्रीश भाई
बहुत धन्यवाद आप ने समझ लिया और पधारे. वैसे आपमें भी यह फेक्टर कम नहीं है, जहां देखो मास्स्साब ही तो हैं और आपके कारण हम हैं. बने रहो, भाई!!
रचना जी
लोग इसके पीछे भाग रहे हैं और आपको मिला है तो आप बचने की बत कर रहीं हैं. ईश्वर का आभार करें. और हम आपको कहें: बहुत आभार और धन्यवाद.
मसिजिवी जी
आपका फेक्टर तो x factor को भी मात दिये है-उसी पर तो तो शोध कर रहा हूँ. :) रचना पसंद करने के लिये बहुत धन्यवाद.
पूनम जी
रचना पसंद करने के लिये बहुत धन्यवाद.
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