शनिवार, मई 16, 2020

अंदर की बात क्या होती है!!!



मास्साब छुट्टी पर हैं अतः मैं  क्लास ले रहा हूँ. आज का विषय है:
'अंदर की बात एवं बाहर की बात

क्या आप में से कोई छात्र इस विषय पर कुछ कह सकता है?
सर, परिभाषा तो नहीं मगर उदाहरण से बता सकता हूँ.’ यह वही छात्र है जिसने पिछली बार निबंध प्रतियोगिता में टॉप किया था.
मैं बहुत खुश हुआ कि अगर उदाहरण से बता देगा तो परिभाषा सिखाना तो बहुत आसान हो जायेगा.
सर, आपने अभी कहा कि मास्साब छुट्टी पर हैं, यह बाहर की बात है और असल में मास्साब को छुट्टी पर भेजा गया है क्यूँकि उन पर हमारे निबंध चुरा कर छापने की इनक्वायरी चल रही है, यह अंदर की बात है.’.

चुप रहो-मैं मास्साब की बची खुची इज्जत पर डांट का पैबंद लगाने की मित्रवत कोशिश करता हूँ. तुम लोग बस शरीफ लोगों को बदनाम करना जानते हो.
अब मैं उनको बोलने का मौका देते हुए परिभाषा पर जाता हूँ:
दरअसल, बाहर की बात वह होती है जो अंदर से आती है बाहर सबको बतलाने के लिए और सामान्यतः उसी के द्वारा भेजी जाती है, जिसके विषय में बात हो रही है. अंदर की बात बाहर से बाहर के लिए आती है और अंदर की ग्रुप से मनभेद पर टूटे हुए व्यक्ति द्वारा भेजी जाती है.
उदाहरण के लिए, संसद में चमका चमका कर दिखाया गया कि हमें करोड़ घूस दी गई. यह बाहर की बात कहलाई एवं यह उन्हीं के द्वारा कही गई जिन्हें घूस मिली. इसमें अंदर की बात यह है कि घूस दरअसल २५ करोड़ मिली और यह बात उसने बताई जिसने घूस दिलवाने के लिए अंदर के आदमी का काम किया-देयता और ग्रेहता के बीच सेतु के समान.
मगर सर हमने तो सुना था कि अंदर की बात अक्सर अफवाह होती है. यह फिर वही विद्वान छात्र पूछ रहा है.
बेटा, अंदर की बात स्वभाववश अफवाह जैसी ही लगती है किन्तु अफवाह और अंदर की बात के बीच एक बारीक लकीर का विभाजन है इसे ज्ञानी लोग समझ जाते हैं और मौका देख कर किनारा कस लेते हैं.
अफवाह अक्सर कोरी बकवास होती है जबकि अंदर की बात मूलतः ठोस. अतः यह अंतर करना सीखना परम आवश्यक है और यह मात्र अनुभव से सकता है. जिस तरह घाघ नेता बनने की कोई किताबी पाठशाला नहीं है, बस अनुभव से बना जा सकता है, ठीक वैसे ही इसे पहचानने के लिए भी मात्र अनुभव की ही आवश्यक्ता है.

जैसे उदाहरण के तौर पर अमरीका का कहना कि इराक के पास वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन थे, यह बाहर की बात थी असल में अंदर की बात यह थी कि इराक के पास तेल के लबालब कुएं थे, जिस पर अमरीका की नजर थी.

ऐसा ही अपवाद एक और है कि जब अंदर की बात कई बार अंदर से ही धीरे से बाहर करवा दी जाती है बाहर वाले के द्वारा जो अंदर का आदमी होता है.

अन्य भारतीय समस्यायों के जंजाल में फंसी आम जनता जिस तरह इन नेताओं की चालों और बयानों से कन्फ्यूज होकर चुप बैठ जाती है, कुछ वैसे यह छात्र भी अपनी कुर्सी पर वापस बैठ गया.

इसी तरह अपवादवश कभी बाहर की बात बाहर से ही अंदर वाला बाहर वालों के लिए अंदर के व्यक्ति के द्वारा कहलवा देता है.

अब बालक और ज्यादा कन्फ्यूज था, शायद किसान होता तो आत्महत्या कर लेता या प्रवासी ग्रमीण होता तो पैडल घर निकल लेता मगर सारांश में इतना समझ पाया कि बाहर की बात झूठी और अंदर की बात सच्ची, अगर अफवाह हुई तो और अफवाह और अंदर की बात के बीच भेद करना अभी उसके लिए बिना अनुभव के संभव नहीं.

फिर भी हिम्मत जुटा कर वो पूछ ही लेता है कि फिर वो मास्साब की चोरी की इन्क्वायरी वाली बात तो अंदर की बात कहलाई.

मुझे जबाब नहीं सुझता और मैं सर दर्द का बहाना बना कर निकल लेता हूँ यह कहते हुए कि जब तुम्हारे मास्साब आ जायें, तो उनसे पूछ लेना. वरना तो ये नई नसल के बच्चे, कहीं करोना और आर्थिक पैकेज पर बात न करने लगें कि इसमें कौन सी अंदर की बात है और कौन सी बाहर की?
-समीर लाल ’समीर’

भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार मई १७,२०२० के अंक में:
ब्लॉग पर पढ़ें:


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15 टिप्‍पणियां:

Gyan Vigyan Sarita ने कहा…

अंदर -बाहर और अंदर - बाहर को जिस सुंदर शास्त्रीय संगीत के अंदाज में पुनरावृत्ति की है, ईमानदारी से में भी पूरी तरह भ्रमित हू की कौन सी अंदर की बात है और कौन सी बाहर की बात है। बहुत ही उत्कृष्ट व्यंग, हमेशा की तरह और एक अनोखे नएपन के साथ.....

Sangita puri ने कहा…

अंदर की बात है ----

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया जुगलबन्दी।
--
ब्लॉगिग का पुरोधा टिप्पणियों में कंजूस क्यों हो गया है अब?

अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा हा हा दद्दा इस शैली में तो आप और भी अधिक मारक हो जाते हैं | बहुत ही गजब हमेशा की तरह

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अंदर की बात बाहर और बाहर की बात अंदर आते ही शुरू हो जाता है, गड़बड़झाला

Bharat Thakur ने कहा…

Andar ki baat kya hoti hai ye hai

https://yourszindgi.blogspot.com/2020/04/blog-post.html

हिमांशु पाण्‍डेय ने कहा…

बड़ा शानदार विश्लेषण और उससे भी ज्यादा शानदार आपकी शैली। सादर साधुवाद

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

अन्दर की बात और बाहर की बात अब बच्चा बच्चा समझता है. हमें अनुमान लगाना है कि सच क्या अफवाह क्या. और इस सबमें दिमाग का बारह बज जाता है. बहुत बढ़िया व्यंग्य.

whatsquotes.in ने कहा…

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quotes in Hindi ने कहा…

namaskar apne ye bahut hi acha likha. me apke kam ko sarahata hun.
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quotes in Hindi ने कहा…

dude this awesome.
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Allbhajan ने कहा…

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