लगान भूमि पर सरकार द्वारा लगाया गया कर है.
इस बात से अनजान मात्र आमजन नहीं, बल्कि सरकार पक्ष के नेता भी अपनी
बात और पक्ष साबित करने के लिए जी एस टी को लगान लगान पुकारे जा रहे हैं.
मित्र कहने लगे कि सरकार बिल्कुल पुराने राजे
महाराजे वाले समय की तरह हरकत कर रही है, आमजन की सुन ही नहीं रही और मनमानी करते
हुए रात बारह बजे घंटा बजा कर प्रजा को यह बता रही है कि अब हम आ रहे हैं बैण्ड
बजाने तुम्हारी.
सरकारी पक्ष के नेता, वो भले जी एस टी का फुल
फार्म न जाने मगर इतना बयान देने में तो बिल्कुल नहीं चूक रहे हैं कि सरकार तो
चलती ही लगान से है..लगान न लेंगे तो देश चलावेंगे कैसे?
लेकिन एक कहे वाक्य के पीछे हजार अनकहे वाक्य
होते हैं जिन्हें पारखी ही सुन पाते हैं जैसे हर एक चेहरे के पीछे छिपे होते हैं हजार
चेहरे...
लगान न लेंगे तो देश चलावेंगे कैसे के पीछे...फिर
विदेश जावेंगे कैसे? बड़े बड़े साथी व्यापारियों को लोन से छुटकारा दिलावेंगे कैसे?
चुनाव में मेगा रैलियाँ उनसे स्पॉन्सर करावेंगे कैसे? विपक्षियों की बाजा बजावेंगे
कैसे? सांसदों की सेलरी बढ़ावेंगे कैसे? सांसद कैन्टीन में सब्सडी दिलावेंगे कैसे? दस
लाख का सूट सिलावेंगे कैसे? जैसे अनेक वाक्य दाँत चियारे खड़े हैं मगर वो आमजन को
दिखेंगे कैसे..इन बहु मुख धारियों के मेगा शो की चकाचौंध में जो इन्होंगे जी एस टी
लॉन्च करने के लिए की है....मानो सब्सीड़ी बाँट रहे हों...या बेरोजगारों के लिए लोन
मेला लगाया हो..
शायद मेरी सोच ही गलत है...लगान होगा कभी जमीन
पर लगने वाला कर मगर आज तो खुदरा व्यापारी और किसान ही वो जमीन हो गया है जिसे
निचोड़ा जा रहा है..और जिसकी छाती पर १५ लाख हर खाते वाली मूँग दल कर सरकार खड़ी हुई
है.. उस पर लगा हर कर(टैक्स) जमीन पर लगा कर ही तो कहलायेगा..फिर जी एस टी को लगान
कहने में गुरेज कैसा?
कांग्रेसी और विपक्षी हैं कि देश के
व्यापारियों को जी एस टी के खिलाफ भड़का कर भारत बंद से शहर बंद और आक्रोश दिवस मना
कर सरकारी योजनाओं को धता बता रहे हैं...ये कहना है सरकार के एक पक्षधारी का..
मेरा मानना है कि अगर विपक्ष और कांग्रेस इतनी
ही दमदार है कि किसान आंदोलन में शहरो में आग लगवा देती है और जी एस टी के खिलाफ
देश और शहर बंद करवा देती है तो चुनाव में इनकी लहर कहाँ गुम हो जाती हो जाती
है..कहीं चुनाव वाली लहर किसी और समुन्दर की तो नहीं.. चुनावी समुन्दर जिसकी लहर ई
वी एम उठाती है..जिसे चुनौती देना देश द्रोह है. अतः मुआफी मांगता हूँ.
कौन जाने..क्या सही क्या गलत..
मगर कल रात १२ बजे घंटा बजा..और देश पुरानी
सारी कर विसंगतियों से आजाद होकर एक देश एक टैक्स प्रणाली में आ गया..और विश्व के
सबसे बड़े आर्थिक रुप से समृद्ध देश होने के राजमार्ग पर अग्रसित हुआ..
देशवासियों की देशवासी जाने..देश उनसे ऊपर
है..
जो जी एस टी को देश चलाने के लिए लगान न
मानेगा..उसके लिए देश द्रोह के तहत मुकदमों का प्रावधान करना जरुरी है..यह सरकार
समझती है.
जो देश प्रेमी हैं उन्हें चिन्ता करने की
जरुरत नहीं है.
-समीर
लाल ’समीर’
भोपाल के सुबह सवेरे में आज जुलाई २, २०१७ में प्रकाशित
http://epaper.subahsavere.news/c/20217295
#Jugalbandi
#जुगलबंदी
#व्यंग्य_की_जुगलबंदी
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
17 टिप्पणियां:
ईमानदारी से जीने वाले पहले भी ठीक थे,आज भी मस्त है, परेशानी में भ्रष्टाचार वाले लग रहे है,
जी बिल्कुल किसान तो पूरे परेशान है, तो आपके हिसाब से संदीप जी वह भ्रष्टाचार वाले रहे है,
सटीक और सच्चाई से लिखा आलेख
शुभकामनाएं
हिन्दी ब्लाग दिवस की बधाई, अभिनन्दन।
जीएसटी
(गुड नाइट,सी यू, टेक केयर
कर न देने वाले सोचें ..बाकी तो नफा नुक्सान बाद में ही पता चलेगा
VICHAARNEEY LEKH .
हा हा हा.....हम तो भगतों की श्रेणी में है तो हमे कोई आपति नही है भले ही लगान कहिये या जीएसटी. वैसे आपने जमकर बजा दी है आज.:)
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
हुज़ूर आप बेमिसाल थे , हैं और हमेशा रहेंगे।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-07-2016) को "मिट गयी सारी तपन" (चर्चा अंक-2654) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
#हिंदी_ब्लागिंग
समीर भाई
जे बताओ कि मोदी चच्चा पै खुन्नस के निकालता हौ ।
http://sanskaardhani.blogspot.in/2017/07/blog-post.html?m=1
G..गई
S..सरकार
T..तुम्हारी
जय हिन्द...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग
लगान हो या टैक्स.........कथित देशभक्त हों या मोदी विरोधी भरना तो पडेगा ही......चोरी पहले तो थी ही..... आगे भी रुकेगी..उम्मीद कम ही है... काम आसान हो जायें...इतना काफ़ी है
प्रणाम स्वीकार करें
सटीक आलेख....ब्लाग दिवस की बधाई
जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग
Bahut achha laga aalekh bahut bahut badhai aapko
Being a financial consultant I never saw such a amazing analysis of GST. Carry on.
Exactly.
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