बुधवार, अप्रैल 05, 2017

डीटाक्स किया क्या?


मामला पश्चिम से देश में आये तो उसे फैशन बनते देर नहीं लगती भले ही वो पश्चिम में गया हमारे देश से ही हो. एक जमाने में जैसा फोरेन रिटर्न वालों का क्रेज होता था.
इसी तरह का एक मामला बॉडी डीटाक्स का है. तरह तरह की गोलियाँ, कैपसूल, ड्रिंक्स, टी, स्मूथी की रेसिपी और भी न जाने क्या क्या इस्तेमाल हो रहे हैं बॉडी डीटाक्स करने के लिए. मुद्दा है अपने शरीर के भीतर इक्कठे हो गये विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकाल कर समय समय पर शरीर की भीतरी सफाई का.
शरीर को नियमित डीटाक्स करते रहने से स्फूर्ति आती है, शरीर निरोग रहता है एवं त्वचा कांतिमयी रहती है, ऐसा अंग्रेजी में बताते हैं डीटाक्स प्रोडक्टस के विज्ञापनों में. विज्ञापन करती बालिका की काया और त्वचा कहते हैं इसी प्रोडक्ट के इस्तेमाल का नतीजा है.
एक बार जब मैं फेयर एण्ड लवली वाली कन्या को देखकर उसके झांसे में आकर तब तक की संपूर्ण जमा पूँजी (हालांकि कालेज के छात्र की जमा पूँजी होती ही कितनी है मगर फिर भी पूँजी तो पूँजी ही होती है) लुटा कर भी अपने रंग को २० से १९ न कर पाया, तब मैने अंजुरी में पानी उठाकर सौगंध खाई थी कि अब कभी इस तरह के झाँसे में नहीं पड़ूँगा.
अब इसे इतने साल बीत जाने के कारण याददास्त में आई दुर्बलता कहूँ या विज्ञापन का कनाडा की धरती पर अंग्रेजी में होने के कारण मन में पैठ जमाये बैठी मान्यता का उठ खड़ा होना कि अंग्रेजी में बोल रही है कोई झूठ थोड़े न बोलेगी वो भी कनाडा में. एक बार फिर झांसे में आ ही गया.
इत्ते सारे डॉलर के बदले में कोरियर से मिला क्या? डिप डिप चाय की चंद पुड़ियों में बंद जुलाब. दो दिन तक लगातार हर दो घंटे पर टायलेट यात्रा का फ्री पास. अब दो दिन तक बिना कुछ खाये उनकी भेजी जुलाबी चाय पी पीकर हर दो घंटे में टायलेट में बैठे रहोगे तो विषेले तत्व तो क्या, शरीर की भीतर अगर कोई विषैला नाग भी बैठा हो, तो वो भी निकल भागेगा. हालाँकि खाना मना नहीं था मगर खायें कब? जब तक चाय पीकर खाने की सोचें, टायलेट में बैठे नजर आयें और कम से कम हम अभी तक इतने विदेशी नहीं हो पाये हैं कि वहीं बैठे कुछ जीम भी लें.
हालांकि जुलाबी चाय दो दिन ही पीना थी हर दो दो घंटे के अंतराल पर. मगर तीसरे दिन भी पहले दो दिन का ऐसा खौफ बैठ चुका था कि हर दो घंटे में यूँ ही टायलेट की तरफ कदम बढ़ जा रहे थे. वहाँ पहुँच कर पता चलता था कि बेवजह ही चले आये हैं आदतन. कई बार सोचता हूँ कि ये नेता कैसे रोकते होंगे अपने आपको मंत्रालय जाने से इतने बड़े पावर के जुलाबी डोज़ के बाद चुनाव में हार जाने पर?
खैर नेता की नेता जाने मगर कहने का तात्पर्य यह है कि गाँधी जी ने नियमित व्रत उपवास की बात की, शास्त्रों नें व्रत उपवास का प्रावधान धार्मिक पर्वों के माध्यम से किया, योग में शंख प्रच्छालन जैसी क्रियायें हैं. आयुर्वेद अनेक उपाय बताता आया है..आदि आदि.. सभी अर्थ ही बॉडी को डीटाक्स करने से है.
मगर सीधी सरल विधी इतनी आसानी से समझ में आ जाये तो योग छोड़ कर योगा, जुम्बा, पलाते और आखाड़ा एवं मुगदर छोड़ जिम और फिटनेस कल्ब में न जुटे होते. भला हो उस बाबा का जिसने योग की राह पर घर वापसी करा ही दी बहुतों की. भले ही लोग क्लेम करें या ब्लेम कि अरे वो तो सोची समझी साजिश के तहत अपने प्रोड़क्टस बाजार में उतारने के लिए ग्राहक बनाये थे. बोलने वाले तो कल को जिओ की जो फ्री सेवा संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के मुफ्त में दी जा रही है, उसे भी कह देंगे कि ग्राहक बना रहे हैं. परोपकार का तो समय ही नहीं रहा.
इसी श्रृंखला में यह भी बताता चलूँ कि शरीर की बाहरी एवं भीतरी सफाई तो विदेशी आईटमों से सीख ही चुके हैं जबकि सब पहले से घर में था अब दिमागी सफाई का नया मंत्र आ रहा है जिसे डिजिटल डीटाक्स पुकारा जा रहा है. दिन रात कम्पयूटर, फोन, फेसबुक, व्हाट्सएप, टीवी, म्यूजिक...इन सबके बेजा इस्तेमाल से आपके दिमाग में विषैले डिजिटल कीटाणुओं ने कब्जा कर लिया है, इनसे भी समय समय पर निजात पाते रहने के लिए नियमित सफाई की जरुरत है.
अभी न सुनना..मगर जब विदेश से दवा आयेगी और नुस्खा बताया जायेगा तब मेडीटेशन में जुट जाना..बाबा का ध्यान भी तब याद आयेगा. और साथ में याद आयेगा इलेक्ट्रोनिक रेडीयेशनस के असर को शरीर से हटाने के लिए नीम के पत्तों को पानी में उबाल कर नहाने की वो पुरानी वाली विधी मगर इस बार लिक्वीड नीम से बॉडी वाश और नीम ड्राई स्क्रब से.
जिस तरह रात भर भूखे रह जाने को उपवास नहीं कहते उसी तरह फोन किनारे रख कर रात भर सो जाने से डिजिटल डीटाक्स नहीं होता..
बाबा कहते हैं न करत की विद्या है..करने से होगा..करने से होगा.
वैसे तब क्या करोगे जब डिजिटल इंडिया का स्वप्न साकार हो जायेगा?
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित सुबह सवेरे अप्रेल ६, २०१७ में:

http://epaper.subahsavere.news/c/18091360
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3 टिप्‍पणियां:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’सौन्दर्य और अभिनय की याद में ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-04-2017) को
"लोगों का आहार" (चर्चा अंक-2616)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

Unknown ने कहा…

खूब कहा।। with satire कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com