प्रश्न वही हो तब भी जबाब देने वाले के हिसाब से जबाब अलग अलग मिल
सकते हैं..
सबसे ज्यादा क्या तोड़ा जाता है..आशीक मिज़ाज होगा तो कहेगा दिल और पति
होगा तो कहेगा पत्नी के द्वारा गुस्से में कांच का गिलास..आम जन होगा तो कहेगा
नेताओं का वादा.
फिर आप पूछेंगे कि सबसे ज्यादा मरोड़ा क्या जाता है..फिरवही..माशूका
होगी तो कहेगी..बहियां और स्कूली छात्र होगा तो कहेगा रफ कागज..
मगर आप चाहें किसी से पूछें कि सबसे ज्यादा तोड़ा मरोड़ा क्या जाता है?
एक सुर में सभी कहेंगे कि नेताओं के बयान!!
हालत ये हैं कि प्रेस कांफ्रेन्स में टीवी पर दिये बयान से भी मुकर
जाते हैं और कहते हैं कि इसे तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है. सिर्फ २५ चप्पल
मारी थी एयर लाईन के स्टाफ को..प्रेस ने तोड़ मरोड़ कर मेरे बयान को ऐसे पेश किया
जैसे मैने ३० चप्पल मारी हों. ये प्रेस वाले बहुत गलत लोग हैं..जनता को भड़काते
हैं. इनको बस टी आर पी से मतलब रहता है.
चुनाव में १५ लाख रुपये हर खाते में डलवाने वाले जुमले को वायदा कह कर
पेश कर दिया. अब इस तोड़ मरोड़ न कहें तो क्या कहें? सब जानते थे कि यह बस एक जुमला
है जैसे पहले होता था गरीबी मिटायेंगे- उसी को बस क्वान्टीफाई कर दिया. १५ लाख खाते में आना और गरीबी मिटाना
एक ही बात तो है. मगर यह मुआ मीडिया..आज तक तोड़ मरोड़ किये जा रहा है...हमेशा
प्रश्न करता है कि अच्छे दिन कहाँ हैं? हमारे १५ लाख कहां हैं यह जनता जानना चाहती
है!! कौन सी जनता भई? अगर वो जानना चाहती तो भला यू पी में ऐसे जिताती?
अब आज का ही एक बयान देखिये...
प्रदेश में अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि राज्य भर की जेलों
में बंद सभी माफिया डॉन और सामान्य अपराधियों को एक जैसा खाना और अन्य सुविधाएं दी
जायें।
टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज:
खबर आ रही है कि मुख्य मंत्री द्वारा जेल में आम कैदियों को भी एसी,
मोबाईल, मुर्गा और दारु परोसने का आदेश...जेल में जो सुविधायें डॉन को दी जायें वो
ही आम कैदियो को भी दी जाये...
वाह जी, क्या जलवे कर दिये. बाहर ५ रुपये की थाली का इन्तजाम शरीफों
के लिए और भीतर एसी, मोबाईल, मुर्गा और दारु परोसने का आदेश..
बड़े ध्यान से दोनों न्यूज पढ़ रहा हूँ मुझे तो तोड़ मरोड़ कहीं दिख नहीं
रहा है, आपको दिख रहा है क्या?
वैसे तो आजकल प्रचलन यह है कि नेता खुद ही अपना बयान ही इतना तोड़ मरोड़
कर देते हैं कि और तोड़ने मरोड़ने की ज्यादा गुँजाईश होती नहीं और जब सरल शब्दों में
समझाने को कहो तो बोल देते हैं कि उपर से आदेश है मौन रहा करो.
आज से सब नेताओं को हिन्दी में भाषण देना अनिवार्य कर दिया गया है..अब
तो नित तोड़ मरोड़ का ठीकरा भाषा पर टूटेगा और नाहक ही बदनाम होगी हमारी हिन्दी!!!
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे में अप्रेल २३, २०१७ को:
http://epaper.subahsavere.news/c/18514205
2 टिप्पणियां:
सब नेताओं की माया है श्रीमान ,सुन्दर व रोचक व्यंग। आभार।
चाम की जीभ जरा सी इधर की उधर घूम जाये तो कोई बेचारा क्या करे?
एक टिप्पणी भेजें