शुक्रवार, अप्रैल 14, 2017

बम था कि बमों का बाप


अमिताभ बच्चन की फिल्म शहंशाह का वो डायलॉग जो उस जमाने में बच्चा बच्चा सीख गया था..
’रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं और नाम है शहंशाह!!’
हर जगह जब कभी अपनी ताकत दिखाने की जरुरत पड़ती तो लोग कहा करते कि रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं.
एक गुँडा चाकू चमका रहा है और दूसरा गुँडा उसे चमका रहा है कि धर ले अपना चाकू अपनी जेब में..ये तो कुछ भी नहीं है.. मेरे पास इसका बाप है ये देख..और वो हवा में फरसा घुमाने लग गया. चाकू वाला गुँडा डर कर भाग गया.
कभी ऐसा भी सुनने में आ जाता है कि यार, सोचा था उससे कुछ रकम झटकी जाये मगर वो तो मेरा भी बाप निकला, उल्टी टोपी पहना कर चला गया.
खूब जोर का धमाका सुनाई पड़े तो इन्सान स्वतः ही बोल उठता है बाप से बाप, क्या धमाका था, कान सुन्न हो गये.
कहने का तात्पर्य यह है जब भी किसी चीज को बड़ा बताना हो, उसकी विशालता का बखान करना हो, तो उसे बाप बताया जाता है.
क्या आपने कभी इसके बदले में मम्मी या मदर का इस्तेमाल होते देखा?
कोई ऐसा कैसे कह सकता है कि अपना चाकू अपनी जेब में रख, मेरे पास इसकी मम्मी है और लगे तलवार हवा में लहराने.
माँ शब्द के साथ आप ये जरुर कह सकते हैं ओह माँ, आज सर में बहुत दर्द है. एक संवेदना है, एक ममता की उम्मीद है..बाप शब्द के साथ एक जोश है, एक धमक है.
आज जब सुबह से सुन रहा हूँ कि अमरीका ने अफगानिस्तान के आई एस आई एस के ठिकाने पर विश्व का सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया है, जिसे मदर ऑफ ऑल बॉम्बके नाम से पुकारा जाता है, तब से इस उलझन में हूँ कि आखिर इसे सब बमों के बाप याने फादर ऑफ ऑल बॉम्ब क्यूँ नहीं बुलाया गया?
माना महिला सश्क्तिकरण का जमाना है मगर मेरा दावा है कि इस बम का धमाका सुन कर भी लोगों के मूँह से एकाएक यही निकला होगा –बाप रे बाप, क्या धमाका था..बम था कि बमों का बाप?
हाँ, जो इसकी चपेट में आकर मरे होंगे या चोटिल हुए होंगे..उनके मूँह से उई माँजरुर निकला होगा..
मैं समझता भी हूँ और महिला सशक्तिकरण का घोर पक्षधर भी हूँ मगर भावनायें और उनसे जुड़े शब्द डी एन ए का हिस्सा होते है, उन्हें कैसे समझायेंये तो जब पूर्ण पुरुष प्रधान समाज था, तब भी दर्द में माँ की शक्ति और ममता को ही याद करता था..
-समीर लाल समीर
आज के भोपाल से प्रकाशित सुबह सवेरे में:

http://epaper.subahsavere.news/c/18310508

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5 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बहुत बढ़िया। आप व्यंग्य के शहंशाह हैं।

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Unknown ने कहा…

कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com

Unknown ने कहा…

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