मित्रों,
आज कम से कम ७ मित्रों का फोन या ई मेल आया कि मैने उनके ब्लॉग पर कुछ असंयत भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणियाँ की हैं और बाद में मिटा भी दी.
इसे हादसा ही कहना चाहूँगा क्यूँकि न तो यह सब मेरी जानकारी में है और न ही मैं इस तरह के क्रियाकलापों का समर्थक हूँ.
खुशी इस बात की है कि मित्रों को यह विश्वास रहा कि यह कार्य मेरा नहीं है और उन्होंने मुझे इस तरह की वारदात की सूचना दी.
हालांकि यह कार्य जिसने भी किया हो और जिस भी उद्देश्य से किया हो, उस मित्र से भी मुझे कोई शिकायत नहीं. शायद कोई मजबूरी रही होगी किन्तु फिर भी उससे अनजान मित्र से निवेदन है कि बिना असंयत भाषा का उपयोग करते हुए भी वह अपनी बात अपने आई डी से कह सकता था. अगर उसे यह विश्वास था कि मेरे कहने का असर ज्यादा होगा तो मुझे सूचित करता. मैं निश्चित ही अपने तरीके से उसकी बात रखने की कोशिश करता.
आशा है भविष्य में यह अनजान मित्र इस बात का ख्याल रखेंगे.
अभी के लिये सभी को हुई असुविधाओं और उनके दिल को लगी ठेस के लिये क्षमापार्थी.
सादर
समीर लाल
शनिवार, फ़रवरी 23, 2008
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21 टिप्पणियां:
अरे समीर भाई, आप इतना को-ऑपरेट करने के लिए तैयार हैं, और ये 'अनजान' भाई फिर भी आपका आईडी यूज कर रहे हैं. आपने अपील कर डी है तो शायद वे बदल जाएँ.
यह तो बहुत गलत बात है। वह जो भी सज्जन हैं उन्हें किसी दूसरे के नाम से ऐसा नहीं करना चाहिये। अगर अपने को छिपाना ही चाहते हैं तो अनाम की सुविधा है ही। उम्मीद करेंगे कि अब आपके साथ ऐसा नहीं होगा।
आप तो समीर हैं यानी हवा! हवा किसी की कैद में नहीं रह सकती फ़िर यह सब?
खैर इस बहाने पोस्ट तो की लेकिन इस छोटी सी पोस्ट में कोई और संस्मरण भी डाल देते तो डबल पोस्ट का मजा आ जाता.
प्रभु ये बताये आप इलाहाबाद कब जा रहे हैं और किस रूट से जा रहे हैं ताकि अगर आगरा आयें तो हमें बिना सूचित किये आप निकल लोगे तो शायद फ़िर कनाडा ही आना पड़ेगा.
अच्छा। खुराफात बढ़ती जा रही है। ऐसा तो नहीं कि ब्लॉगर में Open ID विकल्प से यह हो रहा हो?
दिलचस्प गाथा। अच्छा हुआ जो आपने खुलासा दे दिया।
काफी लंबे समय से अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणियां न पाकर उदास सा हो जाता था। फिर कुछ ब्लॉगर मित्रों ने बताया कि आप इन दिनों लंबी दूरी की दीघॅ यात्रा पर हैं, सो संतोष किए रहा। मुझ जैसे अनेक ब्लॉगरों के लिए आपकी टिप्पणियां मागदशॅक रही हैं, यह मैं दावे से कह सकता हूं। आज आपकी फोटो ब्लॉगवाणी पर देखी तो सहसा आकरषित हुआ, इसके बाद इसके शीषॅक ने और भी खींचा और जब इसे खोलकर पढ़ा तो जो तकलीफ हुई उसे व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है। जो हुआ बहुत ही बुरा हुआ। आशा है, उन अनाम मित्र को अपनी भूल का अहसास हो गया होगा और उनसे प्रेरणा लेकर भविष्य में कोई किसी की भावनाओं से खिलवाड़ करने की हिमाकत नहीं करेगा।
ब्लॉग की दुनिया में प्रकट होने के लिए आपका धन्यवाद और पुनः पुनः स्वागत।
आपके दुख में दुखी
पर अब फटाफट पासवर्ड क्यूं नहीं बदलते गुरुदेव
आदरणीय समीरजी
आपके नाम से किसी ने आज मेरी ग़ज़ल दिन दहाड़े वो डाका डालेगा पर अभद्र टिप्पणी की तस्वीर को ले कर मैने तुरंत तस्वीर दोनो ब्लाग याहू गुग्गल से हटा कर एक पक्षी की रखदी महज ये सोच कर की आप ने मुझे इस लायक समझा आप मेरे व्लाग पर आये वो तस्वीर नवभारत हिन्दी टाइमस के फोटो गेलरी से ली थी भाव के अनरूप.
पर मैने आपका ऐसा रूप कभी नहीं देखा सो मझे लगा कि आज मुझसे भारी गलती हुई और आपकी उस टिप्पणी के कारण आपको सम्मान देते हुए तस्वीर हटा दी.
आपके ब्लाग पर स्पष्टी करण देखा तो दंग रह गया.
ये तो गलत बात हुई आपके साथ समीर भाई
फ़िर भी आपने संयत भाषा का उपयोग किया --
ऐसा यहाँ पर भी हो सकता है? आश्चर्य तो नहीं है. पर अजीब तो लगा ही है. कल दो ब्लॉग पर मेरी टिप्पणी पंहुँची ही नहीं. उलटा मेलफेल्योर संदेश प्राप्त हुआ।
कुछ भी हो पर यह एक संदेश तो है ही कि कुछ प्रयोगधर्मा लोग हमारे बीच उपलब्ध हो गए हैं।
पहले उमशंकराजी के यंहा चोरी अब आपके यंहा. ये अपने छोटेसे और प्यारेसे ब्लाग-जगत मी क्या हो रहा है.
इस से पहले की ये वारदातें और बढे कुछ उपाय होना कहिये.
समस्त एग्रीगेटर्स और तकनिकी धुरंधरों को मिलकर इसका रास्ता जल्द से जल्द निकलना होगा.
नहीं तो सिवाय गंदगी बढ़ने के कुछ नहीं हासिल होगा.
क्या क्या दिन देखने पड़ेंगे...
एक आध कुछ ऐसी वैसी हमारे यहाँ भी टिप्पीया दी जाती तो धन्य होते. आपके स्पष्टीकरण के बाद तो उसकी आशा भी नहीं रही. :(
अफसोस कि ऐसा आपके साथ हुआ जबकि आप को तो खेमेबाजी से दूर ही माना जाता है!!
आश्चर्यजनक है। आपके नाम का ग़लत उपयोग करना तो बहुत निंदनीय है।
क्या इसको रोकने का कोई उपाय नही है ?
ये लेख तो आपका ही है न ? :)
अब पूरा याकीन हो गया कि आप फेमस हो गये हे :)
जल्दी आइये आपका इन्तजार हो रहा है
निश्चय ही बड़ा खेद का विषय है अच्छा है कि आपने जल्द खुलासा कर दिया है जिससे लोग सतर्क हो जावेंगे. जिसने भी यह किया है ग़लत किया है . यह किसी शिखंडी के अर्जुन की करतूत लगती है
JAB TANVEER ZAFAREE ....?
TO YE AB AAM BAAT HAI FIR BHEE HAM BACHATE RAHEN KAMANAA KE SAATH
नए नए अनुभव। दारुण न हों , बस। बाकी समीर भाई को प्रभु ने हौसला बहुत दिया है।
आपके नाम के पर्याय पर हमारी आज की पोस्ट है। अंत जिस पदार्थ से किया है वैसी पार्टी की उम्मीद जल्दी ही आपसे करता हूं:)
इस प्रकार की ऊल जलूल धृष्टता का कोई इलाज तो होना चाहिए। तकनीकी गुरुओं से विनती है कि कोई उपाय निकालें - बड़ा आभार होगा।
बड़ा अज़ीब लग रहा है ये सब पढ़कर न जाने ऐसा करने से लोगों को क्या मिलता है...
कोई बात नहीं समीर भाई, सब चलता है। आखिर हवाओं के रुख कहीं बदले हैं क्या। आपका संदेश कई बार पड़ा लेकिन पहली बार आपको संदेश लिख रहा हूं। पंकज कुलश्रेष्ट
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