पुनः भावनाओं को आहत न करें, मेरा कोई भी प्रयास इस दिशा मे नही है और न ही किसी राजनीति के तरीके के समर्थन या विरोध मे,.
//१// रथ यात्रा-पार्ट १
रथ यात्रा देखन पहुँचे हम मित्रन के साथ
गधे गधे तो खुब दिखे घोडे नजर ना आत.
घोडे नजर ना आत कि रथ पर बैठे ले जंतर
घुटी बनात पिलात सबहिं को देश सुरक्षा मंतर
अब आने वाली पीढी को सिखला दो ये सत
पाठ्य पुस्तकों मे बदला दो क्या होता है रथ.
//२// रथ यात्रा-पार्ट २
घर पितामह रह रये घुटनन खुब पिरात
चेलन देश भर घुमते लेकर रथ को साथ
लेकर रथ को साथ कि बिल्कुल भीड न आई
पितामह के आशिष बिन सबने मूँह की खाई
चलते जाते सोचते अब तो ओखल मे है सर
कैसे मुँह दिखायेंगे बीच मे लौट जाये जो घर.
//३// एक नायक पर कातिलाना हमले पर
नायक एक लड रहा, काल के संग मे आज,
दुआ तुम्हारे संग है, तू जीते हो हमको नाज.
तू जीते हो हमको नाज कि तुझको चुनाव हरायें
बीच बाज़ार खडा कर एकदम सिर को झुकवायें
मगर आज तेरे जीवन गीत के हम हैं एक गायक
तुझसे ही है हर मज़ा वरन ये क्या खेल है नायक.
<<धिक्कार है इस कातिलाना हमले पर, और ईश्वर से शीघ्र स्वास्थय लाभ की प्रार्थना>>
--समीर लाल 'समीर'
सोमवार, अप्रैल 24, 2006
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3 टिप्पणियां:
भई वाह!
कुंडलियों के ऐसे वार प्रहार आकार प्रकार और संख्या और बढ़ाए जाएँ यह निवेदन है!
समीर जी ,
बहुत अच्छा व्यंग किया आपने कुण्डलियों के माध्यम से,मैने आपसे पहले भी कहा कि कुण्डलियों की संख्या बढ़ायें हम झेलने को तैयार हैं आप फ़ेंकिये.
ध्न्यवाद, रवि भाई एवं सागर भाई. प्रयास करता रहूँगा.
समीर लाल
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