अग्रज ने सलाह दी थी कि कविता मन के भाव हैं, जो मन को अच्छा लगे वो लिखो और पढने वालों को पसन्द आ जाये तो बोनस. बस हमने भी ठान ली कि अब कविता लिखेंगे. उस रोज़ शाम को स्नान ध्यान करके माँ सरस्वती की आगे दो अगरबत्ती जलाई और कविता लिखने बैठ गये. तीन घंटे मशक्कत की, ढेरों कविताओं की साईट पर जा जा कर कठिन कठिन शब्द बटोरे, आपस मे उनके ताने बाने बुने और बस कविता तैयार. भेज दी एक पत्रिका मे छपने.
संपादक या तो बिल्कुल फ़ुरसतिया थे या एकदम प्राम्पट. तुरंत जवाब आ गया और साथ ही रचना भी, संपादक जी की टिप्पणीं के साथ. लिखा था, " आपकी कहानी पढी, मगर ऎसा प्रतीत होता है कि कहानी का अंत पृष्ठ भूमि से भटक गया है. लघु कथाओं की सारगर्भिता लेखक की सजगता पर आधारित होती है. सजगता के साथ लिखने का प्रयास करें. शुभकामनाओं सहित-"
सर्वप्रथम तो मुझे यह नही समझ आया कि मैने तो कविता लिखी थी उसे संपादक जी ने कहानी कैसे मान लिया और वो भी लघु कथा. दूसरा, मैने तो लिखते वक्त कोई पृष्ठ भूमि ही नही बनाई तो मै भटका काहे से.
बस मै समझ गया कविता अपने बस मे नही. अब सोचा है गीत और गज़लों पर हाथ आज़माऊँगा, और हाँ, कभी मौका लगा और गीत गज़ल लिखते समय सुर ताल ना बैठी तो हायकू पर भी. ऎसा पता चला है कि हायकू छोटी क्षणिकाओं के जापानी माडल का नाम है, ध्यान दें- क्षणिकाओं मे भी छोटी क्षणिकाएं. कुछ नियमों का पालन भी करना होता है जैसे कि यह तीन लाइन की होती है तथा इसमे १७ वर्ण होते हैं, पहली लाइन मे ५, दूसरी मे ७ और तीसरी मे ५. संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है. तीनों पंक्तियां पूर्ण होना चाहिये. इसे हाइकु भी कहा जाता है. (हाइकु पर विस्तार से जानने के लिए http://www.anubhuti-hindi.org पर जा कर हाइकु पर क्लिक करें एवं डा. व्योम का लेख पढें.). खैर आपको समझाने के लिये कि हायकू कैसी होती है, वर्तमान आपबीती घटना पर मेरी प्रथम हायकू:
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कविता लिखी
उनकी नासमझी
कहानी लगी.
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सारे नियमों का पालन करते हुये लिखी है, चाहें तो गिन लें.
अपनी यह प्रथम हायकू, मै उन्ही संपादक महोदय को समर्पित कर रहा हूँ.
शुक्रवार, मार्च 03, 2006
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8 टिप्पणियां:
बढ़िया है।क्या जरूरत है कविता लिखने की? इधर की गद्य के मैदान में दंड पेलिये।
अनूप भाई, वर्जिश जारी रखूँगा. देखिये कितने बल्ले बनते हैं.
बहुत खूब...आपकी तरह मुझे भी ऐसे टिप्पणी मिली थी....लिखते रहेये.....कलम पैनी होगी....
क़विताए काफी अच्छी प्रतित हो रही हैं......
आप जबलपुर से हैं,जान कर खुशी हुई..मैं सागर से हुं..अभी पुणे में सोफ्ट्वेयर में कार्येरत हुं....
नीतेश नेमा....
पुणे
नीतेश भाई
धन्यवाद।
सागर मेरा अक्सर जाना हुआ करता था।
जानकर खुशी हुई।
समीर लाल
आपकी जानकारी अच्छी लगी। वादा करते हैं कि अब हाइकु नहीं लिखेंगे।
दीपक भारतदीप
आपकी जानकारी अच्छी लगी। वादा करते हैं कि अब हाइकु नहीं लिखेंगे।
दीपक भारतदीप
आपकी जानकारी अच्छी लगी। वादा करते हैं कि अब हाइकु नहीं लिखेंगे।
दीपक भारतदीप
आपके कविता लिखने के प्रयास ने हिन्दी ब्लॉग दुनिया को सार्थक साहित्य की ओर बढ़ा दिया। अब सिलसिला न रुकेगा यह।
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