मंगलवार, अक्तूबर 24, 2006

हिन्दी चिट्ठों का वार्षिक भविष्यफल

दीपावली से हिन्दु नववर्ष प्रारंभ हो गया है.

इधर चिट्ठा जगत में भविष्य वक्ताओं की बाढ आई है, तो हमने भी सोचा कि अपनी इतनी गहरी और सधी हुई पंडिताई हम कैसे छोड़ दें, तो सुनें अपने चिट्ठों का वर्षफल. यह आपके चिट्ठे के अंग्रेजी नाम के आरंभिक शब्द पर आधारित है:
तुरंत देखें, आपका चिट्ठा किस शब्द से शुरु होता है और जानें वार्षिक फल:

A,C,F,G,U, R

यह साल आपके चिट्ठे के लिये बहुत शुभकारी रहेगा. वर्ष के पूर्वार्द्ध में टिप्पणियां बहुतायत में मिलेंगी. इस अति प्राप्ति के अहम में डुबकर आप अपने आपको एक वरिष्ठ चिट्ठाकार मानने लगेंगे और आपकी प्रविष्टियों की गुणवत्ता पर इसका प्रभाव दिखने लगेगा और उसमें कमी आने की संभावनायें हैं. गुणवत्ता की गिरावट के साथ ही प्रविष्टियां प्रविष्टी कम और खानापूर्ति ज्यादा नजर आने लगेंगी. कुछ अहम और कुछ आलस्यवश, जो कि वरिष्टता के साथ आना स्वभाविक है, आप दूसरे के ब्लागों पर टिप्पणियां करना कम देंगे या सिर्फ़ औपचारिकतावश, बढ़ियां है या अच्छा लगा, तक सिमित हो जायेंगे जो कि आपके ब्लाग पर वर्ष के उत्तरार्ध में आई टिप्पणियों की कमी का कारण बनेगा.

एक बात पर आप विशेष ध्यान दें कि जो भी लिखें वो दूसरों को समझ में पूरी तरह आये या बिल्कुल न आये, तभी टिप्पणियां मिलेंगी.

टिप्पणियों का जवाब अवश्य दें अन्यथा कई लोगों को यह आभास हो सकता है कि आप उनकी टिप्पणियां पढ़ते ही नहीं हैं और वो हतोत्साहित हो टिप्पणी करना बंद कर देते हैं.

कई बार आपकी अच्छी पोस्ट भी लोग पढ़ने से कतरा जाते हैं. उसके लिये सिद्ध मंत्र है कि पोस्ट का शिर्षक भड़काऊ रखें ताकि लोग उसे देखें जरुर, भले ही उसका पोस्ट से कुछ लेना देना न हो. लोग शिर्षक और पोस्ट के सामाजस्य को बिठाने के चक्कर में ही पूरी पोस्ट पढ़ जायेंगे. ऐसे शिर्षकों के लिये रामायण और गीता की पंक्तियां या कबीर और रहिम के दोहों के अंश उच्च फलकारी होते हैं.

अपने ब्लाग की साज सज्जा पर ध्यान देने की आवश्यकता है. हल्का हरा, गहरा पीला और भूरे रंग का बेकग्राउंड़ शुभ फलकारक होगा. फोंट का रंग यदि काला है, तो उसे बदल कर कोई भी और दूसरा गाढ़ा रंग चुनें, इससे टी आर पी में बढ़त आयेगी. यदि आप एक ही विधा में लिखते हैं तो अपनी लेखनी में विवधता लायें, जैसे कि व्यंग, हास्य और गंभीर लेखन का मिश्रण आपेक्षित से बेहतर परिणाम देगा.




E,K,L,M, X

इस वर्ष आपके चिट्ठे को मिले जुले परिणाम मिलेंगे. टी आर पी की बढ़त के बावजूद टिप्पणियों की संख्या में भारी गिरावट आयेगी. ब्लाग पर स्थानान्तरण योग है. अगर आप ब्लाग स्पाट पर हैं तो संभव है आप वर्ड प्रेस पर स्थानान्तरित हो जायें मगर प्राईवेट होस्टिंग का अगर मन बनाते हैं तो पहले ट्रेफिक काउंटर लगा कर अपनी औकात का आंकलन कर लें अन्यथा कहीं लेने के देने न पड़ जायें. कभी आपको यह अहसास भी हो सकता है कि आप इससे कुछ कमा लेंगे. तो ऐसे बहकावे में न आयें. इस तरह की अफवाह फैलाने वाले खुद भी फ्री ब्लाग स्पाट पर ही हैं और वो इतना बेहतरीन लिख लिख कर कुछ नहीं उखाड़ पा रहे तो आप क्या कर लोगे. कम से कम दृष्टिगत भविष्य में तो इसकी संभावनायें नहीं दिखती हैं.

इस वर्ष ग्रहों की वक्र दृष्टी के कारण आपके द्वारा की गई १० टिप्पणियों के बदले आपको दो ही प्राप्त होंगी तो अधिक पाने के लिये उससे कहीं अधिक देना होगा. हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है, वर्षांत तक स्थितियों में सुधार दिखने लगेगा, मगर किसी भी भ्रम का शिकार होने के पहले पुनः ट्रेफिक काउंटर देख कर अपनी औकात का आंकलन कर लें.

आप में से कुछ ने जो पूर्व में कीर्तिमान स्थापित कियें है, उनसे परेशान हो कर शत्रु वर्ग आपको तरह तरह से परेशान कर सकता है, मसलन छदम भेष धर कर आपके नाम से टिप्पणी या आपके चिट्ठे की हैकिंग का प्रयास इत्यादि. ऐसे में विचलित होने की आवश्यकता नहीं है. संयम बनाये रखें, अपनी स्थिती स्पष्ट करते रहें और अपना कार्य पूर्ववत जारी रखें. अगर दिल करे तो कहीं कहीं मौके का फायदा उठाकर मन के उदगार व्यक्त कर सकते है और उसका ठिकरा भी छदमनामी के सिर फोड़ कर चैन से पड़े रहें, आपका कोई नुकसान नहीं होगा.

चिट्ठे के बेकग्राउंड़ के लिये उदासीन रंगों का प्रयोग करें जैसे कि सफेद, हल्का गुलाबी, आसमानी आदि. फोंट साईज अगर १२ के नीचे हैं तो टी आर पी पर घातक असर कर सकते हैं. कवितायें, खुद की या चुराई हुई, दोनों ही अच्छा परिणाम लायेंगी मगर कृप्या कविताओं को कविता ही रहने दें. अगर स्व-लेखन से यह संभव न हो तो चुरा लें बजाय कि कहानी को कविता कहने के. इससे विपरीत परिणाम की प्राप्ति हो सकती है. अपने चिट्ठे के नाम में हिज्जे परिवर्तन से भी लाभ मिलने की संभावना है, जैसे कि उडन तश्तरी को उड़न तश्तरी या उडन तस्तरी कर दें, अच्छे परिणाम मिलेंगे.




B,D,H,W,Z

चिट्ठे का तो खैर जो भी हो, आपके तिरछे तेवर के कारण आपकी बदनामी तय है और उसका परिणाम झेलेगा बेचारा आपका चिट्ठा बिना किसी वजह के. कोशिश करके इस वर्ष कम से कम लिखें और जब भी लिखें तो सिर्फ लिखें न की बकर करें. दूसरों के उपहास से सबको फायदा नहीं पहूँचता, यह आपको याद रखना चाहिये. पहले अच्छा लिखें फिर बुरा ढूँढें, अन्यथा चर्मयुक्त किसी वस्तु के सिर पर पड़ने की पूरी संभावना है. बड़ों के आशिर्वाद को स्विकारें न कि उन्हें उनका माखौल उड़ाने का एंट्री पास समझें. यह ब्लाग जगत बहुत सेंसिटिव जगह है, यहां कब कैसे और क्यूँ कोई बुरा मानेगा और आप पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, कोई नहीं जानता. इसके आगे सब ग्रह नक्षत्र फेल हैं.

टिप्पणियों की अपनी गरिमा और महत्ता होती है, उसे समझने का प्रयास करें. टिप्पणिकर्ता के मनोभाव को समझने का प्रयास करें, न कि उस पर अपना मनोभाव लादें जो कि आप अपनी पोस्ट के माध्यम से कर ही चुके होते हैं.

अन्य लोगों की भावनाओं का आदर करें.--तभी आदर की आशा करें और तभी आपका भविष्य भी उज्जवल होगा. अन्यथा तो आप यथोचित पा ही रहे हैं.

ब्लग डूब जायेगा, कोई बात नहीं, दूसरा खोला जा सकता मगर आपका व्यतित्व डूब जाये तब फिर क्या? सोचो. कोई यहां झगड़ने नहीं आया है, यह मात्र वैचारिक मंच है और तुम इसे पर्सनल अखाड़ा बना कर कुश्ती लड़ते हो. बाकि जगह क्या कम पड़ गई. इस दिशा में लिया गया सकारात्मक कदम आने वाले समय में बहुत अच्छे परिणाम देगा.

अपने ब्लाग को लोकप्रिय बनाने के तमाम उपायों को अंगिकृत करने से पहले पढ़नीय सामग्री प्रेषित करें और मात्र खानापूर्ति के सिवाय कुछ वाकई में लिखें ताकि इस टिप्पणी, जिसे आप तारिफ मानते हैं, "क्या लिखा है", के लुप्त प्रश्नचिन्ह को भी आप देख पायें.."क्या लिखा है ?" तो कोई आश्चर्य न होगा.

साजसज्जा और फोंट कलर और साईज के ठीक होने के बावजूद वर्तनी पर ध्यान देने की आवश्यकता है, अन्यथा वर्तनी पीर से कुछ सांठ गांठ करो या फिर उसका वार झेलो. कोई पूजा पाठ आपको इससे नहीं बचा सकता. बस एक उपाय है, उसके लिये अलग से चार्जेबल बेसिस पर लिखें.


P,Q,N,S,O

आपका चिट्ठा इस वर्ष उतार चढ़ाव के नये कीर्तिमान स्थापित करेगा. कुछ चिट्ठे वर्षांत के पहले बंद होने की कागार पर आ जयेंगे, तो कुछ बंद हो चुके होंगे. वहीं कुछ अपने होने का ऊँचा परचम लहरा रहे होंगे. अति उत्साह अक्सर पूर्ण विराम की ओर अग्रसित मार्ग का फ़्लाई ओवर होता है. आपको सलाह दी जाती है कि उत्साहपूर्वक लिखना अच्छी बात है मगर अति उत्साह के प्रवाह में बहकर कुछ भी लिखना घातक सिद्ध हो सकता है. संभल कर चलें.

चिट्ठे के बंद करने की घोषणा कई बार उसको नये आयामों तक ले जाती है और कई बार इसके बड़े अच्छे परिणाम देखे गये हैं, दोनो तरह से टी आर पी और टिप्पणी के आधार पर. पर यह कार्य काठ की हांड़ी जैसा है जो बार बार नहीं चढ़ाई जा सकती, अतं में इसे अजमाने के पहले साख अच्छी जमा लें और एकदम ब्रह्मास्त्र की तरह उपयोग करें.

नारद से अच्छे संपर्क रखना उच्च फलकारी होगा. बिना नारद के अच्छे अच्छों का गुजारा नहीं हो पाया है, फिर आप तो खैर आप हैं.

स्थान परिवर्तन यानि कि ब्लाग स्पाट से वर्ड प्रेस या उल्टे से कोई लाभ नहीं होगा और न ही फोंट का रंग या साईज कोई विषेश प्रभाव डालेंगे. हां, नाम परिवर्तन का प्रयास शायद कुछ सफलता दे.

नकली फोटो और बेनाम चिट्ठाकारी दोनों आपके लिये उचित नहीं है, उसके लिये बेजोड़ लेखनी की आवश्यकता है और उस दिशा में पहले आपको प्रयास करने होंगे. अपने ब्लाग पर कहीं न कहीं सरसों के तेल के दिये का चित्र अवश्य लगायें, इससे यह महादशी समय आसानी से कट जायेगा.

टिप्पणियां करने में कोताही न बरतें क्योंकि वो ही एक मात्र साधन है कुछ टिप्पणियां प्राप्त करने का. अन्यथा लेखनी सुधरने तक इंतजार करें, मगर यह भी ख्याल रहे कि कहीं चिट्ठा सुधार आते आते वीरगति को न प्राप्त हो जाये.



I,J,T,V,Y


बस आप अंतिम हैं, और अंतिम टाईप लग भी रहे हैं. भईया, आपका तो क्या कहें, जब तक लिखोगे नहीं तो पूछेगा कौन. न तो आप कोई ऐसी कोशिश करते हो कि नारद की उच्च पायदान पर बनें रहें और न ही बहुत अच्छा मटेरियल लाते हो. सिर्फ दूसरों की प्रस्तुति प्रस्तुत कर और फोटो सोटो चिपका कर क्या दुनिया की अस्मिता लूट लोगे? टिप्पणी भी चाहिये, नारद भी आपको रिपोर्ट करे और चिट्ठा चर्चा वाले भी आपके गुणगान करें और आप बैठे ठर्राओ. ऐसा कहीं होता है क्या? नारद महात्म पढ़ना शुरु कर दें हर बुधवार को और चिट्ठाकारों से मधुर सबंध बनाओ. उनकी हर लेखनी पर वाह वाह करके, तभी उद्धार होगा, वरना अपने आप आपकी नियती तो तय है.

सिर्फ दूसरों की गज़ल, कविता और लेख कहानी से कब तक चलेगा. थोड़ा तो चलेगा, यह भी तय है. मगर जब रेस लगाने निकले हो तो पूरा दौडो, थोड़े से क्या?

ब्लाग का स्थानन्तरण कुछ असर दिखायेगा, शायद नई जगह पहूँचने का स्वागत समारोह में कुछ टिप्पणियों से नवाजा जाये या कम से कम स्थानान्तरण की सूचना की एक ओरिजनल पोस्ट तो बन ही जायेगी.

परिवार में वृद्धि की संभावनायें हैं, तो और ब्लाग खोल डालिये अलग अलग नाम से. शायद कहीं टिप्पणी आ जाये, अन्यथा बन्द कर देना. कौन सा घर से पैसा लगा है जो चिंता करें.

कभी कभार थोड़ा अपना खुद का कुछ लिखा करो, उससे अंतर पड़ेगा. लिखना तो शुरु करो, रंग अपने आप आता जायेगा.

चिट्ठे के बेकग्राउंड़ के लिये गाढ़े रंगो का प्रयोग और फोंट हल्के रंगों में उपयुक्त सिद्ध होंगे, भविष्य के लिये. जब तक लिखना भी सीख जाओगे और तब फिर फोंट गाढ़े कर लेना ताकि लोग वाकई में पढ़ पायें.

इन उपायों पर काम करो, सफलता कदम चूमेगी.



इसके सिवाय यदि कोई अपने ब्लाग की पर्सनल समीक्षा चाहता है तो वो पहले हमारे ब्लाग पर ५१ टिप्पणियां कर दें और उनका विवरण दे हमें अलग से ईमेल करें, हम उसको अलग से बतायेंगे. अरे भई, सब कुछ तो सार्वजनिक किया नहीं जा सकता हालांकि अब बचा क्या है. :)


अंत, हमेशा की तरह एक कुण्ड़ली नुमा रचना के साथ:


ज्योतिष विद्या सीख लई, पढ़ कर एक किताब
सबका भविष्य बताये रहे, खुद का नहीं हिसाब
खुद का नहीं हिसाब कि सब परेशां से दिखते हैं
उज्ज्वल भविष्य की चाह लिये, सब भगते हैं.
कहे समीर कवि कि कुछ खुद कर लो कोशिश
बाकी तो सब लूटते, क्या पंडित क्या ज्योतिष.


--समीर लाल 'समीर' Indli - Hindi News, Blogs, Links

63 टिप्‍पणियां:

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

उड़नतश्तरी, गीतकलश और फ़ुरसतिया पहली श्रेणी में
लगता सबसे बड़ी दक्षिणाअग्रिम हीवसूल्कर्ली है
शनि मंगल्को धता बता कर, बुद्ध सोम को किया प्रतिष्ठित
लम्बे चौड़ेजाप किये हैं, सारीविपदा खुद हर ली है

Pramendra Pratap Singh ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Tarun ने कहा…

वाह समीरजी! आप भी क्या, दूर की कोड़ियाँ लाये।
एक एक कर, सभी चिट्ठों का भविष्य दिये बताये।।
भविष्य दिये बताये, सभी अब ढूँढे अपना लैटर।
किसी का तो है अच्छा, किसी का बंद होता चैप्टर।।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

सारी मलाई A,C,F,G,U, R मे है,
इसमे है आईना, फ़ुरसतिया और उडन तश्तरी,
ये समूह है तो क्रीमी लेयर
नही है इसमे किसी को घबराने की बात।

E,K,L,M,X के लिये रहेगा
पूरा वर्ष सन्‍तुलित
ये मत हो ज्‍यादा हैरान
बस रखे पाठको का ध्‍यान।

B,D,H,W,Z अब न सुधरे,
तो इनकी ऐसी तैसी तय है
नही कोई इनके लिये टोना टोटका,
बस ये न फोडे दूसरे का मटका।

P,Q,N,S,O ये आयी मेरी श्रेणी,
इसमे मेरा चिठ्ठा है प्रमेन्‍द्र प्रताप
इन चिठ्ठो के लिये नही है अच्‍छी बात,
ये हो सकते है वीरगति को प्राप्‍त

I,J,T,V,Y ये ऐसी श्रेणी है,
नही लिखोगे तो नही बनेगा काम।
फोटो कविता गजल से नही बनेगा काम,
आपने ब्‍लाग को लेख से सजाओ आज।

कोई व्‍यक्तिगत समीक्षा चाहत है,
तो करे 51 टिप्‍पणी आज,
नही खबर इन्‍हे अपनी है,
रख रहे है दुनिया भर का हिसाब।
भविष्‍य फल को पढ कर,
न करे ब्‍लाग का सत्‍यानाश। लेख टिप्‍पणी करते रहो, यही होगा उज्‍जवल भविष्‍य का राज।।

बेनामी ने कहा…

भविष्य साफ नज़र आ रहा है!

अमल करना शुरू कर दिया है, चिठ्ठे का रंग भी बदल दिया है। अक्षरों के रंग में भी परिवर्तन ले आया हूं ;-)।

एक बात समझ में नहीं आयी, "K" अक्षर से शुरू होने वाले चिठ्ठों की अलग से भविष्य वाणी क्यों नहीं करी गयी? दैवीय शक्तियों से लैस इस अक्षर को साधारण अक्षरों से साथ खड़ा करना इसका घोर अपमान करना है - मेरी गणित के अनुसार केकता कपूर और करण कौहर आपकी इस 'नज़र अंदाज़ी' से काफ़ी व्यथित होने वाले हैं।

समीर जी अब आप "K" से सावधान रहियेगा :) ।

अनूप शुक्ल ने कहा…

हमारे नामाराशि अनूप भार्गव जिनको विदेशों में हिदी प्रसार के लिये सम्मानित किया गया है अक्सर एक शब्द बोलते हैं- अमेजिंग. वे इसका कापीराइट नहीं कराये इसलिये हम भी कह रहे हैं इस लेख के बारे में -अमेजिंग. बहुत अच्छा लिखा .बधाई. अब हम अपने को खोज रहे हैं कि हम किस कैटेगरी में हैं. हर जगह कुछ-कुछ हैं, कैसे सब जगह से समेट के अपना कोलाज बनायें समझ में नहीं आता. चिट्ठे में कोई परिवर्तन हमारे स्वामी के हाथ में है. वही कुछ करेगा तभी कुछ होगा. बहरहाल बाकी लोग करें अपना काम-धाम. सबको शुभकामनायें.

बेनामी ने कहा…

समीर की उड़ान लिए उड़ा कुन्डली रूपी यान
गद्य-पद्य मय हास्य-व्यंग्य,सुसज्जित सब सामान
सुसज्जित सब सामान, देख कर हम चकराए
विभिन्न स्वाद एक तश्तरी किस विधी समाए
कह 'रत्ना' मुस्काए समां बस बंध सा जाए
'समीर लाल' की कलम जब करतब दिखलाए।

Jagdish Bhatia ने कहा…

बहुत खूब लिखा है समीर जी। :D
अब समझ आया कि ब्लागर बार बार थीम कलेवर, फोंट और रंग आदि क्यों बदलते रहते हैं, सब आपकी निजी ज्योतिष सलाह पर हो रहा है शायद:)

Pratyaksha ने कहा…

हमारी तो वीरगति को प्राप्ति वाली श्रेणी है :-(
कुछ उपाय भी सुझाय महाराज , कोई ताबीज कोई मंत्रजाप , कोई हवन पूजा , संकट को टालने के लिये

विजय वडनेरे ने कहा…

मा'राज!

आप तो भोत सारा बोल्दिये.
पन अपन को समज मेंईच नीं आया कि अपन कोन्सा भविस्य देखे?

नीं मेरे केने का मतलब जे हेगा कि -
- कि अंग्रेजी नाम देखे?
- जाकि सीर्सक देखे?

अब मेरे कोईच देखो - मेरे बिलाग का अस्सल में तो नाम vijaywadnere.blogspot हेगा, पन बिलाग का सीर्सक 'कुलबुलाहट'.

तो अब बताओ - मे v को देखुं कि k को देखुं?

जै राम जी की.

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ३

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ४

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ५

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ६

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ७

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ८

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ९

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १०

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ११

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १२

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १३

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १४

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १५

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १६

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १७

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १८

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - १९

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २०

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २१

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २२

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २३

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २४

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २५

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २६

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २७

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २८

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - २९

गिरिराज जोशी ने कहा…

टिप्पणी क्रमांक - ३०

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

अरे कविराज जी रूक क्‍यो गये

लगे रहो गिरिराज

इतना कमेण्‍ट करने के लिये साहस जुटाने के लिये बधाई।

Atul Arora ने कहा…

अनूप शुक्ला जी ने भी एक शब्द का पेटेंट नही करवाया है, हम उसका उपयोग कर लेते हैं तारीफ के लिये। गजनट!

Sagar Chand Nahar ने कहा…

क्या इस पेज को ५१ बार रिफ़्रेश करने से या आपकी पुरानी ५१ प्रविष्टियों को एक बार फ़िर से पढ़ने से काम नहीं चलेगा, कुछ रहम कीजिये सरकार, ५१ टिप्पणियाँ ..............कुछ ज्यादा नहीं है?

RC Mishra ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
RC Mishra ने कहा…

आप विश्वास करेंगें, मैने केवल टिप्पणियाँ पढ़ीं।
मज़ा आया, धन्यवाद!
भविष्यफ़ल फ़िर कभी।

Udan Tashtari ने कहा…

आप लोगों का स्नेह देख मन खुश हो गया.

राकेश भाई

वाकई, इन सब से दक्षिणा तो रोज ही वसूल करते हैं, इसीलिये अग्रिम पंक्ति में लग गये. वैसे यह तो सब ग्रह नक्षत्रों का खेल है, हम तो सिर्फ़ मार्ग दर्शन दे सकते हैं. :)
धन्यवाद, कवित्तमयी टिप्पणी के लिये.


तरुण भाई

अरे भाई, डरे नहीं. हमने कहा तो है कि उपाय हैं, बस दक्षिणा चढाओ जी भर कर और फिर परचम लहरता देखो अपने चिट्ठे का. बहुत शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिये.


प्रमेन्द्र जी

कौन किस लेयर में है, यह तो विधाता की करनी है. हमें तो सिर्फ़ उद्धार करने और सही रस्ता दिखाने के लिये भेजा गया है, सो हम अपना कार्य कर रहे हैं.:) आपका धन्यवाद, आपने लेख पढ़ा, जो लिखा उसे समझा और जो नहीं लिखा, उसे भी समझा :).


अनुराग भाई

एक होती है दशा और एक होती महादशा. ये जो K है, वो अपने साथ उसी ग्रुप में आये और लोगों की भी लूटिया डूबवायेगा. थोडे उपाय करवा लो, काफी फायदा मिलेगा. दक्षिणा भी कहां ज्यादा मांगी है आज के बाजार भाव के हिसाब से. बहुत शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिये.

Udan Tashtari ने कहा…

अनूप भाई

आपका तो यूँ ही परचम लहराता रहे, इसी की कामना है. आपको किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है. तारीफ के लिये बहुत शुक्रिया.

रत्ना जी

वाह भई वाह, कुण्ड़लीनुमा तारिफ सुन हम तो थोड़ा चढ़ से गये, बहुत शुक्रिया.

प्रियंकर जी

मन गद गद हुआ जा रहा है, आपके तारिफी पुल पर चल कर. बहुत धन्यवाद.


जगदीश भाई

जरुर, आप का भी स्वागत है हमारे सलाहकारी कक्ष में. साथ एक ग्राहक लाने पर दक्षिणा में छुट का भी प्रवधान है. बहुत शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिये.


प्रत्यक्षा जी

जन्म दिन की बधाई.

अरे, फिर से ध्यान से पढ़ें, आपके लिये ही तो यह वाली लाईन लिखी है:

"वहीं कुछ अपने होने का ऊँचा परचम लहरा रहे होंगे."
वैसे तो उपाय वहीं दिया हुआ है:
"अपने ब्लाग पर कहीं न कहीं सरसों के तेल के दिये का चित्र अवश्य लगायें"
:)
बहुत शुक्रिया पढ़ने के लिये.

Udan Tashtari ने कहा…

विजय भाई

आगे को भी काम आयेगा, यह सूत्र रख लो. अखबार में भी जब भविष्यफल देखो तो तारीख के हिसाब से, नाम के हिसाब से, राशि के हिसाब से, सब देख डालो और बेस्ट वाला रख लो. इसे हर रोज बदल भी सकते हैं, इसमें कोई दोष नहीं है. :)
बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिये.

गिरिराज जी

आपके शोर्य, उर्जा और लगन की तारीफ ३० बार एक साथ ही कर देता हूँ. मंदिर में एक ही लड्डू बार बार एक ही भगवान को थोडे चढ़ाते हैं. अरे भईये, अलग अलग लेख पर अलग अलग ५१ टिप्पणी करोगे तब दक्षिणा कबुल होगी. खैर आपकी मेहनत और लगन देख कर इसे कबुल कर ही लेते हैं, धन्यवाद. :)

अतुल भाई

गजनट.....वाह भई, तारीफ करने का अंदाज पसंद आया. बहुत धन्यवाद.

सागर भाई

आप तो पहले ही एड़वांस पेमेंट कर चुके हैं, अब तो बस प्रश्न पूछो. :)
धन्यवाद.

Udan Tashtari ने कहा…

मिश्र जी

आप पधारे वही इनाम है दिवाली का, अब पढ़ भी लेंगे तो डबल इनाम. :) धन्यवाद.

महावीर जी

आपका आशिष मिला अच्छा लगा. और भी अच्छा इसलिये कि चिडिया की चोंच से आप बचे. :)

स्नेह बनाये रखें.


---एक बार पुनः आप सबका धन्यवाद.

बेनामी ने कहा…

समीरलाल जी,इतना दिव्य ज्ञान देने की याद इतने दिन बाद क्यों आई। अब तो कलम दवात की पूजा के बाद हर ब्लागरस को अपने ब्लाग की पूजा अर्चना कर लेनी चाहिये। और जब पूजा अर्चना करेगें तो एक कुल्देवता भी होने चाहिये और जब आप ने इतना दिव्य ज्ञान दे ही दिया तो आप ही हमारे कुल्देवता हुये न।

Udan Tashtari ने कहा…

डॉ साहब
अब कुलदेवता हुये तो आपको तस्वीर की जरुरत पड़ेगी. एक बार मॉडलिंग के हिंचवाई थी, कहें तो वो वाली भेजूँ. :)

आपका बहुत धन्यवाद, जो आप पधारे.

पंकज बेंगाणी ने कहा…

मैने आज तक किसी चिट्ठे पर इतनी टिप्पणीयाँ नही देखी. आह... मजा आ गया. छुट्टियों के बाद इतनी ट्राफिक देखकर।

आपके भविष्यफल को मैने आपकी सिफारीश एकता कपूर से कर दी है, हो सकता है उनका कुछ भला हो जाए और देशी पंडितों को भी भेज दी है... ताकी वे लोग स्पेलिंग में सुधार करके अपनी साइट को पुनः जागृत कर सकें।

रही बात मेरी तो सोचता हुँ.... मंतव्य का नाम बदलकर कुछ न्युमरोलोजी से ठीक ठाक कर लू. या एक्स्ट्रा म या व जैसा लगा लू. म्मंतव्य कैसा रहेगा.. या मंतवय या मंत्वय या मंतत्वयय या ममंत्व्य ... जल्दी उपाय बताइए.

संजय बेंगाणी ने कहा…

महाराज आपने तो मेरे चिट्ठे का भविष्य ही मट्टीया-मेट कर दिया. भारी घबराहट हो रही हैं. इसलिए आपको प्रसन्न करने के लिए यह टिप्पणी चढ़ावे के रूप में की हैं, यह काम नियमीत रहेगा, बस मेरे चिट्ठे को बचाने का जंतर कर देना आप.

Udan Tashtari ने कहा…

पंकज मास्साब

“म्मंतव्य कैसा रहेगा.. या मंतवय या मंत्वय या मंतत्वयय या ममंत्व्य ... जल्दी उपाय बताइए.”

सब कुछ फ्री में लूट लोगे क्या? अरे भाई, दक्षिणा न दो न सही, कम से कम संजय भाई की तरह वादा तो करो. :)
शुक्रिया पधारने का. अब लिखना चालू हो जायें.



संजय भाई

“इसलिए आपको प्रसन्न करने के लिए यह टिप्पणी चढ़ावे के रूप में की हैं, यह काम नियमीत रहेगा,”
दक्षिणा भी वादे में, आप चुनाव क्यूँ नहीं लड़ने का मन बनाते कभी. :)

खैर बचाव के काफी उपाय तो पोस्ट में ही दे दिये हैं और बाकी आपके लिये हवन बैठा दिया गया है, वादे पर भरोसा करते हुये. वैसे भी भरोसा करने के सिवाय एक आम भारतीय के पास उपाय भी क्या है और इसकी आदत जो पड़ चुकी है, सो अलग. :)
धन्यवाद, आपकी टिप्पणी के बिना कहीं कुछ सूनापन था. आशा है छुट्टियां बेहतरीन रही होंगी.

rachana ने कहा…

नमस्ते समीर जी ! धन्यवाद आपका,मेरी एक टीप्पणी मे की गई छोटी सी बात पर गौर करने के लिये.आपके लेख मजेदार होने के साथ ही कुछ व्यावहारिक सबक भी सिखाते हैं! भविष्यवाणी के जरिये दी गई सारी नसीहतों से सीखने की कोशिश करुँगी..

Udan Tashtari ने कहा…

रचना जी

आपने टिप्पणी में मुझे मेरी भूल का अहसास करा दिया था, उसके लिये मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ. आइंदा टिप्पणियों के जवाब देने की कोशिश जारी रखूँगा. आप हमारे ब्लाग को पढ़ती है, इसके लिये बहुत धन्यवाद और लेख मजेदार लगते हैं, यह जानकर बहुत खुशीऔर हौसला मिला. :)

Laxmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है, गुरू लेकिन मेरे चिटठे का भविष्य तो आपने बड़ा संकटमय बताया है। क्या काव्यकला को काव्य कला कर दूँ? कोई पूजा अनुष्ठान हो सकता है?

Laxmi ने कहा…

मैंने टिप्पणी डाली थी लेकिन पता नहीं क्यों, वह गायब हो गई है। Pहिर डालने का प्रयास कर रहा हूँ। बढ़िया लिखा है, समीर भाई। लगता है आपके भविष्यफल के अनुसार मेरे चिटठे पर बड़ा संकट आने वाला है। क्या कोई पूजा अनुष्टान किया जा सकता है?

Udan Tashtari ने कहा…

लक्ष्मी जी,

आप तो स्वयं ज्ञाता हैं, प्रभू.
फिर भी हम आदत के अनुसार भक्तों की तकलीफ नहीं देख सकते.:) आपके चिट्ठे के लिये जाप शुरु कर दिया गया. ५१ टिप्पणियों की दक्षिणा वाली बात स्मरण में रख अगले तीन माह में पूरी कर दें. :)तभी जाप पूर्ण प्रभावकारी रहेंगे.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

समीर भाई,
नमस्ते !
यह राशि फल आपने स्वयँ लिखा है या कहीँ पढा था ?
जानकारी बढिया है -- आपका ब्लोग इतनी भीडभाड से जगमगा रहा है --
बधाई स्वीकार करेँ --
स - सस्नेह,
लावण्या

प्रेमलता पांडे ने कहा…

बहुत ही बढ़िया!!! हमने भी समय रहते जान लिया अपने चिट्ठे का भविष्य।
मान गए ज्योतिष-ज्ञान को। शुभकामनाएँ।
-प्रेमलता

बेनामी ने कहा…

Excellent one. Very entertaining.

Astrologer Sidharth ने कहा…

छह साल पहले इतनी शानदार पोस्‍ट। मेरा तो आगमन ही 2007 के शुरूआती दिनों में हुआ, तब तक ब्‍लॉगरी पर्याप्‍त परिपक्‍वता ले चुकी थी। वाह।


शानदार पोस्‍ट... :)