शनिवार, दिसंबर 28, 2024

बह निकली ज्ञान सरिता की अबाध धारा

 तिवारी जी का अगर व्यक्तित्व जानना है तो इस बात से जानिए कि जब उनके घर के गमले में नींबू उगे तो उन्होंने उसकी शिकंजी नहीं पी बल्कि उनमें से दो नींबू जेब में रखे शाम को चौक पर आ बैठे और ऐलान कर दिया कि अगर किसी को वोदका पीने का मन हो तो बोतल खरीद कर ले आए, नींबू हम देंगे। साथ बैठकर पीयेंगे और आनंद के साथ शाम गुजारेंगे। यह इनका नित का नियम था। इस तरह के नींबू लिए तो दुनिया में लाखों लोग किसी और के द्वारा नशा करवा देने की फिराक में घूम रहे हैं चाहे वो नशा शराब को है, पॉवर का हो या पैसे का। मगर एक तिवारी जी का व्यक्तित्व ही ऐसा है कि उन्हें हर बार कोई वोदका पिलवाने वाला मिल भी जाता है।

तिवारी जी के पास शराब पीने से होने वाले नुकसान के ज्ञान का इतना अथाह भंडार था कि जैसे ही पहला पैग अंदर जाता, ज्ञान का सागर उनकी वाणी के माध्यम से बह निकलता। हर पीने वाला भी एक पैग के बाद इस तरह के ज्ञान को प्राप्त कर धन्य महसूस करता और मन ही मन ठानता कि आज बस आखिरी बार पी रहे हैं और कल से बंद। अब चूँकि कल से बंद करना ही है तो आज तो जी भर पी लें, इस चक्कर में एक बोतल और आ जाती। उस बंदे की तो खैर कल से क्या ही बंद होनी है मगर तिवारी जी की पौ बारह हो जाती। तबीयत से छक कर रोज पीते और इसकी एवज में ज्ञान बांटते।

तिवारी जी ज्ञान का प्रभाव भी ठीक उन मोटिवेशनल स्पीकरों वाला है, जो खुद भले ही उस ज्ञान का पालन करें न करें मगर सुनने वाला सुनते समय तो बस मानसिक रूप से पूरी तरह से सफल हो ही चुका होता मगर अगले दिन सुबह उठते ही फिर वही ढाक के तीन पात।

सिद्धांत एकदम स्पष्ट है कि अगर मोटिवेशनल स्पीकर को सुनकर सब सफल ही हो गए तो अगली बार उसे बुलाएगा कौन? उसकी तो कमाई ही सफलता के ज्ञान देने से और सफल हो जाने की भावना भड़काने से ही है। अक्सर लोग मोटिवेशनल स्पीकरों से पूछते भी हैं कि सर, हम जब आपको सुनते हैं तो लगता है कि बस अब आपकी बताई राह पर चल पड़ेंगे और सफल हो जाएंगे। एक दो दिन अगर चल भी लें तो भी जल्द ही मोटिवेशन खत्म हो जाता है और हम फिर पुराने ढर्रे पर आ जाते हैं। तब स्पीकर बड़ी मासूमियत से बतलाता है कि क्या शरीर को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए आप आज नहाने के बाद अगर कल न नहायें तो भी क्या आपका शरीर साफ सुथरा बना रहेगा? नहीं न – आपको शरीर को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए नित नहाना होगा। यह ठीक वैसा ही है जैसे आप अपनी भूख मिटाने के लिए तथा शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए नित भोजन करते हैं।  उसी तरह आप अपने मस्तिष्क को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए, उसे मोटिवेटेड रखने के लिए नित मोटिवेशन स्पीच सुनते हैं। लोगों को बात समझ आ जाती है और वो सारी जिंदगी नए नए सफलता के उपाय स्पीच में सुनते रहते हैं कि शायद कल सफल हो जाएँ। स्पीकर की रोजी रोटी भी चलती रहती है और ज्ञान का सागर भी बहता रहता।

तिवारी जी इस बात से भली भांति परिचित हैं। उनके ज्ञान से लाभान्वित हो अगर कोई शराब वाकई में छोड़ दे तो कल उनको कौन पिलाएगा? उस पर से उनके श्रोता भी ऐसे जो पियक्कड हैं। उनको सुबह जागने के बाद यह तक तो याद रहता नहीं कि कल रात घर कौन पहुंचा गया था तो उन्हें भला रात का ज्ञान क्या ख्याल रहेगा।

कहते हैं कि तिवारी जी को इसी तरह शराब से होने वाले नुकसान का ज्ञान बांटने की एवज में शराब पीते 40 साल हो गए हैं लेकिन आजतक न तो कोई शाम खाली गई और न ही कभी उनको किसी प्रकार के प्रचार की आवश्यकता पड़ी। लगातार कोई न कोई श्रोता मिलता ही रहा और वो भी अक्सर रीपीट – किसी भी धंधे में ग्राहक भगवान तो होता ही है मगर उससे भी ज्यादा बड़ा भगवान रीपीट ग्राहक होता है। वही उनका विज्ञापन भी करते रहते हैं। बताते हैं कि कभी कभी तो दो तीन श्रोताओं को एक साथ बैठा कर ज्ञान देना पड़ता था किन्तु उन रातों में कुछ ज्यादा ही हो जाती थी। इतना आसान तो नहीं होता है न ज्ञान बांटना।

टेस्टीमोनियल के तौर पर एक श्रोता ने बताया कि आज कई बरस हो गए तिवारी जी से ज्ञान लेते मगर मजाल है कि कभी भी उन्होंने वही ज्ञान दोहराया हो। उनके पास ज्ञान का असीमित भंडार है।

अब आप देखें कि बड़ा से बड़ा मोटिवेशनल स्पीकर भी इस आक्षेप का शिकार है कि वो वही ज्ञान बार बार दोहराता है मगर तिवारी जी उनसे बहुत आगे और परे हैं।

कारण साफ है कि एक पियक्कड़ की दिमाग की मेमोरी हर सुबह रीसेट हो जाती है और कल का सारा ज्ञान डिलीट । उसे तो हर रोज का ज्ञान एक नया ज्ञान ही लगता है।

मगर देश के आमजन को क्या हुआ है जो वो हर बार उन्हीं जुमलों पर लहालोट हो उन्हीं को अपना मोटिवेशनल स्पीकर मान बैठी है, जो उनको बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू साधे हुए उन्हीं पर लगातार राज करता रहता है और जनता उम्मीद का नींबू लिए घूम रही है कि अच्छे दिन आएंगे। सबकी किस्मत तिवारी जी जैसी नहीं होती। तुम्हारी भलाई इसी में है कि नींबू सूख जाने से पहले उसकी शिकंजी बना कर पी लो। उससे ज्यादा अच्छे दिन नहीं आने वाले। 

-समीर लाल ‘समीर’

  

भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार 29 दिसंबर ,2024 के अंक में:

https://epaper.subahsavere.news/clip/15205

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