एक माईक्रो पोस्ट!!
ब्लॉगवाणी बंद!!
यह कोई छोटी घटना नहीं.
इतिहास आज के दिन को हिन्दी के नेट पर प्रारंभिक प्रचार और प्रसार में जबरदस्त धक्के के रुप में दर्ज करेगा.
सामान्यतः हर सोमवार की सुबह मैं एक पोस्ट लगाता हूँ. आज इन क्षणों में अपना अफसोस, दुख और ब्लॉगवाणी को इस अंजाम तक लाने वालों के प्रति अपना विरोध दर्ज करते हुए अपनी पोस्ट रोकता हूँ.
आशा है, उन विरोधी ताकतों और निर्माण प्रक्रिया के विंध्वसकों को तसल्ली मिली होगी.
सीख:
समाज सेवा की हमारे समाज में कद्र नहीं, शोषण के हम आदी हैं.
एक त्रिवेणीनुमा:
वो समाज की सेवा करता है..
गैरों के हित की बात करता है…
…..
कहते हैं तूफान आने को है!!
एक निवेदन: मैथली जी, एक बार पुनर्विचार करें.
हालांकि क्षमायोग्य कृत्य नहीं है हमारा,
फिर भी संग में नाम दर्ज होगा तुम्हारा.
सादर
समीर लाल ’समीर’
91 टिप्पणियां:
मेरी भी मनस्थति ऐसी ही है -मैथिली जी पुनर्विचार करें ! अब लोगों के कालेजों को भरपूर ठंडक मिल गयी है !
किसे तसल्ली मिल गई उड़न जी!?
क्यों जख्मों पर नमक छिड़कते हैं!
haan blogvani bandh hone se hame bhi bahut bura laga.blogvani team se hamara bhi vinamra nivedan hai,punarvichar kare.
पहचान बनाने निकले थे
खुद का सामान खो दिये
इतने बडे निर्णय पर पुनर्विचार जरूरी है.
मेरी भी मनः स्थिति आप जैसी ही | मैथिली जी एक बार पुनर्विचार करें यही अनुरोध है उनसे |
टांग खेंचू लोगो को शायद आज तसल्ली मिल गयी होगी और अब भी न मिली तो बचे खुचे हिंदी एग्रीगेटर की टांग भी खींचना शुरू करदे |
निशांत सही कहते हैं, किसे तसल्ली मिल गयी !
हम ऐसा करने को अभिशप्त हैं । सब कुछ अतिवादी हो चला है । हमारा गम-ए-दिल नुक्ताचीं है । बात कैसे बने ?
ब्लॉगवाणी ने तो कह दिया विनम्रता से -
दिल को हम हर्फ-ए-वफा समझे थे, क्या मालूम था
यानी,यह पहले ही नज्र-ए-इम्तिहाँ हो जायेगा ।
दुःख की बात है ये ......... मैथिलि जी को पुनर्विचार करना चाहिए
समीर भाई ......आपको और आपके परिवार को विजयदशमी की शुभ कामनाएं .....
अत्यंत दुखद है ब्लागवाणी का बंद होना। मेरा भी निवेदन है-मैथिली जी पुनर्विचार करें
अरविन्द मिश्रा जी और हिमांशु ,निशान्त की बातें
आमूल चूल रूप में सही सरोकार करा रही हैं ।
क्या हमारी हैसियत इतनी कमजोर है कि इतनी आसानी से अपने आगे बढ़ रहे अभियान को इस प्रकार से बन्द कर दिया जाय ।
आदरणीय मैथिली जी और प्रिय सिरिल ,
आपको विजयदशमी की बधाई और ढेरो शुभकामनाएं ! मैं यह क्या देख रहा हूँ ? ब्लागवाणी को बंद कर दिया आपने ? विजयदशमी पर आपने यह कैसा उपहार दिया है ! मैं तो स्तब्ध हूँ ! क्या इस निर्णय के लिए यही सबसे उपयुक्त समय था ! विजयदशमी असत्य पर सत्य के विजय का पर्व है -आसुरी प्रवृत्तियों पर देवत्व के अधिपत्य के विजयोल्लास का पर्व ! यही हमारी सनातन सोच है ,जीवन दर्शन है ! ऐसे समय इस तरह की क्लैव्यता ? कभी राम रावण से पराजित भी हुआ है ? यह आस्था और जीवन के प्रति आशा और विश्वास के हमारे जीवन मूल्यों के सर्वथा विपरीत है कि प्रतिगामी शक्तियां अट्ठहास करने लग जायं और सात्विक वृत्तियाँ नेपथ्य में चली जायं ! और वह भी आज के दिन -विजय दशमी के दिन ही ?
आपसे आग्रह है कि सनातन भारतीय चिंतन परम्परा के अनुरूप ही ब्लागवाणी को आज विजयदशमी के दिन फिर से प्रकाशित करें ! सत्यमेव जयते नान्रितम के आप्त चिंतन को आलोकित करें !
अगर आप ऐसा नहीं करते तो हिन्दी ब्लागजगत की विजयदशमी कैसे मनेगी ? ब्लागवाणी के अनन्य मित्रों ,प्रशंसकों को आप आज के दिन यही उपहार दे रहे हैं -वे क्या अपने को पराजित और अपमानित महसूस करें? नहीं नहीं आज के दिन तो यह निर्णय बिलकुल उचित नहीं है ! ऐसा न करें कि राम पर रावण की विजय का उद्घोष हो ?पुनर्विचार भी न करें, ब्लागवाणी के तुरीन से तत्काल शर संधान कर असत्य और अन्याय के रावण का वध करे -प्रतिगामी शक्तियों को पराभूत करें! हम आपका आह्वान करते हैं !
दुखद घटना
ब्लॉगवाणी से निवेदन है कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे
अत्यंत दुखद खबर मिली आज. बिना ब्लागवाणी के कैसा लगेगा हिंदी ब्लाग जगत. आपके ब्लाग के माध्यम से मैथिली जी और सिरील जी से विनम्र अपील है कि हो सके तो पुनर्विचार करें. आपके प्रयासों की ब्लाग जगत को आवश्यकता है. चंद लोगों के कुत्सित प्रयासों के फ़लस्वरुप बहुसंख्यकों पर यह दंड है.
इष्ट मित्रो व कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
आदरणीय मैथिली जी/सिरिल
चलो जो जिसे जैसा चाहे करे कराए दुःख की बात है ये पुनर्विचार, फैसले पर पुनर्विचार करे ब्लॉगवाणी
आपको विजयदशमी की बधाई और ढेरो शुभकामनाएं !
bahut dukh aur takleef hai!
कहने को तो ८ सितम्बर की सुबह भारत आगमन हुआ लेकिन इसके बाद इतनी व्यस्तता रही कि एक भी चिट्ठा खोलकर पढने का समय नहीं मिला। आज सुबह ४:३० बजे उठकर सोचा कि कम से कम कुछ चिट्ठों पर नजर डाली जाये। जैसे ही ब्लागवाणी खोला मन बैठ गया...
पता नहीं किस विवाद के चलते ऐसा हुआ क्योंकि पिछले २० दिनों से चिट्ठाजगत का रूख ही नहीं हुआ लेकिन ब्लागवाणी का बन्द होना मेरी एक व्यक्तिगत क्षति है।
मैं इस टिप्पणी के माध्यम से मैथलीजी से निवेदन करता हूँ कि वो अपने इस सतत प्रयास को जारी रखें और ब्लागवाणी को पुनर्जीवित करने पर विचार करें।
आभार,
नीरज रोहिल्ला
बेहद अफ़सोस जनक घटना ! कृपया बंद होने की घटना के कारणों को संकेतों में न बता कर साफ़ साफ़ बताने की कृपा करें, बुराइयों से खुलकर ही लड़ना पड़ेगा नहीं तो कल आपकी बारी होगी ! आशा है समीर भाई इस बारे में नेतृत्व करेंगे...
सादर
अब कुछ नादानों की नादानी का अंजाम पूरे हिन्दी ब्लॉग समाज को भुगतना होगा। अनुरोध है कि ब्लॉगवाणी वापिस शुरु हो।
सुबह चाय पीते समय अखबार की आदत जैसे ही कम्प्यूटर खोलते ही ब्लॉगवाणी ओपन करने की आदत सी हो गई है। अब क्या करें?
हमने तो सोचा था कि भविष्य में ब्लॉगवाणी पसंद अंग्रेजी डिग जैसे ही हिन्दी ब्लोग की लोकप्रियता का मानदंड बन जाएगी परः
मेरे मन कछु और है कर्ता के कछु और ....
Man supposes God disposes .....
मसल है...
खाय न देब तऽ थरिया उल्टाइन देब
अर्थात, हे पाठकों
यदि मुझे अपनी मर्ज़ी अनुसार पसँद नहीं मिलेगी,
तो मैं परसी हुई पूरी थाली उल्टा तो सकता ही हूँ !
दशहरे के दिन खामोशी पसर गयी। पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि रावण आज फिर सीता को हर ले गया और राम के साथ हम सब दुखी हो रहे हैं। लेकिन हमें विश्वास है कि शीघ्र ही रावण को ढूंढ लिया जाएगा और राम उसका वध करके सीता को पुन: अयोध्या लाएंगे।
समीर लाल जी!
समस्त ब्लागरों को ब्लॉगवाणी बन्द होने का दु:ख है।
फिर भी समादरणीय मैथिली जी के इस फैसले का हम दुखी मन से स्वागत करते हैं।
शायद उनके मन में ब्लॉगवाणी को संशोधित रूप में
प्रस्तुत करने की मंशा अवश्य होगी!
मैथिली जी!
हम लोग ब्लॉगवाणी को नये रूप में देखने की अपने मन में लालसा संजोए हुए हैं।
प्रतीक्षारत्-
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
असत्य पर सत्य की जीत के पावन पर्व
विजया-दशमी की आपको शुभकामनाएँ!
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मैं सहमत हूं सभी टिप्पणीकारों की भावना से...
लगाये गये आरोप गलत थे तथा आरोप लगाने वाले के तकनीक के प्रति अज्ञान को जाहिर करते थे।
"ब्लागवाणी चलाना हमारी मजबूरी कभी न थी बल्कि इस पर कार्य करना नित्य एक खुशी थी. पिछले दो सालों में बहुत से नये अनुभव हुए, मित्र भी मिले. उन सबको सहेज लिया है, लेकिन अब शायद आगे चलने का वक्त है. तो फिर अब हम कुछ ऐसा करना चाहेंगे जिससे फिर से हमें मानसिक और आत्मिक शांति मिले."
यहां पर यह भी कहूंगा कि मात्र हिन्दी के प्रति प्यार के चलते मिशनरी भावना के चलते यदि ब्लॉगवाणी जैसे प्रयास होते हैं तो किसी के लिये भी लम्बे समय तक उसे चलाना मुश्किल होगा, जेबें चाहे कितनी गहरी हों...
हिन्दी ब्लॉग जगत अभी अपने शैशव में है पर यह अपार संभावनाओं युक्त युवा होगा इसमें किसी को किंचित भी संदेह नहीं होना चाहिये...यह एक बड़ा बाजार भी होगा...और फिर...एक प्रॉफिटेबल हिन्दी एग्रीगेटर जो प्रोफेशनली चले...शीघ्र ही होगा हम हिन्दी वालों के पास
अलविदा ब्लॉगवाणी! दो वर्ष का यह साथ बेहद फलदायी रहा...
ब्लॉगवाणी के संचालकों को उनके सुखद भविष्य हेतु शुभकानायें...
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायें!
दुखःद है.. मैथलि जी पुःन विचार करें..
मैं तो अपनी पोस्ट के अपडेट में लिखे को प्रस्तुत करना चाहूंगा -
आलोचना इतना टॉक्सिक होती है - यह अहसास हुआ आज जानकर कि ब्लॉगवाणी ने शटर डाउन कर लिया। अत्यन्त दुखद। और हिन्दी ब्लॉगरी अभी इतनी पुष्ट नहीं है कि एक कुशल एग्रेगेटर के अभाव को झेल सके। मुझे आशा है कि ब्लॉगवाणी से जुड़े लोग पुनर्विचार करेंगे।
चाहे जो भी बात हो पर ब्लाग्वाणी को आज के दिन तो इस तरह कतिपय विघ्न संतोषियों के सामने नही झुकना था. इस फ़ैसले पर पुनर्विचार किया जाये.
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
मेरे लिए तो जैसे सिर मुडाते ही ओले पड़े ,अभी जुम्मा
जुम्मा ४ दिन हुए मेरा ब्लॉग शुरू हुए और एक मजबूत
मंच बंद हो गया ,कुछ लोगों के कारण !
आज दशेहरा है ,क्या रावण राम पर हावी हो गया ????
बडे़ बडे़ काम छोटे छोटे आग्रहों से कैसे आगे बढ़ेंगे ?
ब्लागवाणी के जरिए पाठकों को अप-डेट होते ब्लागों से परिचित कराते रहना कोई छोटा काम नहीं। पर ऎसे विचलित होकर उसे बंद कर देना, कोई ठीक फ़ैसला नहीं। मुझे उम्मीद है मेरी बातों को स्वस्थ मन से ही लेंगे।
अरे भाई,
मैथिली जी एवं ब्लागवाणी टीम की यदि कोई नाराज़गी थी तो व्यक्त तो कर देते पहले। हमारी नज़र में तो शायद ऐसी प्रक्रिया याने पसंद और सबसे ज्यादा पढ़े आदि की कोई आवश्यक्ता थी ही नहीं। इससे ब्लॉगजगत में एक किस्म की प्रतियोगिता का भाव पैदा हो गया था जिसका ये नतीजा रहा। यदि यही किसी योग्य टीम द्वारा ब्लॉग पोस्टों की गुणवत्ता के आधार रेटिंग की जाती तो बेहतर होता। सप्ताह में अधिकतम एक पोस्ट का प्रावधान होता तो शायद सब लोग सब या अधिकतम ब्लॉगों को पढ़ते भी। आवश्यक है अधिकतम ब्लॉगों का पठन। खै़र। ब्लॉगवाणी का बन्द होना दुखद तो है ही।
ब्लॉग लिखना छोड़ देना समस्या का हल नहीं है.
ब्लॉगवाणी के बंद होने का काफी दुख है, पर मेरी समझ में यह नहीं आता कि मैथिलीजी को किस चीज का डर है! विरोधी तो होंगे ही और टांग खेंचु भी, तो क्या उनकी बक बक से प्रभावित होकर एक अच्छी सेवा बंद कर देनी चाहिए!
मैं इसे ओवर रिएक्शन समझता हूँ.
आपके विचारो से सहमत हूँ . कल का दिन काले प्रष्टों में लिखा जावेगा...... ब्लागवाणी बंद हो जाने का दुःख हम सभी को है . आपके माध्यम से मै भी मैथिलि जी से अपील करना चाहूँगा की अपने निर्णय पर पुनःविचार करे . ब्लागवाणी ने हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार हेतु सराहनीय योगदान दिया है इसे विस्मृत करना संभव नहीं है .
बहुत दुखद है
हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहास में
इस दुर्घटना को काले अक्षरों में
चिन्हित किया जाएगा।
मैथिली जी से अनुरोध है कि वे
हाथी के समान आगे बढ़ें
और मार्ग में आने वाली
सुनाई पड़ने वाली
बेसुरी (भौंकिया) आवाजों पर
कान न धरें
और हिन्दी ब्लॉगजगत में
एक स्वर्णिम इतिहास रचें
जो सह कर ही रचा जा सकता है
मन जीतने का इससे मनोरम उपाय
आज दूसरा नहीं हो सकता है।
बेहद दुखद घटना है ब्लोगजगत के लिए ब्लोगवानी का बंद होना। मैथिली जी से हमारा भी निवेदन है कि वे इस फैसले पर फिर से विचार करें।
निश्चित रूप से "कुछ खास" लोगों को तसल्ली मिली है… इसके पीछे षडयंत्र है इसका खुलासा भी जल्द ही होगा… किसी नये=पुराने एग्रीगेटर की शर्मनाक करतूत भी हो सकती है…। फ़िलहाल तो हिन्दी के लिये एक बड़ा झटका है। कुँए के मेंढक एक दूसरे की टाँग ही खींचते रहेंगे, कभी खुद होकर नई ऊँची उड़ान भरने की कोशिश नहीं करेंगे…। ब्लागवाण बन्द होना एक अपूरणीय क्षति, और उसे बन्द करवाने की साजिश रचना एक बेहद घटिया और नीच कर्म है…
यह स्पष्ट नहीं हुआ की किसको तसल्ली मिली होगी. आलोचनाएं होती रहती है, कोई गम्भीर आरोप लगा था क्या? ब्लॉगवाणी का बन्द होना समझ से बाहर है.
Mil gai jee mil gai. Shishan ke aadi hain hum isliye hamein seva ke koi kadra nahin hogi. kabhi nahin hogi. Hamein wahi mila hai jo hum deserve karte hain.
Maitjili ji se nivedan hai ki we apne faisle par punarvichaar na karein.
blogvani ka band hona ek dukhad smachar hai.......aapse anurodh hai ki kripaya ise dobara chaloo kar dein ...........hamare jaise pathak to anya rachnaon se mahroom hi rah jayenge.
blogvani ka band hon adurbhagyapurn hai kripiya phir se vichar kare...
Pata nahee kise tasallee milee hogee? Bilkul anjaan hun is vivad se..
Dashhare kee harek shubhkamna..!
अत्यंत दुखद है ब्लागवाणी का बंद होना।
मेरा तो अपनाघर लगता था यह ब्लांग बाणी, इसे बन्द कर के जेसे मुझे इन्होने बेघर कर दिया,मैथिली जी पुनर्विचार करें !ओर सोचे कुछ लोगो की गलतियो से सब को सजा क्यो.... लोट आईये... ओर विजयदशमी ओर दिपावली का तोहफ़ा हमे दे दियीजिये..
समीर जी आप की एक एक बात सही है, ओर मै सहमत हुं.आप का धन्यवाद, हम सब के दिल की बात आप ने लिख दी.
आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.
बेहद दुखद घटना है. इसका प्रभाव निश्चित रूप से ब्लोगर्स पर पड़ेगा , विशेष रूप से नए ब्लोगर्स पर. आजकल टिप्पणियां और प्रतिक्रियाएँ ,लांछन का रूप लेती जा रही हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
कृपया , मेरी आज की पोस्ट पर अपने विस्तृत विचार प्रकट करें.
मुझे इस बात का बेहद दुःख एवं अफ़सोस है की कुछ विघ्नसंतोषी लोगों की आवाज के आगे हजारों प्रशंसकों की आवाज अनसुनी की गई ..यह हिंदी ब्लॉग जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है. यहाँ की गुटबाजी भयानक आत्मघाती रूप ले रही है. आज तमस और असुरी शक्तिओं पर प्रकाश और सात्विक की विजय के दिन यह समाचार मुझे खिन्न किये जा रहा है. विनम्र अनुरोध है की ब्लोग्वानी टीम अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.
विजय दशमी की यह कैसी भॆंट! क्या यही है ब्लाग के वाणी की विजय?????????????????
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी / यूँ कोई बेवफा नही होता । बहरहाल इस बेवफाई के विरोध मे आज कोई पोस्ट नहीं । ब्लॉग-बुज़ुर्गों से अनुरोध है इस का हल ढूँढे ।
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपको पढ़कर बहुत अच्छा लगा. सार्थक लेखन हेतु शुभकामनाएं. जारी रहें.
----ब्लॉगवाणी से निवेदन है कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे !
-----------विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं!
मेरा भी निवेदन है कि मैथिली जी पुनर्विचार करें
वी वांट ब्लॉगवाणी बैक..
हैपी ब्लॉगिंग
ये जो भी कुछ हुआ ...किसी हादसे से कम नहीं है...इससे सबक लेने की जरूरत है....और उम्मीद है कि सबक मिल भी गया है बहुतों को...मगर किसी भी परिस्थिति में ये कदम हिंदी ब्लोग्गिंग के लिये बहुत कष्टदायी साबित होगा...हमारा भी यही अनुरोध है कि ब्लोगवाणी को अभी बहुत बडा इतिहास रचना है...हमें वापसी का इंतज़ार नहीं...विशवास है..कि आप जरूर आयेंगे....
apko vijaydashmi ki bahut bahut shubhkaamnayen.
समीर भाई, मैं एक टिप्पणी दुबारा करना चाहता हूँ, करूँ ?
ब्लागवाणी का यह निर्णय किन्हीं निहित तत्वों के मँसूबों को फलीभूत कर रहा है,
बल्कि होना तो यह चाहिये था कि, इनकी अवहेलना कर इस पर तुषारापात किया जाये,
ऎसा तभी सँभव है, यदि यह टीम अपने फैसले पर पुनर्विचार कर कुछ कड़े तेवर के साथ प्रकट हो ।
बल्कि होना तो यह चाहिये कि अभी कुछ दिनों तक त्राहि त्राहि मचने दें,
जिसके लेखन में दम हो वह अपनी पोस्ट अपने कलम और सम्पर्क के बूते औरों को पढ़वा ले ।
एक मज़ेदार तथ्य यह कि, मैं मूरख से ज्ञानी जी की पोस्ट पर ब्लागवाणी के जरिये ही पहुँचा,
उत्सुकता केवल इतनी थी कि, कल सर्वाधिक पसँद प्राप्त पोस्ट में आख़िर क्या है !
ॐ शांति शांति शांति . इससे ज्यादा किया कह सकते है ब्लॉग वाणी के संचालको के लिए
बहुत दुख हुआ.मैथिली जी पुनर्विचार करें.
ब्लॉगवाणी से निवेदन है कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.
आलोचनाओं से डरकर ब्लोगवाणी बंद करना ... ये तो दुर्भाग्यपूर्ण है | मुझे तो नहीं पता किसे तसल्ली मिल गई | जरा हम भी जानें की किसे तस्सली मिल गई ?
मैथिली जी से निवेदन है की पुनर्विचार कर ब्लोग्वानी जल्द से जल्द प्रारंभ करें |
विजयादशमी की बहुत-बहुत शुभकामनायें
ये पूरा प्रकरण ही अत्यंत खेदजनक है। न केवल आरोप-प्रत्यारोप खेदजनक हैं वरन नीजर्क प्रतिक्रिया में ब्लॉगवाणी को बंद किया जाना भी। क्या कहें बेहद ठगा महसूस कर रहे हैं...अगर ब्लॉगवाणी केवल एक तकनीकी जुगाड़ भर था तो ठीक है जिसने उसे गढ़ा उसे हक है कि उसे मिटा दे पर अगर वह उससे कुछ अधिक था तो उस पर उन सभी शायद लाख से भी अधिक प्रविष्टियों की वजह से था जो इस निरंतर बहते प्रयास की बूंदें थीं तथा इतने सारे लोगों ने उसे रचा था.... हम इस एप्रोच पर अफसोस व्यक्त करते हैं। यदि कुछ लोगों की आपत्ति इतनी ढेर सी मौन संस्तुतियों से अधिक महत्व रखती है तो हम क्या कहें...
पता नही किसे क्या मिला,ब्लागवाणी बंद होना दुःखद है,इस फ़ैसले पर विचार होना चाहिये।
अब पहुंच पाया हूँ यहाँ. जब कहने को कुछ भी नहीं है।
मेरा भी निवेदन है-मैथिली जी पुनर्विचार करें
समर्थन में उठे मेरे दोनों हाथ.
मैं तो पहले ही अपने तीन ब्लोग पर यह दोहरा ही चुका हूं.
होइहे वही जो राम रचि राखा....
aai to thi aapka shukria ada karne magar ye khabar padh kar bahut afsos hua.
koi mujhe iski vajah batayega ?
ब्लॉगवाणी रूठी रहे...हम मनाते रहें...इन अदाओं पर और प्यार आता है...वैसे आजकल बिना मांगे सुझाव देने का ज़माना नहीं है फिर भी एग्रीगेटर को किस तरह सर्वग्राह्य बनाया जा सकता है जिससे फिर कोई उस पर ऊंगली उठाने की जुर्रत ही न कर सके...मैंने ताजा पोस्ट पर पांच सुझाव दिए हैं... ये ठीक वैसे ही जैसे चुनाव के दौरान चुनाव आयोग हर उम्मीदवार को समान स्तर का प्ले-फील्ड देने की कोशिश करता है...उम्मीद है कि ब्लॉगर बंधु इन सुझावों पर अपनी प्रतिक्रिया या प्रति सुझाव देंगे...
ब्लॉग वाणी का इस तरह पलायन ...वो भी विजयदशमी के दिन ...बहुत दुखद रहा ..!!
विघ्न संतोषी तो जाने क्या चाहते हैं. खुद कुछ करना नहीं होता और दूसरों को करने नहीं देते.
मैथली जी से प्रार्थना है कि ऐसे लोगों के मूँह पर सही तमाचा तभी लगेगा, जब वह ब्लॉगवाणी पुनः ले आयेंगे.
बहुत दुखद घटना रही है.
नवरात्रि के कवि सम्मेलनों की व्यस्तता के कारण कुछ पता नहीं कि वास्तव में क्या विवाद है । आज जब अपनी रोजमर्रा की आदत की ही तरह सबसे पहले ब्लागवाणी पर पहुंचा तो ज्ञात हुआ । ज्यादा तो नहीं कहूंगा बस ये कहूंगा कि मैथिली जी यदि आप ऐसा करेंगें तो उस मालवी कहावत असत्य हो जायेगी जिसमें कहा जाता है कि 'कव्वों के कोसने से हाथी नहीं मरते' । ब्लागवाणी को बंद करना एक दुखद घटना है । और एन दशहरे के दिन होने से ये ही ज्ञात होता है कि अब सत्य पर असत्य की विजय के पर्व का नाम दशहरा है ।
निश्चित ही यह हिंदी ब्लॉगजगत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है । वस्तुत: विवाद है क्या इससे अनभिज्ञ इसलिए अधिक कुछ नहीं कहूँगा ।
लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि आज हिंदी में ब्लॉग एग्रीगेटरों को बढ़ाने की जरूरत है न की उन्हें बंद करने की ।
और ऐसे विध्वंशक कार्य से तसल्ली किसे मिली होगी ?????
दो दिनों के अवकाश के बाद आज ही कंप्यूटर खोला तो अब तरफ यही हाहा कार मचा देखा. ये क्या हो गया क्यूँ हो गया.....बेहद दुखद और अफसोसजनक ......कुछ भी समझ नहीं आ रहा, मगर ब्लोग्वानी की पोस्ट पढ़ कर कुछ राहत मिली है. ब्लोग्वानी यूँही सुचारू रूप से चलता रहे और हम सभी का हौसला बढाता रहे यही दुआ और शुभकामना के साथ....
regards
बहुत ज्यादा तो नहीं जा पाता परन्तु ब्लॉग वाणी एक बहुत अच्छा प्रयास था |
अभी अभी देखा तो पता चला की यह फिर से शुरू हो गया है | फिर से ऐसा न हो इसके लिए शुभकामनाएं |
blogwani ek seekh de raha tha. Ab vah bhi band. Kuchh karie
blogwani ek seekh de raha tha. Ab vah bhi band. Kuchh karie
sahi kaha.......hum saath hain
ब्लॉगवाणी का वापस आना सुखद रहा. विवादों का तो पता नहीं पर ऐसे बंद हो जाने पर एक धक्का जरूर लगा था. कारण चाहे जो भी रहा हो.
blogvani bandh hone se mere jaise naye bloggers ko to lagta hai jaise mujhe samudra mein chod diya gay ho aur haath se map le liya gaya ho.....
Khair......
mere blog par aapki tippadi ka hardik abhaar.
Ankur,
http://gubaar-e-dil.blogspot.com
बहुत दुख हुआ सुनकर कि हमारा मिडिएटर ब्लागवाणी बंद हो गया आखिर क्यों इतना बडा फैसला एकदम लिया कुछ सोचना चाहिए था ना कि हमारे जैसों का क्या होगा अब प्लीज इसे दोबारा शुरू करा दो वरना हम सीबीआई जांच कराएंगे और दोषियों का ब्लाग बंद कराने की अपील करेंगे आप ब्लागवानी को शुरू करा दो
बाकी कल हमारे भाटिया जी ने एक पोस्ट लिखी थी टांग खिंचाई वही स्थिति बन रही है
"अपना विरोध दर्ज करते हुए अपनी पोस्ट रोकता हूँ."
आपके विरोध का यह तरीका बिलकुल गाँधीमय है, आशा है सफलता मिलेगी और सबकुछ ठीक ही होगा......
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
शुक्र इस बात का कि मैथिली जी ने ब्लॉगर्स की भावनाओं का ख्याल करते हुए उसे फिर से चालू कर दिया है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
"मिल गई तसल्ली!!"
हाँ मिल गई आ गई आभार
समीर जी ......आपको और आपके परिवार को विजयदशमी की शुभ कामनाएं ..... ........पर क्यो ऐसा लोग करते है ?मुझे तो समझ मे नही आता समीर जी.........
ब्लोगवाणी फिर से शुरू हो गया.इस बीच उसकी लोकप्रियता का भी अनुमान लग गया.
Blogvani dobara chaalu karane ke liye aapko dhanyawaad.........
समीर जी पिछ्ल्र दो महीनों से मैं ब्लॉग जगत से काफी दूर रहा कारण मेरी सासु माँ का लम्बा ईलाज था आज दो महीनों बाद ब्लॉग जगत में झांक कर देखा तो ब्लॉगवाणी के बन्द होने की दुखद खबर मिली साथ ही साथ ब्लॉगवाणी के लौट आने की भी खबर मिली। तो अब ये दुःख एक सुख में बदल गया है और ब्लॉगवाणी ज़ाहिर तौर पर अब साजिशों से और मज़बूत होकर दो चार होगा । जितना ब्लॉगवाणी का जाना दुखद था उससे उसका लौट आना कहीं सुखद है । यह सब आप जैसे स्नेहीजनों के सशक्त विरोध के चलते हुआ है
आप को विजयादशमी के पर्व पर हाअर्दिक शुभकामनायें.
ब्लोगवाणी शायद आज फ़िर से शुरु हो गया है!!!
भाई जी बवाल
के अंगुलि लगाने मात्र से काम, बन गओ
अब बवाल को अपनी "अंगुलि"को सम्हाल के रखना चाहिए
आपके प्रत्येक शब्द में अपने शब्द मिलाती हूँ......
मुफ्त में मिली सहूलियत की क़द्र करना हम नहीं जानते....
अंत भला तो सब भला . पुरानी कहावत याद आ गयी " कुत्ते भौंके हजार हाथी चले बाजार "
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