पश्चिम मे पढाई कुछ इस कदर मंहगी है और साथ ही पढाई के लिये लोन मिलने का सिलसिला इतना सरल, कि अधिकतर बच्चे लोन लेकर ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.वैसे ये एक फ़ैशन भी है...ऎसे मे बिटिया की शादी मे नये आयाम इस लोन को लेकर जुड जाते है, क्योंकि हम कितना भी पश्चिम मे रहें, हैं तो देशी ही, दो चित्रों के माध्यम से अपनी दो विरोधाभाषी बात पेश कर रहा हूँ, आशा है, सब कवर हो जायेंगे.
//चित्र १//
लडके के पिता ने
लडकी के पिता से कहा
लडकी तो आपकी नायाब है
नौकरी मे भी कामयाब है
पसंद वो एकदम हमारी है
इस घर मे उसी की इंतजारी है.
मगर हमे सिर्फ़ नौकरी पेशा
लडकी ही चाहिये...
उसकी पढाई का लोन
आप ही चुकाईये...
जब चुक जाये तब आइयेगा,
फ़िर आगे बात चलाइयेगा.
//चित्र २//
लडके के पिता ने
लडकी के पिता से कहा
लोन की आप चिंता ना करें
बिटिया ने पढा है,
वही तो चुकायेगी,
नौकरी करती है अपनी
जिम्मेदारी उठायेगी.
लडकी के पिता को
बात कुछ जम गई...
और सोच यहाँ थम गई..
चलो अपना लोन भी
बिटिया के नाम कराते हैं..
ऎसॆ रिश्ते बार बार
कहाँ मिल पाते हैं.
--समीर लाल 'समीर'
आपके पास कोई नया नज़रिया हो तो बतायें.
सोमवार, अप्रैल 03, 2006
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13 टिप्पणियां:
बहुत सही लिखा
शुक्रिया, पंकज भाई.
समीर लाल
बहुत खुब, मजा आया.
आपका युं व्यंग्यकाएं करना
हमको भाया(पसन्द आया).
न हो प्रतिभा आपकी जाया
इस लिए, लिखते रहीयो भाया(भैया).
अच्छा लगा, संजय भाई, रचना आपको पसंद आई.आपके प्रोत्साहन से जरुर लिखता रहूँगा.
समीर लाल
बहुत सही व्यंग्य किया है।
बहुत धन्यवाद, तरुण भाई.
समीर लाल
वाह
बहुत खूब
लगे रहो।
शुक्रिया, युगल भाई.लगा हूँ.
समीर लाल
बहुत घैंट है। समीर साहब का इश्टाईल युनीक है।
स्टाईल पसंद आया, बहुत धन्यवाद रजनीश भाई.
वैसे बुरा ना माने तो जानना चाहूँगा अपने शब्दकोष के विकास के लिये, ये "घैट" शब्द का अर्थ क्या होता है?(वैसे लगता है शायद अर्थ गहन होगा, जब आपने लिखा है. :))
पुनः धन्यवाद..
समीर लाल
वाह! बहुत सही व्यंग कसा है आपने...वही पुराने चोचले, लेकिन कुछ बदलते रंगों के साथ।
हमारी जानिब से ढेरों दाद कबूल करें
और अब आज्ञा दें...
फि़जा़
बहुत खूब!
फ़िजा जी
और
मनीष जी
बहुत शुक्रिया.
समीर लाल
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