शनिवार, दिसंबर 21, 2024

जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु

 

तिवारी जी आज त्रिपाठी जी का किस्सा सुना रहे थे।

ये त्रिपाठी  हमारे साथ अपनी जवानी के दिनों में यहीं पान के ठेले पर दिन दिन भर बैठा रहता था। न कोई काम न कोई काज बस सुबह से चला आता और रात को जब तक हम न लौट जाएं वो टस से मस न होता। कई बार उसे समझाया कि कोई काम धंधा खोल ले। हमारा तो चलो फिर भी किराया आता है उससे काम चल जाता है मगर तुम कब तक आश्रित बने रहोगे दूसरों पर?

त्रिपाठी  ने बात दिल से लगा ली और उसने तालाब के पास सरकारी जमीन पर एक चाय का ठेला लगा लिया। लोग तालाब की तरफ स्नान करने जाते या जानवर नहलाने, वो ही त्रिपाठी  से कभी कभार चाय खरीद लेते और कुछ पैसा आ जाता। एक बार दो पुलिस वाले भी तालाब में स्नान करने आए तो वो भी चाय पीने बैठ गए। चलते समय जब त्रिपाठी  ने पैसे मांगे तो पैसे के बदले दो डंडे और उसपर से धमकी अलग कि आगे से कभी पैसे मांगे तो ठेला फिंकवा देंगे। खैर, समय के साथ साथ वो चाय के साथ एक डिब्बे में लड्डू भी रखने लगा। वो भी कुछ कुछ बिकने लगे।

पैसे का स्वभाव है कि जब आने लगता है तो और आने की लालच भी साथ ले आता है। त्रिपाठी  भी रास्ता खोज रहे थे कि कैसे और पैसा आए? एक दिन उसी डिब्बे में से दो लड्डू लेकर शहर के जागृत बजरंग बली के मंदिर पर जाकर उसे चढ़ा आए कि हे हनुमत, आशीर्वाद दो ताकि और पैसा आए। दर्शन लेकर बाहर निकल ही रहे थे कि प्रसाद वाले की दुकान पर नजर पड़ी। लोग लाइन लगाकर प्रसाद में चढ़ाने के लिए लड्डू खरीद रहे थे। बस!!! त्रिपाठी  को लगा कि बजरंग बली ने उसकी सुन ली।

तिवारी जी बताने लगे कि त्रिपाठी  बचपन से ही पहेली बाज था और हमेशा पूछता कि बताओ पहले अण्डा आया या मुर्गी। जबाब तो खैर क्या ही मिलता मगर आज वो पहेली उनको रास्ता दिखा गई।

पहले मंदिर आया या प्रसाद की दुकान? बस!! फिर क्या था आते वक्त कुछ जरूरी खरीददारी करते हुए अपने ठेले पर लौट आए। ठेला भी अब ठेला नहीं गुमटीनुमा दुकान हो गई थी, ऊपर मोमिया की छत भी चार बांस के सहारे तनी थी। वो उस रात तालाब के किनारे ही रुक गए। आधी रात गए वहीं जमीन से ऊगी एक छोटी सी चट्टान को नहलाया धुलाया और खूब सिंदूर पोत कर फूल माला पहनाई और सुबह सुबह अगरबत्ती जला कर भागते हुए चौराहे पर आया और सब को बताया कि हनुमान जी प्रकट हुए हैं।

तिवारी जी बताने लगे कि आज भले ही त्रिपाठी  न हमको याद करे मगर तब हमने जानते समझते हुए भी उसकी बहुत मदद की थी हनुमान जी के प्रकट होने की बात को फैलाने में। लोग भाग भाग कर दर्शन को जाने लगे। त्रिपाठी  जी ने पहले से ही अपनी दुकान से दो लड्डू हनुमान जी पर चढ़ा रखे थे। उसका देखा देखी बाकी के दर्शनार्थी भी उनकी गुमटी से लड्डू खरीद कर चढ़ाने लगे।

देखते देखते चाय की गुमटी प्रसाद और पूजन सामग्री की दुकान हो गई। पैसा और आने लगा तो पैसे की चाह और बढ़ी और त्रिपाठी  जी ने ‘मंदिर यहीं बनाएंगे’ का बोर्ड लगा कर -मंदिर निर्माण हेतु दान पेटिका भी लगा दी।

दान आता रहा, एक कच्चे मंदिर का निर्माण भी हो गया। कुछ ही समय में दुकान पर एक रिश्तेदार को बैठा कर खुद मंदिर में पूजा पाठ कराने लगे। सरपंच का चुनाव था जिसमें यादव जी चुनाव लड़ रहे थे। उन के लिए जीत का हवन भी करा दिया त्रिपाठी  जी ने और जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी वो यादव जी इस हवन के प्रताप से चुनाव जीत गये।  हालांकि अंदर की बात यह थी कि गाँव वालों को यह कह कर भी डराया गया था कि किसी और को वोट डालोगे तो हनुमान जी का कहर तुम पर बरपेगा।

सरपंच के चुनाव जीतने की चर्चा जंगल में आग की तरह फैली। फिर तो विधायक क्या और मंत्री क्या- सभी हवन पूजन कराने आने लगे। आस पास की कई एकड़ की सरकारी जमीन को घेर कर आश्रम भी बना लिया गया। तालाब भी आश्रम का हिस्सा बना जिसे अब सिर्फ भक्त ही इस्तेमाल कर सकते थे पूजा अर्चना के लिए। त्रिपाठी  जी अब मुख्य महंत थे आश्रम के।   

गाड़ी घोड़ा और सारे तामझाम के साथ सरकार की तरफ से सिक्युरिटी भी तैनात करा दी गई थी, उसमे उन दोनों सिपाहियों की भी ड्यूटी लगी थी जिन्होंने कभी त्रिपाठी  जी को दो डंडे लगाए थे और आज वो ही त्रिपाठी  जी को सुबह शाम सलाम ठोक रहे हैं।

हालांकि नई भव्य मूर्ति के साथ मंदिर तो क्या पूरा आलीशान आश्रम तैयार हो गया है मगर उसी से थोड़ा हट कर प्रांगण में ही वो बोर्ड आज भी लगा है कि ‘मंदिर यहीं बनाएंगे’ और मंदिर निर्माण हेतु दान पेटिका पर तीर का निशान बना दिया गया है जिस पर लिखा है कि ‘कृपया मंदिर निर्माण हेतु दान मंदिर के भीतर दान पेटिका में करें।’ बजरंगबली की कृपा से दान का प्रवाह अनवरत जारी है.  

आज त्रिपाठी जी को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त है।

चाय बेचने से सफर शुरू करके विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त कर लेना भी सबके बस की बात नहीं होती है। बिरले ही ऐसे होते हैं।

-समीर लाल ‘समीर’   

भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार 22 दिसंबर ,2024 के अंक में:

https://epaper.subahsavere.news/clip/15073

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