शुक्रवार, नवंबर 10, 2006

ऑफिस ऑफिस

एक बार कुछ माह पूर्व ऑफिस कुंण्डलियां और दोहा लिखने का प्रयास किया था. तब नया नया कुंण्डलियां लिखने का शौक जागा था, बड़े नियम कायदे कानून से लिखने का प्रयास होता था. समय बीता, और फिर समय के साथ नियम तोड़ने का साहस जुटने लगा और अब तो इन्हें कुंण्डलियां कहने की जुर्रत भी नहीं कर सकते तो आज नये नाम मुंडलियां (यह नामकरण संस्कार पंडित अनूप शुक्ल जी से करवाया गया है) की शुरुवात, इसी पुरानी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुये कर रहा हूँ.

ऑफिस मुंडलियां-भाग २
(ध्यान दें इसे जनहित में प्रकाशित किया जा रहा है)

मैनेजर से मत लिजिये, कभी भी पंगा आप
जरा जरा सी बात पर, वो दे देता है श्राप.
दे देता है श्राप कि उसको खुश करते जाओ
प्रमोशन मिल जायेगा, साथ में बोनस पाओ
चमचागिरि का आप, नया इतिहास बनाना
जब भी वो घर जाये, उसी के बाद में जाना.

गल्ती कभी न मानिये, जब दफ्तर का हो काम
गल्ती तो स्वभाव है, आखिर तुम भी हो इंसान.
तुम भी हो इंसान कि दिल से यह मंत्र लगा लो
जो साथी छुट्टी पर हो, बस उसके नाम लगा दो
कहत समीर कि जब तक बंदा वापस आयेगा
बात हमारी मानिये, मामला खुद ठंडा जायेगा.

ऑफिस से जब घर चलो, फाइल लाद लो सारी
थोडी सी मेहनत लगे, पर इंप्रेशन पड़ता भारी
इंप्रेशन पड़ता भारी कि ऑफिस में नाम मिलेगा
घर के कामों से भी तो, तुमको आराम मिलेगा
बतलाया है गुर आपको, अपने तक रखना बात
जीवन भर सजती रहे, यूँ ही मस्ती की बारात.

ऑफिस में जब तक रहो , करते रहो आराम
फाइलों का जब ढ़ेर हो , तबहि मिले सम्मान
तबहि मिले सम्मान कि आज जो कीजे सारे काम
कल फिर ऑफिस में आकर, क्या करियेगा श्रीमान
कहत समीर कविराय कि आज की कल पर टालो
ऑफिस में आराम से, दनादन कवितायें रच डालो.

--समीर लाल समीर Indli - Hindi News, Blogs, Links

16 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

अनूप शुक्ल के आगे पंडित लगा देखकर हम शर्मा रहे हैं और उधर पता लगा है कि अदालत के बाहर उन पंडितों की लाइन लगी है जिनकी शान में बट्टा लग गया अनूप शुक्ल को भी पंडित बताने से. वे मानहानि का मुकदमा करने आये हैं.
बाकी कुंडलियां जबर्दस्त हैं.हमने जबाबी कीर्तन का प्रयास किया लेकिन गला और दिमाग दोनों बैठ गये इन कुमुंडलियों के समर्थन में.

Laxmi ने कहा…

वाह समीर जी, बड़ी जबर्दश्त कुण्डलियाँ लिख़ी हैं। आपकी प्रेरणा से लिख़ रहा हूँ:

आफिस में हम जायेंगे अपना सीना तान
किस्में जुर्रत है करे मेरा न सम्मान
मेरा न सम्मान करे कहें हम उसे मवाली
मैनेजर की साली है मेरी घरवाली

Jagdish Bhatia ने कहा…

ऑफिस जाने वालों का वास्तविक चित्रण किया है। बहुत खूब :)

बेनामी ने कहा…

गांठ बांध ली है - इस बार पदोन्नति पक्की है!

ऐसी अंदरूनी बातें ऐसे ही फ़्री में क्यों बाट रहे हैं? एक सेमिनार का आयोजन करिये. एक पुस्तक लिखिये 'सफल होने के ७ तरीके'. धन और ख्याति चरण चूमेगी.

आपकी मुंडलियां तथा कुंडलिया दोनो ही बहुत सुंदर होती हैं. बधाई!

पंकज बेंगाणी ने कहा…

सब उल्टे धन्धे सिखा रहे हो लालाजी,

ह्म्म्म... वैसे हैं काम के.. :)

वो घर पर काम नही करना पडेगा.. वाली बात में अपने को इंटरेस्ट है।

संजय बेंगाणी ने कहा…

हे भगवान, तेरा शुक्र है. तुमने मेरी सुन ली. बन्दे के सर से प्रेम का भूत उतार कर ऑफिस तक ले आया.:)
लालाजी क्या यह अनुभव बोल रहा है? :)
बाते पते की और वो भी मुफ्त में बताने के लिए धन्यवाद. आजीवन आभारी रहेंगे. आप ऐसे ही जनहित के कार्य करते रहें.
नियमों से मुक्त मुण्डलियाँ ज्यादा प्रवाहमय बन पड़ी है. मजा आया.

रवि रतलामी ने कहा…

नई विधा की नींव रखने के लिए समीर लाला और पंडित अनूप दोनों को साधुवाद!

और, वाह !क्या मुंडलियाँ है! बिलकुल, खालिस, मरफ़ियाना!

Sagar Chand Nahar ने कहा…

बहुत गज़ब की कुमुंडलियाँ है।
दूसरा वाला पैरा बड़े काम का लगता है।
सच बताइये क्या आपकी प्रमोशन का राज यही तो नहीं?

बेनामी ने कहा…

कैसे हम तारीफ करें
किन शब्दों की भेंट चढ़ाएं
कुण्डलियां या हो मुण्डलियां
दोनों ही हमको भाएं.

rachana ने कहा…

कभी मैने भी कुछ इस तरह का लिखा था, लिन्क दे पाने मे असमर्थ हूँ अत: यहीं पेस्ट कर दे रही हूँ--
BOSSISM

Sometimes it is wise to be calm and quiet,
Its useless to argue,because the boss is always right.
Sometimes it is wise to be deaf and dumb,
Silence is the gugaly which gets the boss plumbed.
It may be very usefull whatever you propose ,
But being a boss , he has a right to appose.
You know all the facts and you may be correct,
Boss knows less ,but he has to react.
Boss never likes the ifs and the buts,
To please him anyway, you ought to have guts.
If co-ordination is good working is a fun,
If clashes are there,no work can be done .
Results are important for you and your boss,
It always affects the basic and the gross….

बेनामी ने कहा…

वाह भाई वाह क्‍या कविता है,

अच्‍छा व्‍यंग है। नई नई तरीके की कविताओं के बारे मे जानकारी देने के लिये धन्‍यवाद

Dawn ने कहा…

wah! samir ji...mashaAllah aapne to aaj ke muddhe ko pesh kiya hai woh bhi bakhoobi tanj aur vayang baanon se :)
daad kabool farmayein aur bahut mubarakbaad ke ise Janhit mein prakashit kiya ja raha hai :)

zorr-e-kalam aur jyada

Udan Tashtari ने कहा…

अनूप भाई

यह पंडित का खिताब आपकी योग्यता के आधार पर दिया गया है, न कि शुक्ल जी होने के नाते. उन पंडितों को अदालत के बाहर से ही लौटना पडेगा, जो आपकी पंडिताई के खिलाफ मानहानि का मोर्चा लेकर गये हैं. :)
मुण्डलियां पसंड करने के लिये बहुत धन्यवाद, गला ठीक हो जाये तो जवाबी किर्तन का तो अलग ही आन्नद होगा. इंतजार रहेगा, कुछ फिटकरी वगैरह का गरारा किजिये ताकि जल्द सुनने मिले.

लक्ष्मी जी

पसंद करने के लिये धन्यवाद, आपका तो जवाब ही नहीं, बड़ी लम्बी ख्यालों की उड़ान है.

जगदीश भाई

धन्यवाद, आपके उत्साहवर्धन के लिये. :)


अनुराग जी

बस, बांधे रहे बल्कि थोड़ा टाइट बांधे, पदोन्नति के साथ बोनस भी पक्का.

सेमिनार चालू है, वहां ७ तरीकों से क्या होगा, यह तो सिर्फ़ कामर्शियल है, सेमिनार में तो ५१ तरीके बताये जाते हैं. जब कभी रखवाना हो, बताना.

आपका बहुत धन्यवाद, आपको पसंद आयी.

Udan Tashtari ने कहा…

पंकज भाई

यही सीधे धन्धे हैं, आज के इस उल्टे जमाने में...:)

एक मेरी पुरानी पंक्ति याद दिला रहे हो:

देखने दुनिया को सीधा, खुद को तिरछा किजिये........
इसी ब्लाग पर कहीं है, पूरी रचना.

वैसे, तुम्हारी तकलीफ हमसे देखी नहीं जाती, इसीलिये वो घर के काम से बचने का उपाय बताया, काम आ जाये, तो दाद देना. :)



संजय भाई

वो तो मिरगी के झटके हैं, बीच बीच में आते रहते हैं. आज काफी आराम लग रहा है.
बिल्कुल, भाई जी, सब प्योर अनुभव और दिल से लिखा जाता है. बस वो पीछे लिखी प्रेम कथाओं को छोड़ कर, वो मिरगी के दौरे मैं लिखी गईं थीं.
समाजसेवा और जनहित में यह जीवन समर्पित है, आप लोगों के सहयोग से इतना बड़ा यज्ञ चल रहा है.
वाकई, मुण्ड़्लियों में प्रवाह को लगाम देने की आवश्यक्ता नहीं रह जा रही, तो ज्यादा मजा आ रहा है.

धन्यवाद, आपके पसंद करने का.


रवि भाई

नई विधा की प्रेरणा स्त्रोत तो व्यंजल ही है, जहां से लगा कि कुछ नया भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है, सो प्रयास किया गया. :)

बाकी साधुवाद को आभार और पसंद को धन्यवाद स्विकार करें.


सागर भाई

बस, प्रमोशन मिलता रहे, तो राज क्या खोजना. :)
बाकी, आपको पसंद आईं, हमारा मन प्रसन्न हो गया, धन्यवाद.



रत्ना जी

शब्दों की क्या जरुरत, आपने पढ़ी तब ही लिखना सफल हो गया, बहुत धन्यवाद पसंद करने के लिये.


रचना जी

आपका लिखा बहुत पसंद आया, बधाई.


प्रमेन्द्र जी

आभार, आपने पसंद किया. बस प्रयास करते रहते हैं, कभी कभी नया सा हो जाता है. :)


सेहर जी

इतनी बेहतरीन दाद के लिये बहुत बेहतरीन धन्यवाद. पधारते रहें.



समीर लाल 'समीर'

ePandit ने कहा…

वाह लाला तो ये है आपकी सफलता का राज। खूब, ये सब नुस्खे शीघ्र ही आजमाए जाएंगे। :)

Neeraj Badhwar ने कहा…

बहुत बेहतरीन समीर जी....एक-एक पंक्ति कमाल है। शुक्रिया इस रचना का लिंक देने के लिए।

नीरज