आज होली के मौके पर हम और टुन्नू भाई बैठ कर सुबह से ही भांग छान रहे थे कि तभी उपर से आती पत्नी की आवाज सुनाई पड़ी. होली के माहौल मे गाना गाते उतर रहीं थीं,
मदर इंडिया वाला, टून्नू तो सेंटी है, आँख से दो बूँद आँसूं बहा बैठा. खैर, हम भी रंग लेकर आंगन के दरवाजे के पीछे छिप गये, गीत नजदीक होता जा रहा था:
होली आई रे कन्हाई, होली आई रे....
...बरसे गुलाल रंग मोरे अंगनवा
अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा....
जैसे ही वो दरवाजे के पास आईं, हमने गैरेज पेंट होने आया नेरोलेक का काले पेंट का पूरा डब्बा उन पर उडेल दिया.
मैडम का पारा सांतवे आसमान पर और आवाज डोल्बी साऊंड ट्रेक पर. 'ये क्या तरीका है, होली खेलने का!! उम्र बढ़ गई है और दिमाग वहीं का वहीं. '
हमने कहा, 'अरी भागवान, हम तो अबीर-गुलाल ही लगाने वाले थे, मगर उसमे तो काला रंग था नहीं, और तुम्हीं तो गा गा कर डिमांड कर रही थी "
अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा...." तो क्या करते, तुम्हीं बताओ. होली के शुभ दिन पर भी तुम्हारी बात न रखें.
खैर, हम सफाई देते और करते रहे. टुन्नू टुन्नी में ही घबरा कर भाग गया, चिल्लाते हुये:
बुरा न मानो, होली है. सब चिट्ठाकारों से होली भेंटने. उनके दरवाजे पहूँचा तो सबकी नेमप्लेट (
चिट्ठों की टैग लाईन) देखकर उसके मन में अजब अजब विचार आये. आप भी देखें कि क्या सोचता है टुन्नू भांग के नशे में:
गीत कलश , राकेश खंडेलवाल
काव्य का व्याकरण मैने जाना नहीं छंद आकर स्वयं ही संवरते गये
टुन्नू-अगर स्वयं ही संवरते हैं तो हम क्या पाप किये हैं, हमारे काहे नहीं संवरते??
उन्मुक्त भारत के एक कसबे से, एक आम भारतीय।
टुन्नू-बाकि सब क्या खास भारतीय हैं??
ई-पंडित, श्रीश शर्मा
ई-पंडित की ई-पोथी
टुन्नू-अच्छा बता दिये कि ई-पोथी है, नहीं तो हम तो कागजी समझते!!! वैसे जो लोग किताबें निकालते हैं, वो क्यूँ नहीं कहते, कागज की किताब. :)
गिरिराज जोशी "कविराज" एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
टुन्नू-पूर्ननिर्मित?? काहे फिर से मेहनत कर रहे हो, इसे पुरात्तव विभाग को दे देते हैं...वहीं ठीक रहेगा!! क्या सोचते हो??
पूनम मिश्रा कुछ खट्टी ,क़ुछ मीठी ,कुछ आम सी दिनच्रर्या,क़भी कुछ खास पल ...इन सबका नाम है ज़िन्दगी .और उसी का निचोड है यह फलसफा .
टुन्नू-खट्टा मीठा तो ठीक है..मगर निचोड से फलसफा निकले तो रस कहाँ गया??
प्रत्यक्षा कई बार कल्पनायें पँख पसारती हैं.....शब्द जो टँगे हैं हवाओं में, आ जाते हैं गिरफ्त में....कोई आकार, कोई रंग ले लेते हैं खुद बखुद.... और ..कोई रेशमी सपना फिसल जाता है आँखों के भीतर....अचानक , ऐसे ही
टुन्नू-हवा में टंगे शब्द को पकड़ने का हुनर हमऊ के सिखाये दो, ठकुराईन!!
अनूप शुक्ला उम्र: २५० साल
(चाहो तो यहाँ क्लिक करके प्रोफाईल पर देख लो)
टुन्नू-हम पहिले ही समझ गये थे कि यह वैदिक कालिन हैं, २५० साल पुराने!! वरना इतनी कम उम्र में लेखन की इतनी ऊँचाईयां...वाह वाह!!
फुरसतिया हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
टुन्नू-जब तक जबरिया ना पढ़वाओ तब तक कोई कछू न करिहे!! काहे परेशान हो??
जोगलिखी संजय बेंगाणी द्वारा कम शब्दों में खरी-खरी बात
टुन्नू- शब्द थोड़े ज्यादा भी हों तो भी चलेगा मगर खरी खरी बात न सुनाओ, दिल दहल जाता है, भाई!!! (भाई, बम्बई वाले), थोड़ा लाग लपेट कर सुनाओगे क्या?
मंतव्य पंकज बेंगानी का हिन्दी चिट्ठा बेबाक सोच : बेबाक लेखन : बेबाक मंतव्य
टुन्नू-अच्छा किया बता दिया कि पंकज बेंगानी का हिन्दी चिट्ठा --वरना हम तो सोचते ही रह जाते कि कौन सी भाषा में लिखा है???
शुऐब हिन्दी हैं हम .....................
टुन्नू-हिन्दी हैं हम...!! और संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू नहीं हो??
Divyabh Aryan The Only Thing I Know About Myself Is That I Know Nothing... :
टुन्नू-ऐसा लगता तो नहीं, आपको पढ़कर?? अंग्रेजी भी लिख लेते हो. :)
मेरा पन्ना चौकस निगाह,पैनी कलम और हास्य व्यंग के साथ भारत के राजनीतिक माहौल,देश की समस्याओ और राष्ट्रीय विषयो पर मेरी बेबाक राय ……… जगह नयी….पर.कलम वही
टुन्नू-चौकस निगाह......कहाँ कहाँ लगी हैं यह निगाह......हमें भी तो बताओ!! चौधरी जी महराज!! और यह जगह नयी कब तक रहेगी??
मनीषा अच्छी चीजों का हिन्दी ब्लाग
टुन्नू-नहीं बतातीं तो हम समझते कि खराब चीजों का अंग्रेजी ब्लाग!!! :)
निठल्ला चिंतन थोड़ी मस्ती थोड़ा चिंतन
टुन्नू- यार भाई, हर पोस्ट पर लिख दिया करो टैग के साथ कि कौन सी वाली मस्ती है और कौन सी चिंतन-बड़ा मुश्किल होता है छांटने बीनने में!!!
दस्तक, सागर चन्द नाहर
गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
टुन्नू-आप तो सबसे बड़े शहसवार हैं, कितनी बार गिरे??
इन्द्रधनुष, नितिन बागला
जिन्दगी के अनगिनत रंगों का संकलन; हँसी-मजाक, सुख-दुःख, यारी-दोस्ती,भूली बिसरी यादें, आस-पास के विभिन्न मुद्दों पर मेरे विचार...और भी ना जाने क्या-क्या.....
टुन्नू-और भी ना जाने क्या-क्या.....थोड़ा तो खुलासा करो, मेरे भाई...क्या सब कुछ यहीं लिख डालोगे!!! हूम्म्म्म!!
रचनाकारइंटरनेट पर हिन्दी साहित्य के दस्तावेज़ीकरण का एक सार्थक प्रयास...
टुन्नू- सार्थक प्रयास,,,न आप बताते, न हम समझ पाते!! :)
की-बोर्ड का रिटायर्ड सिपाही, नीरज दीवान
ख़बरों की लत ऐसी कि शायद छुटाए नहीं छूटेगी.
टुन्नू- और बाकि की लतें, वो छूट गईं?? :)
आलोक, नौ दो ग्यारह
दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजे आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे
टुन्नू- जिस हिसाब लिखना स्थगित है, उससे लग ही रहा है..कि आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे!! थोड़ा प्यार चिट्ठे पर भी आये तो बात बनें.
सृजन शिल्पीअपनी मुक्ति के लिए प्रयत्नशील प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में निरंतर उपलब्ध।
टुन्नू- जब भी मुक्ति के लिये प्रयत्नशील होंगे, आपसे संपर्क साधा जायेगा. तब तक ऐसे ही ठीक है!!
एक शाम मेरे नाम, मनीष
जिन्दगी यादों का कारवाँ है.खट्टी मीठी भूली बिसरी यादें.क्यूँ ना उन्हें जिन्दा करें अपने प्रिय गीतों ,गजलों और कविताओं के माध्यम से! अपनी एक शाम उधार देंगे ना उन यादगार पलों को बाँटने के लिये ..
टुन्नू- यार, उधार प्रेम की कैंची है, ऐसा पान वाले ने बताया है. आप ऐसे ही ले जाओ एक शाम!!
दुनिया मेरी नज़र से!!ये ब्लॉग एक प्रयोग है जहाँ मैं हिन्दी में लिखूँगा। यदि आपको हिन्दी नहीं आती तो मैं माफ़ी चाहूँगा, या तो आप हिन्दी सीखिए अथवा केवल देख कर ही खुश हो ली जिए।
टुन्नू- यह नोटिस बोर्ड उसके लिये जिसे हिन्दी आती ही नहीं!! उन्हीं के लिये तो लगाया है, न??
अभय तिवारी, निर्मल-आनन्द
कानपुर की पैदाइश, इलाहाबाद और दिल्ली में शिक्षा के नाम पर टाइमपास करने के बाद कई बरसों से मुम्बई में टेलेविज़न की दुनिया में मजूरी कर के जीवनयापन।
टुन्नू- शिक्षा के नाम पर टाइमपास-पढ़ कर तो नहीं लगता ऐसा!!
दिल का दर्पण-परावर्तन, मोहिन्दर सिंग
एक सामान्य परन्तु संवेदनशील व्यक्ति हूं
टुन्नू- दोनों एक साथ- सामान्य और संवेदनशील- वाह, यह तो कमाल हो गया!!
पाण्डेय जी के मधुर वचनबनारस वाले अभिषेक पाण्डेय जी के मधुर वचन - ब्लॉग के रूप मे
टुन्नू- स्व-सम्मान में आत्मनिर्भरता का अनुपम उदाहरण, अपने नाम के साथ जी?? आपका साधुवाद!!
दिल के दरमियाँ, भावना कँवर
मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूँ.........
टुन्नू- भटकते रहने को मन करता है और ज्यादा जानती भी नहीं हैं- कहीं गुम ही न जायें, बड़ी चिंता सी लग गई है??
ई-स्वामीयहां पर "कुछ" लिखा है!
टुन्नू- देखा, हाँ!! कुछ तो लिखा है.
बिहारी बाबू कहिन फिलहाल जिंदगी से सीखते हुए आगे बढ़ने की कोशिश जारी है...
टुन्नू- फिलहाल?? आगे क्या बिल्कुल बंद कर दोगे सीखना??
क्या करूँ मुझे लिखना नहीं आता..., गुरनाम सिंह सोढी
ये blog मैने अपनो मित्रों की सलाह पर प्रारंभ किया है। इसमे मेरी कुछ रचनाएँ प्रस्तुत हैं। आशा है कि आपको ये पसंद आएँगी। पिछलो दस मास की मेहनत के उपरांत ये संभव हुआ है। यदि कोई त्रुटि हो जाए तो क्षमा किजीएगा। आपकी किसी भी प्रकार की टिप्पणी का हार्दिक स्वागत है। धन्यवाद
टुन्नू- दस माह की मेहनत-बहुत भयंकर मेहनत की यार ब्लाग प्रारंभ करने में. क्या करते रहे, जरा स्टेप बाई स्टेप समझाना!!
अंतर्मनदेश से बाहर रहने वाला एक भारतीय युवक। अंतरजाल का प्रेमी। हिन्दी लेखन-पाठन में रुचि ।
टुन्नू- हिन्दी लेखन-पाठन में रुचि -अच्छा, लगा लिख दिया वरना लगता कि कोई कार्य बिना रुचि का मजबूरीवश कर रहे हो!!
इधर उधर कीकुछ इधर की, कुछ उधर की, कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा। या यूँ कहें, विचारों का बेलगाम प्रवाह…
टुन्नू- कुछ इधर की, कुछ उधर की-यह तो नाम से भी समझ आ गया था- इधर उधर की !!
उडन तश्तरी, समीर लाल
--ख्यालों की बेलगाम उडान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से......
टुन्नू- अरे भई!! कुछ तो लगाम दो, ज्यादा ही बेलगाम है, यह अच्छी बात नहीं!!
मुझे भी कुछ कहना है..., रचना बजाज
आप खुद तय कर लीजियेगा कि ये लेख, निबन्ध है या कि कोई कविता है, मेरे लिये तो ये मेरे विचारों की अभिव्यक्ति और शब्दों की सरिता है!!
टुन्नू- अरे, लिखें आप तो आपको तो मालूम ही होगा बस थोड़ा सा लेबल लगा दें कि लेख, निबन्ध या कविता है - सब को आराम हो जायेगा!!
खाली पीली, आशीष श्रीवास्तव
कभी कभार कवितायें लिख लेता हुं. लोगो को अपनी बातो मे बांधे रखने मे मेरा जवाब नही है, बिना किसी विषय के घंटो बोल सकता हुं.
टुन्नू- अच्छा है, पॉडकास्ट वाला ब्लाग नहीं है वरना तो घंटो बोलते रहते!!!
भावनाऐं, रीतेश गुप्ता
इस ब्लाँग के माध्यम से मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहा हूँ ।
टुन्नू- चाहो तो डायरी में भी व्यक्त कर सकते हो या दोस्तों को फोन करके!! सारी नाराजगी क्या ब्लागरों से ही है??
आवारा बंजारा, संजीत त्रिपाठी
कुछ अपनी, कुछ अपने आसपास की, युं कहें कि मैं और मेरी आवारगी
टुन्नू- कुछ अपने आसपास की-वाह भई, वाकई!! मेरी आवारगी!! बहुत सच सच कहते हो!
कुछ विचार, मृणाल कांत
हिन्दी ब्लागि॑ग का एक प्रयत्न - विभिन्न विषयो॑ पर मेरे विचार, आदि। आपकी टिप्पणिया॑ आमन्त्रित है॑।
टुन्नू- टिप्पणियाँ तो सभी के यहाँ आमंत्रित हैं वरना ब्लाग काहे खोलते?
प्रतिभास, अनुनाद सिंग
अकस्मात , स्वछन्द एवम उन्मुक्त विचारों को मूर्त रूप देना तथा उन्हे सही दिशा व गति प्रदान करना - अपनी भाषा हिन्दी में ।
टुन्नू- उद्देश्य तो जबरदस्त हैं- कब दोगे मूर्त रुप और सही दिशा व गति ?
मेरी कठपूतलियाँ, बेजी
POEMS IN HINDI moments....thoughts....emotions....analysis..... descriptions...reflections....expressions....impressions.....my words....my feelings
टुन्नू-बिल्कुल, आपकी ही अनुभूति और आपके ही शब्द. बाकि सारे ब्लागों में दूसरों के शब्द??
॥शत् शत् नमन॥, गिरिराज
दिल मे है कुछ तो गुनगुनाकर देखो … ग़ज़ल अपनी भी कहाँ “ग़ालिब” से कम है …
टुन्नू- देखा गुनगुना कर, गालिब टाइप ही लग रही है. कैसे लिख लेते हो ऐसा??
आईना, जगदीश भाटिया
??
टुन्नू- उद्देश्यविहिन यात्रा-कहाँ जा रहे हैं?
आओ कि कोई ख्वाब बुनें.., अनूप भार्गव
न तो साहित्य का बड़ा ज्ञाता हूँ, न ही कविता की भाषा को जानता हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं कवि हूँ, क्यों कि ज़िन्दगी के चन्द भोगे हुए तथ्यों और सुखद अनुभूतियों को, बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं ।
टुन्नू- बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं - कभी इस कला के बारे लिख कर हम सबको भी सिखाईये न!! प्लीज़!!
महाशक्ति, प्रमेन्द्र प्रताप सिंह
जो हमसे टकरायेगा चूर-चूर हो जायेगा
टुन्नू- धमकी दे रहे हो कि सूचना??
होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें , डॉ.प्रभात टंडन
‘डा प्रभात टन्डन की कलम से’
टुन्नू- भईये, जब ब्लाग आपका है, तो कलम तो आपकी ही रहेगी, हम तो आकर लिखेंगे नहीं??
मानसीकुछ दिल से...
टुन्नू- बस, दिल से-दिमाग से नहीं ? काहे??
मेरी कवितायें, शैलेश भारतवासी
हर बार समय से यही सवाल करता हूँ "मैं कौन हूँ,मुझे बनाने की जरूरत क्या थी?"
टुन्नू- क्या इसी जवाब की तलाश में ब्लागजगत में भटक रहे हैं? गौतम बुद्ध तो इसी तलाश में जंगल गये थे.
नुक्ताचीनी, देबाशीष
तकनीकी मसलों पर बिना लाग-लपेट बेबाक नुक्ता चीनी, और इसके अलावा भी बहुत कुछ!
टुन्नू- इसके अलावा भी बहुत कुछ ?? थोड़ा खुलासा तो करें कभी!!
निलिमाबहते बदलते समय में......
टुन्नू-बहते बदलते समय में...... क्या कुछ नया होने वाला है??
---चलो, अब
बुरा न मानो, होली है!! अगर किसी को बुरा लगा हो तो टुन्नू को पकड़ना. अभी तो सोया है, इतने चिट्ठे घूम कर आया है कि थक गया और उपर से ये भांग!!
सबको
होली की शुभकामनायें!!!!