शनिवार, मार्च 31, 2007

इसे कहते हैं ठीकरा फोड़ना

अब देखिये, विश्च कप से भारत शुरु में ही बाहर हो गया. पहले तो हमें लगा कि इस हार का ठीकरा हमारे सिर ही फूटेगा. लोग कहेंगे कि गलत गलत तथ्य दे देकर टोक लगा दी. वो तो भला हो सबका कि किसी नें हमारे उपर इल्जाम नहीं लगाया. हमारे बदले धरा गये ग्रेग चैपल और सारे सारे खिलाड़ी. हम तो किनारे बैठे देखते रहे उनकी भद्द उतरते.

कोई समझ ही नहीं पाया कि असल गलती किसकी है. यह ग्रेग चैपल और उनके खिलाड़ियों की किस्मत खराब थी जो धरा गये. असल हार का कारण तो किसी ने तह में जाकर देखा ही नहीं.

दरअसल, हार के जिम्मेदार जो दो लोग हैं, उनमें से एक तो वो जिनका आप कुछ बिगाड़ ही नहीं सकते. अगर बिगाड़ना है तो उपर जाना पड़ेगा. उनका नाम है स्व. श्रीमती इंदिरा गाँधी.




न वो बंगलादेश बनवाती, न उनकी कोई क्रिकेट टीम होती और न ही हम हारते.


और दूसरे वो जिनके आगे आप भारत की जीत के लिये माथा टिकाते नहीं थके. वो हैं राम भक्त हनुमान.





अगर वो लंका ठीक से जला कर आये होते, तो फिर न तो लंका होती, न लंका की टीम होती और न हम हारते.


काहे, ग्रेग चैपल और अपने खिलाड़ियों के पीछे पड़े हो भाई!! काहे हार का ठीकरा उनके सर फोड़ते हो. दोष उनका नहीं है!



ये कैसा शोर अब, फिज़ाओं में छाया है
बेवफा वो और मुझ पे इल्जाम आया है.


(आधार-एक अनजान ईमेल)

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13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही समीरजी,

    क्रिकेट से गमगीन हॄदय को आपकी इस पोस्ट ने थोडा सहारा दिया है । आपका अंदाज-ए-बयाँ बहुत पसन्द आया ।

    साधुवाद स्वीकार करें ।

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  2. बिल्कुल सही कहा आपने। समस्या को जड़ से समझा जाना चाहिए। भारत की हार के लिए इंदिरा गांधी जिम्मेदार हैं। कहीं आप इसे चुनावी मुद्दा तो नहीं बनाना चाहते हैं।

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  3. मोहम्मद अली जिन्ना ही हार की असली वजह हैं। वो न होते तो न पाकिस्तान बनता, न पाकिस्तान का बंटवारा होता और न ही बांग्लादेश बनता। इसलिए भारत बांग्लादेश से हारता भी नहीं। :)

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  4. Kal hi is e-mail ka jikra humare office mein hua tha aur sab log jam ke hanse the. Maamle ki teh tak gaya hai ye e-mail bhejne wala bhi :)

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  5. क्या बासी माल टिका दिया समीर भाई!

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  6. नीरज भाई

    पसंद करने के लिये धन्यवाद.


    चंद्रप्रकाश जी

    चुनावी मुद्दा आजकल इतने हल्के कहाँ रहते हैं. :)


    प्रतीक भाई

    हा हा!! बहुत दूर की सोची है! :)


    मनीष भाई

    मेरे पास भी कल ही आई, मजेदार लगी!! :)


    अनूप भाई

    भाई जी, शनिवार को हफ्ते भर की थकान के बाद बासी का भी जुगाड़ हो जाये तो समझो कि बस काफी हुआ. :) बाकि तो कल नया सुनायेंगे.

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  7. बेनामी4/01/2007 12:32:00 am

    ऐसी ही गहन जाँच पड़ताल की आवश्यकता थी. अब आई बात पकड़ में.

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  8. बेनामी4/01/2007 12:35:00 am

    लो भईया करलो बात, सब अपनी अपनी कह रहे हैं ये कोई नही सोचता कि अगर अंग्रेज भारत नही छोडते तो ना भारत होता ना टीम, इसलिये हम कह रहे हैं ये ठीकरा भी उन्हीं के सर फोड दो कि काहे भारत छोड के चल दिये ;) ना छोड के जाते ना इस हार की नौबत आती।

    वैसे समीर जी आपने बहुत दूर की सोची है

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  9. समीर जी ये भी खूब रही !!

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  10. बहुत सही फ़रमाया आपने
    इंदिरा गांधी वाला कामेडियन राजू श्रीवास्तव के मुंह से सुना था कल.....
    आपने उसमें हनुमानजी जोड दिये :)

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  11. सुबह टिपीयाये थे. पर टिप्पणी गायब हो गई.......


    खैर लालाजी मेनु लागे है.. इन्दिराजी वाला फंडा ही ठीक है.. उस समय बांग्लादेश को मिला ही लिया होता तो ज्यादा ठीक था.. वैसे भी बांग्लादेशी घूस तो रहे ही है.. फिर तो लिगली भाई हो जाते और वर्ल्ड कप भी जीत जाते.. बोलिए कैसी रही?

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  12. भई, इंदिरा गांधी वाली बात में दम है। उसके बॉडी गार्ड ने गोली ना दागी होती तो एक और टीम का सामना करना पड़ता। पूछो कैसे? वह जिंदा रहती तो बंगलादेश के बाद सिंधिस्तान बनवाए बिना क्या चैन होता उसे? बस, एक और टीम भारत क्रिकेट के लिए जंजाल बन जाती। भैया, गड़े मुर्दे को मत उखाड़ो कहीं फिर....

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  13. "अगर वो लंका ठीक से जला कर आये होते, तो फिर न तो लंका होती, न लंका की टीम होती और न हम हारते. "


    अहो भाग्य ! इतना सारा दिव्य ज्ञान जो आपने दिया। :) मजा आ गया ।

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