बड़े आदमी की पूछ है, छोटे को कौन पूछे. -यही चलन है.
पी एम साहब का घुटना मायने रखता है क्षण क्षण की रिपोर्ट मीडिया दिखाता है. अमरीका से डॉक्टर आता है. आज आराम मिला, आज घुटना बदला, कल से काम पर लौटेंगे, हर बात की रिपोर्ट जारी होती है और एक आम आदमी भूख से तड़प कर मर जाये, तो कोई सुनवाई नहीं.
राज्य सभा की सदस्यता छोड़ने के लिए किड़नी वापस मांगी जाती है लेकिन उन मांगों का सिन्दुर और उन बच्चों का बाप कौन लौटायेगा, जिनसे बैंक ऋण वापस माँगता है और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है.
बड़े आदमी की छींक बीमारी और छोटे आम आदमी की छींक, मौसम का असर और बदतमीजी कि नाक पर हाथ रख कर नहीं छींकता.
हद है, एक मंत्री की लड़की कश्मीर में अगुआ हो जाये तो आतंकवादी छोड़ दिये जाते हैं और एक गरीब की बिटिया की इज्जत लूट कर मार दिया जाये, तो अखबार की खबर भी नहीं बनती.
आश्चर्य होता है. नेता जी दो दिन से दिखे नहीं तो हल्ला मचा है कि नेता जी लापता, वो भी ऐसे नेता जिनके चलते जाने कितने हमेशा के लिए लापता हो गये जिनका आजतक पता नहीं चला.
अरे, गायब हो जाने दो..काश, पूरे ५४२ लापता हो जायें एक बार में तो कुछ राहत हो १२० करोड को. लेकिन बड़ों को कैसे लापता होने दें.
पूरा मीडिया और देश परेशान है कि नेता जी मिल नहीं रहे, जाने कहाँ गये. काश, इसका आधा भी उन्हीं नेताओं के ईमान गायब होने पर परेशान हुए होते तो आज देश के हालात कुछ और होते.
जो बड़ा, उसका बोलबाला,
छोटे का मूँह काला.
कई बार सोचता हूँ कि टाइगर बचाओ अभियान भी वैसा ही तो नहीं. मात्र १४११ बचे हैं. कौन जाने कितने बचे हैं, यहाँ तो एक दिख जाये तो गिनती भूल जायें फिर १४११ गिनना, वो तो शूरवीर ही होगा जो गिन पाये.
१४११ का इतना हल्ला मचा है, इतना प्रोपोगांडा कि २६११ फीका पड़ गया.
छोटू को भी तो बचाओ. मात्र १२४३ बचे हैं यह कनखजूरे. लेकिन इनको पूछे कौन?
आप सोच रहे होगे कि मुझे कैसे पता कि १२४३ कनखजूरे बचे हैं, कैसे माने? हमने तो गिना नहीं, आपके कहने पर मान जायें?
मैं आपसे पूछ लेता हूँ कि बाघ गिने हैं क्या, फिर कैसे मान गये?
कनखजूरे की क्यूँ चिन्ता करें, इनसे क्या फायदा तो जरा बताना बाघ बचा कर करोगे क्या? खेत में हल जुतवाओगे कि नेता जी की तलाश में भेजोगे??
जो बचाना है उस पर ध्यान नहीं जाता. स्विस बैंक से पैसा आने का सब मूँह बाये इन्तजार कर रहे हैं, जाने पर कोई रोक टोक नहीं. पहले वो छेद तो बंद करो जो अपनी तरफ है याने की जाने वाला, फिर जो जा चुका है, उसके आने का इन्तजार करना वरना तो स्विस बैंक के बदले कहीं और जाने लगेगा और सब बस खुशियाँ मनाते नजर आयेंगे कि स्विस बैंक से वापस आ गया.
ज्यादा जरुरी काम पहले करना होगा. पहले जंगल तो बचाओ वरना यह बाघ क्या कोई मगरमच्छ है जो बिना पानी के भी संसद में आकर बैठा झूटमूठ के मुद्दों पर आँसू बहाता रहेगा. जब जंगल ही नहीं बचेंगे तो बाध कैसा?
बीच शहर में चार पेड़ लगाकर फोटो खिंचवा कर अखबार में छपवा लेते हो, उसमें से एक उगता है और दूसरी तरफ, जंगल काट काट कर कांक्रिट का जंगल बनाये चले जा रहे हो, तब बाघ बच भी जायें तो रहे कहाँ? इंसानो और बाघ में यही तो अंतर है कि बिना रहने और खाने की चिंता किये बाघ बच्चे पैदा नहीं करता.
दुनिया का क्या हाल हुआ है
जंगल था जो मॉल हुआ है
बिजली पानी को रोते है
हाल यहाँ बेहाल हुआ है.
पहले तुम इन्सान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.
तूने कैसा काम किया है
संसद को बदनाम किया है
अरे अरे ओ अरे अभागे
माता को नीलाम किया है
लुटता हुआ ईमान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.
मँहगाई पर रोक नहीं है
भ्रष्टाचार पर टोक नहीं है
मजहब में तुम फूट डालते
बिन उसके कोई वोट नहीं है.
मरता हुआ किसान बचाओ
बाघ हमारे खुद बच लेंगे
तुम तो हिन्दुस्तान बचाओ.
-समीर लाल ’समीर’