तिवारी जी रिटायरमेन्ट के पहले विभागाध्यक्ष थे
एवं उनके विभाग में अनेक कर्मचारी उनके अन्तर्गत काम करते थे. घंसु ने उनसे आज एक
मेनेजमेन्ट फंडा पूछा कि यदि आपका कोई कर्मचारी दिन में १८-१८ घंटे कार्य करे. कभी
छुट्टी पर न जाये तो आप उसे कैसे पुरुस्कृत करेंगे और क्यूँ?
’मैं उसको तुरंत नौकरी से निकाल देता’
और अब सुनो क्यूँ?
ये जो फेक्टरियों में, दफ्तरों में, स्कूलों
में एक पाली का समय दिन में ८ घंटे (+/- १ घंटे) का तय किया गया है सारी दुनिया
में वो बहुत ही वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर किया गया है. अगर कार्य ज्यादा है
तो तीन पाली चला लो और हर पाली में अलग कर्मचारी लाओ.
ऐसा माना जाता है कि ८ घंटे तक मन लगा कर काम
कर लेने के बाद आपकी कार्यक्षमता में कमी आने लगती है, यह शरीर और दिमाग की
प्राकृतिक प्रक्रिया है. यह ठीक वैसा ही है जैसा ८ घंटे शरीर को आराम देने के लिए
सोने की सबसे उत्तम अवधि है.
अब यदि कोई, जैसे टॉप मैनेजमेन्ट आदि यदि ८
घंटे से ज्यादा काम करते हैं तो दरअसल वो अपना सोशलाईजेशन और काम दोनों एक ही समय
करते हैं. डॉक्टर को दिखाना, बाल की हजामत बनवाना, दर्जी को कपड़े सिलने के नाप
देना, निमंत्रण पर फिल्म देखना, विदेश से आये मित्रों के साथ झूला झूल आना, उनको
आरती में चार घंटे टहला लाना, अपने शहर में रोड शो टाईप करके घूमा लाना, भी काम के
समय ही कर लेने को, क्यूँकि किसी को जबाब तो देना नहीं है, काम नहीं कहते हैं. एक
आम कर्मचारी को इन सबके लिए छुट्टी लेना पड़ती है.
कम्पनी का मालिक अपनी माँ से मिलने जाये या
किसी मित्र की बिटिया की शादी में शामिल हो आना और साथ ही उस शहर में एक दो
व्यापारियों से कुछ देर मिलकर कुछ नये व्यापार की सोच लेते आना तो इसे घर जाना
कहेंगे कि बिजनेस ट्रिप? अब किसी कम्पनी के मालिक अपने दोस्त के साथ खाना खाने
जाता है या विदेश घूमने जाता है और साथ ही वो एक दो बिजनेस की डील भी कर आता है या
बिजनेस डील करने जाता है और समुन्द्र घूमना या ढोलक बजाना भी साथ ही कर आये तो भी
जब निचोड़ निकालोगे तो ८ घंटे ही काम के निकलेंगे या निकलने चाहिये. बाकी तो जो लोग
छुट्टी लेकर करने जाते हैं वो तुम फ्री में कम्पनी या देश के खर्च पर कर आये.
तिवारी जी आगे बोले:
मेरी नजर में अगर कोई ८ घंटे से ज्यादा काम कर
रहा है या छुट्टी नहीं ले रहा है तो इसके कारण तलाशना चाहिये. वर्क लाईफ बैलंस की चिन्ता न भी हो
क्यूँकि परिवार की चिन्ता ही नहीं है, उनको तो कब का छोड़ दिया सिवाय जरुरतवश
इस्तेमाल करने के तो भी:
·
क्या उसे अपना काम समझ नहीं आ रहा है
जो वो उसे ८ घंटे में खत्म नहीं कर पा रहा है? क्या उसे ट्रेनिंग की जरुरत है या
उसे कार्य से मुक्त कर देना चाहिये क्यूँकि वो इस योग्य नहीं है?
·
क्या उसे काम को अपने मातहतों को देना
नहीं आता या फिर सब अपने कंट्रोल में रखने के लिए वो देना नहीं चाहता. अपने
कंट्रोल में रखने का कारण क्या है?
·
क्या वो कोई ऐसा कार्य कर रहा है जिसके
उसके छुट्टी पर जाने से खुलासा हो जाने का खतरा है?
·
क्या वो मित्रों को सामान्य प्रणाली के
बाहर जाकर मदद करने के लिए एक्स्ट्रा टाईम में लेखा जोखा बदल रहा है?
·
क्या वो काम के समय को मक्कारी में काट
रहा है और फिर एकस्ट्रा टाईम काम में दिखाकर वाह वाही लूटना चाहता है.
यह
सब सतर्क होने के अलार्म हैं. जो भी व्यक्ति अपनी निर्धारित समय से ज्यादा दफ्तर
में बैठा है और निर्धारित छुट्टी नहीं लेता, उसे फोर्सड छुट्टी पर भेज दिया जाना
चाहिये और उस दौरान उसका कार्यभार किसी ऐसे व्यक्ति को दे दिया जाना चाहिये जो
इन्डिपेन्डेन्ट हो और इस बात की जाँच होना चाहिये कि आखिर बंदा छुट्टी पर क्यूँ
नहीं जाता? कुछ तो वजह रही होगी वरना कोई यूँ ही दीवाना नहीं होता!!
यह
भी जान लेना चाहिये कि शराब का लति हो (अल्कोहलिक) या काम का लति हो (वर्कोहलिक),
नशे की हालत में कोई भी सही निर्णय ले पाना संभव नहीं है अतः उनको नशा उतर जाने तक
न तो गाड़ी चलाना चाहिये और न ही कोई जिम्मेदारीपूर्ण कार्य करना चाहिये. देश चलाना
तो बहुत दूर की है.
कोई
भी अजर अमर तो होता नहीं. उसके आने के पहले भी काम चल ही रहा था और उसके जाने के
बाद भी काम चलता ही रहेगा.
अगर
पहले समुन्द्र मंथन होकर अमृत नही निकला था तो वो तो अब भी नहीं निकला तो आखिर १८
घंटे किया क्या और छुट्टी न लेकर कौन सा अमृत निकल आया, यह समझ नहीं आया. १८ घंटे
बिना छुट्टी लिए कार्य करने का निष्कर्ष सिर्फ इतना निकला है कि पहले भी अमृत कहाँ
निकला था?
रिपोर्ट
कार्ड तो यही कहता है.
समीर
लाल ’समीर’
भोपाल
से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार ९ दिसम्बर, २०१८ के अंक में:
http://epaper.subahsavere.news/c/34707280
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चित्र साभार: गुगल
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (10-12-2018) को "उभरेगी नई तस्वीर " (चर्चा अंक-3181) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बिलकुल सही कहा आपने। अक्सर यही देखा गया है कि अगर कोई जरूरत से ज्यादा ऑफिस में बैठ रहा है और ये रोज का ढर्रा है तो वो टाइम पास ही कर रहा होता है।
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