यह घनघोर आत्म मुग्धता का युग है. जिसे देखो,
जहाँ देखो सेल्फी खींच रहा है और उसे फारवर्ड करके पहले से बंटा बंटाया ज्ञान ऐसे
बांट रहा है मानो अगर वो अपनी सेल्फी ताजमहल के सामने खड़े होकर न लेता और फारवर्ड करके न बताता तो विश्व जान ही नहीं पाता कि ताजमहल
विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है. आत्म मुग्धता की
इससे बड़ी और क्या मिसाल होगी कि बाजार भी इसे भुनाना सीख गया है और जगह जगह
फोटोग्राफर बोर्ड लगा कर बैठे हैं कि हमारे यहाँ सेल्फी खींची जाती है.
हालात ये हैं कि एक मोबाईल के माध्यम से सारी
दुनिया अपनी हथेली में उठाये अपने आपको विश्व गुरु कोचिंग सेन्टर का प्रधानाध्यापक
घोषित करने में हर व्यक्ति जुटा है. जाने कौन इनको बता गया है कि आने वाले समय
में भारत विश्व गुरु होगा. याने सारी दुनिया भारत से ट्य़ूशन पढ़ेगी. कोई से भी
मास्साब की क्लास खाली न रह जाये इसलिए बिना पूछे सभी ज्ञान बांटने में लगे हैं.
एक सफल केन्डीडेट की सफलता का श्रेय सारे के सारे मास्साब लिए जा रहे हैं कि इसे
व्हाटसएप पर हमने ही दिया था यह ज्ञान. जैसे आई आई टी और जे
ए ई की टॉप मेरिट में आने वाले सब कोचिंग सेन्टर के बोर्ड पर अपनी फोटो के साथ
विराजमान रहते हैं कि बस यही हैं जिनकी वजह से हम आई आई टी में हैं. यहाँ तक
कि जिसे खुद नहीं पता था कि कोई योगी से कभी मुख्य मंत्री बन जायेगा, उसके लिए ये दावा करने
वालों की तादाद कि हमने तो पहले ही बताया था बीजेपी को मिले कुल मतों से अधिक निकल
रही है और दावों का आना मय सेल्फी अभी भी जारी है.
किसी घटना स्थल पर वारदात को रोकने में साहयता
पहुँचाने की बजाय वारदात को अपनी सेल्फी के संग दिखाने की होड़ लगी है. सबसे पहले
कैसे अपने चाहने वालों को बता दूँ कि अगर मैं न होता तो तुम इस घटना के बारे में
जान भी न पाते,
पहले जो लोग हथेली में अपना भविष्य बांचने के लिए
ताका करते थे आज वो अपनी हथेली में विराजमान मोबाईल से दुनिया का भविष्य बांच रहे
हैं.
इन्सान इस कदर मोबाईल में खो गया है कि जब सामने
की बिल्ड़िंग में रहने वाला मित्र अपना स्टेटस अपटेड करता है कि क्या गजब नजारा
है..सामने वाली बिल्ड़िंग में भीषण आग...और साथ में अपनी खिड़की से खुद की सेल्फी बैकग्राऊन्ड
में आग में लिपटी बिल्ड़िंग के साथ लगाता है..तब
उसे लाईक कर कमेंन्ट में वॉव!! गजब का नजारा...लिख देने के बाद ख्याल आता है कि
अरे, यह तो मेरी ही बिल्ड़िग है. और तब तक बाहर निकलने की लॉबी का रास्ता भी बंद
पाकर... खिड़की की तरफ भागते हुए भी एक स्टेटस अपडेट...फीलिंग स्केयर्ड..कान्ट स्केप...(बहुत डर गया हूँ, बचने का कोई रास्ता
नहीं) और साथ में अपने डरे चेहरे की सेल्फी..
इस अजब सी हो चली
आत्म मुग्ध दुनिया से ज्यादा तो क्या कहें ...बस इतना कहना है कि अगर किसी सुबह उठ
कर जब तुम आईने में देखो और तुम्हें अपने चेहरे को घेरे हुए एक आभा मण्डल सा दिखाई दे ( अंग्रेजी में ऑरा ) तो स्वयं को दिव्य पुरुष
मानकर सेल्फी खींचने और दोस्तों को भेजने की गल्ती करने की बजाय चुपचाप आँख के
डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेना, यह मोतियाबिन्द के आरंभिक लक्षण हैं.
आभा मण्डल जैसी चीजें इस जमाने में नहीं होती..
जागो, हथेली के बाहर एक
दुनिया और भी है!!!
-समीर लाल ’समीर’
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "पेन्सिल,रबर और ज़िन्दगी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-03-2017) को
जवाब देंहटाएं"हथेली के बाहर एक दुनिया और भी है" (चर्चा अंक-2610)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'