बुधवार, जुलाई 30, 2014

दूर बहुत दूर…

 

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दूर बहुत दूर

मगर मेरे दिल के आस पास

कई दरियाओं के पार

मेरी यादों में बसा

वो शहर रहता है..

जहाँ गुजरा था मेरा बचपन

जिसकी सड़को पर मैं जवान हुआ

वहाँ अब यूँ तो अपना कहने को

कुछ भी नहीं है बाकी

लेकिन उस शहर की गलियों से

मेरा कुछ ऐसा नाता है

कि शाम जब ढलता है सूरज

एक अक्स उस पूरे शहर का

मेरे जहन में उतर आता है...

जाने क्या क्या याद दिलाता है..

और मेरी नजरों के सामने से

अब तक का बीता सारा जीवन

एक पल में गुजर जाता है..

-समीर लाल ’समीर’

34 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद सुन्दर.....

    सादर
    anu

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  2. जिस माटी की गंध तन के रोम-रोम में व्याप्त है ,भावनाओँ से पहला परिचय और अनुभवों के रोमांचक बोधों को ग्रहण करना सीखा है ,उस से विच्छिन्न कोई हो भी कैसे सकता है !

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  3. बचपन की मीठी यादें अन्त तक याद रहती हैं ़ सुन्दर भाव

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  4. कभी-कभी लगता है---हम यादों के सिवाय और कुछ भी नहीं.
    आपके भावों में बह कर--मैंने भी देख लिया आपका
    शहर--शहर में पीछे छूटा बचपन-
    मेरा शहर मेरी बाहों में है--लेकिन बचपन अभी भी
    ढूंढती हूं--शायद हम सभी इसी खोज में हैं.

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  5. जज्बात !
    ये दास्ताँ हर उस शख्स ही है जो अपने बाल-समाज से विलग हुआ ।

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  6. Bahut gahan gambheer, sach men kuchchh purana yaad dila gaya....

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  7. कल 01/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  8. इन यादों को पाल के रखना ... बहुत जरूरी हैं ... कभी कभी साँसों का काम कर जाती हैं ये यादें ... बहुत दिन बाद ब्लॉग पर देख कर अच्छा लगा ... यूँ ही कभी टहलते हुए उड़न तश्तरी पे पोस्ट लगाते रहा करो ...

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  9. एक शहर , एक पल, एक नजर ... सुनदर ..

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  10. बहुत समय बाद सुन्दर बचपन की मधुर स्मृति लिए सुन्दर प्रस्तुति ...
    पीछे मुड़कर देख लगता है जैसे कल ही की बात हो या फिर जमाना बीता गया

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  11. बहुत समय बाद सुन्दर बचपन की मधुर स्मृति लिए सुन्दर प्रस्तुति ...
    पीछे मुड़कर देख लगता है जैसे कल ही की बात हो या फिर जमाना बीता गया

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  12. बहुत समय बाद बचपन की यादों में डुबोती सुन्दर प्रस्तुति

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  13. kaun si oonchaaiyoon par jakar soch ko shabdon mein sajate ho...ati sunder, dil se nikali hui baat....

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  14. बहुत ही उम्दा...अपना शहर हमेशा अपना होता है...मेरा बचपन इलाहाबाद में गुज़रा...बच्चे कनपुरिया हो गये...उन्हें कानपुर पसंद ह...और अपना दिल इलाहाबाद घूमता है...

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  15. जिन्दगी की सांझ में
    याद आ रहा है मेरा शहर
    और डूब रहा है सूरज
    मेरी आँखों के समंदर में .....
    .......7:25 PM
    दूर बहुत दूर
    चला आया हूँ मैं
    उम्र की पहली सीढ़ी को
    मुड़कर देखने की चाहत लिए ....
    ........
    बाहों में सिमट आई है
    मेरे बचपन की खुशबू
    कि सांस दर सांस
    जी सकूं दो पल की जिन्दगी....
    .........

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  16. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने....

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  17. बहुत खूबसूरत जज़्बात

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  18. मीठी यादें ..........
    बहुत ही उम्दा प्रस्तुति......

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  19. उम्र में एक पड़ाव ऐसा भी आता है जब उमड़ घुमड़ कर बचपन अपनी स्मृतियों को ले सामने आ खड़ा होता है , सुन्दर अभिव्यक्ति

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  20. bahut khoob likha hai.bahut kuch yaad aa gaya.

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  21. बहुत रुलाते हो लालाजी यूँ दूर रहकर
    तुम गए, बवाल की आत्मा चली गई यार।
    काश परदेस नाम की कोई जगह ही ना होती......लाल बिना बवाल कहाँ ?

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  22. वो घर वो गली वो शहर बहुत याद आता है...

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  23. अपना शहर याद आता है ! :)

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  24. दिल से लिखी गयी और दिल पर असर करने वाली रचना...समीर जी

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  25. 'बार बार आती है मुझको
    मधुर याद बचपन तेरी'

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  26. 'बार बार आती है मुझको
    मधुर याद बचपन तेरी'

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  27. उम्दा... बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...आप बहुत समय बाद दिखे! ऐसा क्यों?
    नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
    रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें...

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  28. अपनी यादों में जकड़े हम सब..

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  29. ऐसा कोई format कमांड ही नहीं जिससे बचपन में गुजारे गलियारों की यादो को मिटाया जा सके ....
    याद तो आते ही चाहे कहीं भी रहो...

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  30. और मेरी नजरों के सामने से
    अब तक का बीता सारा जीवन
    एक पल में गुजर जाता है..

    वाक़ई सुन्दर :)

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