सोमवार, सितंबर 01, 2014

डॉ कुमार विश्वास: हिन्दी कविता के मंच का कोहिनूर

पिछले महिने जुलाई २०१४ में जिस दिन डॉ कुमार विश्वास अमेरीका पहुँचे, उसी सुबह उनसे फोन पर बात हुई. पता चला कि अमेरीका और कनाडा के १४ अलग अलग शहरों में हो रहे कार्यक्रमों में टोरंटो में कार्यक्रम भी शामिल है. पिछले साल भी २०१३ में डॉक्टर कुमार विश्वास कनाडा आये थे और एक शानदार शाम तालियों की गड़गाड़हट के बीच हास्य व्यंग्य की फुहार के साथ बीती थी. उसी शाम कनाडा के इमीग्रेशन मिनिस्टर जेसन कैनी भी कार्यक्रम में आये थे और हिन्दी के चेहतों की भीड़ जो डॉ विश्वास को सुनने के लिए उमड़ी थी को देख और डॉ कुमार विश्वास की खास मांग पर उन्होंने कार्यक्रम में ही ऑटारियो के स्कूलों में हिन्दी को एक वैक्लपिक विषय में शामिल करने की घोषणा कर दी थी. वो खुद भी तब से डॉक्टर कुमार विश्वास के फैन हो गये थे. आश्चर्य लगा कि ऐसे कवि का २० दिन बाद कार्यक्रम है और कहीं कोई चर्चा नहीं और न ही विज्ञापन आदि.

यह पहली बार देखने में आ रहा था कि मुझे पता करना पड़े कि डॉक्टर कुमार विश्वास का कार्यक्रम कहाँ होना है अन्यथा तो हिन्दी का कोई भी कवि भारत से आये तो कम से ३ महिने पहले से १०-१२ बार ईमेल तो आ ही जाती हैं कि आपको आना है और इतने प्रयासों और विज्ञापनों के बाद भी अच्छा कार्यक्रम कविता का उसे मान लिया जाता है जिसमें २५० से ३०० लोग आ जायें. लगभग ५० आमंत्रित और २०० लोग २० ऑलर की टिकिट खरीद कर.

खैर, पता करके आयोजकों को फोन किया तो पता चला कि कार्यक्रम ब्राम्पटन नामक क्षेत्र में रखा गया है और पूरा बिक (सोल्ड आऊट) है इसलिए विज्ञापन आदि नहीं कर रहे हैं. मैने जानना चाहा कि आखिर कितने की टिकिट थी जो इतनी तेजी से सारी बिक गई. पता चला कि हॉल की क्षमता सीमित है और सिर्फ ६०० टिकिट बेचना था १०० डॉलर प्रति टिकिट के हिसाब से. डॉ कुमार विश्वास का नाम सुनते ही बिना विज्ञापन कें एक मूँह की बात से दूसरे मूँह की बात जुड़ते ही ६०० टिकिट बिक गये और अब तो सबको मना करना पड़ रहा है.

मैं आश्चर्य में था कि एक हिन्दी का कवि अकेले कविता पढ़ेगा और यहॉ आ बसे हिन्दी समझने वाले लोग जो बॉलीवुड के धुनों पर शाहरुख या मीका, हनी सिंह, बब्बू मान आदि के नाच गाने पर झूमने का आदी है वो हिन्दी कविता सुनने के लिए १०० डॉलर का टिकिट देकर आ रहे हैं.

कानों को विश्वास तो न हुआ क्यूंकि अभी पिछले हफ्ते ही यानी जैसे वादक के अन्तर्राष्ट्रीय कनसर्ट को ६० डॉलर की टिकिट देकर सुनकर आया था. मैने मित्रो को बताया तो वो सब भी जिद करने लगे कि हमें भी चलना है डॉ विश्वास को सुनने और १०० डॉलर की टिकिट जरुर ले लेंगे. मैने आयोजकों से निवेदन किया कि भई हमारे कुछ परिवार और मित्र भी उनके दीवाने हैं और फिर डॉ कुमार विश्वास का रोज तो आना होता नहीं है अतः कैसे भी प्रबंध कर सीटें बढ़वाईये. यह भी तय था कि कार्यक्रम के एक दिन पूर्व जब टीवी और रेडियो वाले डॉक्टर कुमार विश्वास का इन्टरव्यू लेंगे तब एकाएक न जाने कितने लोगों को और मालूम चल जायेगा और किस किस को मना कर दिल तोड़ते जायेंगे बहुत निवेदन के बाद वो लोग माने और १०० कुर्सियाँ अलग से बढ़वाई गईं. हाल में चलने फिरने की जगह भी बच न रही.

हालांकि आयोजक उनका होटल बुक करा कर उन्हें एयरपोर्ट पर स्वागत हेतु हाजिर थे मगर पहले एक दिन डॉक्टर कुमार विश्वास हमारे परिवारिक संबंधों के चलते हमारे घर पर ही ठहरे. होटल का रुम उनके आगमन का इन्तजार में रुका रहा. अगले दिन रात को वह अपने होटल में शिफ्ट हो गये क्यूँकि उसके अगले दिन उनका कार्यक्रम होना था.

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कार्यक्रम ठीक ८.३० बजे शाम शुरु हुआ. डॉक्टर कुमार विश्वास तालियों की गड़गाहट के बीच सिक्यूरीटी के घेरे में मंच पर पहुँचे वरना तो उनके चहेतों के बीच से गुजर मंच तक पहुँच पाना ही मुमकिन न हो पाता २ घंटे तक और फिर अपनी बातों और कविताओं का ऐसा जादू छेड़ा कि न सिर्फ भारत के विभिन्न प्रांतों से यहाँ आ बसे श्रोता बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बंगलादेश, नेपाल आदि देशों से कनाडा में आ बसे हिन्दी समझने वाले बॉलीवुड के नाच गानों पर थिरकने वाले लोग डॉक्टर कुमार विश्वास को मगन होकर सुनते रहे. श्रोताओं की भीड़ प्रांजल हिन्दी के शुद्ध गीत:

हो काल-गति से परे चिरंतन , अभी वहाँ थे अभी यहीं हो.. ,

कभी धरा पर, कभी गगन में, कभी कहीं थे, कभी कहीं हो.. ,

तुम्हारी राधा को भान है तुम सकल चराचर में हो उपस्थित,

बस एक मेरा है भाग्य मोहन !कि जिस में हो कर भी तुम नहीं हो..

जैसी रचना मंत्रमुग्ध होकर न सिर्फ सुनती रही बल्कि

मांग की सिन्दुर रेखा...बाँ

सुरी चली आओ…. जैसे गीतों की मांग कर उन्हें जी भर कर तालियों के माध्यम से सराहती रही. एक के बाद एक नायाब मुक्तक, गीत, गज़ल और वाकिये सुनाते तालियों और हँसी ठहाकों के बीच जब डॉक्टर साहब ने अपने चिर परिचित अंदाज में डॉ बशीर बद्र साहब का यह शेर कहा:

मुसाफिर है हम भी, मुसाफिर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।

तब घड़ी पर नजर गई. अरे, १०:३० बज गये. २:३० घंटे तक अकेले ऐसी समा बाँधे रहे कि पता ही नहीं चला और कार्यक्रम खत्म भी हो गया.

डॉक्टर कुमार विश्वास होटल लौट गये और हम वहाँ आयोजकों को बधाई देते चर्चारत हो लिए. हालांकि हॉल, साऊन्ड, डॆकोरेशन आदि यहाँ काफी मँहगे होते हैं मगर फिर भी लग रहा था कि आयोजकों ने अच्छा कमाया होगा. जिज्ञासु हिन्दुस्तानी स्वभाव कैसे चुपचाप चले आते. आयोजकों की कमाई का मोटा मोटा अंदाजा तो लगाना ही था अतः बात बढ़ाते हुए अपनी तरफ से ही पूछ लिए कि सुना है डॉ साहब तो काफी पैसा लेते हैं २,००० डॉलर से कम तो क्या लिए होंगे. आयोजकों की हँसी से लगा कि मैने कोई बहुत बड़ी बेवकूफी के बात कर दी. कहने लगे २,००० की जगह ३,००० में भी बुलवा दिजिये तो आपको उन्हें बुलवाने भर के ३,००० हम अपनी तरफ से दे देंगे. तब भी अभी जितना दे रहे हैं उसमें आप से ज्यादा हम बचा लेंगे. तब पता लगा कि ये हिन्दी का कवि अब १०,००० डॉलर में दो घंटे लिए मंच पर आकर कविता पढ़ता है. साथ में पाँच सितारा होटल में रुकना और बिजनेस क्लास का टिकिट. आजतक सुनते आये थे कि बहुत बड़े कविता के हस्ताक्षर भी यहाँ ५०० से १००० डॉलर की रेन्ज में आ जाते हैं तब इनके विषय में ये जानकर एक तरफ तो विस्मय की स्थिति और दूसरी तरफ अपार खुशी कि कुछ तो अलग है इनमें जो आज इन ऊँचाईयों पर आ कर खड़े हैं.

हिन्दी कविता के इतिहास में कब किसने सोचा होगा कि यह विधा भी कभी इस तरह धन वर्षा करवा सकती है इसके साधक पर. तय है कि यह अकेली हिन्दी कविता तो हो नहीं सकती. इसके साथ न जाने और क्या क्या जैसे ब्रेन्डींग, मार्केटिंग, बोलने और पढ़ने की विशिष्ट शैली, अथक परिश्रम और उन सबके आगे माँ शारदा का वरद हस्त- तब जाकर एक डॉक्टर कुमार विश्वास बनता है.

वाह!! डॉक्टर कुमार विश्वास!! हिन्दी कविता के मंच को ऐसा आयाम देने के लिए और इस मुकाम पर पहुँचाने के लिए साधुवाद, अनेक बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें.

अगले साल फिर इन्तजार रहेगा आपका इस टोरंटो शहर को.

-समीर लाल ’समीर’

35 टिप्‍पणियां:

  1. मज़ा आ गया. :) आपको पढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे सामने बैठकर आपको सुन रहे हों.

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  2. Will Cherish the memories of his visit to our sweet home always...Thanks Dr Sahab!!

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  3. Wah..padh kar bahut accha laga ki Hindi kavita itni lokpriya hai..kab hua yeh prog.

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  4. हिन्दी की इतनी माँग -विशेष रूप से कविता की ,जान कर चित्त प्रसन्न हो गया- ऐसी ख़बरे अक्सर मिला करें तो कितना अच्छा रहे!

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  5. देश, काल और परिस्थितियाँ व्यक्ति की कीमत तय करती हैं। स्व. कैलाश गौतम जी की पुण्यतिथि (2009) पर हिन्दुस्तानी एकेडमी इलाहाबाद में डॉ. कुमार विश्वास का तीन घंटे चला एकल काव्य पाठ मात्र पन्द्रह हजार रूपये में हो गया था। दिल्ली से रेलगाड़ी में आकर सरकारी व्यवस्था वाले किराया मुक्त होटल में रुके थे। श्रोताओं को नेवता देकर बुलाना पड़ा था, चाय-नाश्ते का प्रबन्ध था फिर भी हाल में सबके बैठने के बाद भी कुछ कुर्सियाँ खाली रह गयी थी।
    इलाहाबाद वालों ने तालियाँ बजाने में भी कंजूसी दिखायी। फिर भी कुमार विश्वास की प्रतिभा काबिले तारीफ़ है।

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  6. सही में उन्हें सुनाने के लिए लोग बेताब रहते है 2008 में मैंने अमेरिका में उन्हें देखा और सूना था वहां भी बड़ी मुश्किल से टिकेट मिले थे वो भी वहां अजित गुप्ता जी भी थी उन्हों ने हमें पास उपलब्ध करावास्ये। कुमस्र जी अच्छे कवी है। उन्हें और आपको बधाई

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  7. अमेरिका में उनका एक प्रोग्राम देखा तहस वहास्म भी ऐसे ही भीड़ थी कुछ लोग तो सिर्फ उन्हें ही सुनाने आये थे। आप्सको और विश्वाश जी को बधाई

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  8. Kumar vishwaas ka vyaktitv v krititv nissandeh sraahneey hai .
    Aapke lekh se unke bare mein bahut
    kuchh jaanne ko mila hai . shubh kaamnaayen .

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  9. समीरजी नमस्कार,
    हिंदी भाषा लोकप्रिय हो रही है,सात समुम्दर पार
    अच्छा लगा.

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  10. समीरजी नमस्कार,
    अच्छा लगा यह जान कर कि हिंदी भाषा लोकप्रिय हो रही है---सात समुंदर पार.

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  11. शत् प्रतिशत एकदम सच्ची बात

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  12. बढ़िया रपट।

    "डॉ कुमार विश्वास: हिन्दी कविता के मंच का कोहिनूर"
    --
    स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ इनका।

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  13. Hindi kavita ka bada sitara kal aaj aur kal,,,,

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  14. Pukaare Aankh Me Chad Kar Toh Khoon Ko Khoon Samajhta He ,
    Andhera Kis Ko Kehte He Ye Bus Jugnu Samjhta He ..!!

    Kumar Sir Vohi Jugnu He Jinhone Hindi Kavi Sammelano Ka Andhera Door Kara Aur Mujh Jese Kai Yuvao Ko Isse Joda..LOVE U GURUDEV.. #LOVEUKV

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  15. कुमार विश्वास जी का ऐसा जलवा ??
    पढ़कर मन्त्र मुग्ध हूँ !
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    वैसे मैंने कई बार कुमार विश्वास जी को साक्षात सुना है ,,, उनके अन्दर श्रोताओं को बांधे रखने की अदभुत क्षमता है !
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    आपने एकदम सही कहा
    इस मंजिल तक पहुँचने के लिए बहुत सारी चीजों के साथ ही माँ शारदा का आशीर्वाद बहुत जरुरी है !
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    बढ़िया पोस्ट
    आभार

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  16. दुबई के एक कार्यक्रम को उन्होंने संचालित किया था ... प्रतिभा तो है ही उनमें ... एकल ही पूरा मंच साध लेते हैं वो ... उन्हें कवी की क्षमताओं में डूबे देखना ही अच्छा लगता है ...

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  17. विदेशों में हिंदी को बहुत बड़ी संख्या में पसंद करने वाले है यह जानकार बहुत ख़ुशी होता है ..
    कुमार विश्वास जी का यह कविता मुझे भी बहुत पसंद हैं कि ............

    कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
    मगर धरती की बेचैनी को, बस बादल समझता है
    मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
    ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है
    समंदर पीर के अंदर है, लेकिन रो नहीं सकता
    ये आंसू प्यार का मोती है , इसको खो नहीं सकता
    मेरी चाहत को दुल्हन तू, बना लेना मगर सुनले
    जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता

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  18. विदेशों में हिंदी को बहुत बड़ी संख्या में पसंद करने वाले है यह जानकार बहुत ख़ुशी होता है ..
    कुमार विश्वास जी का यह कविता मुझे भी बहुत पसंद हैं कि ............

    कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
    मगर धरती की बेचैनी को, बस बादल समझता है
    मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
    ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है
    समंदर पीर के अंदर है, लेकिन रो नहीं सकता
    ये आंसू प्यार का मोती है , इसको खो नहीं सकता
    मेरी चाहत को दुल्हन तू, बना लेना मगर सुनले
    जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता

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  19. कविता के साथ प्रस्तुतीकरण और श्रोताओं से जुड़ते हुए बांधे रखने की कला के बहाने ही सही , हिंदी के कवि पर सरस्वती के साथ लक्ष्मी का भी वरदहस्त मालूम होता है !

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  20. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04-09-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1726 में दिया गया है
    आभार

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  21. बहुत अच्‍छा लगा डॉ. कुमार विश्‍वास जी के काव्‍यपाठ के बारे में जानकर..........

    उन्‍हें तो वरदान है ही , आप की लेखनी काे भी जरूर वरदान है, तभी तो आप इतनी सहजता से बहुत अच्छी रचनाएं लिख पाते है।

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  22. निश्चित ही इस कवि की लेखनी में दम है और मंच को बांधे रखने की क्षमता भी ।राजनीति में आकर इन्हें नुकसान ही हुआ है ।

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  23. बहुत धन्यवाद इस रिपोर्ट के लिये.

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  24. बहुत दिनों बाद आई आपके ब्लॉग पर कुमार विश्वास के कविता पाठ के बारे में पढ कर अच्छा लगा। हिंदी के इस प्रचार प्रसार में कुमार विश्वास का योगदान सराहनीय है।

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  25. ब्रेन्डींग, मार्केटिंग, बोलने और पढ़ने की विशिष्ट शैली, अथक परिश्रम और उन सबके आगे माँ शारदा का वरद हस्त- तब जाकर एक डॉक्टर कुमार विश्वास बनता है.

    सच यही है..
    गर्व होता है...

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  26. भाई कुमार विश्वास का जादू ही कुछ ऐसा हैं
    एक बार आगरा के सूर समन में सुनने का मौका मिला था।
    http://savanxxx.blogspot.in

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  27. Bahut accha laga aap ko padh kar aur Mujhe Aasan hai ki mai aap se kuch Shiksha Kumar

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आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.