रविवार, अप्रैल 20, 2014

कतरा कतरा

khand_har

 

कभी जिन यादो से दिन,

खिल कर संवर जाता था..

आज सोचता हूँ

वही बचपन,

वही स्पर्श,

वही नाते,

उतारता हूँ जब

दिल के कागज पर वो यादें

और उनकी जिन्दा गवाह वो मकां..

कि कतरा कतरा हुआ

कागज भी बिखर जाता है..

एक लम्हा गुजरता है

और

कितना कुछ बदल जाता है..

-समीर लाल ’समीर’

38 टिप्‍पणियां:

  1. भाईजी,

    यह सतरें अपने आप में तो पूर्ण है परन्तु आपके लेखन कौशल के समीप नहीं. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सिर्फ़ लिखने के लिये आपने इन्हें लिखा है. आपसे और बेहतर कविता की प्रतीक्षा है.

    जवाब देंहटाएं
  2. राकेश भाई, यह कविता नहीं...वेदना की अभिव्यक्ति है मात्र...

    जवाब देंहटाएं
  3. बेशक समीर जी
    इसे हम जी रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  4. "Our sweetest songs are those that tell of saddest thought." - P.B.Shelley.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूब समीर जी ! आपकी लेखनी का मैं मुरीद हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  6. समीर जी आपके अहसासो ने कमाल कर दिया आज फिर एक कविता को जन्म दे दिया………हार्दिक आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  7. यथार्थ का बयान करती कविता। बधाई समीर भाई।
    राजेंद्र त्‍यागी

    जवाब देंहटाएं
  8. Ek lamha gujarata hai, aur kitna kuch badal jaata hai....


    Very touchy...

    जवाब देंहटाएं
  9. यही यादें उम्र होने पर जीने का सबब बन जातीं हैं... मेरा मतलब ये नहीं है कि हमारी उम्र हो गयी है...पर उम्र के साथ जज़्बात पुरानी यादों से जुड़ते जाते हैं...

    जवाब देंहटाएं
  10. आ जाने के बाद ... वो लम्हा क्या सच में गुजर जाता है ... कई बार तो वो नासूर बन के चिपक जाता है ... भाव पूर्ण ...

    जवाब देंहटाएं
  11. तस्वीर देख कर न जाने मन कैसा कैसा हो आया ....कविता और तस्वीर दोनों यह कह रही हैं ...कि ये इमारत भी कभी बुलन्द थी ...
    कृपया मेरे द्वारा पोस्ट की गईं पिछली दोनों टिप्पणियाँ हटा दीजिये ...कुछ बेतरतीब सी लग रही हैं ...कल उन्हें पोस्ट करते वक्त ही कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कर्सर काबू में नहीं हो जैसे ...इसीलिए आज मैंने सोचा कि देखूं टिप्पणी ठीक पोस्ट हुई या नहीं ....

    जवाब देंहटाएं
  12. कितना सब कुछ बदल जाता है, फिर भी ......

    बहुत सुंदर !!

    जवाब देंहटाएं
  13. सच कितना कुछ बदल जाता है अपने देखते-देखते। .
    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  14. हर गुजरे लम्हे के साथ कितना कुछ बदल जाट अहि, सुन्दर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  15. कुछ मैं बिखरता हूँ
    कुछ लम्हा
    समेटने में सारा वक़्त गुजर जाता है

    जवाब देंहटाएं
  16. उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मतदान कीजिए

    जवाब देंहटाएं
  17. यही जीवन है , मंगलकामनाएं आपको !

    जवाब देंहटाएं
  18. एक लम्हा गुजरता है
    और
    कितना कुछ बदल जाता है..
    .. सच पता ही नहीं चलता . समय के साथ ही कितना कुछ घट जाता है ... बदल जाता है

    जवाब देंहटाएं
  19. Ek lamha hi to hai jo aadmi ko jina bhi sikha deta hai aur aapke is blog se muze aise lamhe dhundhne me madat milti hai.................very nice every alpha's

    send free unlimited sms anywhere in India no registration and no log in
    http://freesandesh.in

    जवाब देंहटाएं
  20. ये लम्ह और ये कतरे मिल कर बनाते हैं जिंदगी।

    जवाब देंहटाएं


  21. कितना कुछ बदल जाता है..
    सच !
    वक़्त के साथ बहुत कुछ बदल तो जाता है...

    भीतर कुछ उदास-सा अनुभव हो रहा है...
    लेकिन रचना की तह तक नहीं पहुंच पा रहा हूं आदरणीय समीर जी !
    ईश्वर से प्रार्थना है- सब कुशल-मंगल हो...

    मंगलकामनाओं सहित...


    जवाब देंहटाएं
  22. सच एक लम्हें में कितना कुछ बदल जाता हैय़

    जवाब देंहटाएं
  23. कितना कुछ बदल जाता है..

    सच में !

    जवाब देंहटाएं
  24. inhi sab ko samet kar unkee yaado ke saath ji rahe hai sameer ji .
    bahut vedna ke saath likha hai . man ko choo gaya
    aapka
    vijay

    जवाब देंहटाएं
  25. एक लमहा गुजरता है
    और
    कितना कुछ बदल जाता है...

    चंद लमहे ही सबकुछ दे देते हैं... और चंद लमहे ही सबकुछ छीन लेते हैं....

    जवाब देंहटाएं
  26. आप जैसे बड़े लेखक की कुछ सीखना चाहती हूँ

    कृपया मार्गदर्शन दे। धन्यवाद!!

    http://swayheart.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  27. आप जैसे बड़े लेखक की कुछ सीखना चाहती हूँ

    कृपया मार्गदर्शन दे। धन्यवाद!!

    http://swayheart.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  28. दिन की तरह ज़िन्दग़ी का पूरा पेच पलट जाता हैं
    http://savanxxx.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.