मंगलवार, मार्च 05, 2013

चचा का यूँ गुजर जाना....हाय!!

चचा मेरे - नाम मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग खान और लोग उन्हें प्यार से गालिब कहते थे- वो १८६९ में क्या निकले कि तड़प कर रह गये उनके चाहने वाले अच्छा पढ़ने को...आज मुझे लगा कि भतीजा हूँ भले ही नाम समीर लाल ’समीर’ है ऊउर लोग प्यार से समीर बुलाते हैं..तो भी दायित्व तो बनता है- कुछ तो फर्ज़ निभाना होगा भतीजा होने का.

बस, इसी बोझ तले-दबे दबे…करहाते..पेश है तीन ठो...पहला शेर तो खैर कालजयी होना ही है...दम साध के दाद उठाना....वरना प्रश्न पढ़ने वाले की समझ पर उठ जायेगा कि समझ नहीं पाया..और वो होगे आप- यह तय जानो!! J

नफरत की इन्तहां का, यह हाल देख ’समीर’

जब भी मिलते हैं, गले लग जाते हैं तपाक से..

 

अब अगला चचा को याद करते:

chachabhatija

वो पूछते हैं हमसे, क्या हाल-ए-दिल सनम

कुछ गमज़दां थे गालिब, कुछ गमज़दां हैं हम...

 

और फिर ...बस, यूँ ही...कुछ आज के समय पर कुछ कह आने को मन कर आया भतीजे का...चचा तो खैर त्रिवेणी (गुलज़ार साहेब की विधा) का शौक रखते नहीं थे..... मगर उससे भतीजे ने कब सीमा आंकी है… Smile

 

यारों कि इल्तज़ा है कि कुछ कहानियाँ अपनी आवाज़ में सुनाऊँ..

हाल पता हैं फिर लोग तड़पेंगे मिलने को, और मैं मिल न पाऊँ

-इतना भी अमिताभ हुआ जाना, अभी हाल तो मुझे मंजूर नहीं.

 

और अब चलते चलते अपने भी मन कुछ कह जाऊँ (एक का तो अधिकार बनता है भतीजा हूँ आखिर)  तो यह लिजिये:

 

मंहगाई के इस दौर में भी, वो ईमानदारी से कमाता है..

हर वक्त खुश रहता है, हँसता है और खिलखिलाता है...

-बुजुर्गों का कहना है, वो कोई सिरफिरा नज़र आता है.

-समीर लाल ’समीर’

55 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! वाह! वाह! वाह!....
    गालिब चचा के बारे में तो कुछ समय पहले जाना .....भतीजे को बरसों से जानते हैं हम.... :-)

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  2. आखिरी शे'र बढ़िया लगा .
    इन्ही सिरफिरों ने दुनिया बचा रखी है !

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  3. कुछ गमज़दां थे गालिब, कुछ गमज़दां हैं हम.

    बहुत उम्दा...

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  4. वाह-वाह चचा जान... मतलब ग़ालिब के भतीजे जान... :-)

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  5. समीर भाई चचा के एक और भतीजे हुआ करते थे उनको लिखा खत मेरे हाथ लगा
    बरख़ुरदार, कामगार, सआ़दत-इक़बाल निशान मुंशी जवाहरसिंह जौहर को बल्लभगढ़ की तहसीलदारी मुबारक हो। 'पीपली' से 'नूह' आए। 'नूह' से 'बल्लभगढ़ गए? अब 'बल्लभगढ़' से दिल्ली आओगे, इंशा अल्लाह। सुनो साहिब, हकीम मिर्जा़ जान ख़लफुलसिद्‍क हकीम आगा जान साहिब के, तुम्हारे इलाक़ा-ए-तहसीलदारी में ब-सीग़ा-ए-तबाबत मुला‍ज़िम सरकार अँग्रेजी हैं। इनके वालिद माजिद मेरे पचास बरस के दोस्त हैं। उनको अपने भाई के बराबर जानता हूँ। इस सूरत में हकीम मिर्जा़ जान मेरे भतीजे और तुम्हारे भाई हुए।

    लाज़िम है कि उनसे यक दिल व यक रंग रहो। और उनके मददगार बने रहो। सरकार से यह ओ़दा ब सीग़-ए-दवाम है़, तुमको कोई नई बात पेश करनी न होगी। सिर्फ़ इसी उम्र में कोशिश रहे कि सूरत अच्छी बनी रहे। सरकार के ख़ातिर निशान रहे कि हकीम मिर्जा़ जान होशियार और कारगुज़ार आदमी है।
    जनाब ये खत आज भी मौज़ूद है..
    http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%97%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AC-%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A4%A4-37/%E0%A4%97%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AC-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A4%A4-37-1090122132_1.htm

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  6. ज़नाब बहुत उम्दा वाह क्या बात है ज़नाब

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  7. उड़नतश्तरी लिख रहे, कितने दस्तावेज।
    हमने मपने हृदय में, उनको लिया सहेज।।
    --
    आपकी पोस्ट का लिंक आज के चर्चा मंच पर भी है!

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  8. चचा गुड़ ही रह गए,भतीजे हो गये शक्कर(समय का असर है)!

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  9. भतीजे होने का दायित्य ढंग से निभा रहे हैं।

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  10. मंहगाई के इस दौर में भी, वो ईमानदारी से कमाता है..
    हर वक्त खुश रहता है, हँसता है और खिलखिलाता है...
    -बुजुर्गों का कहना है, वो कोई सिरफिरा नज़र आता है...

    क्या बात है समीर भई ... चचा भी तो सिरफिरे ही थे ... इन्ही के बल पे टिकी है ये दुनिया ...

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  11. PADH KAR AANANDIT HO GAYAA HUN .
    BAHUT KHOOB !

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  12. चाचा जी की जय हो ...भतीजे की वाह वाह :)

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  13. चाचा की याद में भतीजे ने भी कमाल किया.

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  14. Aati sundar rachna hai samir ji hum sab ko iski prastuti dene k liye dhanyabad

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  15. वा वाह..वा वाह ..
    भतीजा हो तो ऐसा !

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  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल गुरूवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!
    सूचनार्थ.. सादर!

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  17. होगा कोई ऐसा भी जो ग़ालिब को न जाने,
    शाइर तो वो अच्छा है पर बदनाम बहुत है...

    जय हिंद...

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  18. चचा का अक्स भतीजे में दिखाई दे रहा है. :) फोटो देख लीजिये चचा-भतीजे का... :D

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  19. दिलचस्प है य़ शायरी भी और जानकारी भी ।

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  20. वाणी जी की बात दोहराई जाए
    "इन्ही सिरफिरों ने दुनिया बचा रखी है"

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  21. क्या बात है भतीजे को चचा की याद सैकड़ों साल बाद भी है ! चचा भी तो थे ऐसे

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  22. क्या बात है...चचा की कमी को किसी ने तो महसूस किया...शिद्दत से...भतीजों पर ऐसे उन्हें भी नाज़ होगा...एक अपनी घिसी-पिटी भी झेलिये…

    हमसे न पूछो हिज्र के किस्से
    अपनी कहो अब तुम कैसे हो…

    शुभकामनाएं...

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  23. vah bhayee shahab kya khoob "chacha bhatije gaye,ud rahe gagan ke par ...

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  24. आते है गैब से ये मज़ामीन ख़याल में ,
    माज़ी में थे चचा को, भतीजे को हाल में.

    http://aatm-manthan.com

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  25. खुदा करे, हम ही नहीं, चचा गालिब भी अपने इस भतीजे पर फख्र करें। आमीन।

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  26. अंतिम पंक्तियां जबरदस्‍त हैं ...
    सादर

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  27. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  28. दाद संभालिये दिल से, वाकई आज के जमाने में कोई सिरफ़िरा ही ईमानदार हो सकता है.

    रामराम.

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  29. वाह ,वह क्या अंदाज है शायरी का ,बहुत खूब ।

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  30. तपाक से मिलना
    और सिरफिरा होना

    कहां कहां चोट करतें है
    सादर....

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  31. ऐसा काबिल भतीजा पाना हर चाचा की हसरत रहती है .....

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  32. भतीजाई ग़ज़ब निबाह रहे हैं आप, इसमें कोई शक नहीं. मैं तो आपका भी फ़ैन हूं.

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  33. चचा का असर इस सुन्दर प्रस्तुति में साफ़ झलकता है ..
    बहुत खूब शेर !

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  34. हँसते हंसाते गंभीर बात कह देना एक बहुत बड़ी कला है, जो आपमें है समीर. धन्यवाद..

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  35. हमारे चचा तो आप ही हैं.. :)

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  36. poori post jandaar aur sher to vajndaar hain.
    ye vajan sambhal nhi rha dushmanon se.


    saabhaar sameer ji.

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