बुधवार, फ़रवरी 20, 2013

मतवाली बेखौफ़ गज़ल

बस कोशिश थी कि कुछ कहें मगर जब बात बिगड़नी होती है तो यूँ बिगड़ती है कि साधे नहीं सधती....काफिया उखड़ा बार बार...कोई बात नही....माईने ही उखड़ गया कि जिसे शिद्दत से चाहा उसे ही कुर्बान कर देने को तैयार...खैर, यही तो है मतवाला पन- यही तो दीवानापन...पढ़ ही लिजिये...सुधार, व्याकरण आदि तो खैर चलता रहेगा...सुधार बता देंगे तो कोशिश होगी कि आगे महफिलों में सुधार कर पढ़ी जाये वरना तो आजकल की महफिलें...किस बात पर दाद मिलेगी ...ये तो आप पर निर्भर हैं...शेर पर नहीं.

जबकि लोग लिख रहे हैं कि फलाने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त गज़ल...तब ऐसे में बेआशीष गज़ल का लुत्फ उठायें….और कुछ नहीं तो हिम्मत की दाद दे देना Smile

 

face

 

आज इस धूप पर हम भी, जरा अहसान कर देंगे

कि मेहनत का पसीना भी, इसी के नाम कर देंगे.

जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर

जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे

अजब सा हौसला मेरा, अजब सी हसरतें दिल में

जिसे चाहा था शिद्दत से, उसे कुर्बान कर देंगे.

अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने

इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

लिखे ’समीर’ ने अपने, प्यार के गीत में किस्से

ये सारे प्यार के दुश्मन, उसे बदनाम कर देंगे.

-समीर लाल ’समीर’

85 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...
    बेहतरीन ग़ज़ल.....

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी2/20/2013 09:57:00 pm

    बहुत सुंदर ...

    जवाब देंहटाएं
  3. मन की बात जो समाज को प्रभावित करती है -----

    जवाब देंहटाएं
  4. आपके भाव व शब्द स्वयं में हस्ताक्षर हैं, आप अपने कनिष्ठों पर प्यार बनाये रखिये, और अधिक लिखते रहिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रवाहमयी ग़ज़ल...... हर भाव एक दूजे से जुड़ा सा, एक दूजे को पूरा करता सा.....

    जवाब देंहटाएं
  6. ये सारे प्यार के दुश्मन, उसे बदनाम कर देंगे.

    वाकई ..
    शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  7. आपको किसी के आशीर्वाद की ज़रूरत नहीं है, हम तो खुद आपसे प्रेरणा लेते हैं :)
    अच्छी लगी गजल- "जिसे चाहा था शिद्दत से, उसे कुर्बान कर देंगे."

    जवाब देंहटाएं
  8. "जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर
    जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे"

    बहुत ही लाजवाब गजल, इसको किसी गुरू के आशीर्वाद की करूरत नही है.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन गज़ल है महोदय.

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह.... बेहतरीन ग़ज़ल।

    जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर
    जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे


    यह शेअ`र तो ज़बरदस्त बन गया है।

    जवाब देंहटाएं
  11. जिसे चाहा था शिद्दत से, उसे कुर्बान कर देंगे.
    - यही उचित होगा .कुर्बानी अपनी प्रिय वस्तु की दे कर निश्चिंत हो जाना चाहिये!

    जवाब देंहटाएं
  12. लिखे ’समीर’ ने अपने, प्यार के गीत में किस्से

    ये सारे प्यार के दुश्मन, उसे बदनाम कर देंगे.

    जवाब देंहटाएं
  13. अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने

    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे....

    :) yehi karne ki koshish me lage hain :)

    जवाब देंहटाएं
  14. हमें तो बेआशीष गज़ल ही पसंद है:). मौलिकता की सुगंध आती है उसमें से.

    जवाब देंहटाएं
  15. बेखौफ़ दीवानगी नजर आ रही है ...:-)

    जवाब देंहटाएं
  16. Kya baat sameer bhai ... Maza aa gaya .. Vaise bhi guru ko guru ki kya jaroorat ...har sher kamal hai ...

    जवाब देंहटाएं
  17. समीर जी गुरूजी का आशीर्वाद प्राप्त ग़ज़ल की कुछ और ही बात होती है :-)

    फिर भी मैं आपकी ग़ज़ल और हिम्मत दोनों पर भरपूर दाद देता हूँ।

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  18. वाह! बहुत बढ़िया ग़ज़ल ! :)
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  19. क्या जी !
    या चतुर बोलो या घोड़ा बोलो
    या घोडा बोलो या चतुर बोलो जी। :)

    जवाब देंहटाएं
  20. बिन गुरु-आशीष ज्ञान... बहुत कमाल, हर एक शेर बहुत उम्दा. सन्देश देते भाव...

    अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने
    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

    दाद स्वीकारें.

    जवाब देंहटाएं
  21. " बेआशीष गज़ल "

    आनंद दायक और प्रफुल्लित विचार ..
    हमें भी कोई अपना आशीष देने को तैयार ही नहीं :(

    जवाब देंहटाएं
  22. लिखे ’समीर’ ने अपने, प्यार के गीत में किस्से

    ये सारे प्यार के दुश्मन, उसे बदनाम कर देंगे.
    बहुत सुन्दर ...

    जवाब देंहटाएं
  23. अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने

    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

    बहुत खूबसूरत बात काही इस शेर में ...बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  24. दाद तो देनी ही पड़ेगी उम्दा है

    जवाब देंहटाएं
  25. आज की ब्लॉग बुलेटिन अरे रुक जा रे बंदे ... अरे थम जा रे बंदे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  26. अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने
    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

    ग़ज़ल की समझ न आज मुझे है न कभी आ पायेगी किन्तु आपने यहाँ अपना दिल काटकर हमारा दिल भी चाक चाक कर दिया
    यहाँ मैं आपके एहसास को प्रणाम करता हूँ

    जवाब देंहटाएं
  27. मयंक सक्सेना2/22/2013 10:23:00 pm

    शानदार ग़ज़ल...बेहतरीन कंटेंट...लेकिन पता नहीं क्यों, मुझे बहर में कुछ दिक़्कत लगी...हालांकि हो सकता है दिक़्कत सिर्फ मेरे साथ हो...बहर के साथ न हो....

    जवाब देंहटाएं
  28. जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर

    जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे...

    अब इतना अच्छा लिखने के बाद कोई क्या कहेंगा जी ... बहुत अच्छी और simple ग़ज़ल ..पढ़कर आनंद आ गया ... अब तो इसे directly सुनना है ..आपसे ...आ जाईये ...तो सुने और सुनाये.....!!

    जवाब देंहटाएं
  29. ब्‍लाग की दुनिया रौनक है आपकी ऐसी रचनाओं से.

    जवाब देंहटाएं
  30. "जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे"

    बहुत ही शानदार गजल.

    जवाब देंहटाएं
  31. "जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे"

    बहुत ही शानदार गजल.

    जवाब देंहटाएं
  32. "जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे"

    बहुत ही शानदार गजल.

    जवाब देंहटाएं
  33. बेहद सुंदर गजल

    हप्पी ब्लागिंग

    जवाब देंहटाएं
  34. बेहद सुंदर गजल

    हप्पी ब्लागिंग

    जवाब देंहटाएं
  35. इतनी बढ़िया ग़ज़ल कह के, का क़त्ल-ए-आम कर देंगे ???
    अरे हमरे गुरु ही बन जाइये हम परनाम कर देंगे :)

    बहुत ज़बरदस्त लिख दिए हैं, ऊ भी बिन-आशीष।
    ग़ज़ल लिखने का कौनो टॉनिक-उनिक तो नहीं मिलने लगा है बाज़ार में ??
    :)

    जवाब देंहटाएं
  36. सुंदर ग़ज़ल है. क्या अंतिम दो शे'र कुछ बदलाव की कामना नहीं कर रहे हैं? कुछ करें।
    गिरिराजशरण अग्रवाल

    जवाब देंहटाएं
  37. जिस ग़ज़ल ने पाया हो आपका ही आशीष
    उस ग़ज़ल पे कई महफ़िल कुर्बान हो लेंगे ....

    सीधे रास्ते ही अक्सर खुरदुरे होते हैं
    खुरदुरे रास्तों को समतल कर दिया
    तो रात भी सुबह की मुस्कान होती है ....

    जवाब देंहटाएं
  38. आजकल की महफिलें...किस बात पर दाद मिलेगी ...ये तो आप पर निर्भर हैं...शेर पर नहीं...... bahut vajan dar , dhar dar ...wah wah

    जवाब देंहटाएं
  39. बहुत सुन्दर रचना. गजल में पैनापन है और वो बात भी. बहुत सुन्दर वाकई में.

    जवाब देंहटाएं
  40. Prem ke path pe chalna,
    Asaan nahi hota...
    Har aashiq sameer ki tarah
    Kurbaan nahi hota
    Aapka pyaar, pyaar se pyara hai
    ye dunia jaanti hai..
    Gazal ke har shabd ko tolta
    agar ye dil nadaan nahi hota!!

    .......Punah: Achhi prastuti ke liye Badhaiya!



    जवाब देंहटाएं
  41. Prem ke path pe chalna,
    Asaan nahi hota...
    Har aashiq sameer ki tarah
    Kurbaan nahi hota
    Aapka pyaar, pyaar se pyara hai
    ye dunia jaanti hai..
    Gazal ke har shabd ko tolta
    agar ye dil nadaan nahi hota!!

    .......Punah: Achhi prastuti ke liye Badhaiya!

    जवाब देंहटाएं
  42. कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना...और आजकल तो अपने ही परायों से ज़्यादा ज़ख्म देने लगे हैं...

    दुश्मन ना करे, दोस्त ने वो काम किया है,
    उम्र भर का गम हमें इनाम दिया है,
    तूफ़ान में हम को छोड़ के साहिल पे आ गए,
    नाखुदा का हमने इन्हें नाम दिया है,
    पहले तो होश छीन लिए जु्ल्म-ओ-सितम से,
    दीवानगी का फिर हमें इल्ज़ाम दिया है,
    अपने ही गिराते हैं, नशेमन पे बिजलियां,
    ग़ैरों ने आके फिर भी उसे थाम लिया है...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  43. आज इस धूप पर हम भी, जरा अहसान कर देंगे

    इतनी सुंदर ग़ज़ल कि महक हम भी पहुँच गई ....और हम खींचे चले आये ....

    अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने

    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

    पहले तो बधाई ....

    शे'र की नहीं इस नए प्रेम की जिसके लिए भजन गए जा रहे हैं .....

    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

    प्रेम का नया इज़हार ....

    लिखे ’समीर’ ने अपने, प्यार के गीत में किस्से

    ये सारे प्यार के दुश्मन, उसे बदनाम कर देंगे.

    तौबा तौबा ....!

    ये दुश्मन कौन है ....?

    हमें तो सबसे पहले ताऊ जी ही नज़र आ रहे हैं ....:))

    जवाब देंहटाएं
  44. कर देंगे कर देंगे
    ज़रूर कर देंगे

    जवाब देंहटाएं
  45. वैसे आपके द्वारा लिखा पिछले कई वर्षों से लगातार पढ़ रहे हैं...इतना संगठित, स्पष्ट, प्रवाहपूर्ण होता है कि टिप्पणी के रूप में सिर्फ ‘वाह-वाह’ कर देना, ‘बहुत सुन्दर’ कह देना एक औपचारिकता सा लगता है..और आपका जो स्नेह हम पर है उसमे औपचारिकता का कोई स्थान नहीं.
    “आपको पढ़-पढ़ कर, लिखने का मन करता रहा,
    लिखेंगे क्या ख़ाक बस, कागज़ बर्बाद कर देंगे.”
    +++
    ग़ज़ल, शेर, रदीफ़, काफिया, मक्ता आदि-आदि से पता नहीं हम दूर भागते रहे या ये ही हमसे दूर रहे..और मीटर की जानकारी भी कतई नहीं...(करेंट लगने के डर से मीटर से दूर रहते हैं ;-) ) हाँ, इतना समझ आ रहा है कि आपकी ये ग़ज़ल भी जबरदस्त प्रभाव छोडती है...बिम्ब का उम्दा प्रयोग करना कोई आपसे सीखे...
    इसके बाद भी आपके इस शेर में ‘अपने’ शब्द कुछ खटका..इससे पहले शेर में भी ‘अपने’ साथ है...साथ ही इस शेर की पहली पंक्ति भी कुछ खटकन लगा रही है...
    लिखे ’समीर’ ने अपने, प्यार के गीत में किस्से
    ये सारे प्यार के दुश्मन, उसे बदनाम कर देंगे.
    ++

    बिना नियम-कायदे के लिखने के शौक के कारण अपनी अल्पबुद्धि से ये समझ आया सो बदल कर धर दिया....बाकी आपको सही-गलत बताना सूरज के सामने दियासलाई जलाने जैसा है..
    लिखे ‘समीर’ ने कितने ही, प्यार के गीत औ किस्से
    ये सारे प्यार के दुश्मन, उन्हें बदनाम कर देंगे.
    शेष शुभकामनायें...हम अनुजों के लिए आपके बनाये रास्ते बहुत मददगार हैं...

    जवाब देंहटाएं
  46. Gazhal ke bhaav achchhe hain . kahin - kahib tukon kaa galat prayog hua hai . Do - teen ashaar
    bhee vazan mein nahin hain .

    जवाब देंहटाएं
  47. समीर सरजी, आप तो खुद ही बहुत पहले से दूसरों को आशीष देने वाले लेवल पर हैं फ़िर आशीष क्या और बेआशीष क्या?
    पढ़कर मजा आ गया, महफ़िल पक्का लूटेंगे आप।

    जवाब देंहटाएं
  48. अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने

    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

    क्या बाsssत ...बड़ी धांसू ग़ज़ल है

    जवाब देंहटाएं
  49. बहुत बढ़िया ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं
  50. वफायें हम सभी अपनी तुम्हारे नाम कर देंगे

    कि खुद को बेवफा के नाम से बदनाम कर देंगे

    जहां मिल जाएगा साया घनी जुल्फों का राहों में

    कसम काली घटाओं की वहीं पर शाम कर देंगे

    कही इस्लाह के बिन भी ग़ज़ल हमने मुकम्मल है

    तो अब इस्लाह का हम आख़िरी अंजाम कर देंगे

    जवाब देंहटाएं
  51. समीर जी,
    बहुत वज़नदार रचना/गज़ल है..नये प्रतीक और बिम्ब..प्रत्येक पंक्ति पर "वाह" कहने का मन होता है। गज़ल के मीटर आदि को मैं नहीं जानती और किसी की आशीष, माँ सरस्वती की आशीष से बड़ी हो सकती है, ऐसा नहीं सोच सकती और वह महत्त्वपूर्ण आशीष आप पर है। कुछ मित्रों ने शब्दों के हेर-फेर के बारे में कहा है पर वह संभावना तो कभी समाप्त होती नहीं..कवि कुछ समय बाद अपनी रचना पढ़ता है तो उसे स्वयं भी यहाँ-वहाँ बदल देता है, मुख्य बात यह है कि आज आप के क्या भाव हैं और क्या आपकी भाषा, आपकी अपनाई विधा में आप के भावों को सशक्त रूप से प्रस्तुत करने में समर्थ है? और क्या ये भाव, उस भाषा में पाठक को प्रभावित करने में समर्थ हैं? तो समीर जी, उस ड्रुष्टि से आपकी यह रचना..धूप को अपना पसीना दान देती हुई एक समर्थ रचना ही दिखाई देती है..और ६१ टिप्पणियों में इस रचना का पाठक पर प्रभाव भी दिखाई देता है.....इस सुंदर रचना के लिये मेरी बधाई को ६२ वीं टिप्पणीके रूप में स्वीकार करें...

    जवाब देंहटाएं
  52. Kya baat hai Samir ji ! Bahut achhe ! aapko ham maan gaye !
    bahut bahut badhai !

    -Archana, California

    जवाब देंहटाएं
  53. आप प्यार के गीत इसी तरह गाते रहिये और हम पढकर आनन्द लेते रहेंगे.

    शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  54. जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर

    जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे..

    वाह...
    बेहतरीन ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं
  55. ब्लास्ट करने वाली कमीन गाहों तक ये पहुंचे ज़रा

    अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने
    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.

    जवाब देंहटाएं
  56. वह क्या बात है. दाद तो देनी ही होगी.

    जवाब देंहटाएं
  57. क्या बात है बॉस....भजन की लाइनें लेकर बुलंद अजान कर देंगे....अमां छोडिए किसी गुरु का आशिर्वाद .....निराला जी को याद कीजिए....बिना बंधन वाली कविता गजलों को उनका चिर आशिर्वाद है....हम तो यही कहेंगे..सुभानअल्लाह...

    जवाब देंहटाएं
  58. sundar, sahaz aur pravaahmay..!

    जवाब देंहटाएं
  59. वाह वाह ... बेहतरीन गज़ल

    जवाब देंहटाएं
  60. सुन्दर और बेहतरीन गजल ...

    जवाब देंहटाएं
  61. जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर

    जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे

    वाह बहुत खूब......!!!

    जवाब देंहटाएं
  62. जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर

    जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे

    ...बहुत सुन्दर ग़ज़ल..

    जवाब देंहटाएं
  63. अजब सा हौसला मेरा, अजब सी हसरतें दिल में

    जिसे चाहा था शिद्दत से, उसे कुर्बान कर देंगे.

    ज़बरदस्त शेर कहा है आपने.

    ग़ज़ल अच्छी लगी.

    जवाब देंहटाएं
  64. समीरजी बहुत सुंदर ग़ज़ल है पढ़ कर मज़ा आ गया!

    जवाब देंहटाएं
  65. समीरजी बहुत सुंदर ग़ज़ल है पढ़ कर मज़ा आ गया!

    जवाब देंहटाएं
  66. Javaab nahi bahut hi pyari ,gahan abhivyakti hai...bahut2 badhaai...

    जवाब देंहटाएं
  67. जरा पलकें झुका ली जो, मेरी महबूब ने थक कर

    जहाँ जगने को थी सुबह, वहीं पर शाम कर देंगे

    bahut sunder gajal

    जवाब देंहटाएं
  68. अजब सा हौसला मेरा, अजब सी हसरतें दिल में
    जिसे चाहा था शिद्दत से, उसे कुर्बान कर देंगे

    वाह वाह !

    अजी बात कुछ यूँ है लाल साब के पूना में हमारा एक दोस्त था शिन्दे। उसकी भाषा बोले तो एकदम अल्लानामी। मगर जब भी कोई उसे सुधारता, तो वो हँस कर कह देता "यू अण्डर्स्टुड ना ? दैन ओ.के. फिर"

    "क्या ज़रूरी है के शोलों की मदद ली जाए, जिनको जलना है वो, शबनम से भी जल जाते हैं।" है कि नहीं ? हा हा !!

    जवाब देंहटाएं
  69. हमें अपने गजल कहने के दिन याद आ गए।

    जवाब देंहटाएं
  70. होली की छुट्टियाँ मिली तो Gmail पर भरे हुए मेल देखे.. आजकल कैंपस के webmail से ही मुक्ति नहीं मिल पाती.. बेचारा Gmail विज्ञापनों से भर गया है.. साफ सफाई के दौरान आपका मेल मिला..
    क्षमा कीजियेगा.. ३० दिन की देरी हो गयी.

    ..और गज़ल का रंग मेरे हालात जैसे हो गये..

    जवाब देंहटाएं
  71. अगर मज़हब बना रोड़ा, प्रेम की राह में अपने
    इबारत लेके भजनों की, बुलंद अज़ान कर देंगे.
    ------ एक महीने से ऊपर हुआ लेकिन आपकी मतवाली बेखौफ़ गज़ल दिल और दिमाग से निकलती ही नहीं....

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.