आज शनिवार की रात है तारीख: फरवरी २५, सन २०१२.
अच्छी नींद लेना मूल अधिकारों में से एक- सुप्रीम कोर्ट
यही खबर थी जो आजतक के आज के ट्रिकर पर चल रही थी. तुरंत ही आज के इन्टरनेट पर भी देखी यही खबर. देख-सुन कर लगा कि मानो हनुमान जी को समुन्दर की किनारे खड़ा करके याद दिलाया जा रहा हो कि तुम उड़ सकते हो. उड़ो मित्र, उड़ो.
बहुत अच्छा किया जो आज सुप्रीम कोर्ट ने बतला दिया वरना हम तो अपने और बहुत से अधिकारों की तरह इसे भी भुला बैठे थे. अच्छी नींद- यह क्या होता है? हम जानते ही नहीं थे.
गरमी की उमस भरी रात- और रात भर बिजली गुम और पास के बजबजाते नाले में जन्में नुकीले डंक वाले मच्छरों का आतंकी हमला. ओह!! मेरे मूल अधिकार पर हमला. केस दर्ज करना ही पड़ेगा. ऐसे कैसे भला एक मच्छर मेरे मूल अधिकारों का हनन कर सकता है, कैसे बिजली विभाग इसका हनन कर सकता है. गरमी की इतनी जुर्रत कि सुप्रीम कोर्ट से प्राप्त मेरे मूल अधिकार पर हमला करे.
अब भुगतेंगे यह सब. रिपोर्ट लिखाये बिना तो मैं मानूँगा नहीं. जेल की चक्की पीसेंगे यह तीनों, तब अक्ल ठिकाने आयेगी. पचास बार सोचेंगी इनकी पुश्तें भी मेरी नींद खराब करने के पहले.
वैसे मूल अधिकार तो और भी कई सारे लगते हैं जैसे खुल कर अपने विचार रखना (चाहे फेसबुक पर ही क्यूँ न हो), बिना भय के घूमना, शांति से रहना, स्वच्छ हवा में सांस लेना, शुद्ध खाद्य सामग्री प्राप्त करना, अपनी योग्यता के आधार पर मेरिट से नौकरी प्राप्त करना आदि मगर ये सब अभी पेंडिंग भी रख दूँ तो भी अच्छी नींद लेने को तो सुपर मान्यता मिल गई है. इसके लिए तो अब मैं जाग गया हूँ. सोच लेना कि मेरी नींद डिस्टर्ब हुई तो मैं जागा हूँ. फट से शिकायत दर्ज करुँगा. जेल भिजवाये बिना मानूँगा नहीं. पता नहीं पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना मूल अधिकार है कि नहीं? खैर, वो तो मैं चैक कर लूँगा वरना ले देकर तो दर्ज तो हो ही जायेगी रिपोर्ट.
और सबकी भी लिस्ट बना रहा हूँ- सबकी शिकायत लगाऊँगा.
नगर निगम सुबह ५ से ५:३० बजे तक बस पानी देते हो, मेरी नींद खराब करते हो. संभल जाओ, बक्शने वाला नहीं हूँ अब मैं तुम्हें.
और आयकर वालों- कितना टेंशन देते हो यार. जरा सा कमाया नहीं कि बस तुम सपने में आकर नींद तोड़ देते हो. तुमसे तो मैं बहुत समय से नाराज हूँ- तुम तो बचोगे नहीं अब. बस, अब गिनती के दिन बचे हैं तुम्हारे. सुन रहे हो- अब मैं आ रहा हूँ. तुम तो भला क्या आओगे अब- मैं ही आ जाता हूँ.
और हाँ, तुम- बहुत बड़े स्कूल के प्रिंसपल बनते हो. मेरे बच्चे के एडमीशन को अटका दिया मेरा टेस्ट लेकर. मेरी बेईज्जती करवाई मेरी ही बीबी, बच्चों की नजर में- कितनी रात करवट बदलते गुजरी. नोट हैं मेरे पास सारी तारीखें. अब जागो तुम-जेल में. बस, तैयारी में जुट जाओ जेल जाने की.
बाकी लोग भी संभल जाओ- जरा भी मेरी नींद में विध्न पड़ा और बस समझ लेना कि बचोगे नहीं.
बहुतेरे हैं मेरी नजर की रडार पर. एक वो नालायक चौकीदार- जिसे मैने ही रखा है कि इत्मिनान से सो पाऊँ. वो रात भर सीटी बजा बजा कर चिल्लाता घुमता है- जागते रहो, जागते रहो. अरे, अगर हमें जागते ही रहना होता तो क्या मुझे पागल कुत्ता काटे है जो तुम्हें पगार दे रहा हूँ. तुम कोई मंत्री या धर्म गुरु तो हो नहीं कि बेवजह तुमको चढ़ावा चढ़ायें और अपने मूल अधिकार वाले अधिकार प्राप्त कर प्रसन्न हो लें. चौकीदार हो चौकीदार की तरह रहो- यह अधिकार मूल अधिकारों से उपर सिर्फ मंत्रियों और धर्म गुरुओं को प्राप्त है.
आज कुछ संविधान की पुस्तकें निकालता हूँ. सारे मूल अधिकारों की लिस्ट बनाता हूँ. फिर देखो कैसी बारह बजाता हूँ सब की.
अब मैं पूरी तरह से जाग गया हूँ इत्मिनान से सोने के लिए.
आज जागा हूँ मैं, फक्त चैन से सोने के लिए
कुछ अधिकार मिले हैं फिर उन्हें खोने के लिए.
-समीर लाल ’समीर’
अब मै भी अपने बास को नही छोडुंगा, आफीस मे सोने नही देता।
जवाब देंहटाएंBahut shandaar lekh !
जवाब देंहटाएंहम तो पैदा हुए हैं मरने के लिए,
जवाब देंहटाएंसोयेंगे स्याह रात में जगने के लिए !
पाँच बजे से जागा हूँ। पत्नी जी सो रही हैं जगा नहीं सकता (मूल अधिकार)। खुद से कॉफी बनाई, अदरक डाल कर, फट गई, फटी को ही पिया। वो न जाने कैसे अदरक वाली कॉफी बनाती है? अब उस के उठने का इंतजार है, अगली कॉफी के लिए।
जवाब देंहटाएंपर दादा इ फेसबुक के मालिक जुकरवार्ग पर भी केस करे परेगा। सबसे जादे नींद हराम तो यही कर रहा है। रात रात भर सोने ही नहीं देता कमवख्त सौतन की तरह बीबी को सताती है और मुझे रात भर जगाती है
जवाब देंहटाएंअब किस किस पर केस करें सर. मूल अधिकार क्या होता है शायद ये भी अब भूल गए है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लेख.
सादर.
यह जागरूकता भारत से बाहर ही काम आती है...
जवाब देंहटाएंजहाँ एक पत्नी खर्राटे लेने वाले पति से अपनी नींद डिस्टर्ब होने पर अपने मूल अधिकार के लिए तलाक और हर्जाना भी ले सकती है :):)
Ye badhiya raha
जवाब देंहटाएंहा,हा, नक्करखाने में तूती की आवाज़ को कौन सुनने वाला है भला!
जवाब देंहटाएंमच्छरों पर कोई धारा लगाकर उनपर झाड़ू चार्ज कर दीजिये.. :)
जवाब देंहटाएंकाश! हम भी जाग पाते सोने के लिए
जवाब देंहटाएंरैन गवाँयी सोय के, दिवस गवाँया खाय।
जवाब देंहटाएंमानस जनम अमोल था कौङी बदले जाय॥
अब इसे बदल कर ऐसा कर देना चाहिए -
रैन गवाँयी सोय के, दिवस गवाँया खाय।
सोना खाना मूल है सबको देय बताय॥
वैसे, कुम्भकर्ण तो छः माह तक घोड़े बेचकर सोया करता था। लंकिनी के होते किसी मच्छर की मजाल नहीं थी कि उसे डिस्टर्ब करे।
आने वाले सपनों का मुकज्मा कहाँ दायर करेंगे हुजूर..
जवाब देंहटाएंचैन से सोना है तो अभी जाग जाइए...
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य ..
मानों गहरी नींद से जागे...
जवाब देंहटाएंगजब का रहा. टनों मजा आया. लेकिन विडम्बना है कि "अच्छी नींद आई या नहीं" यह जानने के लिए हमारा मन तो जगता ही रहता है.
जवाब देंहटाएंमज़ेदार लगा.
जवाब देंहटाएंआपका लेख पढ़कर याद आ गया: चैन से सोना है... तो अब जाग जाओ :)
जवाब देंहटाएंकाम के लायक अच्छी जानकारी.... !!आभार...... !!
जवाब देंहटाएंअपनी नींद के लिए सबकी उड़ा देंगे क्या ?
जवाब देंहटाएंशब् के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी ...... मुझे कोई न उठाये
जवाब देंहटाएंअब मैं पूरी तरह से जाग गया हूँ इत्मिनान से सोने के लिए.
जवाब देंहटाएंआज जागा हूँ मैं, फक्त चैन से सोने के लिए
कुछ अधिकार मिले हैं फिर उन्हें खोने के लिए.
Kitne khushnaseeb hote hain jinhen itminaan se sona milta hai!
इस सोने के मूल अधिकार में कोई समय निश्चित किया गया है या नहीं...???
जवाब देंहटाएंअगर समय निश्चित नहीं किया गया है तो दुनिया का कोई काम नहीं हो सकता ...सभी को सोने की बहुत अच्छी practice है...हा हा हा हा.....
मौलिक अधिकार क्या होता है?
जवाब देंहटाएंइस सोने के मूल अधिकार में कोई समय निश्चित किया गया है या नहीं...???
जवाब देंहटाएंअगर समय निश्चित नहीं किया गया है तो दुनिया का कोई काम नहीं हो सकता ...सभी को सोने की बहुत अच्छी practice है...हा हा हा हा.....
यह अधिकार मूल अधिकारों से उपर सिर्फ मंत्रियों और धर्म गुरुओं को प्राप्त है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया अच्छा लगा मजेदार लेख !
एक बार किसी ने मुझसे पूछा मुझे सबसे अच्छा क्या लगता है ?
जवाब देंहटाएंमैंने कहा- सोना
उसने पूछा - कौन सा ?
मैंने कहा - दोनों
चलो एक और मौलिक अधिकार बताने के लिए धन्यवाद्
ये केस भी कहाँ चैन से सोने देंगे ? :):)
जवाब देंहटाएंआपका शिकायत का अधिकार भी ज़ायज़ है . इसीलिए कहते हैं --चैन से सोना है तो जाग जाइये .
जवाब देंहटाएंवैसे नींद में सपने भी विघ्न डालते हैं . अब उन्हें तो जेल कराना सही नहीं . :)
बढ़िया व्यंग .
ऐसे ही एक एक कर के अधिकार खो जायंगे ...
जवाब देंहटाएंफिर सुप्रीम कोर्ट याद दिलाएगा ...
वह जागते रहो इसलिए कहता है की - " हे चोरो भाग जाओ मै आ रहा हूँ ! हमारे सामने चोरी मत करो ! नहीं तो मेरी नौकरी चली जाएगी ! "--और चोर भी उसके जाने के बाद ही ....
जवाब देंहटाएंअच्छा है...आपने हम सबको जगा दिया..अब जाग कर देखते रहेंगे...कौन हमारे मूल अधिकार का हनन कर रहा है...
जवाब देंहटाएंDHAARDAAR LEKH KE LIYE AAPKO BADHAAEE .
जवाब देंहटाएंहाहा.. मस्त है.. और उन लोगों की भी खैर ले लीजियेगा जिनके न टिपियाने से आपके रातों की नींद उड़ गयी है.. किसी को मत बख्शियेगा.. :D
जवाब देंहटाएंबड़े दिनों बाद अपनी फॉर्म में दिखे आप.मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंअपने मूल अधिकारों के प्रति सचेत रहना ही चाहिए:).
behtreen aalekh ...
जवाब देंहटाएंसमीर भाई मौलिक अधिकार भूल कर चैन से सो रहा था, आपने जगा दिया - बस अब आप तैयार हो जाओ! आपकी खैर नहीं....!!
जवाब देंहटाएंbehad prabhavshali lekkh ...sameer ji sadar badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक लेकिन प्यार से व्यंग बाण चलाया है गुरु...जिसके लगा होगा...तिलमिला कर ग़ालिब का शेर याद कर होगा
जवाब देंहटाएंकोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर नीमकश को
ये खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
नीरज
उड़न तश्तरी को अपने पुराने रंग में लौटा देख बहुत ख़ुशी हो रही है.
शब्-ए-फुरकत का जागा हूँ फरिश्तों अब तो सोने दो
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में कर लेना हिसाब, अहिस्ता-अहिस्ता...
घरों और स्कूलों में ना तो तमीज़ सिखाई जा रही है ना नियम कानून...सही-गलत की सारी जिम्मेदारी कोर्ट-कचहरी पर डालना...कुछ ज्यादा नहीं हो गया...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
जवाब देंहटाएंव्यंजना से व्यंजित आलेख बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंइसमें आपने अपनी पैनी निगाह ख़ूब दौड़ायी है। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंयह रचना अपनी एक अलग विषिष्ट पहचान बनाने में सक्षम है।
गहरी बात कह गया आपका लेख ..... अब भी न जागेंगें तो शायद ही चैन से सो पायें कभी ......
जवाब देंहटाएंक्या ही शानदार अंदाज है सर... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर.
जागे जागे सोते रहो
जवाब देंहटाएंsone walon ke liye aaram .....jagne walon ke liye ek swaal...../achha lekh ......bdhai
जवाब देंहटाएंवाह ... क्या बात की है... हाँ इन तीन की तो फिलहाल रपट लिखवा लीजिए ...बाकी के वक़्त हम से भी डिस्कसन कर लीजियेगा ताकि हम आम जनता भी सब मिल कर आवाज उठायें .. :) सुन्दर लेख और कटाक्ष
जवाब देंहटाएंवाह ... क्या बात की है... हाँ इन तीन की तो फिलहाल रपट लिखवा लीजिए ...बाकी के वक़्त हम से भी डिस्कसन कर लीजियेगा ताकि हम आम जनता भी सब मिल कर आवाज उठायें .. :) सुन्दर लेख और कटाक्ष
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा आलेख...ऐसा लगा पढ़कर पूरी तरह से जाग गए हैं इत्मिनान से सोने के लिए... :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा और रोचक लेख,आप कम लिखते है पर लाजवाब लिखते है
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा और रोचक लेख,आप कम लिखते है पर लाजवाब लिखते है
जवाब देंहटाएंव्यंग्य क्या होता है याद दिला दिया आपने. बहुत बढ़िया लेख
जवाब देंहटाएंआभार
wah....आज जागा हूँ मैं, फक्त चैन से सोने के लिए.....kya baat hai.
जवाब देंहटाएंbhai waah!bahut umda
जवाब देंहटाएंSameer ji
जवाब देंहटाएंbahut accha laga padhkar.
jo aam aadmi hota hain,
wo is adhikar ko tarasta hain,
jin par desh chalane ki hoti hain
jimmedari,aur jo hote hain ucch
pdhadhikaari.wahi karte hain meethi
neend ki sawari...:)
आज जागा हूँ मैं, फक्त चैन से सोने के लिए
जवाब देंहटाएंकुछ अधिकार मिले हैं फिर उन्हें खोने के लिए.
....बहुत रोचक और सटीक व्यंग..
सिरहाने मीर के आहिस्ता बोलो,
जवाब देंहटाएंअभी तक रोते रोते सो गया है...
जय हिंद...
वर्तमान व्यवस्था पर करारा व्यंग.........
जवाब देंहटाएंआपकी पिछली तीनों पोस्ट १-आलस्य का साम्राज्य..,२-बुरा हाल ....३-साहित्य में संतई ...
का निचोड़ है ये आलेख...
अब लग रहा है ---
आलस्य के साम्राज्य के बाशिंदे ने अपनी जिंदगी के बुरे हाल से निज़ात पाकर साहित्य में राह खोज ली है अपनी.. और जाग गया है अब ....:-)
ati sundar..
जवाब देंहटाएं"जागे हैं देर तक अभी कुछ देर सोने दो......"
जवाब देंहटाएंबस पढ़ते-पढ़ते मुस्कराहट नहीं रोक पा रही हूँ.....
शायद नींद आने में ये भी कुछ काम कर जाए....
और हाँ ! मुआवज़ा मिले तो हमें भी बताइयेगा....
हम भी केस करने की सोच रहे हैं......
हा हा हा........सुप्रीम कोर्ट के याद दिलाने से क्या फर्क पड़ेगा..नींद आऩे के लिए चैन चाहिए जो कहीं नही है किसी के पास नहीं है...अधिकार तो बहुत सारे हैं लेकिन अधिकार छीनने की हिम्मत भी लानी होगी
जवाब देंहटाएं"नींद उसकी है, ख्वाब उसके है रातें उसकी,
जवाब देंहटाएंजिसके शानो पर तेरी जुल्फे परीशाँ हो गयी."
लालजी आपको तो ज़ुल्फो का 'सधन' साया [साधनाजी का] मिला हुआ है, आपकी नींद उड़ने का मतलब ???
http://aatm-manthan.com
जागो ..जागो..
जवाब देंहटाएंजाग्रति हेतु बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
The contents are really good…
जवाब देंहटाएंmumbaiflowerplaza.com
जग रे जग रे सब दुनिया जागी जग रे जग रे ...
जवाब देंहटाएंजागो ऐ सोने वालो....
अब जाग मुसाफिर भोर भई....
इस तरह के गीत लिखने वालो,गानेवालो,
संगीतकारों , सभी को अपनी लिस्ट में शामिल
कर लीजिएगा,समीर जी.वर्ना ऐसे गीत सुना सुना
कर वे आपके मौलिक अधिकारों का हनन करते ही रहेंगें.
रावण ने कुम्भकरण को जगाया,तब सुप्रीम कोर्ट ने
क्यूँ नहीं अपना निर्णय सुनाया.एक रिपोर्ट रावण के खिलाफ भी.