जब ३ मार्च २००६ को अपना ब्लॉग शुरु किया था तो बताया गया था कि बस एक साल की मेहनत और फिर इससे कमाई शुरु हो जायेगी. बड़े मन से जुटे. फिर साल दर साल बीतते गये. हर साल यही उम्मीद कहीं न कहीं बँधाई गई कि अगले साल से ...कमाई शुरु.
आज ६ साल बीत गये. मगर लोगों की बात सुन आज भी आशांवित हूँ कि बस, अगले साल से कमाई शुरु होने वाली है और फिर नौकरी छोड़ो और बस, दिन भर ब्लॉगिंग...जितना करोगे, उतना मजा...उतनी कमाई...क्या बात है!!
आज हो गये हैं ६ साल पूरे इस ब्लॉग का नशा लगे. समय के पंख दिखते नहीं मगर इस तरह अहसास तो करा ही देते है. फोटो वही पुराना लगाया हुआ है ६ साल पहले का. यही विडंबना है अधेड़ावस्था की कि जवानी का जाना मानो स्वीकार ही न हो...कई बार सोचता हूँ कि इससे बेहतर तो राजनिति मे उतर जाऊँ...वहाँ स्वीकार्य है चिर युवा रहना....आडवानी जी जैसे युवा अब भी प्रधान मंत्री बनने का स्वपन पाले लगे ही हैं रथ यात्रा निकालने में तो हमारी स्थिति तो थोड़ी बेहतर ही कहलायेगी.
खैर यह सब छोड़ें..६ साल के ब्लॉगर की कविता पढ़े...बधाई दें, मुस्करायें या जो मन आये सो करें मगर शुभकामनाएँ तो दे ही जायें:
कभी मन में था कि साहित्यकार कहलाऊँ ब्लॉग लिख लिख कर...हा हा...ब्लॉग और साहित्य...कितने न मुस्करा देंगे..अनभिज्ञ एवं बेवकूफ...मगर मैं चुप रहूँगा...क्यूँ कुछ कह कर अपने संबंध खराब करुँ....अब मन नहीं हैं साहित्यकार कहलाने का...मगर मन पर तो लोभ ने कब्जा जमाया हुआ है..उसका क्या करुँ...इस कविता में दृष्य देखें तो शायद आपका मन भी बदले:
मैं मोती होना नहीं चाहता!!!
बूँद एक चली
छोड़ बादल को
प्रसन्न मन
मिलेगी नीचे धरा पर
एक तत्काल बनी नाली में
जहाँ तेरती होंगी
नन्ही नन्ही किश्तियाँ
कागज़ की
वहीं
बनायेगी साथी बून्दों को
दोस्त अपना...
खेलेगी, गुनगुनायेगी
उमंगों में डूब
उन के साथ
गली में अक्स्मात बनी
एक नाली खुश हुई
आकर मिलेंगीं और बून्दें
तो वह मिल सकेगी
शहर भर की नालियों के संग..
पूछेगी हाल सारे शहर का...
गपियायेगी..खिलखिलायेगी और
मिलेंगी
इक नदिया में जाकर
नदी खुश थी
उमड़ती हुई धाराओं से मिल
जा सकेगी वह
उस गहरे सागर तक
जहाँ आती हैं सब नदियाँ उसकी तरह
बाँटेगी उनकी खुशियाँ..
हँस लेगी उनके साथ..
रहेगी खुश...
और सागर...
समाहित कर सबको अपने भीतर
शांत और गंभीर.....
फिर एक दिन एक हिस्सा
बन जाता वाष्प...
सूर्य की उष्मा से...
और उठ जा मिलती
उष्मा से बनी वाष्पकिरणें...बूँदें...
पुनः उन्हीं बादलोंमें...
जीवन के
अनवरत गतिक्रम सी
एकाएक एक बूँद रो उठती है
इस बार विदा होते...
कहीं मैं नाली की जगह
सीप में न समा जाऊँ...
मैं मोती बनना नहीं चाहती...
माना मोती कीमती होता है पर
मुझे...हाँ.....मुझे
फिर वापस आना है
अपनों से मिलने
और बनाये रखनी है
अपने होने की अस्मिता
आज फिर एक बार
आँख नम है मेरी...
मुझे वापस आना है...
अपनों में मिल जाना है!!!!
-मैं मोती होना नहीं चाहता!!!
-समीर लाल ’समीर’
हा हा..
जवाब देंहटाएंहमें भी किसी ने कहा था की ब्लॉग्गिंग से कमाई होगी..:P
आस हम भी लगाए बैठे हैं :)
और आप एकदम राजनीति में उतर जाईये..आपकी तो पर्सनाल्टी भी एकदम वैसी ही है :)
Bahut khoob.
जवाब देंहटाएंये भाव हताशा के हैं पलायन के हैं -सिकंदर भागते नहीं आगे बढ़ते हैं ......अगर आपने जो कहा है सचमुच सत्य है कि आप पैसा कमाने ब्लॉग जगत में आये तो सच मानिये मुंझे बहुत दुःख हुआ है ....मगर यह सत्यवचन है तो यह खुशी भी है कि आप विरले सत्यवादी हैं ..आपने इन छः सालों में जो ब्लागजगत को दे दिया उसकी भरपाई क्या पैसे से हो सकती है? मुझे लगता है कि हिन्दी ब्लागरी के आदि त्रिदेवों (समीर ज्ञान और अनूप ) में मात्र अनूप की कोई व्यावसायिक चाह नहीं रही ..वैसे व्यावसायिक चाह कोई बुरी बात नहीं मगर सृजन कर्म से जोड़ देने से सृजन फीका पड़ने लग जाता है !
जवाब देंहटाएंकाश आप खुद अपनी रचनाधर्मिता का मूल्य समझते -यह अनमोल है !
कविता बहुत प्यारी है. सच में, मुझे लगता है साहित्यकार होने से लाख गुने अच्छा है ब्लॉगर बने रहना. यहाँ इतने अच्छे लोग मिले हैं, इतने रिश्ते बने हैं कि और कहीं जाने को मन नहीं करता...
जवाब देंहटाएंअभी तो छः साल ही हुए हैं, इंतज़ार कीजिये, कभी ना कभी कमाई होने ही लगेगी:)
वैसे दिल के रिश्तों की कमाई तो सबसे अच्छी है.
राजनीती में उतरने का विचार भी खूब है..... एक उत्कृष्ट रचना हेतु बधाई ..
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
जो सोंचा जाता है वो अक्सर नहीं होता.
जवाब देंहटाएंबधाई! लिखते रहने ..और लिखते रहने को प्रोत्साहन देने के लिए...
जवाब देंहटाएंवक्त का क्या है! होता ही बीतने के लिए है...और मन!! भला मन को कौन समझा पाया है कभी.. ...उम्मीद भी है...कभी तो चक्र पूर्ण होगा ....आशान्वित हूँ....और कई साल बीतेंगे..और लिखते रहेंगे ...
क्या बात करते हो मियाँ, हजार होते सब्सक्राइबर, और हजारों प्रशंसक और पाठक! एक हिंदी ब्लॉगर के लिए इससे बड़ी कमाई क्या हो सकती है भला? कोई मुझे जरा बताए तो!
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग की असल कमाई तो यह है कि हम जैसे कमीने दोस्त मिले आपको...!
जवाब देंहटाएंबूँद का नाली,नदी या समंदर में मिल जाना....भले ही उसका अपना अलग वजूद न बच पाता हो पर आनंद ज़रूर आता है.
मोती की चमक से दूर रहने में ही मोती दिखेगा,उसमें समा गए तो अस्तित्व भी खतम !
सुन्दर कबिताई और कमाई !
आपको 6 हो गए, मुझे 3 नहीं हुए। तसल्ली यह मिली कि अभी 3 साल और इंतेज़ार कर सकता हूं।
जवाब देंहटाएंछह साल पूरे होने की बधाई!
जवाब देंहटाएंअब आ ही जाइये राजनीति में जो होगा देखा जायेगा।
किसी ने यह नहीं बताया क्या कि "हिन्दी ब्लॉगिंग से कमाई करना" याने कि "भूसे के ढ़ेर में सुई खोजना" है।
जवाब देंहटाएंकिसी ने यह नहीं बताया क्या कि "हिन्दी ब्लॉगिंग से कमाई करना" याने कि "भूसे के ढ़ेर में सुई खोजना" है।
जवाब देंहटाएंबधाई
जवाब देंहटाएंआप ६ साल के ब्लॉगर हैं अब आप कक्षा २ में प्रवेश पा सकते हैं
इस प्रकार से सोचिये आप को अभी कितने वर्ष और चाहिये ब्लोगिंग की १२ वी पास करने के लिये
फिर ३-५ साल का समय दे ब्लोगिंग को तब इस से कमायी शुरू होगी
और समीर भाई ये पढ़ कर मुस्कुराये नहीं ये आप ने ही कहा था ब्लॉग मीट में हाँ ये शब्द नहीं थे जब वहाँ किसी ने पूछा था{ शायद दीपक ने } ब्लॉग से कमाई के विषय में .
हम तो ब्लोगिंग में केवल और केवल अपनी बात कहने आये थे ,
भईया हम तो ब्लॉगर भले
साहित्य रचा नहीं जाता
साहित्य रच जाता हैं
रचियता ख़ुद अपनी रचना को
साहित्य साहित्य नहीं चिल्लाता हैं
कालजयी होगा तो रह जायेगा
साहित्य तब ख़ुद बन जायेगा
वरना गूगल के साथ ही
विलोम हो जाएगा
सो भईया हम तो ब्लॉगर भले
मुद्दे पे लिखे , विवादों मे घिरे
मन बीती कहे जग बीती सहे
पर अपने लिखे को कभी
साहित्य ना कहे
http://mypoemsmyemotions.blogspot.in/2009/07/blog-post_21.html
आप से यहाँ भेंट हुई , आप की वजह से किसी ने दादी कहा अब रुपया पैसा हाथ का मेल हैं इसके आगे
सादर सस्नेह
आपकी
रचना दी
कविता , हमेशा की तरह बहुत कुछ दिखाती हुई , समझाती हुई , तलाशती हुई है . और हमेशा की ही तरह मैं अपने आपको इस कविता से relate कर ले रहा हूँ.
जवाब देंहटाएं६ साल इस ब्लॉग्गिंग की दुनिया ने "जीवित" बने रहने के लिये बधाई ..
विजय
आज आप कुछ व्यथित से दिखाई दिए ठीक वैसे ही जैसे कोई बूंद अचानक जाकर सीप में समां गई हो, जहाँ पर बूंद से मोती बन जाने की ख़ुशी तो है पर सीप में समां जाने का गम भी.... ब्लॉग जगत में छ: वर्ष की सफलतम यात्रा हेतु ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंपहले तो छठे साल के पूर्ण होने की बधाई।
जवाब देंहटाएं... आने वालों सालों के लिए शुभकामनाएं।
बाक़ी राजनीति आपके बस की बात नहीं, इतने साल के ब्लॉगजगत की हलचल से यह तो पता चल ही गया है।
बूंद की अभिलाषा अच्छी लगी।
मुझे...हाँ.....मुझे
जवाब देंहटाएंफिर वापस आना है
अपनों से मिलने
और बनाये रखनी है
अपने होने की अस्मिता
आज फिर एक बार
आँख नम है मेरी...
मुझे वापस आना है...
अपनों में मिल जाना है!!!!
-मैं मोती होना नहीं चाहता!
Bahut sundar!
Anek shubh kamnayen!
मैं मोती होना नहीं चाहता !!!
जवाब देंहटाएं
पारस को मोती होना भी नहीं चाहिए...वो पारस जो लोहे को भी छू दे तो वो कुंदन बन जाता है...
आपने जो छह साल में कमाया है, वो अनमोल है और जिसे बड़ी से बड़ी दौलत से भी खरीदा नहीं जा सकता...
जय हिंद...
मै क्या बोलूं...जब भी अपने ब्लॉग पर आती हूं तो सबसे पहले ये देखती हूं कि उड़न तश्तरी पर क्या नया है...आपकी लेखनी आनंद देती है...
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंअरे 6 साल पूरे हो गये ?जिसे अभी पूरे तीन भी नहीं हुये वह क्या ,बेचारा क्या उम्मीद करे !
जवाब देंहटाएंऔर कविता- हम लोग बूँद ही हैं बार-बार फेरा लगाती हुई .
हास्य , विनम्रता , सहजता - यही है साहित्यकार की पहचान ...
जवाब देंहटाएंब्लौगिंग से कमाई के सपने इतनी लम्बी उड़ान देते थे कि विश्व भ्रमण हो जाता था - असलियत अपनी जगह है . लिखो , और देखो - कौन आया कौन नहीं आया , हाहाहा
बधाई।
जवाब देंहटाएंकमाई हो या नहीं आप लिखते चलें। आप तो हिन्दी चिट्ठाजगत की शान हैं।
गहराई लिए ,खूबसूरत अहसास !!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
अगले साल का इंतजार करते रहिये और हमें पोस्ट देते रहियेगा
जवाब देंहटाएंराजनीति में आना एक साहित्यकार को शोभा नहीं देगा
और आप साहित्यकार नहीं तो साहित्यकार किसे कहते हैं?
प्रणाम स्वीकार करें
itni khoobsurat.....itni marmik.....itna alag andaz....bahut achcha laga.
जवाब देंहटाएंआप तो सच्चे मोती हैं जनाब.
जवाब देंहटाएंबधाई हो समीर जी! एक बहुत लंबा समय, एक बहुत बड़ी संपदा अनुभव की, एक प्रतिमूर्ति कई नव-ब्लॉगर्स के आदर्श की.. छः साल का सफर आपको मुबारक.. आप ऐसे ही हमारे प्रेरणा स्रोत बने रहें, सालों तक..
जवाब देंहटाएंअयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिऔध" जी की कविता का विस्तार अच्छा लगा!
वाह सरजी, बधाई हो. अब कविता भी कुछ कुछ समझ में आने लगी है. सत्संग का असर है परन्तु मुझे भी बूँद ही रहने दो, सीपी में कैद होना स्वीकार नहीं.
जवाब देंहटाएंbahut sundar.....
जवाब देंहटाएंaur haan....kamane vaale to kama hi rahe hain....aapko-hamko(khair maine to ye socha bhi nahin tha aur na hai hi)tareeka nahin aaya kamane ka....
बहुत बढ़िया लिखे हैं समीर भाई |होली की शुभकामनाएं |www.jaikrishnaraitushar.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई...छः साल तो बहुत होते हैं...इतने वर्षों से यूँ सक्रिय रहना....बहुत बड़ी उपलब्धि है
जवाब देंहटाएंआने वाले वर्षों के लिए असीम शुभकामनाएं
प्रकृति-चक्र के कर्म में लगे रहिये, जैसा कि कविता में आपने चाहा है। मोती बनकर किसी साम्राज्ञी के मुकुट में टाँक दिये जायेंगे। आम रहकर मीठे बने रहने में आनन्द है। ६ साल नशे में डूबे रहने की बधाई...हम भी डूबे हैं..
जवाब देंहटाएंआज फिर एक बार
जवाब देंहटाएंआँख नम है मेरी...
मुझे वापस आना है...
अपनों में मिल जाना है!!!!
-मैं मोती होना नहीं चाहता!!!
iss line ko bhaiya share kar raha hoon:)
बरबस मुस्कुरा पड़े आपकी पोस्ट पढ़कर... कविता सुंदर है, भावों से भरी..
जवाब देंहटाएंबधाई 6 साल पर
जवाब देंहटाएंbahut sunder kavita hai ...aapki kavita me shayad apno se bichadne ka dard chupa hai kahin na kahin...aisa mujhe lagta hai...
जवाब देंहटाएंसबसे पहले बधाई..
जवाब देंहटाएंकविता बहुत कुछ कह गई
और ब्लॉग से कमाई न सही और बहुत कुछ मिला है :)
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंरंगों के त्यौहार होलिकोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएँ!
Congratulations.. aur moti na hone ka ek dum naya sa khayaal bahut khusoorat... keemti na hona bhi kitna bada advantage h, samajh aa raha h.. :)
जवाब देंहटाएंछह साल पूरे होने की बधाई!
जवाब देंहटाएंअजी अभी ब्लाग की छठी हुयी है, अभी जवानी के दिन बाकी है!
जवाब देंहटाएंछह साल पूरे होने की बधाई!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! ज़वान बने रहने की चाह ब्लोगर्स में ज्यादा रहती है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन कमाई तो बहुत हुई है यहाँ ।
अपनी जड़ों से दूर होकर वापसी की कसक रहती तो होगी । फिर भी आधुनिक तकनीक ने दूरियां बहुत कम कर दी हैं ।
बूँद की सागर से मिलने की चाह ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है समीर भई ... ६ साल का लंबा सफर ... जवानी बरकरार रहे ...
छ: साल पूरे होने की बधाई…साहित्यकार तो आप हैं ही साथ ही बोनस के रूप में ब्लोगर भी हैं। असल से सूद ज्यादा होता है हमें भी आप के साहित्यकार होने से ब्लोगर होना ज्यादा पसंद है।
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार हो कर कहीं किताबों में बंद होते, कइयों की पहुंच से बहुत दूर…क्या वो ज्यादा अच्छा लगता आप को?
आशा है ये सफ़र यूँ ही चलता रहे और हम सब यूँ ही आपके चुटीले हास्य व्यंग्य को पढ़ कर हँसते मुस्कुराते रहें। छः साल पूरे करने की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंचलो आस तो है, हम भी आस लगाये हुए हैं, कि कभी तो इससे कमाई होगी, कविता डूबी हुई है।
जवाब देंहटाएंसमीर जी पहले तो छः वर्ष पूरे होने की बधाई, मगर कुछ मीठा भी मिल जत तो और भी मजा आ जाता. और कमाई तो आपकी खूब हुयी है , ब्लागिंग जगत के किंग आप बन गये ये क्या किसी कमाई से कम है , कितने ही लोगों (हम भी )को आपने परोक्ष रूप से बहुत कुछ सिखाया है , हम सब आपके शुक्र गुजार है , हम तो बस यही चाहते है कि आप यूं ही एक दिन ६० साल पूरे होने की पोस्ट लिखे ...........
जवाब देंहटाएंचचा, आप साहित्यकार कहलाना चाहते हैं, लेकिन अच्छा है कि आप ब्लॉगर हैं। इससे साहित्य का नुकसान हुआ हो न हो, लेकिन ब्लॉगिंग का बहुत भला हुआ है। दूसरी तरफ, पिछले 6 साल में आपने जितना हिंदी को नेट के माध्यम से दिया है और जितना आप पढे गए हैं...उतना न तो हिंदी के महामंडलेश्वर लिख पाए हैं ना ही पढे गए हैं। 6 साल पूरे होने पर बधाई स्वीकारें, और कृपया लिखते रहें। हम जैसों के प्रेरणा स्रोत तो आप ही हैं।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले ६ साल पूरे होने की ढेर सारी बधाई... अब बात है कमाई की तो इतने सारे लोगो का साथ और स्नेह मिलना भी कमाई से कुछ कम नहीं और साहित्यकार, कवि सब कुछ तो हैं आप ... :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है, यूँ ही अनमोल बूंद बने रहिये और अपनों से मिलते रहिये.... शुभकामनाएं
चित्रा श्रीवास्तव मांट्रियल कनाडा से ईमेल द्वारा:
जवाब देंहटाएंMain moti hona nahin chahata, aur anjaney main aap kavya jagat ke moti ban gaye.seep ke andar nahin bahar.kya baat hai.
Chitra sriivastava, montreal
कमाई तो हुई है...हाँ ये मुद्रा के रूप में नहीं है...एक ब्लॉग पर पचहत्तर टिप्पणियां देखना एक ब्लोगर के लिए बड़ी उपलब्धि है...रही बात साहित्यकार बनने की...तो वो तो आप हैं ही...ब्लॉग्गिंग साहित्य की डिजिटल विधा है...ऑनलाइन सोचना और लिखना...किताबों में होता तो शायद पढ़ा ही ना जाता...आज कितने घरों में किताबें पढ़ीं जा रहीं हैं...खरीद कर तो बहुत ही कम...छः साल के समर्पित लेखन को सलाम...
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग के साहित्यकार ...
जवाब देंहटाएंछः वर्ष पूर्ण होने की बहुत बधाई और ऐसे कई वर्षों के लिए शुभकामनायें !
sabase pahle to 6 saal pure hone par aapko bahut2 badhai...
जवाब देंहटाएंaapki rachna bahut achchhi lagi in panktiyon men ek dard,eak tadap si hai gahare bhavon ki abhivyakti hai in panktiyon men...
मुझे...हाँ.....मुझे
फिर वापस आना है
अपनों से मिलने
और बनाये रखनी है
अपने होने की अस्मिता
आज फिर एक बार
आँख नम है मेरी...
मुझे वापस आना है...
अपनों में मिल जाना है!!!!
-मैं मोती होना नहीं चाहता!!!
मुझे वापस आना है...
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियों में सब कुछ समाहित है।
कम सेप्टेम्बर।
आप बढ़िया लिखते हैं, पैसे का लिखने से क्या मतलब ..??
जवाब देंहटाएंरंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें भाई जी !
६ बरस पूरा होने की बधाई सर...
जवाब देंहटाएंआप चाहे तो अपने बचपन की ६ बरस वाली तस्वीर लगा दें....यहाँ तो आपकी उम्र उतनी ही है
:-)
बूँद का मोती ना होना कितना निस्वार्थ भाव है...
बहुत बढ़िया ..
सदर.
बधाई।
जवाब देंहटाएंआशावान बने रहिए, वो सुबह कभी तो आएगी जब ब्लॉगिंग पैसे कमाएगी, जब ब्लॉगर सेठ बन जाएगा...
जवाब देंहटाएंखैर तब तक सबका स्नेह कमाते रहिए.
सुन्दर कविता व ६ वर्षीय ब्लॉगर बनने पर बधाई.
घुघूतीबासूती
होली के अवसर पर ... मैं शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ की मई ... प्यार की पिचकारी में कभी छेद नहीं करूंगा
जवाब देंहटाएंहोली रंगों से भरा हो
होली के अवसर पर ... मैं शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ की मई ... प्यार की पिचकारी में कभी छेद नहीं करूंगा
जवाब देंहटाएंहोली रंगों से भरा हो
६ वर्ष पुरे होने पर हार्दिक बधाई ,आप की जितनी भी पोस्ट पढ़ी है ,सब दिल पर असर करती है ,ईश्वर आप की लेखनी की धार ऐसे ही बरकरार रखें
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य के राज़ रसोई में: आंवले की चटनी
जवाब देंहटाएंrazrsoi.blogspot.com
naye blog par aap saadr aamntrit hai
बहुत बहुत बधाई समीर जी,
जवाब देंहटाएंभावों के मंथन में मनोदशाओं का बिलौना अमृत मिले या विष!! छह वर्ष एक युग हो जाते है। दृढ्ता को अनंत शुभकामनाएं।
जड़ मोती बन जाता तो नवबुन्दों को अपनत्व में कैसे जोड पाता? सुन्दर चिंतन!!
आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआपकी तरह ही ब्लॉगिंग से कमाई का इंतजार सबको है .. इतने दिनों तक अपनी पोस्ट पढवाते रहने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!
जवाब देंहटाएंसमीर जी, शायद यही कुछ वजह थी कि मेरा मन ब्लागिंग से उचट गया और मैं ढाई साल से बहुत कम ही ब्लाग पर आता हूँ। मगर आदत जो न कराए....इसलिए कुछ रुक कर पुनः आ जाता हूँ। अब सोचा है कि कुछ आडियो भी डाला जाय.....आप ने तो सबके मन की बात कह दी ....सुन्दर प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...होली की शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंसमीर जी, शायद यही कुछ वजह थी कि मेरा मन ब्लागिंग से उचट गया और मैं ढाई साल से बहुत कम ही ब्लाग पर आता हूँ। मगर आदत जो न कराए....इसलिए कुछ रुक कर पुनः आ जाता हूँ। अब सोचा है कि कुछ आडियो भी डाला जाय.....आप ने तो सबके मन की बात कह दी ....सुन्दर प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...होली की शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंआपको पाप लगेगा। आपको पता ही नहीं कि आपने क्यश कर दिया। आपकी यह पोस्ट पढी तो याद आया कि मैं भी यही सब सोच कर ब्लॉग जगत में आया था - दो पैसों की चाह में। लेकिन इसका खुमार कुछ ऐसा चढा कि वह सब भूल गया और इसी में रम गया।
जवाब देंहटाएंअब आज की रात बडी मुश्किल से कटेगी। आपने घाव हरा कर दिया।
आपको भी नींद न आए - यही 'दुआ' है।
.
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग में छह साल पूरे होने पर आपको बहुत बहुत बधाई!
आपका साहित्यकार भी हमें आपके ब्लॉगर जितना ही प्रिय है … :)
ख़ूबसूरत पोस्ट के लिए बधाई आभार !
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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Congratulations on completing 6 years of blog writing. Your writing is always thoughtful and meticulous. Even if you pick a serious subject matter,you present it so well. So just keep writing money will automatically come to you one day.
जवाब देंहटाएं- Neeta.
वाह! मोती कह रहा है मैं मोती होना नहीं चाहता.
जवाब देंहटाएंमोती की चमक से सब जगमगा रहे हैं जी.
आपकी शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
होली के रंगारंग शुभोत्सव पर बहुत बहुत
हार्दिक शुभकामनाएँ.
Sparkling colours of HOLI may paint your life in the way to make you prestigious,honourable and lovable all around.Happy Holi.
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार
जवाब देंहटाएंईश्वर का धन्यवाद कि ऐसा कोई सपना हम नही पाले । पर बूंद जो बनना न चाहती मोती अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंएक उत्कृष्ट रचना एवं ब्लॉग्गिंग के छह साल पूरे होने की बधाई!
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें !
ज़ात से कायनात तक का सैर कराती यह कविता जब कायनात से ज़ात में वापस लौटने का आग्रह करती है तो मन को झकझोर जाती है. काश! यह संभव होता.....
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग के छह साल पूरे होने की बधाई..
जवाब देंहटाएंaapki kavita padhkar 'jyon nikalkar baadalon ke ot se, thi ek boond aage badhi" kavita barbas hi yaad aane lagi..
जवाब देंहटाएं..bahut sundar prasuti..
आप राजनीति में आइये हम ब्लोगर जन आपके साथ है, ब्लॉग जगत में ६ साल पूरे करने के लिए बधाई,... बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
हा..हा.. हा.. समीर जी , राजनीती में काफी कम्पीटीशन है , बेहतर है बाबा वगेरह बनकर टीवी में छा जाओ . मेरा मन तो इस धंधे को अपनाने के लिए व्याकुल है
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ पार्टनरशिप से शुरू करू . वैसे भी बाबा लोगों की आजकल पो-बारह है . करोडो का वारा न्यारा करते हैं महीनेभर में. ब्लॉग वाली कमाई से तो
इन्टरनेट का खर्चा ही मुश्किल से निकलेगा . बाबा बन'ने के बाद तो बारिश भी मोतियों की ही होगी .
बहुत सहजता और सरलता से बहुत गंभीर चिंतन. हम सभी के मन की चाह...
जवाब देंहटाएंमुझे वापस आना है...
अपनों में मिल जाना है!!!!
-मैं मोती होना नहीं चाहता!!!
शुभकामनाएं.
itni khoobsoorat rachna ke liye bahut-bahut badahi
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना ,बहुत बहुत शुभकामनाये...!!
जवाब देंहटाएंdheron bdhai 6 saal pure hone ki .....:))
जवाब देंहटाएंdheron bdhai 6 saal pure hone ki .....:))
जवाब देंहटाएं