एक दिन अजय , हमारे एक मित्र मिले. फुटबाल का मैच देखने आये थे. एक आँख दबा कर मुस्कराते हुए अजय ने खुलासा किया कि पत्नी से छिपा कर आया है. पत्नी से कह दिया है कि दफ्तर का काम है. यह बात अजय ने पूरे मैच के दौरान अलग अलग विषयों पर छिड़ी बातचीत के दौरान तीन बार बताई.
वहाँ हम सब मिलाकर करीब पाँच मित्र थे और हमारे एक मित्र विकास पत्नी से अनुमति न मिल पाने के कारण नहीं आये थे. अजय ने विकास को शिद्दत से अव्वल दर्जे का बेवकूफ ठहराया और कहा कि उसे अकल ही नहीं है कि पत्नी को कैसे चकमा देना है. हालांकि यह अकल तो हममे भी नहीं है किन्तु चूँकि हम वहाँ मौजूद थे, अतः इस इल्जाम से बच गये.
अगले दिन विकास मिला तो हमने उसे अजय के बारे में भी बताया कि कैसे वो पत्नी को चकमा देकर आया था, तुम भी क्यूँ नहीं कुछ तरीके सीखते कि ऐसे मौको पर निकल सको? वरना तो सीधे सरल तरीके से कौन सी पत्नी अकेले किसी को दोस्तों के साथ मौज मनाने जाने देगी. विकास बोला कि जब तुम लोग मैच देखने गये थे तो अजय की वाईफ तो हमारे घर आई थी और मेरी पत्नी से उसने पूछा भी कि भाई साहब मैच देखने नहीं गये अजय के साथ?
पता नहीं कौन किसको चकमा दे रहा है मगर अजय यह सोचते रहे कि उन्होंने पत्नी को चकमा दे दिया और उधर पत्नी जानबूझ कर चकमित रही.
वैसे इस बात के लिए महिला शक्ति को नमन करता हूँ (यूँ तो हर बात के लिए करता हूँ) कि भगवान और भारतीय पुलिस के बाद यदि कोई है जो जब तक खुद न चाह ले, आप उससे छिपा कर कुछ नहीं कर सकते, तो वो सिर्फ माँ और पत्नी ही है. अकसर हम प्रफुल्लित होते हैं, शादी के पहले माँ को बेवकूफ बना कर और शादी के बाद पत्नी को किन्तु यकीन जानिये वो सिर्फ आपका आत्मविश्वास और सम्मान बरकरार रखने के लिए बेवकूफ बनती है वरना वो पूरी बात तब ही जान चुकी होती है जिस वक्त चकमा देने के विचारमात्र आपके दिमाग में जनम लेता है.
वही हाल तो भारतीय पुलिस का है. चोरी और अपराध तो बहुत बाद में होते हैं मगर उसकी पूरी खबर इनको पहले से होती है. अगर ये ठान लें तो अपराध हो ही नहीं सकते.
भारतीय पुलिस कानून की मर्यादा एवं संविधान का सम्मान एवं उन सबके उपर अपनी उपरी कमाई बनाये रखने के लिए मेरी बात से जरुर इन्कार करेगी और वो ही हाल माँ और पत्नियों का होगा जो एक पुरुष की मर्यादा का सम्मान एवं उसका अह्म भाव बरकरार रखने के लिए इस बात को शायद न मानें, मगर है तो ऐसा ही.
तो अगली बार जब माँ या पत्नी को चकमा देने का ख्याल मन में आये तो याद रखना और एक बार सोच कर देखना कि कौन किसको चकमा दे रहा है और किसने किसको बेवकूफ बनाया.
अब ये देखो बेचारे ने कैसे आँसूं बहाते हुए प्रीत की पाती लिखी है.
चलो, इसी बात पर गज़ल के नाम पर एक चकमा :) बताना जरुर कि चकमा दे पाया कि नहीं वरना फिर उपर भारतीय पुलिस, माँ और पत्नी के साथ हिन्दी ब्लॉगर भी शामिल किया जाये:
मंत्र कुछ सिद्ध जाप लें तो चलें
तिलक माथे पे थाप लें तो चलें
सुनते हैं बस्ती फिर जली है कोई
चलो हम आग ताप लें तो चलें
मिली है पांच साल को कुर्सी
नोट दिन-रात छाप लें तो चलें
जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं
कफन ख़ुद अपना नाप लें तो चलें
आम लोगों में अब रहें क्यूँ ’समीर’
पाल आस्तीं में सांप लें तो चलें
-समीर लाल ’समीर’